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प्रसन्नता एवं सकारात्मकता पर विचार
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प्रसन्नता एवं सकारात्मकता पर विचार

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उत्पाद का संक्षिप्त विवरण
संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एवं दुबई के शासक, महाराज शेख मोहम्मद बिन रशीद अल मक्तूम द्वारा लिखित यह नयी गौरवपूर्ण पुस्तक उन दो सिद्धांतों का विश्लेषण करती है, जिनमें शेख मोहम्मद को अत्यधिक व्यक्तिगत रूचि है और ये दो सिद्धांत हैं: प्रसन्नता एवं सकारात्मकता। वह इन दोनों के बीच के संबंध का पता लगाते हैं और निरीक्षण करते हैं कि ये उपलब्धि, उत्पादकता और रचनात्मकता को कैसे प्रभावित करते हैं। स्वयं शेख मोहम्मद के हाथों से लिखित और हिंदी भाषा में अनुवादित, यह ज्ञानपूर्ण पुस्तक नेतृत्व की रणनीतियां तैयार करने में और टीम के सदस्यों के बीच के संबंधों को मजबूत बनाने में प्रसन्नता और सकारात्मकता की प्रमुख भूमिका पर जोर देने के लिए व्यक्तिगत कहानियां और अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण दोनों शामिल करती है।
मुख्य बिंदु
• संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एवं दुबई के शासक, महाराज शेख मोहम्मद बिन रशीद अल मक्तूम द्वारा लिखित नवीनतम पुस्तक
• शेख मोहम्मद की व्यक्तिगत कहानियों और अनुभवों से परिपूर्ण
• एक सामयिक प्रकाशन जो संयुक्त अरब अमीरात के 2016 के राष्ट्रीय प्रसन्नता और सकारात्मकता कार्यक्रम के क्रियान्वयन का पालन करता है
• प्रेरणादायक जानकारियों और अनुभवी मार्गदर्शन की निधि शामिल करके, इसे ग्राहकों, सहकर्मियों और व्यवसायिक सहयोगियों के लिए बहुमूल्य उपहार बनाता है
• अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, हिंदी, रुसी, स्पेनिश और उर्दू भाषाओं में उपलब्ध
• मुद्रित, ईबुक और ऑडियोबुक स्वरूपों में उपलब्ध
Languageहिन्दी
Release dateJul 24, 2017
ISBN9781785960550
प्रसन्नता एवं सकारात्मकता पर विचार

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    प्रसन्नता एवं सकारात्मकता पर विचार - Explorer Publishing

    भविष्य

    1. प्रसन्नता क्यों?

    अक्सर पूछा जाने वाला एक प्रश्न, विशेष रूप से सरकार के कामकाज के पिछले कुछ वर्षों में यह है ‘प्रसन्नता पर क्यों फोकस करें?’ प्रसन्नता क्यों राष्ट्र के विमर्श का, मेरी भाषा का और सरकार के एजेंडा, योजनाओं व गतिविधियों का महत्वपूर्ण अंग बन गई है?

    यह बार-बार आने वाला प्रश्न है और इस समूची पुस्तक में मैं इसका उत्तर देने का प्रयत्न करूंगा। मैंने प्रसन्नता का सकारात्मकता के साथ जोड़ा बनाया है, यह ऐसी विषयवस्तु है जिसके बारे में पाठक गौर करेंगे कि मैंने आगे के अध्यायों में इसे विस्तार से समझाया है।

    मैंने अक्सर खुद से यह प्रश्न पूछा है – प्रसन्नता क्यों? हालांकि यह सरल विचार-विमर्श प्रतीत होता है पर इसमें काफी गहराई है और इसलिए इसका उत्तर देना काफी मुश्किल है।

    मैंने शासक के रूप में अपने सच्चे कार्य के बारे में यूएई और दुबई में नेता के रूप में अपनी भूमिका को निचोड़ के रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास में स्वयं से भी पूछा है। मेरा मुख्य कार्यभार क्या है? सरकार चलाना? तो, फिर सरकार का काम क्या है? क्या यह कानूनों तथा नीतियों को बनाना और उन्हें लागू करना है? क्या यह लाभों की सुरक्षा करना और अधिकारों को बनाए रखना है? क्या यह समाज को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, सड़कों और बुनियादी ढांचे की तरह जीवन की आवश्यकताओं को मुहैया कराना है? क्या सरकार के पास ज्यादा विस्तृत, गहन और अधिक प्रेरणास्पद कार्य नहीं हो सकता?

    मेरा उत्तर है हां; जब हम लोगों को प्रसन्न बनाना चाहते हैं तो हमारा काम अधिक गहन, प्रभावशाली और प्रेरणादायक हो सकता है। सरकार का काम ऐसा माहौल बनाना है, जिसके जरिए अपने सपनों एवं महत्वाकांक्षाओं को हासिल कर सकें और स्वयं के लिए इस काम को करें। हमारा काम यह माहौल बनाना करना है, उसे नियंत्रित करना नहीं। सरकार का काम लोगों को समर्थ बनाना है, उनके ऊपर सत्ता का डंडा चलाना नहीं। सरकार का काम प्रसन्नता को प्राप्त करना है।

    क्या हम उस असर की कल्पना कर सकते हैं जो सरकार में काम कर रहे लाखों लोगों पर विश्वास कर सकते हैं? यह आभास कि उनके काम का विशेष महत्व है; यह कि उनके काम का एक सभ्य और गहन मानवतावादी उद्देश्य है; यह कि वे हर दिन उसका अनुसरण करने की दिशा में उन्मुख हैं। जो कि मनुष्य के रूप में उनके हृदय के करीब हैः वे लोगों की प्रसन्नता में कैसे योगदान दे सकते हैं?

    कुछ लोग अपना कैरियर सरकारी तंत्र के भीतर काम करने के लिए समर्पित कर देते हैं, सार्वजनिक सेवा के 30 या 40 वर्षों के बाद जब वे पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें गर्व होता है कि उन्होंने अपना समूचा जीवन लोगों को प्रसन्न बनाने के लिए सतत खोज में व्यतीत कर दिया है।

    लोगों को प्रसन्न करने का प्रयत्न करना स्वयं प्रसन्नता का मूर्त रूप है। इस्लाम में मनुष्यों को प्रसन्न करना सबसे अच्छे कृत्यों में से एक है और सर्वाधिक धार्मिक लोग उन्हें माना जाता है जो दूसरों के लिए सर्वाधिक उपयोगी होते हैं।

    आइए, लोगों के जवाब की कल्पना करते हैं जब वे इन बातों को सुनते हैं। वे समझते हैं कि सरकार उनके फायदे के लिए काम कर रही है, उनके और उनके बच्चों के लिए अवसर मुहैय्या कराने की कोशिश कर रही है जिससे कि वे प्रसन्न हो सकें। सरकार उनके सपनों को पूरा करने के लिए जरूरी औजारों एवं कौशलों से उन्हें समर्थ बनाने का उद्देश्य लेकर चलती है। क्या हम सरकार और जनता के बीच उस दशा में किसी तरह की शत्रुता की उपस्थिति की कल्पना कर सकते हैं जबकि उन सभी को संचालित करने वाला प्रमुख कारक सच्ची प्रसन्नता की प्राप्ति हो?

    न तो हम स्वप्नजीवी हैं और न ही संपूर्ण मानव, और प्रसन्नता के मूल्य पर चर्चा करने वाले हम पहले व्यक्ति भी नहीं हैं। समूचे इतिहास में लोगों ने इस पर विचार किया है और प्रसन्नता खोजी है। कमोबेश 2,400 वर्ष पहले अरस्तू ने कहा था कि सरकार का उद्देश्य प्रसन्नता की प्राप्ति है। उसने माना कि सरकार जीवित प्राणी है जो कि विकसित हुआ है और नैतिक पूर्णता तथा लोगों की प्रसन्नता को प्राप्त करने की कोशिश में प्रयासरत रहता है। दूसरे लोगों के अलावा 15वीं सदी का मशहूर अरब इतिहासकार इब्न खाल्दुन इसी तरह का विचार रखता था। संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतन्त्रता की घोषणा प्रसन्नता की खोज करने और हरेक के अधिकार की गारंटी प्रदान करती है। आर्थिक पैमाने से लेकर मानव प्रसन्नता से जुड़े मानकों तक सरकारों के कार्य-प्रदर्शन के मापन के लिए अपनाए गए मानदंडों को संशोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आह्वान किए गए हैं। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने प्रसन्नता की महत्ता की पुष्टि करने के लिए विश्व दिवस को भी नामित किया है।

    अनेक अध्ययनों के अनुसार प्रसन्न लोग अधिक उत्पादन करते हैं, लंबा जीवन जीते हैं और आर्थिक विकास के बेहतर चालक होते हैं। मैं प्रसन्नता के बारे में सरकार की बात को सुनकर कुछ लोगों की हैरानी से आश्चर्यचकित हूं। प्रसन्नता की सूचियां, कार्यक्रम और अध्ययन हैं। प्रसन्नता मापने-योग्य है; इसे विकसित किया जा सकता है तथा मूल्यों और योजनाओं के समूह को इसका श्रेय दिया जा सकता है। व्यक्तियों, परिवारों, कर्मचारियों और व्यापक समुदाय की भावी प्रसन्नता और आशावादिता को सभी सरकारी क्षेत्रों के कार्यक्रमों एवं योजनाओं के केंद्र में रखे जाने की जरूरत है। जब हम कहते हैं कि सरकार का उद्देश्य प्रसन्नता हासिल करना है तो हमारा शब्दशः यही मतलब होता है और हम इसे शब्दशः क्रियान्वित करेंगे। हम अपने लोगों की महत्वाकांक्षाओं एवं आकांक्षाओं के समान और अपनी संस्कृति के अनुसार इस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

    हां, हम लोगों को प्रसन्न बनाने का प्रयास करते हैं और लोगों को प्रसन्न करना हमारा उद्देश्य और मिशन होगा, जब तक वह स्थाई और गहरी जड़ें जमाई हुई वास्तविकता न बन जाए। कोई सरकार परिपूर्ण नहीं है लेकिन लोगों को प्रसन्न बनाने में हमारी सच्ची भूमिका का परित्याग करना वास्तविक गलती होगी। यह पुस्तक और कुछ नहीं बल्कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु योगदान देने का प्रयास है।

    हां, हम लोगों को प्रसन्न बनाने का प्रयास करते हैं और लोगों को प्रसन्न बनाना हमारा उद्देश्य और मिशन होगा जब तक कि वह स्थाई और गहरी जड़ें जमाई हुई वास्तविकता नहीं बन जाता।

    2. प्रसन्नता और सकारात्मकताः क्या समय के साथ हमारी संगति नहीं बैठ रही?

    जब से हमारी सरकार ने प्रसन्नता की अवधारणा पर अपने प्रयत्नों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया है, समय-समय पर मुझे आलोचनाएं, टिप्पणियां और राय प्राप्त हुई हैं। ऐसी ही एक गौर करने लायक बात अरब पत्रकार की थी जिसने सरकार के सुधारों के चक्र पर टिप्पणी की थी, जिसके फलस्वरूप यूएई के प्रसन्नता राज्य मंत्री की नियुक्ति हुई थी। उसने मुझसे पूछा कि, क्या आपको नहीं लगता कि यह समय के साथ न्याय संगत नहीं बैठता?

    इस पर मैंने उत्तर दिया, हम इसी समय में जी रहे हैं और हम अपने समय के लिए आशा सृजित करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा वार्तालाप जारी रहा और मैंने उसे बताया कि, विश्व के किसी भी क्षेत्र को प्रसन्नता और सकारात्मकता की उतनी जरूरत नहीं है, जितनी कि हमारे क्षेत्र को है। क्षेत्र के भीतर और क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले दोनों परिवेश में निराशावाद बहुत अधिक है।

    इस नकारात्मकता को हम अपने समूचे समाचार माध्यमों में देख सकते हैं। हमारे समाचारों में, हमारे लेखकों के संपादकीय में, हमारे शिक्षित लोगों की राय में और सोशल मीडिया पर भी ऐसी बातें महसूस की जाती हैं।

    सकारात्मकता चिंतन का एक तरीका है और प्रसन्नता जीवनशैली। दूसरे शब्दों में, इससे आप प्रसन्न नहीं होते कि आपके पास क्या है या आप क्या करते हैं; चीजों के बारे में आपके सोचने का तरीका ही प्रसन्नता है।

    इस प्रवृत्ति की पुष्टि एक रिपोर्ट के द्वारा हुई जो कुछ समय पहले मेरे देखने में आई थी और जिसे विश्लेषित किए जाने का अनुरोध किया गया था। यह 2015 के लिए विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट थी, जिसमें विश्वभर में युवाओं एवं किशोरों के बीच निराशावाद और अवसाद पर अध्ययन शामिल था, जहां पर युवाओं के दृष्टिकोण को भौगोलिक रूप से विभाजित किया गया था। आपकी समझ में विश्व में किस क्षेत्र में अवसाद और निराशावाद की सर्वाधिक दर है? वाकई, यह अरब विश्व है। किसी पर आरोप लगाए बिना मैं पूछता हूं कि जब हमारे किशोर और युवा निराशा में जी रहे हैं, तो हम सबके लिए किस तरह का भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है?

    तभी तो मैं आशावादिता और सकारात्मकता का पोषण करने और प्रसन्नता का प्रसार करने की महत्ता में पुरज़ोर यकीन करता हूं। इस पुस्तक में, मैं सरकारी गतिविधियों पर अपने परिप्रेक्ष्य, अपने इर्दगिर्द के अवसरों और उस भविष्य समेत जो हमारा इंतजार कर रहा है, सकारात्मकता की अवधारणा और जीवन के हमारे दृष्टिकोण को बदलने पर उसके असर पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करता हूं।

    सकारात्मकता और प्रसन्नता के बीच रिश्ता शुरुआत और निष्कर्ष के बीच सह-संबंध की तरह है, यही कारण है कि यह इस रचना की इतनी महत्वपूर्ण विषयवस्तु है। सकारात्मकता चिंतन का एक तरीका है और प्रसन्नता जीवनशैली। दूसरे शब्दों में, इससे आप प्रसन्न नहीं होते कि आपके पास क्या है या आप क्या करते हैं; बल्कि इससे होते हैं कि चीजों को लेकर आप कैसा सोचते हैं। भौतिक संपदा आपको प्रसन्न नहीं बनाती, जबकि परिप्रेक्ष्य (वातावरण) बनाता है।

    पत्रकार के साथ अपनी जिस वार्ता का मैंने पहले उल्लेख किया है, उस पर लौटते हैं। वह साक्षात्कार से अनूठी खबर निकालना चाहता था, इसलिए उसने मुझे पूछा, संयुक्त अरब अमीरात में प्रसन्नता के इन कार्यक्रमों पर आप कितना खर्च करेंगे?

    मैंने उत्तर दिया, "प्रसन्नता कार्यक्रमों के तहत नहीं आती और यह सरकार के रोजमर्रा के कार्य से पृथक है। प्रसन्नता सरकार के काम का मुख्य केंद्र बिंदु है और सरकार के समूचे बजट को अवश्य ही हमारे लोगों की प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए

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