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"भांड"
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Ebook25 pages10 minutes

"भांड"

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About this ebook

दर्शक और रंगकर्मी, दोनों के पास अपनी ताक़त और शक्ति होती है, दर्शक अस्वीकार कर देंगे तो कलाकार अस्वीकार्य हो जायेगा! और एक रंगकर्मी की ताक़त यह है कि वो अभिनय के दौरान किसी भी के सह-दृश्य , प्रकाश, या अभिनेता के बाध्य नहीं होता, उसे अपना कार्य करना ही हैं, वो चित्र के एक हिस्से को पूरा कर ही देगा! मसलन वो मंच पर प्रवेश करेगा और कहेगा “बाहर कितनी बारिश हो रही है यार” (कपडे झाड़ते हुएं) वो बिजली की पैदा की हुई आवाज़ या कपड़ो पर पानी का इंतजार नहीं कर सकता! मैं सिर्फ एक ईमानदार रंगकर्मी की बात कर रहा हूँ! बस इसी तरह रंगमंच अपने में अद्भुत है!

Languageहिन्दी
Publisherravi bhujang
Release dateMay 15, 2017
ISBN9781386077572
"भांड"

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    "भांड" - ravi bhujang

    विषय सूची

    भांड

    दृश्य 1

    (लाईट ऑन)

    (मंच पर एक जगह लकड़ी की कुर्सी पर केशव बैठा हैं , पीछे छोटी दीवार नुमा जगह, उसपर फूलदान और रेडिओ रखा हैं, रेडिओ में ग़ुलामअली साहब की ग़ज़ल बज रही हैं,(कुछ देर बजती हैं) केशव उठकर रेडियो बंद करता हैं)

    केशव (दर्शकों से)-  "स्वागत हैं.....आप सबका स्वागत हैं, नहीं..नहीं...ग़ज़ल सुनकर आप ये मत सोचिये की मैंने कभी आशिकी की होगी! ये ग़ज़ल तो मैं अक्सर यूँ ही सुनता हूँ, वैसे भी हम इन्सान जीवन में कुछ काम बस यूँ ही करते हैं!

    मैं एक कलाकार हूँ, और यहाँ कलाप्रेमी और रंगकर्मी बैठे हैं! चलो बात रंगमंच की करते हैं! अब रंगमंच कैसे होता हैं, इसका जवाब तो नहीं है मेरे पास, और ना किसी के पास होना चाहिए, रंगमंच अद्भुत और रचनात्मक हैं!

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