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जीवन और समस्या
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Ebook111 pages1 hour

जीवन और समस्या

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ये  इन्सानी  प्रकृति है , जो चीज आपको नहीं मिली है, वही  आपको सबसे ऊंची चीज लगती है, जो आपके पास नहीं होता उस पल वही सबसे बड़ा लगता है, अगर आपने 2 दिनों से खाना नहीं खाया तो खाना भगवान हो जाएगा,  अगर आपको यह समझ नहीं आया तो एक काम करके देखे  मुंह बंद करके 2 मिनट तक अपनी नाक से सांस रोक लीजिये ,  अब आप भगवान चाहेंगे या हवा , अगर भगवान खुद  आप से कहेंगे की तुम्हे क्या चाहिए , में और हवा , तो  आप सांस को ही चुने गए.

Languageहिन्दी
Release dateDec 28, 2022
ISBN9798215177549
जीवन और समस्या
Author

Abhishek Patel

My name is abhishek patel. I am author of this book. I am Professional biographical writer.

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    जीवन और समस्या - Abhishek Patel

    Chapter 14 : क्या मानसिक शक्ति से बीमारियों को ठीक किया जा सकता   है?

    Chapter 15 : अपने आप पर FOCUS करें जीवन अद्भुत हो जायेगा।

    Chapter 16 : निगेटिव भावनाओं से कैसे बचें?

    Chapter 17 : सिमाओं को तोड़ दो जीवन चमत्कार बन जाएगा

    Chapter 18:  यादों के जंजाल से कैसे निकलें?

    असफलता से मत डरो

    Chapter 1: जीवन और समस्या

    ये  इन्सानी  प्रकृति है , जो चीज आपको नहीं मिली है, वही  आपको सबसे ऊंची चीज लगती है, जो आपके पास नहीं होता उस पल वही सबसे बड़ा लगता है, अगर आपने 2 दिनों से खाना नहीं खाया तो खाना भगवान हो जाएगा,  अगर आपको यह समझ नहीं आया तो एक काम करके देखे  मुंह बंद करके 2 मिनट तक अपनी नाक से सांस रोक लीजिये ,  अब आप भगवान चाहेंगे या हवा , अगर भगवान खुद  आप से कहेंगे की तुम्हे क्या चाहिए , में और हवा , तो  आप सांस को ही चुने गए.

    क्योंकि उस पर जो भी चीज आपके पास नहीं होती वह खुद को इतना बड़ा कर लेती है बाकी हर चीज को ढक लेती है, या दूसरे शब्दों में जब आप  मजबूरी की स्थिति में होते हैं, सब चीजों का फैसला  पैसा से नहीं होता  हे , अगर आप किसिस महत्मा की सभा में बैठे हो और वो आत्मज्ञान के बारे में भाषण दे रहे हो लेकिन आपको पेशाब करने जाना हो. तो आप उस महत्मा को क्या कहेगे की  मुझे आत्मज्ञान नहीं चाहिए फिलहाल बाथरूम जाना ही परम मुक्ति जैसा है।

    जो मजबूरी हो , मजबूरी के स्थिति होने पर आप किसी भी चीज को उसके असली रूप में नहीं देखते, लाइव क्रिकेट स्ट्रीमिंग को यह सोचने पर मजबूर कर देगा कि यही सच है,  तो इस तरह इंसान ही जीवन एक मजबूरी से दूसरी में जाता रहता है यह आपको चीजों को उनके असली रूप में देखने का कभी समय ही नहीं देता,  अगर आप जीवन को वैसा नहीं देख सकते जैसा वह है ,  तो क्या आप उसे वैसे संभाल पाएंगे जैसे संभाला जाना चाहिए , बिल्कुल नहीं , अगर आप चीजों को उनके असली रूप में नहीं देखते तो आप उन्हें वैसे नहीं संभाल पाएंगे जैसे संभाल आ जाना चाहिए।

    इसी कारण लोगों के जीवन और समस्या ये हो गयी हे ,  मैं एक स्कूल में 14 साल के बच्चो से बात कर रहा था , मेने एक सवाल पूछा की आप आगे की करोगे ,वे सारे बच्चे १० मि कक्षा के थे. किसीने कहा डॉक्टर्स, एन्जीनियर बनुगा सभी ने यही उत्तर दिया , लेकिन किसीने ये नहीं कहा की में ११ मि कक्षा में जाउगा सभी  दसवीं क्लास में नौकरी ढूंढ कर पैसा कमाने की बात कर रहे थे,  मुझे विश्वास ही नहीं क्योंकि जीवन भर मैंने कभी पैसे कमाने की नहीं सोची,  मेरे पिताजी  अपना सिर पीटते थे इस लड़के के दिल में डर ही नहीं है,  इसका क्या होगा , इसका क्या होगा,  मैंने कहा डर नहीं होना समस्या हे , मुझे लगा डरना समस्या हे.

    एक चींटी जिसका दिमाग आप से 1000000 गुना छोटा है, वह भी जीवन चला लेती है,  आपका दिमाग इतना बड़ा है आपको क्या समस्या है,  मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यह पूरी तरह से सीमित करने वाला विचार युवाओं पर थोपा जा रहा है कि आपको पैसे कमाने होंगे,  कि यही सबसे बड़ी चीज है इतना बड़ा दिमाग होते हुए पैसा कमाना क्या वाकई कोई समस्याएं हे , मैं जानता हूं कि सभी को यही मानने के लिए तैयार किया गया है पर ऐसा नहीं है,

    मैं बता रहा हूं ऐसा नहीं है , मानव चेतना के लिए पैसे कमाना एक मामूली चीज है पर दुर्भाग्य से पूरी मानवता अपनी पूरी ऊर्जा और बुद्धि बस पैसा कमाने में लगा रही है,  अगर दुनिया में यह नहीं बदलता मैं यह नहीं कह रहा कि पैसे नहीं कमाने चाहिए मैं बस यह कह रहा हूं कि इसे पूरी इंसानी चेतना पर हावी नहीं होना चाहिए अगर आप एक छोटी उंगली से काम करें तो यह पैसे कमा लेगी इसमें इतनी काबिलियत है,

    लेकिन  पूरी इंसान जाती पैसा कमाने  मर गई है,  सिर्फ इसलिए अभी सोच रहे हैं पैसे कैसे कमाए पैसे कैसे कमाए,  तू बैठे-बैठे मोटे होते हो ,  आपको सोचना चाहिए मैं इस जीवन के साथ क्या कर सकता हूं,  मैंने आपको सोचना चाहिए इस जीवन के साथ सबसे बड़ी चीज में क्या कर सकता हूं.

    क्योंकि एक दिन आप मर जाएंगे क्या आप जानते हैं कि आपको पता है आप मर जाएंगे तो मरने से पहले इस जीवन को परम संभावना तक पहुंचना चाहिए,  ना मैं पैसे कमाता हूं पैसे कमाता हूं लोग गर्व से कहते हैं,  आप क्यों नहीं देखते कि हर कीड़ा हर पक्षी हर जानवर री धरती का हर प्राणी जीवन चला रहा है इतना घर के मैं अपना जीवन चलाता हूं इसमें इतना गर्व  करने की क्या बात है,  सभी अपना जीवन चला रहे हैं,  सिर्फ इंसान ही इसे मुद्दा बना रहे हैं,

    बहुत बड़ा मुद्दा ,जब मैं यह देखता हूं कि इंसान की बुद्धि जीवन चलाते-चलाते विश्वास नहीं होता, मनुष्य कितना कुछ कर सकते थे वह अद्भुत चीजें कर सकते थे पर उसके बाद आए वह पैसा कमा रहे हैं, तो यह बहुत जरूरी है,  मैं सोच रहा हूं कि हम एक लहर शुरू करें, खासतौर से स्कूलों और कॉलेजों में कि पैसे कमाना एक छोटी सी चीज है यह जीवन का प्रमुख उद्देश्य नहीं है, एक छोटी उंगली से आप पैसे कमा सकते हैं, इस छोटे  दिमाग के साथ जब चीटियां जीवन चला सकती हैं तो इस दिमाग को पैसे कमाने के लिए संघर्ष करना चाहिए यह समस्या बन गई है, क्योंकि आप किसी और जैसा बनना चाहते हैं, आप किसी दूसरे जैसा बनना चाहते हैं, आप गुलाम बन जाते हैं.

    अब इस संभावना को हम यौग  कहते हैं, वह शरीर को मरोड़ में फिट होने स्वस्थ होने के बारे में नहीं है अगर आप

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