मैं मैं ही रहा: BASIC, #1
()
About this ebook
जिंदगी के अहसासों को पिरोती कविताएँ : 'मैं मैं ही रहा'
श्री पुनीत शर्मा का दूसरा हिंदी काव्य संग्रह 'मैं मैं ही रहा' ज़िन्दगी के अहसासों तथा सच्चाई से रू-ब-रू कराता है। इसमें संकलित कविताएं हमारे जीवन के व्यापक अनुभवों और पहलुओं को समेटे हुए हैं। व्यक्ति जब भीड़ का हिस्सा बनता है या भीड़ में खोने लगता है, तब वह बेचैन होने लगता है, अपने वजूद की तलाश में जुट जाता है और तभी उसे अपने होने का बोध होता है। तभी बृहदारण्यक उपनिषद के महावाक्य 'अहम् ब्रह्मास्मि' का जयघोष होता है, तभी कोई लीक से हटकर राह पकड़ता है।
संकलन की कविताओं में हमारे समय तथा जीवन के विविध दृश्य हैं और सबसे खास बात है कि कवि ने स्वयं को इसमें निरपेक्ष माना है। वस्तुतः आज के दौर में निरपेक्ष या तटस्थ रहना सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है। संग्रह की लगभग हर कविता में कवि का यह निरपेक्ष रूप उभरा है। साथ ही संसार और प्रकृति की मूलतः यथास्थिति का भी अंकन हुआ है। 'कैलाशी' कविता आत्मबोध की कविता है, तो 'लुटेरे' कविता प्रकृति और पुरुष के मूल स्वभाव का दर्शन है। 'खीझते- सींचते', 'हार - जीत', 'लूटते -लुटाते', 'सच -झूठ' आदि कविताओं में जीवन की विभिन्न स्थितियों का व्यतिरेक है। 'दूर- करीब ' कविता में भी ऐसी विविध स्थितियों का प्रभावी चित्रण है-
''कुछ अपनों से दूर थे
कुछ अपनों के करीब थे
कुछ करीब होकर भी दूर थे
कुछ दूर होकर भी करीब थे''
ऐसे बहुत से शब्द चित्र हैं जो कवि ने इस संकलन की कविताओं में उकेरे हैं। ये कविताएँ शब्दों की समृद्धि से भरपूर हैं तथा अपनी सहज भाषा से पाठकों को कहीं गहरे तक प्रभावित करती हैं।
श्री पुनीत शर्मा शब्द -साधना के पथ पर अनवरत चलते रहें, इन्हीं शुभेच्छाओं के साथ।
डॉ. प्रीति भट्ट
सहायक आचार्य हिंदी
से.म.बि. राज. महाविद्यालय
नाथद्वारा, राजस्थान
'अहम् ब्रह्मास्मि' AHAM BRAHMAASMI
पुस्तक ''मैं मैं ही रहा''- मैं कैलाशी रहा, मैं कैलाशी रहा मेरा तृतीय काव्य - संकलन एवं चतुर्थ पुस्तक है। इससे पूर्व मेरा पहला काव्य संकलन 'काव्यांजलि- जीवन एक मौन अभिव्यक्ति' को पाठकों ने अत्यधिक सराहा है और हाल ही में शीना चौधरी और मेरे द्वारा लिखित इंग्लिश पोएट्री बुक पब्लिश हो चुकी है जिसका शीर्षक है ''मिस्टिक्स ऑफ लव''-लव इज द फर्स्ट स्टेप टुवर्ड्स द डिवाइन एवं एक पुस्तक श्री कमल हिरण एवं श्रीमती इंदु शर्मा के साथ प्रकाशित हुई है जिसका शीर्षक है ''एसेंस आफ लाइफ -''डिवाइड बाय जीरो'' ए साइंटिफिक अप्रोच टू सस्टेनेबल डेवलपमेंट है।
अपने काव्य संकलन ''मैं मैं ही रहा''- मैं कैलाशी रहा मैं कैलाशी रहा में मैंने जीवन के मूल अर्थ को पहचानने का प्रयास किया है और मेरे अनुभव को पाठकों के साथ साझा करने का प्रयास किया है। हममें से प्रत्येक को यह जानने का अधिकार है और उसे यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि वह कौन है ? और क्यों है ?
जीवन में हम तब तक परम आनंद प्राप्त नहीं कर सकते जब तक हम अपने अस्तित्व को समझ नहीं लेते । सृष्टि में सभी जीव अपने किसी न किसी मूल उद्देश्य को लेकर सृष्टि द्वारा पल्लवित और पुष्पित किए गए हैं। अतः मानव जो कि मानसिक और शारीरिक रूप से इन सभी में सर्वाधिक श्रेष्ठ है, उसे अवश्य ही यह प्रयास करना चाहिए कि वह अपने स्वयं के होने के अस्तित्व को पहचाने और उसे महसूस करे। उसे यह समझने का प्रयास करना चाहिए कि उसका जीवन किन मूलभूत अनंत उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए है। परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि मानव स्वयं इस सृष्टि के मकड़जाल में फंस कर अपने अस्तित्व को भूल चुका है। वह अपने जीवन की आपाधापी में अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक चुका है। यदि वह अपने होने के उद्देश्य को नहीं पहचानता, नहीं जानता, नहीं मानता तो वह उसे अनुभव नहीं कर सकता और उसका जीवन वास्तविक अर्थ में अभिव्यक्त नहीं है ।
'अहम् ब्रह्मास्मि' AHAM BRAHMAASMI
'कैलाशी' पुनीत शर्मा (लेखक एवं कवि)
एम. ए. नेट अर्थशास्त्र
मुख्य आयोजना अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक सांख्यिकी
उदयपुर, राजस्थान, भारत
'KAILASHI' PUNIT SHARMA
Writer Philosopher Environment Economist Chief Planning Officer
Read more from 'Kailashi' Punit Sharma
काव्यांजलि - जीवन एक मौन अभिव्यक्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to मैं मैं ही रहा
Titles in the series (3)
Universal Yogic Numerology: Basic, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsनज़रिया: BASIC, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमैं मैं ही रहा: BASIC, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related ebooks
मेरे जीवन के एहसास Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsज़िंदगी एक अहसास Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुछ एहसास कविताओं की कलम से Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबीइंग हार्ट: Poetry, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्यादर्श (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्य सरिता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमन के बोल - भाग - 1: मेरी कविताएं Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअभिव्यक्ति की ऊंचाई Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJis Raah Jana Zaruri Hai... Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsस्वस्तिक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवैभव विलास काव्य कुंज: काव्य कुंज बिहार Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsरिश्ते - कुछ सच्चे, कुछ झूठे (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsZindagi Ki Haqeeqat Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsध्यान भरे लम्हे: Meditative Moments Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAdhyatmik Pratibimb/ आध्यात्मिक प्रतिबिम्ब: जाग्रति और प्रबोधन के सन्दर्भ में एक प्रस्तुति/पुस्तक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअजनबी शहर Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMann Ki Gujarish मन की गुजारिश Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रत्येक एहसास_ एक प्रेरणा: काव्य संग्रह Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsउलझे दोराहे का सफर: Biography & Autobiography, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलिखूँ तुम्हारे लिए (write for you) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsLafz Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभावों का कारवाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsNIRASHA CHHODO SUKH SE JIYO Rating: 5 out of 5 stars5/5सत्यार्थ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHari Anant- Hari Katha Ananta - Part - 4 ('हरि अनन्त- हरि कथा अनन्ता' - भाग - 4) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रेम की शक्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShabdee Chauraaha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsFaheemiyat Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचला चल जीवन Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for मैं मैं ही रहा
0 ratings0 reviews
Book preview
मैं मैं ही रहा - 'KAILASHI' PUNIT SHARMA
ॐ
आदरणीय गुरुजन
पिताश्री मार्गदर्शक एवं मेरे गुरु श्री धर्मेश चंद्र शर्मा
और
मेरी मम्मी श्रीमती शांता शर्मा को समर्पित मेरा दूसरा काव्य - संग्रह
''मैं मैं ही रहा''- मैं कैलाशी रहा, मैं कैलाशी रहा
खलील जिब्रान ने कहा है-
माता-पिता धनुष के समान होते हैं और बच्चे तीर के समान
धनुष जितना खींचता है, तीर उतना ही दूर जाता है
हम इसलिए नहीं ऊँचाइयों को चूमते हैं कि हम खास हैं,
बल्कि इसलिए कि वे हमारे लिए खींचे हुए हैं।
प्रस्तावना
जिंदगी के अहसासों को पिरोती कविताएँ : 'मैं मैं ही रहा'
श्री पुनीत शर्मा का दूसरा हिंदी काव्य संग्रह 'मैं मैं ही रहा' ज़िन्दगी के अहसासों तथा