उदारता की पटरियाँ (लघु उपन्यास)
By Raja Sharma
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About this ebook
छोटी सी दुनिया
और दृश्य और अनुभव
स्टेशन पर कैफ़े
स्वार्थ और करुणा
बिरयानी का पैकेट
गंतव्य की ओर
गाड़ी छूट गयी
राजा शर्मा जी द्वारा लिखित इस लघु उपन्यास "उदारता की पटरियाँ" की आकर्षक दुनिया में आपका स्वागत है। यह उपन्यास एक गहन यात्रा है, न केवल ट्रेन की पटरियों पर बल्कि जटिल क्षणों और हार्दिक कहानियों के माध्यम से जो हमारे जीवन को आकार देती हैं।
इस कहानी को पढ़कर आपको विश्वास हो जाएगा के अगर लेखक निपुण हो तो वो बिना किसी बड़े विषय के पीछे भागने के, दैनिक जीवन की छोटी सी घटना या घटनाओं को भी इस ढंग से पिरो देता है के वो एक कहानी बन जाती है और हमेशा के लिए साहित्य में अपनी जगह बना लेती है। इस उपन्यास की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
इन पृष्ठों के भीतर, आप विभिन्न पृष्ठभूमियों के व्यक्तियों से मिलेंगे, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी कहानी होगी। आप दयालुता के सबसे सरल कार्य की परिवर्तनकारी शक्ति को देखेंगे, जैसे कि वेज बिरयानी की एक प्लेट की पेशकश करना, दूकानदार से कुछ खरीदना, किसी अजनबी से बात करना, और फिर ये महसूस करना के इस तरह के छोटे छोटे से काम हमारे अस्तित्व पर कितना गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
यह उपन्यास एक मार्मिक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है और हमारे व्यस्त जीवन के बवंडर में, करुणा और सहानुभूति से प्रेरित करके हमारे मार्ग का मार्गदर्शन करने वाले प्रकाशस्तंभ बना देता हैं। यह कहानी हमारे द्वारा बनाए गए संबंधों और वास्तविक दयालुता के उन क्षणों के बारे में है जो अंततः हमारे जीवन की यात्रा को परिभाषित करते हैं।
जैसे ही आप कथा में डूबते हैं, हमेशा ध्यान रखें कि सच्ची मंजिल कोई भौगोलिक बिंदु नहीं बल्कि हृदय की स्थिति है। इस हृदयस्पर्शी यात्रा में हमारे साथ शामिल हों, और यह आपको अपने आस-पास की दुनिया में अपनी खुद की "उदारता की पटरियाँ" बनाने के लिए प्रेरित कर देगी।
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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उदारता की पटरियाँ (लघु उपन्यास) - Raja Sharma
छोटी सी दुनिया
आपने भी ये बात ना जाने कितनी बार सुनी होगी के जीवन एक जटिल यात्रा है, एक ट्रेन के समान जो स्टेशन से निकलती है और एक रहस्यमय गंतव्य की ओर बढ़ती है। अपने घुमावदार मार्ग के साथ, यह विभिन्न स्टेशनों पर अनगिनत पड़ाव बनाती है; रास्ते में जगह जगह पर पड़ाव आते हैं और ये यात्रा कुछ पलों के लिए थम जाती है लेकिन फिर शुरू हो जाती है।
आपकी रेलगाड़ी की यात्रा की तरह ही जीवन की यात्रा में भी जगह जगह में ना जाने कितने ही सहयात्रियों से मिलते हैं, उनके साथ बातें करते हैं, कुछ अपनी सुनाते है, कुछ उनकी सुनते हैं, अजनबी दोस्त बन जाते हैं और फिर दोस्तियां पत्रों के माध्यम से या फ़ोन के माध्यम से आगे बढ़ती हैं, कई सपने बनते हैं कई बिखर जाते हैं, लोग मिलते हैं और अगले पड़ाव पर अलग भी हो जाते हैं।
सह-यात्रियों के निरंतर बदलते परिदृश्य के बीच, कुछ आत्माएं लंबे समय तक आपके साथ रहती हैं। ये स्थायी संबंध, जिन्हें अक्सर भोलेपन से मित्र और परिवार समझा जाता है, अपनी उपस्थिति से हमारा मार्ग रोशन करते हैं। हालाँकि, ये पोषित बंधन भी शाश्वत नहीं हैं, क्योंकि अन्य सभी की तरह, वे भी अंततः अलग हो जाते हैं।
जीवन की यात्रा, चाहे कितनी भी लंबी क्यों न हो, हमेशा एक सौहार्दपूर्णशांतिपूर्ण यात्रा नहीं हो सकती। कभी-कभी, किसी अजनबी के साथ एक संक्षिप्त मुलाकात भी एक अमिट छाप छोड़ सकती है, जो आपके जीवन की दिशा बदल सकती है और पूरी यात्रा को अविस्मरणीय बना सकती है।
जीवन की रेलगाड़ी एक रहस्यमय सवारी है, जहां प्रत्येक स्टेशन और प्रत्येक सह-यात्री हमारे अस्तित्व की जटिल तस्वीर में योगदान देता है, जिससे हर पल एक रोमांच और हर बिछड़ना एक सबक बन जाता है।
आप भी सोच रहे होंगे के ये मैं क्या जीवन गाथा ले बैठा हूँ! यकीन मानिये जो कुछ भी अभी तक आपने पढ़ा है वो आगे आने वाले शब्दों के साथ सार्थक होता जायेगा और आप मुख्य कहानी में खोने के बाद भी ऊपर कहे गए शब्दों के बारे में बार बार सोचेंगे और खुद को मुख्य पात्र की जगह रखकर कई बातें सोचने लगेंगे।
हमारी कहानी का मुख्य पात्र, सुशांत, ही इस कहानी को अकेले संभाले रखता है और शुरू से अंत तक हम उसकी उस समय की दुनिया को उसकी आँखों से देखते हैं और उसके विचारों से समझते हैं। तो आईये आपको सुशांत की