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Body Language (Hindi): State of mind that different body postures & gestures reveal -  Hindi
Body Language (Hindi): State of mind that different body postures & gestures reveal -  Hindi
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Body Language (Hindi): State of mind that different body postures & gestures reveal - Hindi

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About this ebook

Vartman me sarvjanik jivan jine wale pratyek vykti chahe vah vidhyarthi, grihni ya koi aur ho khastaur par office mai kaam karne walo ke liye achhi personality aur behtar communication skill ka hona anivarya hai. Body language communication ka ek mahatavpuran ang hai jise kabhi najarandaj nahi kiya ja sakta. Lekhak Arun Sagar Anand ne prastut pustak me shararik haw-bhaw sambandhit tathyo ke saath aavshyak chitron ka vistrit varanan kiya hai. Shararik bhaw bhangimao ki takniki samajh hamare vayktitav me to sudhar lati hi hia. Sath hi anya logo ke bich humari ek alag chavi viksit karti hai. Is pustak ki sahayata se aap body language ke sabhi gudh sanketo ko pehchan apne vyaktitava me mahatvpurn vikas kar sakte hai aur anchahi samsayaon se bhi bach sakte hai. Pustak saral evam sateek tarike se shararik bhashaon ki avayshak jankari pathako tak pahuchati hai yah pustak apke career ko unnati ke shikhar par le jane me avashya sahayak siddh hogi.(At present, every person who lives in public life, whether it is a student, housewife or someone else, especially for those who work in the office, good personality and skills are required to communicate the skills. The body language communication is a great source of information that has not yet been provided.Writer Arun Sagar Anand has given detailed explanation of the necessary pictures along with facts related to physical habit in the book presented.The technical understanding of the body language can be improved only in our personality. Also develops a different image between other people.With the help of this book you can identify all the esoteric signs of body language and make important developments in your personality and also avoid unnecessary problems.The book conveys the essential information related to body languages to the readers in a simple and accurate way. This book brings your career to the summit of advancement.) #v&spublishers
Languageहिन्दी
Release dateJul 29, 2013
ISBN9789350573518
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    Body Language (Hindi) - EDITORIAL BOARD

    दिल्ली-110020

    प्रकाशकीय

    वी एण्ड एस पब्लिशर्स अपार हर्ष के साथ अपनी नवीनतम पुस्तक ‘बॉडी लैंग्वेज’ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यों तो बाजार में इस विषय पर अनेकों पुस्तकें उपलब्धा हैं परन्तु हमने सर्वश्रेष्ठ पुस्तक देने का प्रयास किया है।

    यह पुस्तक कई मायनों में अन्य पुस्तकों से अनुठी और उत्कृष्ट है। पुस्तक में लेखक ने लम्बे समय तक शोध के पश्चात् मानव जीवन के रोजमर्रा व्यवहार में आने वाले मानवीय भाव-भंगिमा के पीछे छिपे गूढ़ अर्थों को सरल किन्तु आकर्षक भाषा में आपके समक्ष पेश किया है। जिस प्रकार मनुष्य की एक निश्चित प्रकृति होती है जिसके अनुरूप वह दूसरों के साथ व्यवहार करता है। ठीक उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य के भाव-भंगिभा की एक विशिष्ट शैली होती है। बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग आदिकाल से निरंतर जारी है। बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग एक अबोधा शिशु से लेकर युवा, वृद्ध सभी करते हैं।

    बॉडी लैग्वेज़ जिसे हम देह-भाषा भी कहते हैं, वास्तव में किसी व्यक्ति के हाव-भाव, मुद्राओं व किस प्रकार अपनी अभिव्यक्ति करता है उसके सम्मिलित मिश्रण को समझने की कला है।

    इस पुस्तक में लेखक ने संक्षिप्त में सरलतापूर्वक यह बताया है कि आपकी देह-भाषा आपके बारे में बहुत कुछ कहती है अतः कब कहाँ कैसी देह-भाषा होनी चाहिए व किस प्रकार आप किसी सहयोगी की देह-भाषा की व्याख्या कर सकते हैं, इसका सम्पूर्ण विवरण इस पुस्तक में चित्रें सहित दिया गया है।

    आशा है यह पुस्तक आपका मनोरंजन करने के साथ-साथ ज्ञानवर्द्धन भी करेगी।

    प्रस्तावना

    प्रिय पाठकों! पिछले कुछ सालों में सारे संसार में शरीर की भाषा, मानव विज्ञान के अध्ययन का एक महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है। शोधकर्ताओं ने शरीर की विभिन्न मुद्राओं पर गहन शोध कर इस विषय पर कई बहुमूल्य मोती खोज निकाले हैं। शरीर की मुद्राएँ मनुष्य के अवचेतन मन का दर्पण होती है और यह उसके व्यक्ति की सच्ची भावनाओं व इच्छाओं को व्यक्त करती हैं। एक लम्बे अंतराल तक शरीर की मुद्राएँ व भाव-भंगिमाएँ मानव विज्ञान के लिए कौतुहल के विषय बने रहे। फिर वैज्ञानिकों के सामने, एक सच्चाई सामने आयी कि मुद्राएँ मुँह से बोले जाने वाले शब्दों का समर्थन करने के लिये शरीर द्वारा मूक अभिनय मात्रा नहीं है, बल्कि इसका अपना स्वतन्त्र अस्तित्व है और ये मानव मन की सच्ची भावनाओं को व्यक्त करती हैं। शारीरिक मुद्राएँ मुँह से बोले जाने वाले शब्दों की दासी नहीं है। मुँह से जब भी कोई झूठ निकलता है तो शरीर अपनी मुद्राओं द्वारा सच्चाई व्यक्त कर उसका प्रतिरोध करता है। शरीर की भाषा की इस अनोखी विशेषता ने विशेषज्ञों को अपनी ओर काफ़ी आकर्षित किया है।

    आज सारे संसार में दो प्रकार की भाषाओं का वर्चस्व है। पहली-वाचक भाषा और दूसरी-मूक भाषा। वाचक भाषा से हमारा तात्पर्य है, मुँह की ध्वनि के द्वारा अपनी क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं एवं भावनाओं की अभिव्यक्ति, जो हमारे कानों द्वारा सुनी जाती है। वाचक भाषाएँ कई प्रकार की होती है। हमारे देश भारत में कई प्रकार की भाषाओं का प्रचलन है।

    मूक या मौन भाषा वह है, जिसमें ध्वनि संप्रेषण के द्वारा अभिव्यक्ति नहीं की जाती, बल्कि शारीरिक अंगों की क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं द्वारा अभिव्यक्ति की जाती है। इसमें भी दो प्रकार की भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें हम व्यक्त और अव्यक्त मूक भाषा कह सकते हैं। व्यक्त मूक भाषा वह है जिसमें अभिव्यक्ति जान-बूझकर की जाती है, ताकि जिसके लिये अभिव्यक्ति की जा रही है, वह आसानी से इसे समझ सके। उदाहरण के तौर पर आँखों के इशारे मात्रा से कुछ कहना, मुस्कराना, गुस्सा करना, उदास होना, खिन्न होना, उत्तेजित होना, पैर पटकना और खुशी व्यक्त करना आदि।

    इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अव्यक्त मूकभाषा में अभिव्यक्ति और व्यक्तित्व दोनों गुप्त रूप से विद्यमान तो रहते हैं, परन्तु यह आम इनसान की समझ से परे होते हैं। इन्हें समझने के लिये आवश्यकता होती है अतिरिक्त सूझबूझ और दूरदर्शिता की, तभी हम इस मूक भाषा को अच्छी तरह समझ सकते हैं।

    आजकल दैहिक अथवा शारीरिक भाषा के मनोविज्ञान का उपयोग और महत्त्व सारे संसार में आवश्यक माना जा रहा है, जिसके फलस्वरूप कई विद्वान, बुद्धिजीवी इस विषय पर शोध कार्य कर रहे हैं, जिनका नाम उन्होंने बॉडी लैंग्वेज़ दिया है। इस विषय पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और आगे भी होती रहेगीं, क्योंकि समन और नियम के अनुसार इसमें आगे भी परिवर्तन होते रहेंगे।

    भारत में भी इस विषय पर पिछले कई सालों से शोध किये जा रहे हैं एवं इस विषय पर और जागरूक होने की आवश्यकता को स्वीकार किया जा रहा है, इसलिए इस महत्त्वपूर्ण विषय पर अनेकानेक लेख एवं पुस्तकें लगातार प्रकाशित हो रही हैं।

    प्रसिद्ध मनोविज्ञानिक सिगमण्ड फ्रॉयड जब अपने क्रान्तिकारी विचारों और मनोविश्लेषण के सिद्धान्तों को लेकर आये तो शरीर की भाषा यथार्थ को जानने का एक सशक्त माध्यम बनी। मुँह से बोले गये शब्द तो प्रायः सच पर झूठ का पर्दा डालने का काम करते थे, परन्तु हाव-भाव व मुद्राएँ मन की सच्चाई को अभिनीत करती रहीं। बाद के वर्षों में यह मानव मन को टटोलने का अच्छा साधन बन गया। बॉडी लैंग्वेज उच्चाधिकारियों, प्रबंधकों, वकीलों व चिकित्सकों के लिये वरदान साबित होने लगी, क्योंकि जिन लोगों से इनका पाला पड़ता था, वे संकोचवश या किसी अन्य कारण से अधिकतर सच को छिपाने की कोशिश करते थे। बाद में तकनीक और प्रतियोगिता की वजह से इसका दखल जीवनशैली के प्रत्येक क्षेत्र में होने लगा। बॉडी लैंग्वेज व्यक्ति की वास्तविक मनोस्थिति को दर्शाती है। इससे शरीर की भाषा का महत्त्व और भी बढ़ गया। जिन लोगों का दूसरे लोगों से व्यावसायिक रूप से वास्ता पड़ता था, उन्हें शरीर की भाषा के विभिन्न पहलुओं पर विशेष शिक्षा दी जाने लगी, क्योंकि दूसरों की मंशा जानने का यह सबसे सच्चा व प्रामाणिक साधन था। इसके महत्त्व को समझते ही आम लोगों में इसके प्रति रुचि बढ़ी तथा लोग शरीर की भाषा से सम्बन्धित साहित्य पढ़़ने लगे। लोगों ने पाया कि शरीर की भाषा समझना घरेलू, पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर भी लाभदायक तथा अतिमनोरंजक है।

    शरीर की भाषा (बॉडी लैंग्वेज) के रहस्यमय संसार से भारतीय पाठकों का परिचय करोने की इच्छा ने ही मुझे यह पुस्तक तैयार करने की प्रेरणा दी। यह पुस्तक कोई शोध ग्रन्थ अथवा रिसर्च पेपर नहीं है। यह पुस्तक पाठकों को शरीर की भाषा (बॉडी लैंग्वेज) के बारे में (हाव भाव तथा विभिन्न शारीरिक मुद्राओं से) परिचय कराती है। इस पुस्तक को पढ़कर हर व्यक्ति शारीरिक मुख्य मुद्राओं के गूढ़ अर्थ समझकर अपने ज्ञान को एक नया आयाम दे सकता है।

    प्रस्तुत पुस्तक में मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों को ध्यान में रखते हुए उनका चित्रंकन भी दिया गया है और साथ ही इस पुस्तक में अत्यन्त सरल एवं रोचक भाषा का प्रयोग किया गया है, जो रुचिकर होने के साथ ज्ञानवर्धाक भी है।

    प्रस्तुत पुस्तक में जिन रोचक क्रियाकलापों का सचित्र वर्णन किया गया है, जिनसे व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व की गुप्त भाषा को आसानी से पढ़कर समझा जा सकता है जैसे- उठने-बैठने, खड़े होने, कुर्सी पर बैठने, अभिवादन तथा बातचीत इत्यादि। इन मुद्राओं के द्वारा बिना कुछ कहे, बिना कुछ पूछे, केवल देखने भर से ही आप सामने खड़े व्यक्ति के विशेष व्यक्तित्व की पहचानकर सकते हैं और दैनिक जीवन में उसका उपयोग कर लाभान्वित हो सकते हैं।

    इस पुस्तक में दी गयी जानकारियों और अनुमान को गणितीय सूत्रों की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि हमारे परिवेश और सोचने के तरीक़ों का बड़ा महत्त्व है। अतः सिद्धान्तों में लचीलापन होना चाहिए।

    पुस्तक को लिखते समय इस बात का खासतौर पर ध्यानरखा गया है कि सामग्री पठनीय और रुचिकर हो। मुझे यक़ीन है कि यह पुस्तक आपको रुचिकर व ज्ञानवर्धाक लगेगी और शरीर की भाषा को पढ़ सकने के रूप में आपके ज्ञान के लिये मील का पत्थर साबित होगी। हमें आपके बहुमूल्य सुझाव की प्रतीक्षा रहेगी।

    -अरुण सागर ‘आनन्द’

    विषय-सूची

    बॉडी लैंग्वेज़

    चेहरे (आँख, नाक, कान, गला, ठोड़ी) की दैहिक भाषा

    हथेली, अँगुली, हाथों व अँगूठे की दैहिक भाषा

    अभिवादन (नमस्ते तथा चरण स्पर्श) की दैहिक भाषा

    हाथ मिलाने की दैहिक भाषा

    बातचीत की दैहिक भाषा (मोबाइल का प्रयोग)

    चलने, बैठने तथा खड़े होने की दैहिक भाषा

    प्रेम निमन्त्रण के भाव और स्त्रियों की दैहिक भाषा

    झूठ के रूप अनेक

    निर्जीव वस्तुओं से सम्बन्धित दैहिक भाषा

    क्षेत्र और सीमायें

    इंटरव्यू के दौरान दैहिक भाषा

    अन्य लोकप्रिय मुद्राएँ और मानव व्यवहार

    लिखने का ढंग और दैहिक भाषा

    और संक्षेप में

    बॉडी लैंग्वेज़

    क्या है बॉडी लैंग्वेज

    जब आपके अन्दर किसी विशेष उपलब्धि का अहसास होता है तब आप स्वाभिमान के साथ सिर को ऊँचा कर चलते हैं। चाल में मस्ती होती है। ठोड़ी ज़रा ऊपर होती है, लेकिन जब आप निराश होते हैं तो आपके क़दम दायें-बायें डोलने लगते हैं और कभी लड़खड़ा भी जाते हैं। जब भय से परेशान होते हैं, तब पलकें बहुत झपकती हैं। लुईविले विश्वविद्यालय के प्रो. रे बर्डहि्वसल ने इन व्यवहारों को बॉडी लैंग्वेज़ की संज्ञा दी, जिसका हिन्दी रूपांतर है-दैहिक भाषा।

    यह संप्रेषण (Communication) की एक विधि है, जिसे अशाब्दिक संप्रेषण कहते हैं। इस विधि में भाव-मुद्राओं तथा संकेतों का प्रयोग किया जाता है, जिनके द्वारा अन्य व्यक्ति संप्रेषक की मनःस्थिति को अच्छी तरह समझ लेता है। अशाब्दिक माध्यम का प्रयोग व्यक्तिगत भावनाओं को संप्रेषित करने के लिये किया जाता है। हॉलीबुड के प्रसिद्ध अभिनेता चार्ली चैपलिन अशाब्दिक संप्रेषण की खूबियों के प्रणेता थे।

    शुरुआत में जब हमने अपनी भावों की अभिव्यक्ति के लिये शब्दों को नहीं गढ़ा था, तब हम अशाब्दिक भाषा का ही प्रयोग किया करते थे। शोधकर्ताओं के अनुसार, अल्बर्ट मेंहरेबियन ने अपने अध्ययन में यह पाया कि किसी संदेश का असर केवल 7 प्रतिशत शाब्दिक होता है, जबकि वाणी का प्रभाव 38 प्रतिशत और 55 प्रतिशत भाव अशाब्दिक होता है। प्रो- बर्डहि्वसल ने भी कहा है कि आमने-सामने की बातचीत में शाब्दिक पहलू 35 प्रतिशत से भी कम होता है और संप्रेषण का 65 प्रतिशत से भी ज़्यादा भाग अशाब्दिक होता है। आजकल अशाब्दिक संप्रेषण का प्रयोग अधिक मात्रा में हो रहा है।

    तकनीकी दृष्टिकोण विशेषज्ञ उसी व्यक्ति को अंतःबोधापूर्ण कहते हैं, जिसमें दूसरे व्यक्ति के अशाब्दिक संकेतों को समझने की विशेष योग्यता होती है। उनके अनुसार महिलाओं में जन्मजात ही पुरुषों की अपेक्षा समझने की क्षमता ज्यादा होती है। उनकी नज़र भी इतनी पैनी होती है कि उन्हें ये बारीकियाँ बहुत जल्दी दिख जाती हैं। इसलिए ऐसे बहुत कम पति होंगे जो अपनी पत्नियों से सफलतापूर्वक झूठ बोल पाते हैं। यह नारी अंतर्बोघ उन महिलाओं में विशेष रूप से नज़र आता है, जिन्होंने अपने बच्चों को पाला है, क्योंकि शुरू के कुछ सालों में उन्हें बच्चे के साथ संवाद स्थापित करने के लिये केवल अशाब्दिक माध्यम पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

    उपयोगिता एवं महत्त्व

    हमारे जीवन में उपयोगिता का बड़ा महत्त्व है। जो भी चीज़ हमारे उपयोग में नहीं आती, उसे हम अपनी जीवन शैली से बाहर कर देते हैं। यह एक सहज मानवीय प्रवृति है। किसी भी चीज़ का महत्त्व उसकी उपयोगिता पर ही निर्भर करता है। ठीक इसी तरह बॉडी लैंग्वेज की भी यही स्थिति है। इसका हमारे जीवन में उपयोग हो रहा

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