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Masoom Mohabbat
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Ebook134 pages1 hour

Masoom Mohabbat

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About this ebook

उसकी पहली छुअन का वो सिहरा देने वाला एहसास और उसको महसूस करने की बेपनाह चाहत। फिर जब उसको छुआ और महसूस किया तब की वो अज़ीब लेकिन दिल को अनियंत्रित कर देने वाली स्थिति। प्यार-मोहब्बत के वो यादगार पल और उनमें बसी मीठी-खट्टी यादें। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मोहब्बत मासूम ही तो होती है। इस प्यार-मोहब्बत में मासूमियत ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। क्या किसी चालाक-धूर्त की चालाकी-धूर्तता से मोहब्बत हुई है? कभी आपको अपने दुश्मन की क्रूरता से मोहब्बत हुई है? आप कहेंगे कि इनसे कौन मोहब्बत करेगा। किसी राह चलते की मासूमियत पे आपको रश्क़ हो सकता है, इश्क़ हो सकता है।

--

युवा हिन्दी लेखक शैख़ हिलाल नॉएडा की एक प्राइवेट फर्म में एकाउंट्स मैनेजर तौर पर काम करते हैं। हिलाल को शायरी और व्यंग लिखने का बहुत बड़ा शौक है। उनकी अधिकतर कहानियाँ निजी जीवन में हुए अनुभवों से प्रेरित होती हैं। हिलाल अपने जीवन में काफी छोटी उम्र से ही जिन घटनाओं को घटित होते हुए देखते या अख़बारों के माध्यम से पढते तो उनके इर्द-गिर्द एक कहानी बुनने लगते। लोगों का रहन-सहन, आपस में बोल-चाल, मेट्रो-ट्रैन में लोग किस तरह व्यवहार करते हैं, ये सब हिलाल की कहानियों का हिस्सा बन जाता है। ऑफिस में लोगों की किस तरह की गतिविधियाँ रहती हैं, बड़े शहर के लोग किस तरह बात करते हैं, छोटे शहरों या कस्बों या गांवों में लोग किस तरह बात करते हैं, ये सब हिलाल अपने ज़हन रखते हैं।

LanguageEnglish
Release dateDec 3, 2019
ISBN9781393518631
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    Book preview

    Masoom Mohabbat - Shaikh Hilal

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    राजमंगल प्रकाशन

    An Imprint of Rajmangal Publishers

    मूल्य : 140/- रू.

    ISBN : 978-9388202749

    Published by :

    Rajmangal Publishers

    201, Quarsi, Ramghat Road

    Aligarh-202001, (UP) INDIA

    Cont. No. +91- 7017993445

    www.rajmangalpublishers.com

    rajmangalpublishers@gmail.com

    sampadak@rajmangalpublishers.in

    ——————————————————————-

    प्रथम संस्करण : दिसम्बर 2019

    प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन

    राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 201,  सांगवान, क्वार्सी,

    रामघाट रोड, अलीगढ़, उप्र. - 202001

    फ़ोन : +91 - 7017993445

    ——————————————————————-

    First Published : Dec. 2019

    Printed by : Thomson Press India LTD & Repro India LTD

    eBook by : Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division)

    Cover Design : Rajmangal Arts

    Copyright © शैख़ हिलाल

    This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, and incidents are either the products of the author’s imagination or used in a fictitious manner. Any resemblance to actual persons, living or dead, or actual events is purely coincidental. This book is sold subject to the condition that it shall not, by way of trade or otherwise, be lent, resold, hired out, or otherwise circulated without the publisher’s prior consent in any form of binding or cover other than that in which it is published and without a similar condition including this condition being imposed on the subsequent purchaser. Under no circumstances may any part of this book be photocopied for resale. The printer/publishers, distributer of this book are not in any way responsible for the view expressed by author in this book. All disputes are subject to arbitration, legal action if any are subject to the jurisdiction of courts of Aligarh, Uttar Pradesh, India

    अनुक्रमणिका

    शीर्षक          पृष्ठ संख्या

    प्रस्तावना

    पहला किस!

    पल-पल दिल के पास!

    ~~

    प्रस्तावना

    मैं अपने जीवन में काफी छोटी उम्र से ही जिन सच्ची घटनाओं को घटित होते हुए देखता हूँ या अख़बारों के माध्यम से पढता हूँ, उनके इर्द-गिर्द एक कहानी बुनने लगता हूँ। लोगों का आपस में रहन-सहन, बोल-चाल, मेट्रो ट्रैन में लोग किस तरह व्यवहार करते हैं। ऑफिस में लोगों की किस तरह की गतिविधियां रहती हैं। बड़े शहर के लोग किस तरह बात करते हैं, छोटे शहरों या कस्बों या गांवों में लोग किस तरह बात करते हैं, ये सब मैं अपने ज़हन रखता हूँ, ताकि जब मैं कोई कविता या कहानी लिखूं ये असलियत मेरी कहानियों में दिखे, कुछ बनावटी या गैर ज़रूरी न लगे। जिस भाषा, बोली या अंदाज़ में लोग बात करते हैं, उसी अंदाज़ में मैंने अपने पत्रों के बीच संवाद कायम किया है।

    यही कोशिश मैंने अपनी कहानी पहला किस और पल-पल दिल के पास में की है। मैंने ये दोनों कहानियां असल घटनाओं से प्रेरित हो कर लिखीं हैं। आज के दौर में प्रेम करना या प्रेम विवाह करना कोई विशेष बात नहीं रह गयी है। मगर जहाँ बात अंतर्जातीय हो मामला थोड़ा पेचीदा हो जाता है और प्रेम अलग-अलग धर्मों के बीच है तो मामला बहुत संगीन हो चलता है। 90 % मामलों में तो ये धार्मिक फसाद तक का कारण बन जाता है। 

    इसलिए आज के दौर में किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से प्रेम करना जान हथेली पर लेकर चलना है, इसीलिए मेरी दोनों कहानियों में डर साफ़ देखा जा सकता है पात्र पहले ऐसे प्रेम में पड़ने से हिचकते हैं। लेकिन अगर प्रेम सच्चा और पवित्र हो तो फिर लोग अपनी जान की परवाह किये प्रेम में आगे बढ़ जाते हैं। 

    ये कामना करता हूँ की जब आप कहानी पड़ेंगे तो पाएंगे की ऐसी घटनाएं आपने कभी न कभी देखी या सुनी ज़रूर होंगी।

    ~~

    पहला किस!

    कितना मुश्किल है किस करना? या किस करने का मौका मिलना?

    मुझे पता है आप में से ज़्यादातर लोगों ने बहुत छोड़ी उम्र में अपना पहला किस किया होगा। कुछों ने L.K.G में, कुछों ने प्राइमरी में तो कुछों ने हाई स्कूल या ग्रेजुएशन में तो 100% किया ही होगा।

    कमाल की बात तो ये है जिन्होंने ने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा उन्होंने ने भी कम उम्र में किस किया होगा। अब लड़कियां ये न सोचें के ये बिगड़े हुए लड़कों का काम है सिर्फ लड़के ही करते हैं, तो उन्हें बता दूँ, किस करने के लिए एक पार्टनर की ज़रूरत होती है और वो लड़कों के मामले में लड़कियां ही होती हैं। अब अगर 1 करोड़ लड़कों ने जिसे भी किस किया होगा तो इसकी पूरी संभावना है की वो  99.9999% लड़कियां ही होंगी। 0.0001% मैंने किसी दूसरी संभावना के लिए छोड़ देता हूँ।

    यहाँ पहला किस मैंने फ्रेंच किस को कहा है, गालों वाली पुच्ची तो मेरी डिक्शनरी में है तक नहीं। फ्रेंच किस का नाम तो मैंने अपने हाई स्कूल या शायद कॉलेज में सुना था, लेकिन इसका एक अश्लील नाम स्मूच मैंने अपने प्राइमरी स्कूल में ही सुन लिया था। जब मेरे चौथी क्लास के एक दोस्त में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हुए स्मूच के बारे में मुझे बताया।

    खैर इतना आसान और teenage के  दौर का सबसे ज़रूरी और मामूली किया जाने वाला काम, किसी-किसी के लिए सदियों का इंतज़ार भी कराता है, वो कोई-कोई इतने बदनसीब होते हैं की फ्रेंच किस तो क्या किसी लड़की ने गालों पर पुच्ची तक नहीं दी होती। ऐसा कुछ ज़रूरी नहीं है की किस नहीं किया तो ज़िंदगी ख़त्म, लेकिन दिल के हज़ार टुकड़े होते हैं जब कोई कमबख़्त दोस्त शाम को या स्कूल में झुण्ड बना के किस के किस्से सुनाये।

    अबे भाई आज तुम्हारा भाई बंदी के साथ झील वाले पार्क घूमने गया था। झील के किनारे बेंच पे भाई, भेंचो कोई भी नि था भाई वहां, तेरे भाई ने वहां 2-3 घंटे...

    एक कसक और हीनता का एहसास होने लगता है। अपने लड़के होने पे शक होने लगता है। अपने आप को बदसूरती का फितूर हो जाता है। बचपन में इस तरह की हीन भावना जानलेवा भी हो सकती है। खैर मैं उन बेशर्मों में से एक हूँ जो इतनी आसानी से मरते नहीं हैं। इसका exactly उल्टा मैं नहीं बता सकता के कोई लड़की भी अपनी सहेलियों में ऐसे ही चौकड़ी मार के फुल टशन में बताती हो आज तो तेरी बहन अपने बन्दे के साथ DLF गयी थी वगैरह-वगैरह

    कई सभ्यताएं बनी-बिगड़ी, लाखों पैगम्बर, देवी देवता धरती पे आये और आ कर चले गए। मैं चड्डी-बनियान से सूट-बूट पहनने वाला बन चूका था, लेकिन किस तो क्या गालों वाली चुम्मी तक नसीब नहीं हुई थी। झंड ज़िंदगी ऐसे ही गुज़र रही थी। बोरिंग। घर से ऑफिस, ऑफिस से घर। वीकेंड पे ज़्यादा से ज़्यादा अपने शादी-शुदा या गर्लफ्रेंड वाले दोस्तों से बेइज़्ज़ती करवाने उनके पास चला जाता था। बिलकुल आम दिनों की तरह एक दिन मैं Electronic City मेट्रो स्टेशन से ट्रैन में चढ़ रहा था के एक बहुत पुराना जाना-पहचाना चेहरा दिखा, वो चेहरा लेडीज़ कोच में चढ़ा और मैं जान बूझ कर दूसरे डब्बे में, ताकि उस चेहरे को दोबारा देख सकूँ और ये कन्फर्म कर सकूँ के जो मैं सोच रहा था ये वही चेहरा है। काफी तांका-झांकी के बावजूद चेहरा दिखा नहीं, राजीव चौक तक कोशिश की मैंने लेकिन कुछ हुआ नहीं। ऐसा नहीं था के मैं इतना ठरकी था, लेकिन

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