ABC Murders
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About this ebook
In Hindi for the first time.
There is a serial killer on the loose, working his way through the alphabet and the whole country is in a state of panic. With each murder, the killer is getting more confident - but leaving a trail of deliberate clues to taunt detective Hercule Poirot becomes his fatal mistake. ABC Murders is a gripping and thrilling tale and the Hindi translation remains true to Agatha style.
Agatha Christie
Agatha Christie is the most widely published author of all time, outsold only by the Bible and Shakespeare. Her books have sold more than a billion copies in English and another billion in a hundred foreign languages. She died in 1976, after a prolific career spanning six decades.
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Book preview
ABC Murders - Agatha Christie
अनुवादक की कलम से
अगाथा क्रिस्टी का अनुवाद! अगाथा... ‘द ग्रैंड डेम ऑफ क्राइम फ़िक्शन’! ‘हाँ’ करने से पहले पलभर के लिए भी रुककर सोचने की ज़रूरत नहीं थी। एक अजीब-सा थ्रिल। मेरे लिए बहुत कुछ जुड़ा है इस नाम के साथ। मेरा बचपन, स्कूल और कॉलेज के उन दिनों की यादें जब रात के खाने के बाद मैं अगाथा क्रिस्टी की किताब लेकर बैठ जाया करती थी और देर रात तक पढ़ती रहती थी। फिर मेरे बच्चों, आदित्य और वन्दना के बचपन के दिन और अब ऊर्जा के। इतने दशकों में एक अन्तर अवश्य आया है। अब हम अगाथा को केवल पढ़ते ही नहीं, देखते भी हैं। उनकी अपराध कथाओं पर बनी फ़िल्में भी... दो घण्टे की हों या एक घण्टे की... बेहद रोचक हैं। जब भी कोई डी.वी.डी. लगाने की बात उठती है तो बिना झगड़े केवल एक ही नाम पर हम सब सहमत होते हैं। ‘पॉयरो सीरीज़’। पॉयरो... अगाथा क्रिस्टी द्वारा रचा गया मशहूर बेल्जियन जासूस। हम तीनों पीढ़ियाँ एक साथ बैठकर इन फिल्मों का आनन्द लेते हैं। बात हम लोगों की नहीं है। बात है अगाथा की। किसी भी लेखक की देश और काल से परे लोकप्रियता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है!
अगाथा क्रिस्टी की अपराध-कथा लिखने की कला पर मज़बूत पकड़ है। एक विशेष शैली है। पूरे कथानक की बुनावट इतनी रोचक होती है कि आप कहीं कोई कमी अनुभव नहीं करते। कहानी पढ़ते-पढ़ते हम कितना भी रहस्य को सुलझाने की कोशिश करें, अक्सर असफल रह जाते हैं। कहानी का अन्त हमें चौंका ही देता है। पात्रों का चरित्र-चित्रण इतनी बारीकी से किया गया होता है कि आप उन्हें अपनी आँखों के सामने चलते-फिरते देख सकते हैं। उनकी छोटी-छोटी आदतों तक का वर्णन बड़े सहज ढंग से किया गया है। हरेक पात्र एक अलग व्यक्ति है, एक ऐसा व्यक्ति जो हमारे आसपास की दुनिया का हिस्सा हो सकता है। कुछ भी ऐसा नहीं जिस पर विश्वास करना कठिन हो। इसीलिए शायद अगाथा की लेखनी अपराधी के प्रति भी संवेदना लिए लगती है। अगाथा अपनी विधा में माहिर हैं। इसीलिए तो नवम्बर, 2013 में ‘क्राइम राइटर्ज़ एसोसिएशन’ ने उन्हें आज तक के तमाम अपराध-कथा लेखकों में महानतम माना है।
यही नहीं, अगाथा मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा भी रही हैं। बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी कहानियाँ पत्रिकाओं में भेजनी आरम्भ ही की थीं और वह कुछ दिनों बाद सम्पादक के ‘खेद सहित’ लौट आया करती थीं। तब किसी परिचित ने मुझसे कहा था कि इसमें चिन्ता की बात नहीं। सबके साथ ऐसा होता है। ‘डेम’ क्रिस्टी भी अपना पहला उपन्यास 17 प्रकाशकों के पास ले गयी थीं। अस्वीकार किये जाने पर वह उन सबसे एक ही बात कहतीं, ‘‘इट्स योअर लॉस।’’ (‘‘नुकसान आप का है।’’) अपने लेखन में उनका विश्वास कभी नहीं डगमगाया। आज पूरी दुनिया गवाह है उनकी कला की उत्कृष्टता की।
अन्त में मैं उन सबके प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहूँगी जिनके कारण मेरा यह प्रयास पूरा हो पाया। सबसे पहले अपनी सम्पादक मीनाक्षी ठाकुर के प्रति, जिन्होंने मुझ पर और मेरे काम पर विश्वास रखा। मेरी बहुत प्यारी-सी ‘ग्रैंड-डॉटर’ ऊर्जा को विशेष धन्यवाद, फ्रेंच शब्दों के अनुवाद में मेरी सहायता करने के लिए। आदित्य और वन्दना को हर कठिनाई में मेरे साथ खड़े रहने और मेरी ‘स्पेस’ का आदर करने लिए धन्यवाद। शशि और अल्का का धन्यवाद, जिनकी शुभकामनाएँ सदा मेरे साथ रहती हैं। अपनों की शुभकामनाओं के बिना कोई भी मंज़िल अर्थहीन हो जाती है।
14.01.2014 पैमिला मानसी
नयी दिल्ली
प्रस्तावना
कैप्टन आर्थर हेस्टिंग्ज़, ओ.बी.ई.
इस कहानी में मैं अपने इस नियम को छोड़ रहा हूँ कि केवल उन घटनाओं और दृश्यों का ज़िक्र करूँ जिनमें मैं ख़ुद मौजूद था। इसलिए कुछ अध्याय किसी तीसरे आदमी के बयान के रूप में लिखे गये हैं।
मैं अपने पाठकों को विश्वास दिलाता हूँ कि मैं इन अध्यायों में वर्णित घटनाओं के सच होने की कसम खा सकता हूँ। अगर मैंने कुछ पात्रों के विचारों तथा भावनाओं का वर्णन करने के लिए कवि की आज़ादी ली है तो इसलिए कि मैंने उनका काफ़ी हद तक सही चित्र खींचा है। मैं यह भी जोड़ना चाहूँगा कि उनकी जाँच मेरे दोस्त हरक्यूल पॉयरो ने ख़ुद की है।
आख़िर में मैं कहूँगा कि अगर मैंने अपराधों की इस अजीबो-गरीब कड़ी के फलस्वरूप उभरे किसी कम अहम व्यक्तिगत रिश्ते का ज़्यादा तफ़सील से ब्यौरा दे दिया है तो वह इसलिए कि इंसानी और ज़ाती मामलों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। एक बार हरक्यूल पॉयरो ने मुझे बहुत नाटकीय अन्दाज़ में बताया था कि रोमांस अपराध की उपज भी हो सकता है।
जहाँ तक ABC रहस्य को सुलझा पाने का प्रश्न है, मैं केवल इतना कह सकता हूँ कि मेरे ख़याल में पॉयरो ने एक ऐसी समस्या को सुलझाने में बहुत प्रतिभा दिखाई जैसी पहले कभी उसके सामने नहीं आयी थी।
1. ख़त
जून 1935 में मैं लगभग छह महीने के लिए दक्षिणी अमेरिका स्थित अपने रांच से घर आया। वहाँ हमारे लिए बहुत मुश्किल समय रहा था। हर किसी की तरह हम भी दुनिया भर में छायी मन्दी को झेल रहे थे। मुझे इंगलैण्ड में कई कामों को देखना था, इसलिए मुझे लगा कि उन्हें ख़ुद अपने ढंग से काम करने पर ही मैं सफल हो पाऊँगा। मेरी पत्नी रांच का प्रबन्ध करने के लिए पीछे रुक गयी।
यह कहने की ज़रूरत नहीं कि इंगलैण्ड पहुँचने पर मैंने सबसे पहले जो काम किये, उनमें एक था अपने दोस्त हरक्यूल पॉयरो से मिलना।
वह लन्दन में नये बने सर्विस-फ़्लैटस में से एक में रह रहा था। मैंने उस पर आरोप लगाया (और उसने इसे मान भी लिया) कि उसने यह जगह उसके जिऑमीट्री के आधार पर बने बाहरी रंग-रूप और आकार के लिए चुनी थी।
‘‘हाँ, मेरे दोस्त, इसका सन्तुलन बहुत लुभावना है। तुम्हें ऐसा नहीं लगता?’’
मैंने कहा कि मेरे विचारानुसार कभी-कभी चौकोर कुछ ज़्यादा ही चौकोर हो सकता है, और एक पुराने मज़ाक को दोहराते हुए पूछा कि क्या इस अति-आधुनिक सराय में मुर्गियों को चौकोर अण्डे देने के लिए उकसाया जा सकता है।
पॉयरो दिल खोलकर हँसा।
‘‘आह, तुम्हें याद है? अफ़सोस! नहीं—विज्ञान मुर्गियों को नयी पसन्द के अनुसार चलने के लिए नहीं मना सका और वे अभी भी अलग-अलग आकार और रंगों के अण्डे देती हैं!’’
मैंने प्यार भरी नज़र से अपने दोस्त को देखा। वह असाधारण रूप से स्वस्थ लग रहा था—जब मैंने उसे पिछली बार देखा था, उससे एक दिन भी बड़ा नहीं।
‘‘तुम बहुत अच्छी हालत में लग रहे हो, पॉयरो। उम्र बढ़ी ही नहीं जैसे। अगर यह मुमकिन हो सकता तो मैं कहता कि तुम्हारे सिर में पिछली बार से भी कम सफ़ेद बाल हैं।’’
पॉयरो मुस्कराया।
‘‘सम्भव क्यों नहीं? यह काफ़ी हद तक सच है।’’
‘‘तुम्हारा मतलब है कि तुम्हारे बाल काले से सफ़ेद होने की बजाय सफ़ेद से काले हो रहे हैं?’’
‘‘बिल्कुल।’’
‘‘लेकिन साइंस के मुताबिक तो यह नामुमकिन है।’’
‘‘बिल्कुल नहीं।’’
‘‘यह तो बहुत अजीब बात है। कुदरत के ख़िलाफ़।’’
‘‘हमेशा की तरह, हेस्टिंगज़ तुम्हारा मन साफ़ है और शक़ से खाली। वक़्त तुम्हारा यह गुण नहीं बदल पाया। तुम कोई सच्चाई देखते हो और उसी साँस में ख़ुद ही उसका हल भी ढूँढ लेते हो, बिना इस एहसास के कि तुम ऐसा कर रहे हो।’’
मैं उलझा-सा उसे ताकता रहा।
वह बिना एक शब्द भी बोले अपने बेडरूम में गया और हाथ में एक बोतल पकड़े वापस आ गया, जो उसने मुझे थमा दी।
उस वक़्त मैंने बिना कुछ समझे उसे पकड़ लिया।
उस पर लिखा था—
रिवाईविट—बालों का कुदरती रंग लौटाने के लिए। रिवाईविट डाई नहीं है। पाँच रंगों में—, ऐश, भूरा, टाइशियन, कत्थई, काला।
‘‘पॉयरो,’’ मैं चिल्लाया, ‘‘तुमने अपने बाल रंगे हैं!’’
‘‘आह, तुम समझ गये।’’
‘‘तो इसलिए तुम्हारे बाल पिछली बार से ज़्यादा काले लग रहे हैं!’’
‘‘एकदम सही।’’
‘‘डियर मी,’’ मैंने आघात से उबरते हुए कहा, ‘‘शायद अगली बार मैं आऊँगा तो तुम्हें नकली मूँछें लगाये हुए पाऊँगा—या तुम इस समय भी लगाये हो?’’
पॉयरो सकपकाया। उसकी मूँछें हमेशा उसके लिए एक नाज़ुक मुद्दा रही थीं। उसे उन पर असाधारण गर्व था। मेरे शब्दों ने कच्चे घाव को छू दिया।
‘‘नहीं, नहीं, मेरे दोस्त। ईश्वर से दुआ करता हूँ कि वह दिन अभी बहुत दूर हो। नकली मूँछें! कितना घिनौना!’’
मुझे उनके असली होने का यक़ीन दिलाने के लिए, उसने उन्हें खींचा।
‘‘यह अभी भी घनी हैं,’’ मैंने कहा।
‘‘हैं न? पूरे लन्दन में मैंने अपनी मूँछों जैसी और मूँछें नहीं देखीं।’’
रंगने का काम अच्छी तरह किया है, मैंने मन में सोचा। परन्तु मैं किसी भी क़ीमत पर यह कहकर पॉयरो की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचा सकता था।
इसकी बजाय मैंने पूछा कि क्या वह अब भी कभी-कभी अपना काम करता था।
‘‘मैं जानता हूँ तुम कई साल पहले रिटायर हो चुके हो—’’
‘‘सच है। सब्ज़ियाँ उगाने के लिए! तभी एक हत्या हो जाती है और मैं सब्ज़ियों को शैतान के हवाले कर देता हूँ। मैं—मैं जानता हूँ तुम क्या कहोगे—मैं उस मुख्य गायिका की तरह हूँ जो अपना आख़िरी शो प्रस्तुत तो कर देती है, परन्तु वह आख़िरी शो अनगिनत बार दोहराया जाता है।’’
मैं हँस पड़ा।
‘‘सच में ऐसा ही हुआ है। हर बार मैं कहता हूँ बस यह आख़िरी केस है। लेकिन नहीं, कुछ और हो जाता है। मैं मानता हूँ, दोस्त, कि रिटायरमेंट की मुझे कोई परवाह नहीं। अगर दिमाग़ के छोटे-छोटे ग्रे-सेल्ज़ से काम न लिया जाये तो उन्हें ज़ंग लग जाती है।’’
‘‘मैं समझता हूँ। तुम उनसे संयम से काम लेते हो।’’
‘‘बिल्कुल सही। मैं सोच-विचारकर केस चुनता हूँ। अब हरक्यूल पॉयरो के लिए सिर्फ़ चुनिन्दा जुर्म।’’
‘‘क्या काफ़ी चुनिन्दा जुर्म हुए हैं?’’
‘‘नॉट बैड। ज़्यादा समय नहीं हुआ जब मैं बाल-बाल बचा।’’
‘‘असफलता से?’’
‘‘नहीं, नहीं,’’ पॉयरो हैरान हुआ, ‘‘मैं—हरक्यूल पॉयरो, लगभग ख़त्म ही कर दिया गया था।’’
मैंने सीटी बजायी।
‘‘साहसी हत्यारा!’’
‘‘इतना साहसी नहीं, जितना लापरवाह,’’ पॉयरो ने कहा, ‘‘मगर उसकी बात नहीं करते। तुम जानते हो हेस्टिंग्ज़, कई मायनों में मैं तुम्हें अपना मैस्कट मानता हूँ।’’
‘‘सच! किस तरह से?’’
पॉयरो मेरे सवाल का सीधा जवाब न देकर कहता रहा, ‘‘जैसे ही मैंने सुना कि तुम आ रहे हो, मैंने अपने से कहा कि अब कुछ-न-कुछ होगा। पुराने दिनों की तरह हम दोनों मिलकर शिकार करेंगे। परन्तु यह एक साधारण बात नहीं होनी चाहिए। कुछ—’’ उसने उत्तेजना में अपने हाथ फहराये, ‘‘कुछ पीछे भागने लायक—कुछ ऩफीस—बढ़िया—होना चाहिए।’’
‘‘कसम से पॉयरो,’’ मैंने कहा, ‘‘कोई भी सोचेगा कि तुम रिट्ज़ में खाने का ऑर्डर दे रहे हो।’’
‘‘जबकि तुम अपराध का ऑर्डर दे ही नहीं सकते? बिल्कुल सही है,’’ उसने साँस भरी, ‘‘लेकिन मैं किस्मत में यक़ीन रखता हूँ, तक़दीर में। यह तुम्हारी तक़दीर में है कि तुम मेरे साथ खड़े रहो और मुझे कोई भी ऐसी ग़लती करने से रोको जो माफ़ न की जा सके।’’
‘‘तुम माफ़ न किये जाने वाली ग़लती किसे कहते हो?’’
‘‘ज़ाहिर-सी बात को न देख पाना।’’
मैंने मन ही मन यह बात समझने की कोशिश की, लेकिन समझ नहीं पाया।
‘‘क्या यह महाअपराध हो चुका है?’’
‘‘अभी नहीं। कम-से-कम—यानि—’’
वह रुका। उसके माथे पर उलझन की सलवटें उभर आयीं। मैंने अनजाने में जो एकाध चीज़ उल्टी-टेढ़ी कर दी थी, उसने वह सीधी करके रख दी।
‘‘मैं पक्का नहीं कह सकता,’’ वह धीरे से बोला।
उसके स्वर में कुछ इतना विचित्र था कि मैंने हैरानी से उसकी ओर देखा।
माथे की सलवटें बरकरार थीं।
अचानक सिर को झटककर वह कमरे के दूसरे छोर पर बनी खिड़की के पास पड़े डेस्क तक गया। कहने की आवश्यकता नहीं कि डेस्क का सामान इस प्रकार तरतीब से खानों में रखा था कि जो काग़ज़ उसे चाहिए था, वह आसानी से उसके हाथ आ गया।
हाथ में एक खुला पत्र लिए वह धीरे-धीरे मेरे पास आया।
‘‘बताओ, मेरे दोस्त,’’ वह बोला, ‘‘तुम इससे क्या समझते हो?’’
मैंने कुछ दिलचस्पी से काग़ज़ उसके हाथ से ले लिया।
मोटे सफ़ेद काग़ज़ पर छपा हुआ था :
मिस्टर हरक्यूल पॉयरो, तुम समझते हो न कि तुम वह गुत्थियाँ सुलझा सकते हो जो हमारी मोटी बुद्धि वाली अंग्रेज़ी पुलिस के लिए मुश्किल हैं? चलो मिस्टर बुद्धिमान पॉयरो, देखते हैं तुम कितने होशियार हो। शायद तुम्हें इस उलझन को सुलझाना टेढ़ी खीर लगे। इस महीने की 21 तारीख़ को एण्डोवर का ध्यान रखना।
तुम्हारा,
ABC
मैंने लिफ़ाफ़े पर नज़र दौड़ायी। वह भी छपा हुआ था।
‘‘डाक-मोहर—डब्लूसीवन,’’ मेरे डाक-मोहर पर ध्यान देने पर पॉयरो ने कहा, ‘‘क्यों, तुम्हारा क्या ख़याल है?’’
‘‘मेरे ख़याल में कोई पागल है।’’
‘‘क्या तुम्हारा सिर्फ़ यही मानना है?’’
‘‘तुम्हें यह किसी पागल जैसा नहीं लगता?’’
‘‘हाँ दोस्त, लगता है।’’
उसका स्वर गम्भीर था। मैंने कुतुहल से उसकी ओर देखा।
‘‘तुम इसे ज़्यादा गम्भीरता से ले रहे हो, पॉयरो।’’
‘‘दोस्त, पागल को गम्भीरता से ही लेना चाहिए। पागल आदमी बहुत ख़तरनाक होता है।’’
‘‘हाँ, यह तो सही है—मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था—मेरा मतलब था कि यह एक बेवकू़फ़ाना किस्म का झाँसा ज़्यादा लगता है। शायद किसी मन-मौजी बेवकूफ़ ने आठ पेग के बाद एक और ले लिया हो।’’
‘‘मतलब? नौ? नौ क्या?’’
‘‘कुछ नहीं। सिर्फ़ एक मुहावरा। मेरा मतलब था नशे में धुत्त। एक ऐसा आदमी जिसने कुछ ज़्यादा पी ली हो।’’
‘‘शुक्रिया हेस्टिंग्ज़। ‘नशे में धुत्त’ मुहावरा मैं जानता हूँ। हो सकता है जो तुम कह रहे हो, उससे ज़्यादा कुछ न हो—’’
‘‘लेकिन तुम्हें लगता है कि—?’’ उसकी आवाज़ में असन्तोष को भाँप कर मैंने पूछा।
पॉयरो ने अनिश्चय से सिर हिलाया, लेकिन कहा कुछ नहीं।
‘‘तुमने इस बारे में क्या किया?’’ मैंने पूछा।
‘‘कोई क्या कर सकता है? मैंने जैप को ख़त दिखाया। उसका ख़याल तुम्हारे जैसा ही था—बेवकू़फ़ी भरा झाँसा। उसने यही मुहावरा इस्तेमाल किया। उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड में इस तरह की चीज़ें रोज़ मिलती रहती हैं। मुझे भी—’’
‘‘लेकिन इस बार तुम इसे गम्भीरता से ले रहे हो?’’
पॉयरो ने धीरे-धीरे जवाब दिया।
‘‘उस पत्र में कुछ ऐसा है, हेस्टिंग्ज़, जो मुझे ठीक नहीं लगता—’’
मेरे अपने ख़याल के बावजूद उसके स्वर ने मुझ पर असर किया।
‘‘तुम क्या सोचते हो?’’
उसने सिर को हिलाया, और पत्र को उठाकर एक बार फिर डेस्क में रख दिया।
‘‘अगर तुम इसे सच में गम्भीरता से लेते हो तो कुछ कर नहीं सकते क्या?’’ मैंने पूछा।
‘‘हमेशा की तरह कार्रवाई करने वाला आदमी! लेकिन करने को है क्या? काउन्टी पुलिस ने यह पत्र देखा है, मगर वे लोग भी इसे गम्भीरता से नहीं ले रहे। इस पर उँगलियों के निशान नहीं हैं। न ही कोई ऐसा चिन्ह जिससे इसके लिखने वाले का अता-पता लग सके।’’
‘‘दरअसल यह सिर्फ़ तुम्हारी इन्सटिंक्ट है।’’
‘‘इन्सटिंक्ट नहीं, हेस्टिंग्ज़। इन्सटिंक्ट ग़लत शब्द है। मेरा ज्ञान—बल्कि मेरा अनुभव मुझसे कहता है कि इस पत्र में कुछ ग़लत है।’’
शब्द नहीं मिले तो उसने हाथ से इशारा किया, और एक बार फिर ‘न’ में सिर इधर से उधर घुमाया।
‘‘हो सकता है मैं तिल का ताड़ बना रहा होऊँ। मगर इन्तज़ार करने के अलावा करने को और कुछ भी नहीं है।’’
‘‘21 को शुक्रवार है। अगर एण्डोवर के समीप कोई बहुत बड़ी डकैती पड़ती है तो—’’
‘‘आह, कितनी राहत होगी—’’
‘‘राहत?’’ मैं हैरानी से देखता रहा। यह शब्द बहुत अनोखा लगा।
‘‘डकैती रोमांचकारी हो सकती है लेकिन राहतभरी नहीं।’’
पॉयरो ने असहमति में ज़ोर से सिर हिलाया।
‘‘तुम ग़लती में हो, मेरे दोस्त। मेरा मतलब नहीं समझे। डकैती इसलिए राहत भरी होगी क्योंकि इससे मेरे मन से एक दूसरी बात का डर निकल जायेगा।
‘‘किस बात का?’’
‘‘हत्या का,’’ हरक्यूल पॉयरो ने कहा।
2. कैप्टन हेस्टिंग्ज़ की मौजूदगी में नहीं
एलेक्जेंडर बोनापार्ट कस्ट अपनी कुर्सी से उठा और गन्दे से बेडरूम को देखा। टेढ़े-मेढ़े होकर बैठे रहने के कारण उसकी पीठ अकड़ गयी थी और जब वह अपनी पूरी ऊँचाई में सीधा खड़ा हुआ तो उसे देखकर किसी को भी यह एहसास होता कि वह काफ़ी लम्बा-ऊँचा आदमी था। उसके झुके रहने और निकटदर्शी होने के कारण उसके बारे में ग़लत धारणा बन जाती थी।
दरवाज़े के पीछे लटके कोट तक जाकर उसने जेब में से सस्ते सिगरटों का पैकेट और माचिस निकाली। सिगरेट सुलगाकर वह उस मेज़ पर वापस आ गया जहाँ वह बैठा हुआ था। एक रेलवे-गाइड उठाकर पढ़ने लगा, और दोबारा हाथ से लिखकर नामों की सूची बनाने के बारे में सोचने लगा। उसने पेन से सूची में लिखे पहले नाम पर सही का निशान लगाया।
आज गुरुवार था, 20 जून।
3. एण्डोवर
उस समय मैं भविष्य के प्रति पॉयरो की चेतावनी से प्रभावित हुआ था परन्तु मैं यह मानता हूँ कि इक्कीस तारीख़ आने तक मेरे दिमाग़ से सारी बात निकल चुकी थी और यह मुझे याद आया जब स्कॉटलैण्ड यार्ड का इंस्पेक्टर जैप मेरे मित्र पॉयरो को मिलने आया। सीआईडी के इस इंस्पेक्टर को हम वर्षों से जानते थे और उसने मेरा हार्दिक स्वागत किया।
‘‘ओहो, तो कैप्टन हेस्टिंगज आये हैं बियाबानों से! तुम्हारा यहाँ पॉयरो के साथ होना बिल्कुल पुराने दिनों की तरह है। अच्छे लग रहे हो। बस चाँद पर थोड़े कमज़ोर। हम सभी के साथ ऐसा हो रहा है। मेरा भी यही हाल है।’’
मैं थोड़ा सकपकाया। मैं तो समझता था कि ध्यान से बालों पर ब्रश करके बालों को एक ओर से दूसरी ओर ले जाने के कारण जिस कमज़ोरी का जैप ज़िक्र कर रहा था, वह दिखाई नहीं देती होगी। ख़ैर, जहाँ तक मेरा प्रश्न था, जैप कभी बहुत शऊर वाला नहीं रहा। इसलिए मैंने ऊपर से साहस दिखाया और माना कि हम सब जवान नहीं हो रहे थे।
‘‘सिवाय श्रीमान पॉयरो के,’’ जैप बोला, ‘‘हेयर टॉनिक के लिए अच्छा-खासा चलता-फिरता इश्तेहार हो सकते हैं ये। चेहरे की फफूँद पहले से भी बेहतर उगती हुई। अधेड़ावस्था में मशहूर होना। आज के हर महत्वपूर्ण केस में उलझे होना भी। रेल रहस्य, विमान रहस्य, उच्च समाज में हुई मौतें, ओह, यह यहाँ, वहाँ, सब जगह हैं। रिटायर होने से पहले यह कभी इतने मशहूर नहीं हुए।’’
‘‘मैंने हेस्टिंग्ज़ से पहले ही कहा है कि मैं उस गायिका की तरह हूँ जो हमेशा एक और अन्तिम शो करती रहती है,’’ पॉयरो ने मुस्कराकर कहा।
‘‘अगर तुम स्वयं अपनी ही मृत्यु के रहस्य की खोज करने में लग जाओ तो मुझे हैरानी नहीं होगी,’’ दिल खोलकर हँसते हुए जैप ने कहा, ‘‘यह एक विचार है। किताब में लिखा जाना चाहिए।’’
‘‘यह काम तो हेस्टिंगज़ को करना पड़ेगा,’’ पॉयरो ने मुझे देखकर आँखें मिचकार्इं।
‘‘फिर तो यह एक मज़ाक होगा, मज़ाक,’’ जैप हँसा।
मुझे समझ नहीं आया यह विचार इतना हास्यापद क्यों था, यह भी लगा कि यह मज़ाक भद्दा था। पॉयरो बेचारा बुढ़ा रहा है। अपने आने वाले अन्त के विषय में मज़ाक उसे मुश्किल से ही भायेंगे।
शायद मेरे हाव-भाव से मेरी भावनायें स्पष्ट हो गयीं क्योंकि जैप ने विषय बदल दिया।
‘‘क्या तुमने पॉयरो की बेनाम चिट्ठी के बारे में सुना है?’’
‘‘मैंने वह हेस्टिंग्ज़ को दिखायी है,’’ मेरे मित्र ने कहा।
‘‘बेशक़,’’ मैं बोला, ‘‘मैं तो भूल ही गया था। देखें, किस तारीख़ का ज़िक्र था उसमें?’’
‘‘21 का,’’ जैप ने कहा, ‘‘मैं उसी के बारे में आया हूँ। कल इक्कीस तारीख़ थी और सिर्फ़ जिज्ञासावश मैंने एण्डोवर फ़ोन कर दिया। वह सिर्फ़ एक झाँसा था। कुछ नहीं हुआ। एक दुकान के टूटे कांच—किसी बच्चे ने पत्थर फेंके थे—और एक जोड़ी पियक्कड़ और हुल्लड़बाज़। पहली बार हमारा बेल्जियन दोस्त ग़लत सुराग़ के पीछे दौड़ रहा था।’’
‘‘मुझे राहत