मेरे काव्य सन्देश
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तन्हाई से लड़ता हूँ ,
खुद से बातें करता हूँ।
भीड़ में एक चेहरा नज़र नहीं आता
कोई पहचाना सा नज़र नहीं आता ।
यूं तो पराया कोई नहीं ,
कोई अपना सा नज़र नहीं आता ।
Ravi Ranjan Goswami
रवि रंजन गोस्वामी भारतीय राजस्व सेवा में सहायक आयुक्त (सीमाशुल्क) हैं। साथ ही आप एक लोकप्रिय कहानीकार और कवि हैं। आप झाँसी निवासी है। सम्प्रति कोचीन ,केरल , भारत में निवास करते हैं।
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मेरे काव्य सन्देश - Ravi Ranjan Goswami
समर्पण
केश एवं दिविता
1
एक भीगी शाम का स्मृति चित्र
काली घटाएँ , साँझ , तेज हवायेँ और बारिश की फुहारें।
छातों में सिमटते दामन बचाते लोग
उड़ते आँचल ,भीगते बदन तेज कदम लड़कियां ।
सड़क में गड्ढे ,गड्ढों में पानी छपा छप ।
बगल से गुजरती बाइक उछालती छपाक, मटमैला पानी ।
मढ़ैया के ऊपर छाये आम के पेड़ पर पक्षियों का कलरव।
किसी घर के दरवाजे पर बच्चों को तकती माँ ।
किसी अटारी के झरोखे से झाँकती प्रतीक्षारत नायिका ।
नुक्कड़ के ढाबे पर खौलती चाय ,गर्म चाय की चुसकियों पर बहसें और किस्से ।बारिश रुकने तक ।
उन किस्सों में कुछ किस्से हमेशा अधूरे रह जाते थे।
और इंतजार होता फिर किसी वैसी शाम का।
रात को तो घर लौटना ही होता था ,
2
दर्द
जब दर्द न था,
जिंदगी का पता न था ।
अब लंबी उम्र की दुआ ,
ख़ौफ़ज़दा करती है ।
अपनी मर्ज़ी से मैं,
न आया, न जाऊँगा ।
होगी विदाई बिना मर्जी ।
पुकारता हूँ तो वो नहीं सुनता ,
क्यों आवाज़ दूं उसे ,ए जिंदगी ।
दिखलाके आइना ,
चेहरा उसे दिखाए कोई ।
सुनते है बड़ा मोम है ।
मैं बेतजुर्बा हूँ ।
मुझे मालूम नहीं ।
3
प्यार करना नहीं आता
तन्हाई से लड़ता हूँ ,
खुद से बातें करता हूँ।
भीड़ में एक चेहरा नज़र नहीं आता
कोई पहचाना सा नज़र नहीं आता ।
यूं तो पराया कोई नहीं ,
कोई अपना सा नज़र नहीं आता ।
महरबानियाँ जरूर करते हैं सभी ,
मोहब्बत करना मगर नहीं आता ।
कैसे कम हो रंजिशें जमाने में
लड़ना खूब आता है ,
मगर प्यार करना नहीं आता । .
४
धूप और गौरैया (काव्य प्रयोग )
पहले एक दीवार पर आती है,
फिर उतर आती है ,
आँगन में ।
फिर