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मेरे काव्य सन्देश
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मेरे काव्य सन्देश

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About this ebook

तन्हाई से लड़ता हूँ ,
खुद से बातें करता हूँ।

भीड़ में एक चेहरा नज़र नहीं आता
कोई पहचाना सा नज़र नहीं आता ।

यूं तो पराया कोई नहीं ,
कोई अपना सा नज़र नहीं आता ।

Languageहिन्दी
Release dateJun 30, 2020
ISBN9781393734017
मेरे काव्य सन्देश
Author

Ravi Ranjan Goswami

रवि रंजन गोस्वामी भारतीय राजस्व सेवा में सहायक आयुक्त (सीमाशुल्क) हैं। साथ ही आप एक लोकप्रिय कहानीकार और कवि हैं। आप झाँसी निवासी है। सम्प्रति कोचीन ,केरल , भारत में निवास करते हैं। 

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    मेरे काव्य सन्देश - Ravi Ranjan Goswami

    समर्पण

    केश एवं दिविता

    1

    एक भीगी शाम का स्मृति चित्र

    काली घटाएँ , साँझ , तेज हवायेँ और बारिश की फुहारें।

    छातों में सिमटते दामन बचाते लोग 

    उड़ते आँचल ,भीगते बदन तेज कदम लड़कियां । 

    सड़क में गड्ढे ,गड्ढों में पानी छपा छप । 

    बगल से गुजरती बाइक उछालती छपाक, मटमैला पानी ।

    मढ़ैया के ऊपर छाये आम के पेड़ पर पक्षियों का कलरव। 

    किसी घर के दरवाजे पर बच्चों को तकती माँ । 

    किसी अटारी के झरोखे से झाँकती प्रतीक्षारत नायिका । 

    नुक्कड़ के ढाबे पर खौलती चाय ,गर्म चाय की चुसकियों पर बहसें और किस्से ।बारिश रुकने तक ।

    उन किस्सों में कुछ किस्से हमेशा अधूरे रह जाते थे। 

    और इंतजार होता फिर किसी वैसी शाम का। 

    रात को तो घर लौटना ही होता था ,

    2

    दर्द

    जब दर्द न था,

    जिंदगी का पता न था ।

    अब लंबी उम्र की दुआ ,

    ख़ौफ़ज़दा करती है ।

    अपनी मर्ज़ी से मैं,

    न आया, न जाऊँगा ।

    होगी विदाई बिना मर्जी ।

    पुकारता हूँ तो वो नहीं सुनता ,

    क्यों आवाज़ दूं उसे ,ए जिंदगी ।

    दिखलाके आइना ,

    चेहरा उसे दिखाए कोई ।

    सुनते है बड़ा मोम है ।

    मैं बेतजुर्बा हूँ ।

    मुझे मालूम नहीं ।

    3

    प्यार करना नहीं आता

    तन्हाई से लड़ता हूँ ,

    खुद से बातें करता हूँ।

    भीड़ में एक चेहरा नज़र नहीं आता 

    कोई पहचाना सा नज़र नहीं आता ।

    यूं तो पराया कोई नहीं ,

    कोई अपना सा नज़र नहीं आता ।

    महरबानियाँ जरूर करते हैं सभी ,

    मोहब्बत करना मगर नहीं आता ।

    कैसे कम हो रंजिशें जमाने में 

    लड़ना खूब आता है ,

    मगर प्यार करना नहीं आता । .

    धूप और गौरैया (काव्य प्रयोग )

    पहले एक दीवार पर आती है, 

    फिर उतर आती है ,

    आँगन में । 

    फिर

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