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सब कुछ लूटाकर, होश में आए|
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सब कुछ लूटाकर, होश में आए|

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About this ebook

"प्यार तकलीफदेह हैं, लेकिन खुशी भी प्यार पाने में ही हैं|"
यह, "सम्भोग के बिना प्यार नहीं हो सकता और प्यार के बिना सम्भोग नहीं किया जा सकता", की तरह हैं| हर लेखक किसी ना किसी ढंग से अपने अतीत और वर्तमान को दर्शाता है| यह एक तरह से या किसी अन्य रूप में उसका चरित्र-चित्रण कर उसे अलग व्यक्तित्व प्रदान करता हैं|

यह एक चांदी की चम्मच के साथ पैदा हुए, एक सफल वकील, जो अंत में बिलकुल दरिद्र बन गया, की कहानी है| वह एक शराबी बन गया और अंत बहुत भयावह था|

अंत में, उसने शराब से छुटकारा पाया और एक भिक्षु बन गया|

यह बोतल में संदेश है| शराबखोरी विनाश का एक निश्चित मार्ग है| यह एक अमीर आदमी या एक गरीब आदमी को रोगी बनाने में भेदभाव नहीं करती| हालांकि, पैसा लत की गति को तेज करता है| ड्रग और शराब के अधिक सेवन के कारण अधिकतर प्रसिद्ध हस्तियों ने अपना जीवन खो दिया|

Languageहिन्दी
PublisherYogendra Datt
Release dateJan 13, 2014
ISBN9781311984340
सब कुछ लूटाकर, होश में आए|
Author

Yogendra Datt

The author of this book was born in Dighwara and graduated with honors from Patna University, India in 1960.He immigrated to Canada in 1970 and later took a retirement in Switzerland. He has passion for flying and is a holder of a Canadian private pilot's license with several hundred hours of flying experience. On retirement his interest sparked in creative writing. His last book published was "Finding Mr. and Mrs. Right for an ideal marriage" and "Rags to Riches and Riches to Rags".A few other books to be published are in pipeline such as "India's boom, gloom and doom, Bunga Bunga party Jokes, Kama sutra of the west, People who changed our lives for better or worse." They will be available soon.

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    सब कुछ लूटाकर, होश में आए| - Yogendra Datt

    इस पुस्तक के लेखक, योगेन्द्र दत्त का जन्म दिघवारा में हुआ था और उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से ऑनर्स के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की| अब वे स्विट्जरलैंड में रहते हैं|

    प्रस्तावना

    प्यार तकलीफदेह हैं, लेकिन खुशी भी प्यार पाने में ही हैं|

    यह, सम्भोग के बिना प्यार नहीं हो सकता और प्यार के बिना सम्भोग नहीं किया जा सकता, की तरह हैं| हर लेखक किसी ना किसी ढंग से अपने अतीत और वर्तमान को दर्शाता है| यह एक तरह से या किसी अन्य रूप में उसका चरित्र-चित्रण कर उसे अलग व्यक्तित्व प्रदान करता हैं|

    यह एक चांदी की चम्मच के साथ पैदा हुए, एक सफल वकील, जो अंत में बिलकुल दरिद्र बन गया, की कहानी है| वह एक शराबी बन गया और अंत बहुत भयावह था|

    अंत में, उसने शराब से छुटकारा पाया और एक भिक्षु बन गया|

    यह बोतल में संदेश है| शराबखोरी विनाश का एक निश्चित मार्ग है| यह एक अमीर आदमी या एक गरीब आदमी को रोगी बनाने में भेदभाव नहीं करती| हालांकि, पैसा लत की गति को तेज करता है| ड्रग और शराब के अधिक सेवन के कारण अधिकतर प्रसिद्ध हस्तियों ने अपना जीवन खो दिया|

    मुख्य पात्र

    सत्यनारायण: अमीर मकान मालिक

    राम सेवक: वकील और सत्यनारायण के पुत्र

    रघुनाथन: सत्यनारायण की संपत्ति प्रबंधक

    शांति: रघुनाथन की बेटी

    शत्रुघ्न सिन्हा: औद्योगिक टाइकून

    शीला: शत्रुघ्न सिन्हा की इकलौती बेटी

    यशपाल: राम सेवक के सर्वश्रेष्ठ दोस्त

    पुष्पा: यशपाल की छोटी बहन

    हनुमान: हनुमान परिवहन का मालिक

    १. चाँदी के चम्मच के साथ पैदा हुआ

    राम सेवक एक बहुत धनी परिवार में पैदा हुआ था| उनके पिता, सत्यनारायण, एक बहुत बड़े जमीदार थे| वो लगभग ९०० एकड़ जमीन के स्वामी थे| ६०० एकड़ जमीन पर गन्ने की खेती की जाती थी, जबकि शेष ३०० एकड़ जमीन पर मुख्य रूप से केले के बागान थे| उनकी जमींदारी उत्तरी बिहार में एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैली हुई थी| उन्होंने उत्तरी बिहार के एक गॉंव, दिघवारा में एक विशाल हवेली का निर्माण करवाया| यह गॉव चीनी मिलों से घिरा हुआ था और उन सभी चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति करने में सत्यनारायण का एकाधिकार था| इस प्रकार उनका व्यापार बहुत अच्छा और आकर्षक था|

    हवेली को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया गया था| यह सब सफेद रंग से पुती हुयी एक मंजिला इमारत थी| हरे भरे बगीचे, रंगीन फूलों की पंक्तियों के साथ एक असाधारण रूप से शानदार नज़र आती थी| लगभग २४ घंटे पानी की बौछार करता हुआ फव्वारा हवेली की सुंदरता को और बढ़ा देता था| एक कोने में नौकरो के क्वार्टर थे और दूसरे कोने में घोड़ो का अस्तबल था| एक १९५० बुइक अक्सर परिपत्र मार्ग पर खड़ी रहती थी|

    राम सेवक के लिए जीवन और अधिक सुविधाजनक नहीं हो सकता था| वह सुंदर, लंबा, गोरा और तीखे नयन नक्शो वाला था| उसने अपने बचपन के दौरान पढ़ाई में गहरी दिलचस्पी दिखाई| उसने एक अभिजात वर्ग के एक कैथोलिक स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जो सेंट जेवियर के द्वारा अधिकृत था| इसका 'अ' स्तर मैट्रिक परीक्षा के वरिष्ठ कैम्ब्रिज के बराबर था| यह देश के सफलतम व्यक्तियो के लिए प्रसिद्ध था| फॉर्च्यून ५०० के कई शीर्ष सीईओ ने इस विद्यालय में अध्ययन किया था|

    उसके पिता ने रामसेवक पर खेती का व्यापार अपनाने के लिए कभी दबाव नहीं डाला| उनके दो छोटे भाइयों ने पढ़ाई हाई स्कूल में ही छोड़ दी थी और वे परिवार के खेती के कारोबार में शामिल हो गए| राम पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने चला गया| उसने राजनितिक विज्ञानं में बी.ए. स्नातक की उपाधि (ऑनर्स) प्राप्त की| वो डीन की सम्माननीय सूची में था और उसने एक स्वर्ण पदक अर्जित किया|

    यद्धपि वो लॉ स्कूल में एडमिशन लेना चाहता था लेकिन इसके बजाय वह एक जेट लड़ाकू पायलट बनने के लिए भारतीय वायु सेना में शामिल होने के लिए गया| प्रशिक्षण कठोर था और वह इसके दबाब को सहन नहीं कर पाया| उसने ६ महीने के लिए जेट विमानों की उड़ान भरी लेकिन उसके बाद उसके प्रशिक्षण को समाप्त कर दिया गया|. इस प्रशिक्षण ने उसे एक योग्य और सज्जन अधिकारी में बदल दिया| इसलिए उसे अपनी १ वर्ष की स्नातकोत्तर की पढाई से चूक जाने पर पछतावा नहीं था|

    कुछ दिनों से उसे आश्चर्य हो रहा था, क्योंकि उसके माता पिता अक्सर रात्रिभोज पर जा रहे थे और उसे भी साथ चलने के लिए कह रहे थे| कुछ दिनों तक रात्रिभोज पर जाने के बाद उसे यह अहसास हो गया कि उसके माता पिता उसके लिए जीवनसाथी तलाश रहे हैं| क्योंकि उसने सभी अवसरों पर मेजवान की बेटियों को रंगीन कपड़ो तथा हीरे और सोने के गहनो से सजे हुए पाया| उसने यह भी महसूस किया कि वो अपनी बेटियों को सबसे पहले उसे ही खाना परोसने के लिए जोर देते थे| राम को यह सब बिलकुल पसंद नहीं आया और उसने दुबारा साथ चलने से साफ-साफ मन कर दिया|

    उसके पिता उसकी निराश को समझ रहे थे लेकिन वो यह सब अपनी पत्नी के दबाव में कर रहे थे| राम अपने घर में सबसे योग्य कंवारा था और उसकी माँ चाहती थी कि उसकी शादी देर होने से पहले सही समय पर हो जाये| उन्होंने यह बात राम को बिना किसी हिचकिचाहट के बता दी कि वो यह सब उसकी माँ के दबाव में कर रहे है| इस पर राम ने जबाव दिया,इस समय शादी का कोई सवाल ही नहीं हैं| अभी मैं अपनेआप को नहीं सम्भाल सकता तो कोई कैसे सोच सकता हैं कि मैं अपने परिवार कि देखभाल कर सकता हूँ| मैं सबसे पहले एक सफल वकील बनना चाहता हूँ और ठीक ठाक पैसे कमाना चाहता हूँ| तब जाके शादी का सही समय आएगा| हाँ,मैं जनता हूँ कि मेरा परिवार मुझे सहारा दे सकता हैं लेकिन आपको मालूम होना चाहिए कि जब मैंने एयरफोर्स छोड़ी थी वहाँ हमें कुछ जीवन के मूल्य सिखाये गए थे जिनके साथ कभी सझौता नहीं किया जा सकता| एक मूर्ख ही दूसरे के कमाए पैसो पर अपना जीवन जी सकता हैं लेकिन मैं इस तरह का इंसान नहीं हूँ|

    सत्यनारायण को अपने बेटे के उच्च जीवन मूल्यों पर गर्व हुआ. और उन्होंने उससे वादा किया कि जब तक वो शादी के लिए तैयार नहीं होगा वो इस मामले को शुरू नहीं करेंगे| इसके बाद राम अपनी स्नातक स्तर की पढाई पूरी करने यूनिवर्सिटी वापस चला गया| उसे स्नातक में उसके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उसके पिता ने ३५० सीसी की रॉयल इनफील्ड मोटरसाइकिल तोहफे में दी| यह भारत में बेची जाने वाली सबसे अच्छी मोटरसाइकिल थी| यह बहुत शक्तिशाली थी और आलस को ख़त्म कर देने वाली इसकी आवाज बहुत मधुर लगती थी| जब इंजन स्टार्ट होता था तो ऎसा लगता था कि बुलेट से गोली चली हो.इसलिए इस मशहूर मॉडल का नाम ' बुलेट ' था|

    उस समय, मोटरसाइकल ही उसकी अकेली दोस्त थी| वो जब भी अकेला महसूस करता था, हाईवे पर ड्राइव करने चला जाता था| उसके दोस्त उसके सीनियर थे और कभी-कभी ही मिल पाते थे| यूनिवर्सिटी के परिसर में कुछ सुन्दर लड़कियाँ थी, वो केवल शर्मीली ही नहीं थी बल्कि भेड़ो के झुण्ड की तरह साथ चलती थी| कभी-कभी मूवी देखने के आलावा उसके पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं था|

    लेकिन समय के साथ भाग्य बदला और उसे भी नयी दुनिया मिली| एक दिन, कुछ ऎसा हुआ कि उसे अपनी कक्षा के लिए देर हो रही थी| १५ मिनट की देरी और होने पर कक्षा के दरवाजे बंद हो जाते| प्रोफेसर के कठोर अनुशासन के कारण देरी होने पर किसी को भी कक्षा के अंदर आने की इजाजत नहीं थी| यह एक महत्वपूर्ण व्याख्यान था| इसमें स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष की पढ़ाई की रूपरेखा का विवरण बताया जाने वाला था| मोटरसाइकल नयी थी लेकिन स्टार्ट नहीं हो रही थी| उसने बार बार पेडल पर किक मारी लेकिन इंजन स्टार्ट नहीं हुआ|

    अब वो परेशान हो गया| वो मोटरसाइकल की मरम्मत करवाने के लिए दूकान तक घसीटने वाला ही था| कुछ दूरी पर, एक जवान आदमी ने उसे इस निराश हालत में देखा, वो उसके पास आया और किसी भी तरह कि मदद देने की इच्छा प्रकट की| राम ने जवाब दिया, मैं इस मशीन से परेशान हो गया हूँ, ये चालू नहीं हो रही हैं| उस जवान आदमी ने राम की तरफ देखा और मुस्कुराने लगा| राम अब और ज्यादा खीज गया और उसने उस आदमी से पूछा,इसमें मुस्कुराने की क्या बात हैं? कुछ नहीं, उस आदमी ने कहा| उसने इग्निशन बटन चालू किया और किक मारी और जीवन के साथ गरजते हुए इंजन चालू हो गया| राम बहुत खुश हुआ और अपने आप से बोला, मैं कितना बेवकूफ हूँ, मैं बंद इग्निशन बटन के साथ चालू करने की कोशिश कर रहा था|

    उसने अजनबी को धन्यवाद दिया और बोला, मैं अभी जल्दी में हूँ, मुझे कक्षा लेनी हैं, इसलिए अभी मुझे चलना होगा| मुझे ख़ुशी होगी अगर हम कल दोपहर के भोजनावकाश पर मिलेंगे और मैं आपको खाना खिलाकर आपकी इतनी बड़ी मदद के लिए धन्यवाद करना चाहूंगा| अजनबी ने जवाब दिया,खाने की जरूरत नहीं, मुझे ख़ुशी होगी अगर हम कल ४ बजे कॉफ़ी पर मिले| राम ने अपने सहमति जताई और दोनों ने हाथ मिलाया तथा अपना नाम बाताया| अजनबी ने जवाब दिया, मेरा नाम यशपाल हैं| कल ४ बजे कॉलेज में कॉफ़ी की दुकान पर मिलते हैं|"

    २. एक नयी दोस्ती की शुरुआत

    राम और यश अगले दिन ४ बजे मिले| रम ने कॉफ़ी के साथ मिठाई और चिकन सैंडविच भी मंगवाए. यश जो उसकी उदारता से आश्चर्यचकित था, मजाक करता हुआ बोला कि अगर उसे मालूम होता कि मदद के बदले उसे इतनी बड़ी दावत मिलेगी तो वह भोजनावकाश में खाना खाने के लिए घर नहीं जाता|

    उस समय, रम ने पूछा, क्या तुम कॉलेज परिसर के पास ही रहते हो? हाँ, वाकई, यश ने जवाब दिया, बस रोड के उस पार, यहाँ से बस १० मिनट पैदल चलने पर ही हैं|

    उसके बाद वो कुछ और बात करने लगे, थोडा-थोडा सबके बारे में, जैसे उसकी स्नातकोत्तर अध्ययन, उनके भविष्य के कैरियर की योजना, उनके परिवारों आदि के बारे में| अब तक वे एक दूसरे से परिचित हो चुके थे| रम को यह पता चला, रम अर्थशास्त्र पढ़ रहा हैं और भविष्य में ऑफिसर के रूप में सेना में शामिल होना चाहता हैं| उसकी बहन भी एक छोटी बहाब भी हैं, पुष्पा जो पटना मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययन कर रही हैं| उसकी माँ ही उसके परिवार में अकेली कमाऊ सदस्य थी जो पटना जनरल अस्पताल में एक पंजीकृत नर्स थी| जब वह १२ साल का था उसने अपने पिता को खो दिया| यह एक दुखद कहानी था लेकिन राम ने उसे हास्य की एक महान भावना के साथ बहुत विनम्र पाया|

    यश नहीं जानता था कि राम बहुत ऊंचे घराने से हैं| राम ने बस यही बताया था कि उसका परिवार बहुत समय से खेती का काम कर रहा हैं और वो दिघवारा गाँव से था जो पटना से एक घंटे की कार की दूरी पर हैं|

    यह दोस्ती की शुरुआत थी जो आने वाले सालो मैं तेजी से गहरी मित्रता में बदल गयी| वे अक्सर शाम को कॉफ़ी पर मिलते और रविवार को साथ साथ सिनेमा देखने जाते|वे परिसर में लड़कियों के बारे में बात करते|. यश ने एक लड़की,जो एक टी शर्ट पहनी थी, के पीछे लिखा हुआ पढ़ा,सौंदर्य देखने के लिए है और छूने के लिए नहीं और स्तन पर सामने, आपका सपना कभी सच नहीं होगा| वे दोनों कुछ अन्य बेतुके चुटकुलो पर बहुत हँसे|

    राम ने यश को एक सप्ताह से भी अधिक समय से नहीं देखा था| ये थोडा अजीब था क्योंकि दोनों लगभग हर रोज मिया करते थे| पता लगाने के लिए, वो अर्थशास्त्र विभाग में देखने गया| राम ने यश के एक दोस्त से पूछताछ की जिसे पहले यश ने ही मिलवाया था| उसके दोस्त ने बताया कि वो उसके घर से ज्यादा दूर नहीं रहता और उसे पूरे सप्ताह से जुकाम और बुखार था| वह अब थोडा ठीक हैं लेकिन अभी थोड़ी कमजोरी हैं इसलिए घूम नहीं सकता| राम ने उससे आग्रह किया,अगर वह उसे यश के घर लेजा सकता हैं| जरूर, उसके दोस्त ने जवाब दिया और कहा कि वो उसे लगभग ४ बजे ले जाएगा|

    घर पहुँचने पर राम ने उसे हुई असुविधा और साथ चलने के लिए धन्यवाद दिया और सामने वाले दरवाजे से भीतर चले गए| उन्होंने दरवाजा खटखटाया और किसी के आने का इन्तजार किया| उसने एक झलक पड़ौस को देखा| . यह जीर्ण - शीर्ण मकानों से घिरा हुआ था, खुली जल निकासी व्यवस्था की भूलभुलैया थी, खुले कचरा बदवू फैला रहा था, आवारा कुत्ते बचे हुए खाने कि दावत उड़ा रहे थे| बदवू असहनीय थी|

    कुछ मिनट बाद, एक जवान और एक आकर्षक लड़की ने दरवाजे पर जवाब दिया| तुम जरूर यशपाल कि बहन हो, राम ने कहा| उसने थोड़ी झिझक के साथ जवाब दिया, हाँ, मैं हूँ, लेकिन माफ़ कीजिये अगर आप उनसे मिलने आये हैं, तो यह अभी सम्भव नहीं होगा| वह बीमार हैं और इतने कमजोर हैं कि दरवाजे पर नहीं आ सकते| कृपया दुबारा आइये| यह कहकर उसने राम के मुँह पर दरवाजा मर दिया|

    यश ने ये बातचीत सुनी और एक कमजोर आवाज में चिल्लाया, उस में आने दो, वह मेरा सबसे अच्छ दोस्त है| जाहिर हैं, यश उनका वार्तालाप सुन रहा था, राम जेन ही वाला था जब वह

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