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Sparkling Cyanide
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Ebook454 pages7 hours

Sparkling Cyanide

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About this ebook

A Miss Marple Series Novel


Six people sit down to a sumptuous meal at a table laid for seven. In front of the empty place is a sprig of rosemary: rosemary for remembrance. A strange sentiment considering no one is likely to forget the night exactly a year ago, that Rosemary Barton died at exactly the same table, her beautiful face unrecognizable, convulsed with pain and horror.But then Rosemary had always been memorable: she had the ability to arouse strong passions in most people she met. In one such case, strong enough to kill.
Languageहिन्दी
PublisherHarperHindi
Release dateSep 19, 2014
ISBN9789351367789
Sparkling Cyanide
Author

Agatha Christie

Agatha Christie is the most widely published author of all time, outsold only by the Bible and Shakespeare. Her books have sold more than a billion copies in English and another billion in a hundred foreign languages. She died in 1976, after a prolific career spanning six decades.

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    Said it was in English but actually in Hindi useless.

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Sparkling Cyanide - Agatha Christie

अनुवादक की कलम से

अगाथा क्रिस्टी की एक और अपराध-कथा का अनुवाद—स्पार्कलिंग सायनाइड। सायनाइड डेम क्रिस्टी का मनपसन्द ज़हर था—अगर ज़हर भी कभी पसन्द करने की चीज़ हो सकता है तो! उनकी बहुत-सी कहानियों में जहाँ हत्या का कारण ज़हर होता है, सायनाइड का ही ज़िक्र मिलता है।

ख़ैर, ज़हर की छोड़िए। सब से ज़्यादा यह बात प्रभावित करती है कि हमेशा की तरह क्रिस्टी ने जिस बारीकी से अपने किरदारों को पेश किया है, उसे देखकर मन नहीं मानता कि उन्हें केवल अपराध-कथा लेखिका कहा जाये। इंसान के दिलो-दिमाग़ को वह पूरी गहराई में समझती हैं। एक तरह का मनोवैज्ञानिक अध्ययन होती हैं उनकी कथाएँ। इस एक ही रचना में क्या नहीं है—कसी हुई बुनावट लिए एक रोचक कहानी है, जिसके अन्त तक आप अपने दिमाग़ी घोड़े दौड़ाते रहिए, फिर भी अपराधी को पकड़ नहीं पायेंगे। अपराध और तर्क के साथ-साथ यहाँ जज़्बातों की भीड़ भी है—नफ़रत, द्वेष, ईर्ष्या, पछतावा, अफसोस, दु:ख, प्यार, रोमांस—यानि पूरा सतरंगी आसमान। भावनाओं और भावनाओं के तूफ़ान को वह अच्छी तरह समझती और प्रस्तुत करती हैं। जाने क्यों लगता है कि अगाथा बहुत रूमानी रही होंगी। अपराध-कथा में भी वह मोहब्बत के रंग बिखेर देती हैं, कुछ इस तरह कि आप केवल अपराधी का नाम ही जानने को बेचैन नहीं रहते, उस मोहब्बत का अंजाम जानने के लिए भी उतनी ही शिद्दत से इन्तज़ार करते हैं। किसी-किसी कहानी में तो अपराध ही महबूब से मिलने का सबब बन जाता है। प्यार को कभी नीचा नहीं होने देतीं वह। हाथ में पकड़ी इस किताब को पढ़ डालिए। आप ख़ुद समझ जायेंगे मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूँ।

एक और बात, इस कहानी में हरक्यूल पॉयरो—अगाथा क्रिस्टी की कल्पना की देन, वह मशहूर बेल्जियन जासूस—नहीं है। अपराध कथाओं में मेरा सब से पसन्दीदा किरदार, मेरा फेवरिट! लेकिन पता नहीं था कि उसका न होना किसी हद तक मेरी ज़िन्दगी को आसान भी कर देगा। पॉयरो द्वारा बोले गये संवादों का अनुवाद करते-करते पसीने बह जाते हैं! सिर्फ़ उसके द्वारा बोली गयी फ़्रेंच भाषा का अनुवाद ही नहीं, उसकी अंग्रेज़ी का भी। पॉयरो डियर, तुम्हें ‘मिस’ तो किया, लेकिन फिर भी शुक्रिया।

शुक्रिया उन सब का भी जिनके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग के बिना मेरा यह प्रयास पूरा हो ही नहीं सकता था—मीनाक्षी ठाकुर, आदित्य, वंदना, पुनीत, और ऊर्जा का।

नई दिल्ली पैमिला मानसी

11 मई 2014

भाग 1

रोज़मेरी

अपनी आँखों से यादों को परे हटाने के लिए मैं क्या करूँ?

छह लोग रोज़मेरी बार्टन के बारे में सोच रहे थे जिसकी लगभग एक वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी थी...

अध्याय 1

आइरिस मार्ले

I

आइरिस मार्ले अपनी बहन रोज़मेरी के बारे में सोच रही थी।

तकरीबन एक साल से वह रोज़मेरी के ख़यालों को जानबूझकर परे धकेलती रही थी। वह चाहती ही नहीं थी याद करना।

बहुत तकलीफ़देह था वह सब—बहुत भयानक।

सायनाइड से नीला पड़ा चेहरा, ऐंठी हुई उँगलियाँ, कुछ पकड़ने की कोशिश करती हुईं—

उस रोज़मेरी और एक दिन पहले वाली ज़िन्दादिल, ख़ूबसूरत रोज़मेरी में कितना अन्तर था—शायद सही मायने में ज़िन्दादिल तो नहीं। उसे फ़्लू हो गया था—वह उदास थी, कमज़ोर भी—तहक़ीक़ात के समय जो सब उभरकर सामने आया। आइरिस ने ही उस पर ज़ोर डाला था। वह सब रोज़मेरी की ख़ुदकुशी पर रोशनी डालता था, था या नहीं?

एक बार तहक़ीक़ात ख़त्म हो गयी तो आइरिस ने पूरी बात को दिल से निकाल देना चाहा। याद करने का फ़ायदा भी क्या? सब कुछ भूल जाओ! वह सारा भयानक हादसा भूल जाओ!

लेकिन, उसे एहसास हुआ, अब याद करना होगा। अतीत के बारे में सोचना होगा—ध्यान से हरेक छोटी-मोटी, महत्वहीन लगने वाली घटना भी याद करनी होगी—

पिछली रात जॉर्ज के साथ हुई असाधारण बातचीत ने याद करना ज़रूरी कर दिया।

सब कुछ कितना अचानक था, कितना डरावना। ज़रा रुको—क्या वाकई ही सब कुछ इतना अकस्मात था? क्या पहले से ही संकेत नहीं थे? जॉर्ज का खोया-खोया रहना, उसकी गैर-ज़िम्मेदाराना हरकतें—उसका—अजीबपन, यही एक शब्द हो सकता है। वह सब उस एक लम्हे तक ले गया जब जॉर्ज ने उसे स्टडी (अध्ययन-कक्ष) में बुलाया और मेज़ की दराज़ में से चिट्ठियाँ निकालीं।

अब कुछ नहीं हो सकता। अब याद करने के लिए रोज़मेरी के बारे में सोचना ही होगा।

रोज़मेरी—उसकी बहन—

आइरिस को अचानक एक धक्का लगा इस एहसास से कि जीवन में यह पहली बार था कि वह रोज़मेरी के बारे में सोच रही थी—यानि पहली बार तटस्थता से एक व्यक्ति के रूप में उसके बारे में सोच रही थी।

उसने हमेशा बिना उसके बारे में सोचे ही रोज़मेरी को स्वीकार किया था। आप अपनी माँ के बारे में सोचते नहीं, न ही अपने पिता या बहन या आंटी के बारे में। वे सब होते हैं, इन रिश्तों में बँधे, बिना किसी सवाल के।

आप उन्हें ‘लोग’ समझकर उनके बारे में नहीं सोचते। आप ख़ुद से इतना भी नहीं पूछते कि वे कैसे लोग हैं?

रोज़मेरी कैसी थी?

अब यह बात बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। इस पर बहुत कुछ निर्भर कर सकता है। आइरिस अपने मन को पीछे की ओर ले गयी। जब वह और रोज़मेरी बच्चे थे—

रोज़मेरी छह वर्ष बड़ी थी।

II

अतीत की झलकियाँ दिखाई दीं—छोटे-छोटे मंज़र—छोटी-छोटी घटनाएँ। वह ख़ुद एक छोटी-सी बच्ची दूध और डबल-रोटी खाती हुई, और रोज़मेरी, शानदार—दो चुटिया बनाये, एक मेज़ पर पढ़ाई करती हुई।

गर्मियों के एक मौसम में समुन्दर का किनारा—आइरिस को रोज़मेरी से ईर्ष्या थी क्योंकि वह बड़ी थी और तैर सकती थी!

रोज़मेरी का बोर्डिंग-स्कूल जाना—छुट्टियों में घर आना। फिर उसका ख़ुद स्कूल जाना, और रोज़मेरी का पेरिस में एक ख़ास स्कूल में परिष्कृत होना। स्कूली लड़की रोज़मेरी; बेढंगी, टांगें ही टांगें, और बाँहें ही बाँहें। ‘परिष्कृत’ रोज़मेरी का पेरिस से वापस आना, एक नयी ही घबरा देने वाली शिष्टता लिए, मुलायम आवाज़, शालीन, लहराता हुआ बदन, सुनहरे बाल और स्याह कोरों वाली मोटी-मोटी गहरी नीली आँखें। बेचैन कर देने वाली ख़ूबसूरत लड़की—जवान—किसी और ही दुनिया में!

उसके बाद से दोनों एक-दूसरे से कम ही मिलती, छह वर्ष का अन्तर बहुत बड़ा हो गया था।

आइरिस अभी स्कूल में ही थी और रोज़मेरी पार्टियों के मौसम में झूम रही थी। जब आइरिस लौटकर घर आ गयी, तब भी यह अन्तर बना रहा। रोज़मेरी की ज़िन्दगी थी सुबह देर तक बिस्तर में रहना, फिर अपने ही जैसी अन्य लड़कियों के साथ लंच, और सप्ताह में अधिकतर शामों में नृत्य। आइरिस मैडम के साथ पढ़ने के कमरे में रहती, बगीचे में घूमने जाती, नौ बजे रात का खाना खाती और दस बजे सोने चली जाती। दोनों बहनों के बीच सीमित-सी बोलचाल होती जैसे :

आइरिस, फ़ोन करके मेरे लिए टैक्सी बुला दो। नहीं तो मुझे बेहद देर हो जायेगी। या

मुझे वह नया फ्रॉक पसन्द नहीं, रोज़मेरी। तुम पर जँचता नहीं। बेकार का तामझाम।

फिर हुई रोज़मेरी की सगाई जॉर्ज बार्टन के साथ। उत्तेजना, ख़रीद-फ़रोख़्त, ढेरों पार्सल, दुल्हन की सहेलियों के कपड़े-लत्ते।

शादी। रोज़मेरी के पीछे-पीछे चर्च के गलियारे में चलना, खुसरपुसर सुनना :

"कितनी सुन्दर दुल्हन है—"

रोज़मेरी ने जॉर्ज से शादी क्यों की थी? उस वक़्त भी आइरिस कुछ हैरान-सी थी। कितने ही आकर्षक नौजवान रोज़मेरी को फ़ोन करते थे, उसे बाहर ले जाते थे। तब जॉर्ज बार्टन का ही चुनाव क्यों—उससे पन्द्रह साल बड़ा, रहमदिल, अच्छा लेकिन नीरस?

जॉर्ज काफ़ी अमीर था, मगर पैसा कारण नहीं था। रोज़मेरी के पास अपनी दौलत थी, बहुत-सी दौलत।

अंकल पॉल की दौलत—

आइरिस ने सावधानी से अपना मन टटोला, यह जानने के लिए कि उसे अब कितना पता था, और उस वक़्त कितना पता था। उदाहरण के लिए अंकल पॉल?

वह हमेशा से जानती थी कि वह हक़ीक़त में अंकल थे ही नहीं। बिना कभी बताए जाने के भी उसे कुछ बातें पता थीं। पॉल बैनेट को उनकी माँ से मुहब्बत थी। लेकिन माँ ने किसी दूसरे, और कम पैसे वाले पुरुष को चाहा। पॉल बैनेट ने अपनी इस हार को बहुत रूमानी अन्दाज़ में लिया। वह परिवार का मित्र बना रहा, और निष्काम प्रेम का रवैया अपना लिया। वह अंकल पॉल बन गया, परिवार के पहले बच्चे रोज़मेरी का ‘गॉडफ़ादर’ बन गया। जब उसका देहान्त हुआ तो मालूम हुआ कि उसने अपनी सारी धन-दौलत रोज़मेरी के नाम कर दी थी, जो उस समय तेरह वर्ष की थी।

अपनी ख़ूबसूरती के साथ-साथ रोज़मेरी पॉल की उत्तराधिकारी भी थी। फिर भी उसने उस नीरस जॉर्ज से शादी कर ली।

क्यों? आइरिस को तब भी ताज्जुब हुआ था। उसे अब भी ताज्जुब था। उसे इस बात पर यकीन नहीं था कि रोज़मेरी को कभी भी उस आदमी से प्यार था। मगर वह उसके साथ काफ़ी ख़ुश लगती थी और उसे पसन्द भी करती थी—यकीनन पसन्द करती थी। आइरिस को यह समझने के लिए कई मौके मिले थे, क्योंकि उनकी शादी के एक साल बाद ही उनकी माँ, सुन्दर नाज़ुक वॉयला की मृत्यु हो गयी थी, और सत्ररह वर्ष की आइरिस, रोज़मेरी बार्टन और उसके पति के साथ रहने आ गयी थी।

एक सत्ररह साल की लड़की। आइरिस अपनी ही छवि के बारे में विचारने लगी। उस समय वह कैसी थी? क्या महसूस करती थी, क्या सोचती थी, क्या देखती थी?

वह इस नतीजे पर पहुँची कि छोटी आयु की आइरिस मार्ले का विकास धीरे-धीरे हो रहा था—लापरवाह, हर चीज़ को जैसे की तैसे मान लेती थी। उदाहरण के लिए क्या उसने कभी अपनी माँ का शुरू-शुरू में रोज़मेरी में ही तल्लीन रहने का बुरा माना? कुल मिलाकर नहीं। उसने बिना किसी हिचक के मान लिया था कि रोज़मेरी ख़ास थी। रोज़मेरी घर से बाहर थी—ज़ाहिर था कि जितनी भी उसकी सेहत इजाज़त दे, माँ अपनी बड़ी बेटी के बारे में ही सोचती। यह कुदरती ही था। किसी दिन आइरिस की बारी भी आयेगी। वॉयला मार्ले कुछ अलग-थलग ही रहने वाली माँ थी, अधिकतर अपनी ही सेहत को लेकर फ़िक्रमन्द, बच्चों को नर्स, गवर्नेस और स्कूल को सौंपकर। लेकिन जब भी वह कुछ पलों के लिए उसके सामने पड़ती तो उसका व्यवहार बहुत मोहक होता। आइरिस पाँच वर्ष की थी जब हेक्टर मार्ले का देहान्त हो गया। यह बात कि वह बहुत ज़्यादा पीता था, इस तरह उसके अन्दर तक व्याप्त हो गयी थी कि उसे बिल्कुल अन्दाज़ा नहीं था कि वह उस तक पहुँची कैसे थी।

सत्ररह वर्ष की आइरिस मार्ले को ज़िन्दगी जैसे भी मिली, उसने उसे वैसे स्वीकार कर लिया, उसने अपनी माँ की मृत्यु पर शोक मनाया, काले कपड़े पहने और एलवेस्टन स्क्वेयर में अपनी बहन और उसके पति के साथ रहने चली आयी।

कभी-कभी वह घर बहुत उबाऊ हो जाता था। आइरिस अगले वर्ष तक औपचारिक रूप से ‘सोसाइटी’ में नहीं आने वाली थी। इस बीच वह हफ़्ते में तीन बार फ्रेंच और जर्मन भाषाएँ सीखती और साथ ही गृह-विज्ञान भी सीखने लगी। ऐसे पल भी होते थे जब उसके पास करने को कुछ नहीं होता, और बात करने को भी कोई नहीं। जॉर्ज अच्छा था, स्नेह करने वाला और भाई जैसा। उसका व्यवहार कभी नहीं बदला। वह अभी भी वैसा था।

और रोज़मेरी? आइरिस रोज़मेरी को कम ही देखती। वह काफ़ी समय बाहर रहती। दर्ज़ी, कॉकटेल पार्टियाँ, ताश के पत्ते—

अगर सोचे तो वह सच में रोज़मेरी के बारे में कितना जानती थी? उसकी रुचियों, उसकी आशाओं, और उसकी आकांक्षाओं के बारे में? कितनी डरावनी बात है कि किसी के साथ एक ही घर में रहने के बाद भी आप उसके बारे में कितना कम जानते हैं! बहनों के बीच में बहुत कम नज़दीकियाँ रही थीं।

लेकिन अब उसे सोचना होगा। याद करना होगा। यह महत्वपूर्ण हो सकता है।

बेशक रोज़मेरी काफ़ी ख़ुश लगती थी—

III

उस दिन तक—ऐसा होने से एक हफ़्ता पहले।

आइरिस वह दिन कभी नहीं भूलेगी। साफ़ दिख रहा था—छोटी से छोटी बात, एक-एक शब्द। लकड़ी का चमकता हुआ मेज़, पीछे को धकेली गयी कुर्सी, जल्दी में की गयी विशिष्ट लिखावट—

आइरिस ने आँखें बन्द करके उस दृश्य को उभरने दिया—

उसका रोज़मेरी की बैठक में प्रवेश, अचानक रुक जाना।

जो भी देखा, उसने उसे कितना चौंका दिया था! रोज़मेरी मेज़ के पास बैठी थी, उसका सिर उसकी फैली हुई बाहों पर टिका था। वह खुलकर सिसकती हुई रो रही थी। आइरिस ने पहले कभी रोज़मेरी को रोते हुए नहीं देखा था—इतने ज़्यादा दु:ख भरे रोने ने उसे डरा दिया।

सही था कि रोज़मेरी को बहुत बुरा ‘फ़्लू’ हो गया था। वह एक दो दिन पहले ही ठीक हुई थी, और सब जानते हैं कि फ़्लू आप को उदास कर देता है। मगर फिर भी—

आइरिस चिल्लाई थी, बच्चों की-सी डरी हुई आवाज़ में :

ओह, रोज़मेरी क्या हुआ?

रोज़मेरी सीधी होकर बैठ गयी, बिगड़ गये चेहरे से बाल पीछे को हटाए। उसने अपने आप पर काबू पाने की कोशिश की। झटपट बोली :

कुछ नहीं—कुछ नहीं—मुझे इस तरह मत देखो!

वह उठकर, अपनी बहन के पास से गुज़रती हुई, कमरे से बाहर भाग गयी।

हैरान परेशान आइरिस कमरे के भीतर आगे तक चली गयी। अचरज से भरी उसकी आँखें लिखने की मेज़ पर चली गयीं, और अपनी बहन की लिखावट में अपना नाम देखा। तो क्या रोज़मेरी उसको ख़त लिख रही थी?

वह और नज़दीक चली गयी, नीले काग़ज़ पर फैली हुई विशिष्ट लिखावट को देखा, कलम पकड़ने वाली की हड़बड़ी और खिन्नता के कारण हमेशा से भी ज़्यादा फैली हुई।

प्रिय आइरिस,

वसीयत बनाने का कोई मतलब नहीं, क्योंकि मेरा पैसा हर हालत में तुम्हें ही मिलने वाला है, मगर मैं चाहती हूँ कि मेरी कुछ ख़ास चीज़ें कुछ ख़ास लोगों को दी जाएँ।

जॉर्ज को वह आभूषण जो उसने मुझे दिये, और इनेमल की वह छोटी-सी सन्दूकची भी जो हमने सगाई होने पर एक साथ ख़रीदी थी।

ग्लोरि‍या को मेरा प्लैटिनम का सिगरेट-केस।

मेसी को चीनी मिट्टी से बना घोड़ा, जो उसे हमेशा से पसन्द है—

यहाँ पर उतावली में घसीटकर लिखने के बाद लिखना बन्द हो गया, क्योंकि रोज़मेरी ने बेकाबू होकर रोने के कारण कलम को फेंक दिया था।

आइरिस पत्थर-सी हो गयी।

इसका क्या मतलब था? रोज़मेरी मरने वाली तो नहीं थी न? वह इंफ़्लुएंजा के कारण बहुत बीमार रही थी, मगर अब तो वह ठीक थी। वैसे भी लोग फ़्लू से नहीं मरते—कभी-कभी मरते भी हैं, लेकिन रोज़मेरी नहीं मरी थी। अब वह बहुत ठीक थी, केवल थोड़ी कमज़ोर।

रोज़मेरी ने दोबारा पढ़ा, और इस बार एक वाक्य साफ़ दिखाई दे रहा था, चौंकाता हुआ :

"—मेरा पैसा हर हालत में तुम्हें ही मिलने वाला है—"

यह पहली सूचना थी जो उसे पॉल बैनेट की वसीयत की शर्तों के बारे में मिली थी। वह बचपन से ही जानती थी कि रोज़मेरी को अंकल पॉल का धन मिला था, कि रोज़मेरी अमीर थी, कि उसके मुक़ाबले में वह ख़ुद गरीब थी। लेकिन इस से पहले उसने कभी यह नहीं सोचा था कि रोज़मेरी की मृत्यु के बाद उस धन का क्या होगा।

अगर उससे पूछा जाता तो वह जवाब देती कि वह रोज़मेरी के पति जॉर्ज को मिलेगा, लेकिन यह भी जोड़ती कि यह सोचना भी कि रोज़मेरी जॉर्ज से पहले मर जायेगी, बेवकूफ़ी थी!

लेकिन यहाँ यही लिखा हुआ था, स्याही में, रोज़मेरी के अपने हाथ से। रोज़मेरी की मृत्यु पर पैसा उसे, आइरिस को मिलेगा। अलबत्ता यह कानूनी तो नहीं था? पैसा तो पति या पत्नी को ही मिलता है, बहन को नहीं। यदि पॉल बैनेट ने ही अपनी वसीयत में ऐसा न लिखा हो। ज़रूर यही कारण होगा। अंकल पॉल ने ही कहा होगा कि अगर रोज़मेरी की मृत्यु हो गयी तो पैसा आइरिस को जायेगा। ऐसे में यूँ होना कम अनुचित होगा—

अनुचित? यह ख़याल आते ही वह हैरान हो गयी। क्या वह यह सोचती रही थी कि रोज़मेरी को अंकल पॉल का सारा धन मिलना अनुचित था? उसे लगा कि भीतर कहीं गहरे में वह ज़रूर यही महसूस करती रही होगी। यह अनुचित था। वे बहनें थीं, वह और रोज़मेरी। वे दोनों अपनी माँ की बच्चियाँ थीं। अंकल पॉल ने सारा धन रोज़मेरी को ही क्यों दिया?

रोज़मेरी को हमेशा सब कुछ मिलता था!

पार्टियाँ, फ्रॉक, प्रेमी, और एक बहुत प्यार करने वाला पति।

आज तक रोज़मेरी के साथ कोई अप्रिय बात हुई थी तो वह था फ़्लू का अटैक! और वह भी एक हफ़्ते से ज़्यादा नहीं चला था।

आइरिस डेस्क के पास आकर ठिठक गयी। काग़ज़ का वह टुकड़ा—क्या रोज़मेरी चाहती कि वह यूँ ही पड़ा रहे और नौकर-चाकर उसे पढ़ें?

एक पल की झिझक के बाद आइरिस ने वह उठा लिया, दोहरा किया और डेस्क की एक दराज़ में रख दिया।

काग़ज़ का वह टुकड़ा जन्मदिन की उस कमबख़्त पार्टी के बाद मिला था, और अगर सबूत की ज़रूरत थी तो वह अतिरिक्त सबूत था कि रोज़मेरी बेहद उदास और नाख़ुश थी, और शायद उस वक़्त भी ख़ुदकुशी के बारे में सोच रही थी।

इंफ़्लूएंजा के बाद घोर उदासी। तहक़ीक़ात के समय यही कारण सामने लाया गया था, जिसे साबित करने में आइरिस की गवाही ने मदद की। शायद एक अपर्याप्त कारण, लेकिन सिर्फ़ वही उपलब्ध था, और इसलिए मान भी लिया गया था। उस वर्ष काफ़ी ख़राब किस्म का इंफ़्लूएंजा फैला था।

उस वक़्त तो न आइरिस और न ही जॉर्ज बार्टन किसी और वजह के बारे में सोच सकते थे।

अब अटारी में खड़ी, उस घटना को याद करती आइरिस हैरान थी कि वह इतनी बेसमझ भी हो सकती थी।

सब कुछ उसकी आँखों के सामने होता रहा होगा। और उसने न कुछ देखा था, न ही किसी बात पर गौर किया था!

उसका मन एक ही छलाँग में वापस जन्मदिन की पार्टी पर होने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटना तक चला गया। अब उसके बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं थी! वह बीत चुकी थी, समाप्त हो गयी थी। उसकी दहशत को दूर करना होगा, तहक़ीक़ात और जॉर्ज के खिंचे हुए चेहरे को भी और उसकी लाल-लाल आँखों को भी। सीधे, अटारी में पड़े सन्दूक वाली घटना के बारे में सोचो।

IV

रोज़मेरी की मृत्यु के लगभग छह महीने बाद की बात है।

आइरिस एल्वेंस्टन स्क्वेयर वाले घर में ही रह रही थी। अन्तिम संस्कार के बाद मार्ले परिवार का वकील, चमकती चाँद और तीक्ष्ण आँखों वाला एक सभ्य बुज़ुर्ग, आइरिस से मिलने आया। उसने तारीफ़ लायक साफ़गोई से बताया कि पॉल बैनेट की वसीयत के मुताबिक उसकी सम्पत्ति रोज़मेरी को मिली थी, और उसकी मृत्यु के बाद उसके बच्चों को मिलनी थी। रोज़मेरी के सन्तानहीन मरने की सूरत में, पूरी जायदाद आइरिस को मिलनी थी, उसके इक्कीस वर्ष की होते ही, या फिर उसकी शादी के समय।

इस बीच उसे सबसे पहले अपने रहने की जगह तय करनी थी। जॉर्ज बार्टन ने उत्सुकता दिखाई थी कि वह उसी के साथ रहे, और सुझाव दिया था कि आइरिस के पिता की बहन जो तंगहाली में थी—अपने बेटे (जो वास्तव में मार्ले परिवार का कलंक था) की आर्थिक माँगों के कारण—उनके साथ आकर रहे, आइरिस की सुरक्षा के लिए। क्या आइरिस को यह प्लान मंज़ूर था?

आइरिस राज़ी थी, शुक्रगुज़ार कि उसे कोई नयी व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी। उसे ल्यूसिला आंटी याद थी, मिलनसार, स्नेहशील, भेड़ जैसी, जिसकी अपनी कोई मर्ज़ी नहीं थी।

मामला निबट गया था। जॉर्ज बार्टन अपनी पत्नी की बहन के साथ रहने पर दिल छू लेने की हद तक ख़ुश था और उसके साथ ऐसे स्नेहपूर्वक बर्ताव करने लगा जैसे वह उसकी छोटी बहन हो। मिसेज़ ड्रेक बहुत खुशी देने वाली साथी तो नहीं थी, लेकिन आइरिस की हर इच्छा की गुलाम थी। घर-बार शान्ति से चलने लगा।

लगभग छह महीने बाद आइरिस ने अटारी में एक रहस्य खोज निकाला।

एल्वेंस्टन हाउस में अटारियों को गोदाम की तरह इस्तेमाल किया जाता था—बेकार का फर्नीचर, सन्दूक या बक्से इत्यादि रखने के लिए।

एक दिन आइरिस अपने प्यारे लाल स्वेटर को ढूँढने में असफल रहने के बाद अटारी में गयी। जॉर्ज ने उससे मिन्नत की थी कि वह रोज़मेरी के लिए ग़मी की पोशाक न पहने, उसका कहना था कि रोज़मेरी हमेशा इसके ख़िलाफ़ रही थी। आइरिस जानती थी कि यह सच था, इसलिए वह राज़ी हो गयी थी और रोज़मर्रा के कपड़े पहनती थी, ल्यूसिला ड्रेक की नापसन्दगी के बावजूद, जो पुराने विचारों की थी और मर्यादा का पालन करना पसन्द करती थी। अपने पति की मृत्यु के बीस साल बाद भी मिसेज़ ड्रेक वैसे ही कपड़े पहनती थी।

आइरिस जानती थी कि कई फ़ालतू कपड़े ऊपर एक बक्से में भरकर रख दिये गये थे। वह उसमें अपना स्वेटर ढूँढने लगी तो उसे कई भूली-बिसरी चीज़ें दिखाई दीं—सुरमई रंग का कोट और स्कर्ट, जुराबों का ढेर, स्कीइंग का सामान, तथा एक-दो तैराकी की पोशाकें।

उस वक़्त रोज़मेरी का एक ड्रेसिंग-गाउन उसके हाथ लगा जो रोज़मेरी की अन्य चीज़ों के साथ दे दिए जाने से बच गया था। वह मर्दाना-सा था—चित्तीदार रेशम का, बड़ी-बड़ी जेबों वाला।

आइरिस ने उसे झाड़ा, और देखा कि वह बहुत अच्छी हालत में था। फिर उसे तह करके वापस बक्से में रख दिया। तभी गाउन की एक जेब में, उसके हाथ में कुछ चरचराया। उसने हाथ अन्दर डाला और एक मुड़ा-तुड़ा काग़ज़ का टुकड़ा बाहर निकाला। वह रोज़मेरी की लिखावट में था। आइरिस उसे सीधा करके पढ़ने लगी :

लेपर्ड डार्लिंग, तुम ऐसा नहीं कह सकते—नहीं कह सकते—नहीं—हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं! एक-दूसरे के हैं! जैसे मैं यह जानती हूँ, वैसे ही तुम भी ज़रूर जानते होगे। हम यूँ ही अलविदा कहकर ज़िन्दगी में अपने-अपने रास्ते नहीं जा सकते। तुम जानते हो यह नामुमकिन है—बिल्कुल नामुमकिन। तुम और मैं एक-दूसरे के हैं—हमेशा, हमेशा के लिए। मैं दक़ियानूसी औरत नहीं हूँ—लोग जो भी कहते हैं, मुझे उसकी परवाह नहीं। मेरे लिए प्रेम का महत्व सब से अधिक है। हम दोनों कहीं दूर चले जायेंगे—और ख़ुश रहेंगे—मैं तुम्हें

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