मिस्री वाद्ययंत्र
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About this ebook
यह पुस्तक प्राचीन मिस्र के प्रमुख वाद्ययंत्रों, उनकी श्रेणियों, और उन्हें बजाने की तकनीकों का वर्णन करती है।
स पुस्तक में पांच अध्याय हैं:
अध्याय 1: वाद्ययंत्रों के ख़ज़ाने में मिस्र के वाद्ययंत्रों की सामान्य विशेषताओं और ऑर्केस्ट्रा के प्रमुख घटकों को समेटा जाएगा।
अध्याय 2: तार वाले वाद्ययंत्र में प्राचीन मिस्र के तार वाले विभिन्न वाद्ययंत्रों जैसे कि लायर, ट्राई-गोनोन (ज़िथर), हार्प आदि के बारे में जानकारियों को उन्हें बजाने की तकनीक सहित शामिल किया जाएगा; हार्प—बजाने की तकनीकें; प्राचीन मिस्र के गर्दन युक्त तार वाले वाद्ययंत्र —जैसे कि छोटी गर्दन वाली ल्यूट; लंबी गर्दन वाले मिस्री गिटार; और धनुषाकार कमंगा, राबाबा, आदि की सभी निहित क्षमताओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
अध्याय 3: वायु-वाद्य में खुले सिरे वाली बांसुरी, आड़ी बांसुरी, पैन बांसुरी, सिंगल रीड पाइप (क्लैरिनेट), डबल पाइप, डबल क्लैरिनेट, डबल ओबोए, अर्गुल तथा अन्य जैसे (बैगपाइप और ऑर्गन); और सींग/तुरहियों आदि को कवर किया जाएगा।
अध्याय 4: तालवाद्य में ड्रम और डफ जैसे झिल्लीदार वाद्ययंत्रों और ताल-छड़ी, खड़ताल, सिस्ट्रम/सिस्त्रा, झांझ, मजीरा, घंटी (झंकार), ज़ाइलोफोन और ग्लॉकेन्सपीएल और मानव अंगों (हाथ, उंगलियां, जांघों, पैर, आदि) जैसे गैर- झिल्लीदार वाद्यों पर प्रकाश डाला जाएगा।
अध्याय 5: संगीत का प्रदर्शन में संगीत प्रदर्शनों को बनाने और निर्देशन में उंगलियों और उनके पोरों के महत्व और भूमिका के बारे में बताया जाएगा साथ ही—लिखित प्रतीकों के उपयोग सहित—तालबद्ध समय/गति को बनाए रखने के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डाला जाएगा।
Moustafa Gadalla
Moustafa Gadalla is an Egyptian-American independent Egyptologist who was born in Cairo, Egypt in 1944. He holds a Bachelor of Science degree in civil engineering from Cairo University. From his early childhood, Gadalla pursued his Ancient Egyptian roots with passion, through continuous study and research. Since 1990, he has dedicated and concentrated all his time to researching and writing. Gadalla is the author of twenty-two published internationally acclaimed books about the various aspects of the Ancient Egyptian history and civilization and its influences worldwide. In addition he operates a multimedia resource center for accurate, educative studies of Ancient Egypt, presented in an engaging, practical, and interesting manner that appeals to the general public. He was the Founder of Tehuti Research Foundation which was later incorporated into the multi-lingual Egyptian Wisdom Center (https://www.egyptianwisdomcenter.org) in more than ten languages. Another ongoing activity has been his creation and production of performing arts projects such as the Isis Rises Operetta and Horus The Initiate Operetta; to be followed soon by other productions. Check Egyptian Wisdom Center website regularly.
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मिस्री वाद्ययंत्र - Moustafa Gadalla
मिस्री वाद्ययंत्र
मुस्तफ़ा गदाला (Moustafa Gadalla)
तेहुति रिसर्च फाउंडेशन
अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालयः ग्रीन्सबोरो, उत्तरी कैरोलिना, संयुक्त राज्य अमरीका
मिस्री वाद्ययंत्र
मुस्तफा गदाला कृत
अंग्रेजी से अनुवाद वाक्यांश की बारी
समीक्षा के तौर पर संक्षिप्त उद्धरण शामिल किए जाने को छोड़ कर, इस पुस्तक का कोई भी अंश, लेखक के लिखित अनुमति के बिना, फोटोकॉपी, रिकार्ड अथवा सूचना संग्रहण एवं प्राप्ति की तकनीक सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक तरीके से पुर्नउत्पादित या प्रेषित नहीं किया जा सकता है।
कॉपीराइट 2018 मुस्तफा ग़दाला, सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशकः
तेहुति रिसर्च फाउंडेशन
पी.ओ. बॉक्स 39,491
ग्रीन्सबोरो, उत्तरीकैरोलिना, 27438, यूएसए
Contents
लेखक के बारे में
प्रस्तावना [द्वितीय संस्करण]
प्रस्तावना [प्रथम संस्करण]
मानक और शब्दावली
मिस्र का मानचित्र
अध्याय 1 : वाद्ययंत्रों के खज़ाने
1.1 मिस्री वाद्ययंत्र
1.2 मिस्री वाद्ययंत्रों की सामान्य विशेषताएं
1.3 प्राचीन (और वर्तमान) मिस्र में संगीतकार
1.4 ऑर्केस्ट्रा
अध्याय 2 : तार वाले वाद्ययंत्र
2.1 सामान्य
2.2 लायर
2.3 ट्राई-गोनोन / ट्राई-कानोन (ज़िथर)
2.4 हार्प
2.5 तैनबोरस या तम्बूरा (गर्दन युक्त तार वाले वाद्ययंत्र )
अध्याय 3 : वायु-वाद्य
3.1 जादुई नाय (खुले सिरे वाली बांसुरी)
3.2 आड़ी बांसुरी
3.3 पैन-बांसुरी
3.4 एक सरकंडे (रीड) वाली पाइप (क्लैरिनेट)
3.5 डबल पाइप
3.6 युगल भोंपू/तुरही
अध्याय 4 : तालवाद्य
4.1 झिल्लीदार तालवाद्य
4.2 गैर-झिल्लीदार-(इडियोफोन) तालवाद्य
4.3 मानव अंग (हाथ, उंगलियां, जांघ, पैर, आदि)
अध्याय 5 : संगीत का प्रदर्शन
5.1 मेरित के लयबद्ध हाथ
5.2 लिखित ध्वनियाँ
5.3 समयबद्ध लय (रिद्मिक टाइमिंग)
5.4 मूड और मोड (भाव और माहौल)
शब्दावली
चयनित ग्रंथसूची
स्रोत और विवरण
टीआरएफ प्रकाशन
लेखक के बारे में
सन् 1944 में मिस्र के काहिरा में पैदा हुए मुस्तफ़ा गदाला मिस्री मूल के एक स्वतंत्र अमेरिकी मिस्री-पुरातत्वशास्त्री हैं। उन्होंने काहिरा विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है।
गदाला, प्राचीन मिस्र के इतिहास और सभ्यता के विभिन्न पहलुओं और उसके विश्वव्यापी प्रभावों के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित बाईस पुस्तकों के लेखक हैं। उनकी कई अन्य रोमांचक किताबें और वीडियो श्रृंखलाएं निकट भविष्य में प्रकाशित होने के इंतज़ार में हैं।
वह तेहुति रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं (https://www.इजिप्ट-tehuti.org) – जो प्राचीन मिस्र के अध्ययन के लिए समर्पित अमेरिका स्थित, एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है। वह ऑनलाइन इजिप्शियन मिस्टिकल यूनिवर्सिटी (https://www.इजिप्शियनMysticalUniversity.org) के भी संस्थापक और प्रमुख हैं।
गदाला बचपन से ही, पूरे जोशो-जुनून के साथ अपने प्राचीन मिस्री जड़ों को निरंतर अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से तलाशते रहे हैं। 1990 के बाद से उन्होंने, अपना सारा ध्यान और समय शोध और लेखन के लिए समर्पित कर दिया।
प्रस्तावना [द्वितीय संस्करण]
यह किताब मुस्तफ़ा गदाला द्वारा 2004 में मूलतः प्रकाशित पुस्तक मिस्री वाद्ययंत्र का एक संशोधित और विस्तारित संस्करण है। यह नया संस्करण विस्तृत है और जिसमें पिछले संस्करण के लेख भी शामिल हैं।
यह पुस्तक प्राचीन मिस्री वाद्ययंत्रों के विस्तृत खज़ाने और बजाने की तकनीकों से रूबरू कराती है, और साथ ही साथ संगीतकारों और ऑर्केस्ट्रा द्वारा हाथ के संकेतों और लिखित संगीत के नोट्स का पालन करने के बारे में संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत करती है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीडीएफ और ई-बुक प्रारूप में प्रकाशित इस पुस्तक के डिजिटल संस्करण में काफ़ी सारी तस्वीरें हैं जो किताब की पाठ्य सामग्री में इज़ाफ़ा करती हैं।
इस किताब में मुस्तफ़ा गदाला की पुस्तक द एंड्यूरिंग एनसियंट इजिप्शियन म्यूजिकल सिस्टम: थ्योरी एंड प्रैक्टिस से चुने गए अंश (भाग) शामिल हैं।
मुस्तफ़ा गदाला
प्रस्तावना [प्रथम संस्करण]
हमारी पुस्तक इजिप्शियन रिदम: द हेवेनली मेलोडीज़ मिस्री संगीत, सुर, और नृत्य के लयबद्ध रूपों के ब्रह्मांडीय जड़ों को प्रस्तुत करती है। यह मूलभूत सिद्धांतों (सिद्धांत और व्यवहार) का ठेठ मिस्री तरीके यानी सरल, सुसंगत और व्यापक तरीके से विवरण देती है। इसके अलावा, यह प्रमुख मिस्री वाद्ययंत्र और उनको बजाने की तकनीक, कार्य, आदि का विस्तृत वर्णन करती है। यह जीवन के सभी पहलुयों में मिस्री लयबद्ध व्यवहार का भी वर्णन करती है।
हमें लगा कि अधिकतर पाठकों को प्राचीन मिस्री संगीत के विस्तृत सिद्धांतों और प्रथाओं में रुचि नहीं होगी। इसलिए हमने प्राचीन मिस्री वाद्ययंत्रों के विस्तृत खज़ाने और बजाने की तकनीकों की एक अलग पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय लिया। हमने इसमें संगीतकार और ऑर्केस्ट्रा के हाथों के संकेतों और लिखित संगीत को समझने की विधियों के बारे में संक्षिप्त अवलोकन भी शामिल किया है।
मुस्तफ़ा गदाला
मानक और शब्दावली
1. इस समूचे पुस्तक में, सप्तक की श्रेणियों के नाम निम्न प्रणाली के अनुसार हैं:
c3 c2 c1 c c1 c2 c3
<—निम्न सप्तक –<—|—>– उच्च सप्तक—>
2. अंग्रेज़ी के कैपिटल लेटर्स (C, D, E, इत्यादि) बिना किसी विशिष्ट सप्तक (ऑक्टेव) श्रेणी वाले सामान्य पिचों (स्वरमान) के नामों के लिए आरक्षित हैं।
3. प्राचीन का मिस्री शब्द नेतेर और उसके स्त्रीलिंग नेतेर्त का लगभग सभी विद्वानों द्वारा गलत तरीके से और संभवतः जानबूझकर देवी और देवता के तौर पर अनुवाद किया गया। वास्तव में नेतेरु का मत्लब(नेतेर/नेतेर्त का बहुवचन) एक सर्वशक्तिमान ईश्वर के दिव्य नियम और कार्य हैं।
4. आपको आमेन/आमोन/आमुन या पीर/पेर जैसे प्राचीन मिस्री शब्दों के लेखन में अंतर मिल सकता है। इसका कारण मिस्री लेखों के अनुवाद में पाए जाने वाले ‘स्वर’ हैं, जो वास्तव में केवल ध्वनियों के अनुमान मात्र हैं, इनका इस्तेमाल पश्चिमी मिस्री पुरातत्वशास्त्रियों द्वारा प्राचीन मिस्री शब्दों का आसानी से उच्चारण करने के लिए किया जाता है।
5. हिन्दी भाषियों के लिए नेतेर्त/नेतेर (देवी, देवता) फ़िरऔन या शहर जैसे जाने पहचाने शब्दों का उपयोग करेंगे और उसके बाद उन शब्दों के अन्य विविधताओं को सामने रखेंगे।
यह ध्यान देने वाली बात है, कि देवताओं के लौकिक शक्ति की रक्षा के लिए उनका (देवी-देवताओं) असली नाम गुप्त रखा गया था। नेतेरु को उनके विशेष गुणों, विशेषता और/या उनकी भूमिकाओं का वर्णन करने वाले विशेषणों से संबोधित किया जाता था। यह बात, इसिस, ओसीरिस, आमुन, रे, होरस, आदि सभी सामान्य शब्दों के लिए लागू होती है।
6. लैटिन कैलेंडर का उपयोग करते समय, हम निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करेंगेः
ईसापूर्व – ईसा से पहले। अन्य संदर्भों में इसे ई.पू. के रूप में भी उल्लेख किया गया है।
ईस्वी – ईसा के बाद। अन्य संदर्भों में इसे ई. के रूप में भी उल्लेख किया गया है।
7. इस पुस्तक में बलदी शब्द का प्रयोग, वर्तमान मिस्री ऐसे मूक बहुसंख्यकों को निरूपित करने के लिए किया जाएगा, जो इस्लाम के महीन आवरण के भीतर प्राचीन मिस्री प्रथाओं का पालन करते हैं। (विस्तृत जानकारी के लिए देखें, मुस्तफा गदाला कृत प्राचीन मिस्री संस्कृति का रहस्योद्घाटन)
मिस्र का मानचित्र
अध्याय 1 : वाद्ययंत्रों के खज़ाने
1.1 मिस्री वाद्ययंत्र
मिस्री संगीत का पुरातात्विक और पारंपरिक इतिहास किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक समृद्ध है। प्राचीन मिस्री मंदिरों और मक़बरों की दीवारों पर बने भित्ति-चित्रों में, भिन्न-भिन्न आकार और प्रकार वाले वाद्ययंत्रों, उनके वादन और समायोजन