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मोहब्बत नहींतो कुछ भी नहीं
मोहब्बत नहींतो कुछ भी नहीं
मोहब्बत नहींतो कुछ भी नहीं
Ebook85 pages24 minutes

मोहब्बत नहींतो कुछ भी नहीं

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About this ebook

मेरी पहली किताब है, जायज है, बहुत गलतियाँ होंगी। गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ पर परफेक्ट का इंतज़ार मैं नहीं कर सका, किसी को भी नहीं करना चाहिए। किसी शायर ने कहा है कि "गुजर ना जाये कहीं उम्र एहतेयातों में, जो काम करने है वो दीवाना वार कर डाल।" तो बस कर डाला। कॉलेज की मोहब्बत से वादा किया था वो निभा रहा हूँ। ये किताब मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत के नाम लिखी गई है। इसमे उन कविताओं को शामिल किया गया है जो मैंने लोंग डिस्टेन्स रीलैशनशिप के दौरान लिखी थी। वक्त हमारे साथ था जो हमारी मोहब्बत मुक्कमल रही। जिसके लिए सफर तय किये वो आज हमसफर है। इस किताब में ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको मालूम नहीं होगा, पर बच्चन जी ने मधुशाला में कहा है कि "अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला, अपने युग में सबको अदभुत ज्ञात हुआ अपना प्याला।" बस ये किताब हमारी मोहब्बत की हाला का एक प्याला भर है, अनुपम, अद्भुत।

Languageहिन्दी
PublisherPencil
Release dateOct 14, 2021
ISBN9789354389924
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    मोहब्बत नहींतो कुछ भी नहीं - त्रिलोक मणी

    मोहब्बत नहीं तो कुछ भी नहीं

    BY

    त्रिलोक 'मणी'


    pencil-logo

    ISBN 9789354389924

    © Thrilok Mani 2021

    Published in India 2021 by Pencil

    A brand of

    One Point Six Technologies Pvt. Ltd.

    123, Building J2, Shram Seva Premises,

    Wadala Truck Terminal, Wadala (E)

    Mumbai 400037, Maharashtra, INDIA

    E connect@thepencilapp.com

    W www.thepencilapp.com

    All rights reserved worldwide

    No part of this publication may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval system, or transmitted, in any form, or by any means (electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise), without the prior written permission of the Publisher. Any person who commits an unauthorized act in relation to this publication can be liable to criminal prosecution and civil claims for damages.

    DISCLAIMER: The opinions expressed in this book are those of the authors and do not purport to reflect the views of the Publisher.

    Author biography

    त्रिलोक चंद मीना ( 'मणी' ) कोई लेखक नहीं है, ना ही कोई कवि। वो तो सिर्फ IIT Delhi से पढे एक इंजीनियर (Data Scientist) है जिन्हे भाषा

    का वो ज्ञान नहीं जो एक हिन्दी की किताब लिखने के लिए होना चाहिए।पर दिल की बाते तो बेजुबान भी कर लेते है, यही सोच कर उन्होंने अपनी

    ही भाषा शैली व अधूरे साहित्य ज्ञान से अपने दिल के कुछ अहसाह पंक्तिबद्द करके अपनी मोहब्बत, अपनी दोस्त, साथी और पत्नी को उनके

    तीसवें जन्मदिन पर एक पुस्तक के रूप में सप्रेम भेंट किए है।

    Contents

    वक़्त की कमी खलती है

    वक़्त की कमी खलती है.

    मिले ख्वाब हर एक नजर को

    जिंदगी क्या है

    तुम्हारे लिए

    तुम्हारे लिए.

    अलग ही महत्व हैं

    अलग ही महत्व हैं.

    बचपन

    नाव मेरी

    तब और अब

    कुछ पल जब तन्हा होता हूँ

    कुछ पल जब तन्हा होता हूँ.

    देख ख्वाब तू अलग तेरा

    कुछ पल गायब है

    तितली बन कर उढ़ा फिरुँ

    परछाई

    मन करता है

    मन करता है.

    सीख रहा हूँ

    ऐ जिंदगी

    ऐ जिंदगी.

    कितने पास हैं हम

    कितने पास

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