Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

Invisible Doctor
Invisible Doctor
Invisible Doctor
Ebook597 pages4 hours

Invisible Doctor

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

इनविजिबल डॉक्टर आपके शरीर में एक फार्मेसी चलता हैं । यह फार्मेसी इन्सुलिन, एंजाइम तथा सभी प्रकार की दवाइयां तथा टॉनिक बनाती हैं। ये सभी हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं अदा करते हैं। यदि इनविजिबल डॉक्टर की यह फार्मेसी कार्य करना बंद कर दे, तो हम विज़िबल डॉक्टरों की सलाह लेते हैं। हम दवाएं निगलते हैं तथा टॉनिक व दर्द निवारक गोलियां भी लेते हैं। यह सब हम इन विज़िबल डॉक्टरों के कहने पर करते हैं ताकि हम अपने शरीर की व्याधियों का इलाज कर सकें।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateSep 15, 2022
ISBN9789352787838
Invisible Doctor

Related to Invisible Doctor

Related ebooks

Reviews for Invisible Doctor

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    Invisible Doctor - B. K. Chandrashekhar

    पहला दिन

    परिचय

    चमत्कार- सार्वभौमिक नियमों का एक संचालन

    उपचार के सार्वभौमिक नियम- शांति, निःस्वार्थ प्रेम और खुशी

    भीतर दो डॉक्टरः मि० किलर डॉक्टर और इनविजिबल डॉक्टर

    किलर डॉक्टर को बाय-बाय कहें

    किलर डॉक्टर की जीवनशैली

    किलर डॉक्टर की जीवन यात्रा

    मि. किलर डॉक्टर अपने सबसे विश्वासी मित्र द्वारा मारे गए

    मि. किलर डॉक्टर से सीखे गए पाठ

    इनविजिबल डॉक्टर के संपूर्ण स्वास्थ्य संकल्पना को सीखें

    शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, बुद्धि का स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य

    इनविजिबल डॉक्टर का नुस्खा-1

    अपने चिकित्सक द्वारा बताए गए दवाओं को जारी रखें

    इनविजिबल डॉक्टर का जादुई कैप्सूल- प्रेम और हास-परिहास

    ‘प्रेम- एक मन-शरीर औषधि’ पर मेडिकल शोध

    हास-परिहास पर वैज्ञानिक शोध

    हास-परिहास और औषधि

    1

    परिचय

    (भीतर के इनविजिबल डॉक्टर से मिलिए)

    स्व उपचार का चमत्कार तब होता है जब आंतरिक रोगी आंतरिक चिकित्सक को उत्पन्न करता है।

    -वरनॉन हावर्ड

    ● चमत्कार- सार्वभौमिक नियमों का संचालन

    निम्नलिखित कहानी यह दर्शाती है कि आप चमत्कारों के निर्माता कैसे बन सकते हैं :-

    एक छोटी बच्ची, कविता, अपने बेडरूम में गयी और आलमारी स्थल से एक जार को बाहर खींचा जहाँ वह उसे छुपाकर रखा करती थी। उसने उसमें से रेजगारी को फर्श पर उड़ेला और उसे सावधानीपूर्वक तीन-तीन बार गिना। सिक्कों को वापस जार में सावधानीपूर्वक रखकर और उसके ढक्कन को बंदकर वह पिछले दरवाजे से निकली और अगली गली में मेडिकल की दुकान पर गयी। उसने फार्मासिस्ट का अपने पर ध्यान दिये जाने के लिए धैर्य पूर्वक इंतजार किया किंतु वह किसी से बात करने में काफी व्यस्त था।

    कविता ने एक आवाज उत्पन्न करने के लिए अपने पांवों को मोड़ लिया फिर भी कुछ नहीं हुआ। उसने अति घृणित ध्वनि के साथ अपना गला साफ किया जितना वह जुटा सकती थी। फिर भी कुछ फायदा नहीं हुआ। अंततः उसने अपने जार से एक सिक्का लिया और उसे शीशे के काउंटर पर पटक दिया। इस बार सिक्के ने काम किया।

    तुम क्या चाहती हो? फार्मामिस्ट ने ऊँची आवाज में आगे कहा। मैं लंदन रहने वाले अपने भाई से से बात कर रहा हूँ जिसे मैंने काफी लंबे समय से नहीं देखा है। फार्मासिस्ट ने अपने प्रश्न के बदले मिलने वाले उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना कहा।

    ओह, तो मैं आपसे अपने भाई के बारे में बात करना चाहती हूँ कविता ने फिर खीझते हुए उत्तर दिया, वह सचमुच में बीमार है.... और मैं एक चमत्कार खरीदना चाहती हूँ।

    मैं क्षमा चाहता हूँ फार्मासिस्ट ने कहा.

    "उसका नाम संदीप है और उसके सर में कुछ परेशानी है और डैडी कहते हैं अब एक चमत्कार ही उसे बचा सकता है। इसलिए आप मुझे एक चमत्कार की कीमत बताएगें?’’

    "छोटी बच्ची, हम यहाँ चमत्कार नहीं बेचते। मैं तुमसे माफी चाहता हूँ किंतु मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ।’’ फार्मासिस्ट ने थोड़ी नरमी के साथ कहा।

    सुनो, मेरे पास उसे खरीदने के लिए पैसे हैं, यदि यह काफी नहीं हैं, तो मैं, और भी ले आऊंगी; मुझे बस यह बताओ कि इसकी कीमत क्या है?

    फार्मासिस्ट का भाई एक अच्छा आदमी था। वह नीचे झुका और छोटी बच्ची से पूछा तुम्हारे भाई को किस तरह चमत्कार की जरूरत है

    मैं नहीं जानती अपने गालों पर आँसू लुढ़काते हुए उसने उत्तर दिया मैं बस यह जानती हूँ वह वास्तव में बीमार है और माँ कहती है उसे ऑपरेशन की सख़्त जरूरत है परन्तु डैडी के पास उसके लिए पर्याप्त पैसे नहीं है। इसलिए मैं अपने पैसे खर्च करना चाहती हूँ

    तुम्हारे पास कितना पैसा है? लंदन वाले आदमी ने पूछा।

    पच्चीस रुपये कविता फुसफुसाई मेरे पास इतने ही पैसे हैं, लेकिन यदि थोड़े और चाहिए तो मैं इकट्ठा कर सकती हूँ।

    ‘‘अच्छा कितने संयोग की बात है, तुम्हारे भाई को जिस चमत्कार की जरूरत है उसके लिए पूरे पच्चीस रुपये ही चाहिए। आदमी मुस्कुरा कर बोला। उसने एक हाथ में उसके पैसे और दूसरे हाथ में उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, तुम जहाँ रहती हो मुझे ले चलो, मैं तुम्हारे पिता और भाई से मिलना चाहता हूँ। चलो देखें कि मेरे पास तुम्हारे काम आने वाला चमत्कार है या नहीं"

    वह भला आदमी एक न्यूरोसर्जन विशेषज्ञ था। उसने बिना फीस लिए ऑपरेशन किया और जल्द ही संदीप अस्पताल से घर लौट आया और ठीक हो रहा था। कविता के मम्मी और डैडी खुशी-खुशी उन घटनाओं की श्रृंखला के बारे में बात कर रहे थे जो उन्हें वहाँ उस स्थिति तक ले आयी थीं। वह सर्जरी, मम्मी फुसफुसायी, यह तो वास्तव में एक चमत्कार थी। मैं तो सोच भी नहीं सकती, उसकी कीमत कितनी होगी?

    कविता मुस्कुरायी क्योंकि वही एक अकेली ठीक-ठीक जानती थी कि उस चमत्कार की कीमत कितनी थी। सिर्फ पच्चीस रुपये और एक छोटे बच्चे का दृढ़विश्वास।

    एक चमत्कार सार्वभौमिक नियम का संचालन है। यहाँ उस छोटी बच्ची के अंदर रहने वाले इनविजिबल डॉक्टर से निकलीं मजबूत हीलिंग (उपचार करने वाली) तरंगों ने ही इस घटनाओं को अंजाम दिया जिसके परिणाम स्वरूप चमत्कार घटित हुआ। इन सभी घटनाओं की तरफ ले गई और चमत्कार घटित हुआ। चमत्कार तब होते है, जब हमारा आंतरिक इनविजिबल डॉक्टर सार्वभौमिक नियम के साथ हीलिंग में पूर्व विश्वास के साथ जग जाता है।

    ● हीलिंग का सार्वभौमिक नियम-शांति, निःस्वार्थ प्रेम और खुशी

    एक साधारण विचार उस स्थिति में शक्तिशाली उपचार बल बन जाती है जब वह एक शांत मन से उत्पन्न होती है। एक शांत मन से निकले हुए एक केन्द्रित विचार में इतनी ताकत होती है कि वह किसी भी परिस्थिति चाहे दुःख हो, निराशा हो या कोई अत्यन्त आवश्यकता, अपना रास्ता ढूँढ़ लेती है और उस स्थान पर पहुँच जाती है जहाँ उसके हल का स्त्रोत होता है। मानव चेतनावस्था में ब्रह्मांड के साथ फैलने और घुल-मिल जाने की क्षमता होती है। यही विचार इनविजिबल डॉक्टर की मजबूत हीलिंग (उपचार) तरंगें कहलाती है।

    अति प्राचीन समय से, मानव जीव दुख और सुख के क्षणों में पड़ते रहे हैं और अपनी इच्छाओं का विचारों को जिसे वे उसे संबंधित करते रहे हैं, जिसे उन्होंने भगवान या सार्वभौमिक नियम नाम दिया है। निरपेज शक्ति की यह सत्ता प्रत्येक चेतनावस्था का केंद्र होती है।

    मन चेतन अवस्था का एक शक्तिशाली उपकरण है। यह योयो की तरह कार्य करता है जिसका काम हमारे मेमोरी बैंक (अर्धचेतन) या अचेतन) में जमे संस्कारों और आदतों को विचारों के रूप में बाहर फेंकता रहता है यही विचार फिर चेतना अवस्था में तरंगें पैदा करती है। मेमोरी बैंक में जब शक्तिहीनता, अकेलापन, चिड़चिड़ापन या अंधकार के विचारों की तरंगें बार-बार उत्पन्न होती है, तो यह एक ढर्रा या जाल बन जाता है, जिसमें एक व्यक्ति बुरी तरह फंस जाता है। और तब वह यह सोचकर हैरान होता है कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों?

    यदि आप अपने जीवन के किसी पक्ष से नाखुश है तो एक रास्ता जो आपको प्रिवर्तन और सुख की तरफ ले जाएगा वह है अपने अर्धचेतन या अचेतन मन को समझना जो इन विचारों का उद्गम है। अगर परिस्थितियों पर जीत पानी है तो इस मन को समझना ही होगा।

    मन के खतरनाक ढर्रे को समझने के दो पक्ष है। प्रथम मन की नकारात्मक आदतों को समझना और सतर्कतापूर्वक उन्हें सकारात्मक आदतों से प्रतिस्थापित करना। दूसरा, अपने मन को इस प्रकार प्रशिक्षित करना ताकि वह आपके अंतर से मेल खाते हुए विचार ही उत्पन्न करें। एक विचार, शक्ति और ऊर्जा के साथ एक तरंग होती है, जो इसके पीछे होती है। यह चल सकती है, उड़ सकती है, यात्रा कर सकती है और सर्वत्र फैल सकती है। एक तरीके से यह आपके साथ है, और फिर भी हर जगह है, विशेषतः जहाँ आपकी इच्छा इसे चाहती है। नकारात्मक विचारों (घृणा, स्वयं को सही मानना आदि) पर लगातार सतर्क नजर रखने के अलावा एक व्यक्ति को इनविजिबल डॉक्टर के चुनाव की दिशा में सकारात्मक और शक्तिशाली विचारों को उत्पन्न करने की शक्ति को बढ़ाना होगा।

    प्रत्येक दिन हम लोग आकाश में पक्षियों को देखते हैं। वे न तो बीज बोते हैं, न फसल लगाते और काटते हैं, और न ही अनाज और फल भंडारित करते हैं, फिर भी वे हमेशा खुश रहते हैं। यहां तक कि वे भविष्य के बारे में भी नहीं सोचते, इससे उन्हें कोई तनाव या दबाव नहीं होता। इसलिए वे लोग भी अति विवेकपूर्ण होते हैं जो, यदि यह चिंता करना और सोचना बंद कर देते हैं कि कल क्या पहनेंगे, खायेंगे और पीयेंगे और जो ये सोचते हैं वे इस तरह अपने आप को तनाव में रखते है। यदि हम आज के लिए जीना सीखते हैं, तो हमारा कल निश्चित ही उत्साह से भरा और प्यारा होगा। इसका आशय यह नहीं है कि हमारे पास धन नहीं होना चाहिए। हमें ईमानदारी साधन और कड़ी मेहनत से धन कमाना चाहिए। जो हमारे पास है हमें उससे संतुष्ट भी होना चाहिए।

    हमें निर्माणकारी और रचनात्मक विचारों को ज्यादा महज देना चाहिए, न कि हमें नकारात्मक विचारों व भावनाओं (ईर्ष्या, द्वेष, बदला, घृणा, स्वार्थ) के शिकार हो जाना चाहिए। वे जो विचारपूर्ण और सत्यवादी है; वे हमेशा खुश रहते हैं और सुंदर, अच्छे, सुहावने, प्रफुल्लित, प्यारे और उत्साहपूर्ण विचारों के गर्वपूर्ण स्वामी होते हैं।

    हम उन विचारों को बताना चाहेंगे जो जीवन के आधारभूत सत्य है और जो जीवन के मूल सिद्धांतों से अंकुरित होते हैं। हमें अपने बुद्धि, बुद्धिमत्ता और भावनाओं को संतुलित करना सीखना होगा। बुद्धि क्या है? मूल रूप से, इसका अर्थ प्राकृतिक नियमों के अनुसार जीवन जीने से है। यह व्यावहारिक ज्ञान है। यह निःस्वार्थ प्यार का नियम भी है। मूल सिद्धांत सार्वभौमिक होते उन्हीं से ही संस्कृति का विकास होता है। हमें क्षणिक भावनाओं और अनुभवों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। हमें हर समय जीवन की वास्तविकता पर केन्द्रित होना चाहिए। एक प्रेरक और उसकी अनुक्रिया के बीच हमेशा कुछ अंतराल होता है। उस अंतराल का प्रयोग बौद्धिक, रचनात्मक और निर्माणकारी तरीके से उत्तर देने के लिए करना चाहिए। हमारे कार्य ऐसे होने चाहिए जो निराशामय और दुःख की तरफ अग्रसर न हो।

    जीवन के मूल सिद्धान्त कभी नहीं बदलते हैं- जैसे अच्छाई, दयालुता सम्मान, ईमानदारी, सेवा, सहानुभूति, दयाभाव सहानुभूति इत्यादि। इन सिद्धान्तों के पीछे मालिक या मास्टर इनविजिबल डॉक्टर है- अंतःकरण। अंतःकरण अंदर की छोटी और शांतिपूर्ण आवाज होती है। यह अंदर के इनविजिबल डॉक्टर की आवाज होती है। यह अंतःप्रज्ञा से युक्त बुद्धि है जिसमें नैतिक नियम शामिल होते है। यह बताता है कि साध्य और साधन अलग नहीं होते। जैसा कि गांधी जी ने कहा अनैतिकता और बेईमानी से सारे साधन से सहसा धूल में मिल जाते है। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर आगे कहा है कि काम के बिना धन, के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान, त्याग के बिना पूजा और सिद्धान्त के बिना राजनीति धूल में मिल जायेंगे।

    ● आंतरिक चिकित्सक या इनविजिबल डॉक्टर, मन और आत्मा की अवधारणा आधुनिक विज्ञान से परे है।

    आंतरिक चिकित्सक, मन और आत्मा की अवधारणा आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र से परे एक जटिल घटना है। क्योंकि इससे विज्ञान मूल रूप में भौतिक विश्व के साथ जुड़ा हुआ है, यह तत्व से संबंध रखता है आध्यात्म से नहीं। इसीलिए आधुनिक विज्ञान पदार्थ से परे जीवन के सत्य की व्याख्या करने में सक्षम नहीं है। जिस चीज को भौतिक, विवेक व तर्क के द्वारा नहीं समझा जा सकता उसे अस्वीकार करने की एक प्रवृत्ति लोगों में पायी जाती है। कभी-कभी सामान्य जीवन में भी जिन चीजों की व्याख्या नहीं की जा सकती, उन्हें भी ईश्वर के सर्वोच्च शक्ति के साथ जोड़ दिया जाता है।

    ज्ञान की प्राप्ति के दो रास्ते हैं। पहला है पाँचों इंद्रियों द्वारा इकट्ठा करना। यह ज्ञान विस्तार में सीमित और विषय में स्थूल होता है। जितने समय तक एक मानव जीवित है अभिमुखी और दुनिया की ओर उसका झुकाव रहता है वह केवल अल्पकाल के लिए सुख का अनुभव कर सकता है। दुनिया के साथ हमारा संबंध केवल भौतिक शरीर के कारण है। मानव मन ऐंद्रिक सुखों में डूबा रहता है और हमारे जीवन के वास्तविक उद्देश्य को अनदेखा करता है। लेकिन समय आ गया है हमें अपने सुसुप्त मन को जगाने का।

    केवल पांच इंद्रियों द्वारा जो इंद्रिय गोचर है, वह अपूर्ण है। अन्य चैनल, जिसके द्वारा मन का प्रबोधन और जागृति होती है वह सामान्य मानसिक जागृति के नीचे रहता है। तर्क और सामान्य विवेक इसे बाँध कर नहीं रह सकते। अर्धचेतन मन (अंतः प्रज्ञायुक्त या अंतः चेतना) के मानक सॉफ्टवेयर को क्रियाशील करके जीवन के सत्य को अनुभव किया जा सकता है।

    सामान्य मन द्वारा जो समझना मुश्किल है, उसे अंतः प्रज्ञायुक्त मन या अंतः करण द्वारा समझा जा सकता है, जिसे हम इनविजिबल डॉक्टर कहते है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने यह स्वीकार किया था कि उनका सापेक्षिकता का सिद्धांत अंतः प्रज्ञा युक्त मन या अन्तःकरण की सहायता से ज्ञात किया गया था। विवेकपूर्ण ज्ञान पाँच इंद्रियों तक सीमित है जबकि अंतः प्रज्ञा इसके पार चली जाती है। वर्तमान में विवेकपूर्ण ज्ञान का विशाल भंडार रखने वाले अधिकतर शिक्षित लोग जीवन के सत्य की व्याख्या करने और जीवन की समस्याओं के हल करने में असफल होते है।

    पूर्ण स्वास्थ्य के लिए आत्मा या स्वयं का वास्तविक मित्र और पूर्ण मार्गदर्शक इनविजिबल डॉक्टर (अंतः प्रज्ञायुक्त मन या अंतः करण में अंतनिर्मित गुण) है। जब हम आत्मचेतन होते हैं, या स्वयं को शरीर न समझकर आत्मा समझते हैं तभी हमारे अन्दर के मौलिक गुण, सत्य, शांति, प्रेम, खुशी, शुद्धता, शक्ति परमानंद साथ ही साथ आते हैं। इससे ईश्वरीय सद्गुण की विशेषता सामान्यतः हमारे मस्तिष्क के पटल पर, इच्छा, दृष्टि अनुभव आदि जैसे विचारों की तरह उभर आते है। प्राथमिक और द्वितीयक विशेषताओं में अंर्तसंबंधों के कारण, अपना ध्यान या बुद्धि इन विशेषताओं में से किसी एक पर केन्द्रित करके कुछ समय के लिए हम अपनी चेतन अवस्था की दशा को बदलने के योग्य हो जाते हैं, जो हमें संपूर्ण स्वास्थ्य और खुशी के आनंद का उपयोग करने के योग्य बनाता है।

    ● अर्धचेतन या अचेतन मन के भीतर दो डॉक्टर :

    मिस्टर किलर(प्राणघातक) डॉक्टर और इनविजिबल डॉक्टर। हमारे पास इनविजिबल डॉक्टर का एक ऐसा समझदार (प्राणघातक) प्रतिरोधी तंत्र है, जो यह जानता है कि कैसे एक मित्र व शत्रु बैक्टीरिया में अंतर किया जाता है।

    जब हम इनविजिबल डॉक्टर के साथ होते है, तो स्वयं को शांत अनुभव करते हैं और तब हमारा शरीर कंपनियों के द्वारा बनाये जाने वाली दवाओं के समान ही एक तनाव दूर करने की दवा का निर्माण करता है। जब हम अति आनंदित होते हैं, तो हमारा शरीर एक अलग प्रतिरोधी क्षमता का निर्माण करता है, जो कैंसर को दूर करने के लिए शक्तिशाली दवा की तरह काम करता है। हमारे प्रतिरोध तंत्र की कोशिकाओं में कैंसर, संक्रामक रोगों और डिजेनरेटिव डिसआर्डर से रक्षा करने वाली कोशिकाओं के पास केमिकल मैसेंजर या रिस्पेटर होते हैं, जो हमारे विचारों से प्रभावित होते हैं। प्रतिरोधी तंत्र एक संचरणशील तंत्रिका तंत्र है। यह बुद्धिमान है और हमारे शरीर के चारों ओर घूम रहा है, हमारे प्रत्येक प्रतिरोधी विचार, अनुभव और इच्छाओं पर इन प्रतिरोधी कोशिकाओं की नजर होती है इसलिए इन प्रतिरोधी कोशिकाओं के जाने बिना कोई विचार, अनुभव या इच्छा नहीं रख सकते।

    जब हम किलर (प्राणघातक) डॉक्टर के साथ होते हैं, और व्याकुल होते हैं, तो हमारा शरीर घबराये हुए अणु का निर्माण करता है, जो न केवल एड्रीनल ग्रंथियों में बनते है बल्कि पूरे शरीर में हर जगह बनते है। तब हमारा मस्तिष्क एक अस्पष्ट संकेतों को पाता है। इस समय हमारी जागृति में बुद्धिमत्ता की एक अस्पष्ट भावना होती है, प्रतिरोधी कोशिकाएं यह सुन रही होती है और उसी तरह के रसायन का निर्माण करती हैं, वास्तव में प्रतिरोधी कोशिकाएँ चेतन अवस्था में अपनी धारणाओं, बुद्धि और भावनाओं के साथ छोटी-सी जीव धारी होती है।

    यह रहस्यमयी लग सकता है परंतु यह वैज्ञानिक तथ्य है। हमारे पास एक चिंतनशील प्रतिरोधी तंत्र है जो यह जानता है कि कैसे एक हानिकारक और मित्रवत बैक्टीरिया तथा एक कैंसरजनक और हानिरहित रसायन के बीच अंतर किया जाता है। जब आपके शरीर की किसी जीवाणु से मुठभेड़ होती है तो शरीर उस जीवाणु के लिए त्रुटिहीन एंटी-बॉडी बनाता है। हालांकि उसकी मुठभेड़ पहले कभी नहीं हुई हो, तब भी यह जीवाणु जाति के पूर्व इतिहास के प्रथम समय को याद करता है। हमारे पास इनविजिबल डॉक्टर की एक आंतरिक फार्मेसी है जो पूर्णतः अति उत्तम है। हम इसे नाम देते हैं, और शरीर इसे बिना किसी साइड इफेक्ट के सही डोज में सही समय और सही अंग के लिए बनाता है, तथा सभी निर्देश पैकेज पर दिए होते है। यह क्षमता गहरी बुद्धिमत्ता दर्शाती है और वास्तव में हमारा पूरा शरीर इस बुद्धिमत्ता के क्षेत्र से बना हुआ

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1