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एनएल चर्चा 62: मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश, राहुल की न्याय योजना और अन्य
FromNL Hafta
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Length:
53 minutes
Released:
Mar 30, 2019
Format:
Podcast episode
Description
चुनावी गहमा-गहमी के बीच बीता हफ़्ता तमाम अच्छी-बुरी खबरों के साथ हिंदुस्तान के लिए एक उपलब्धि लेकर आया. इस हफ़्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत की हालिया उपलब्धि को बताते हुए राष्ट्र के नाम संदेश जारी संदेश, राहुल गांधी द्वारा चुनावी अभियान के तहत की एक बड़ी योजना ‘न्याय’ का ऐलान, पिछले हफ़्ते होली के रंगों को धूमिल करती हुई व सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाली गुड़गांव में एक मुस्लिम परिवार के साथ हुई हिंसक वारदात और सामाजिक कार्यकर्ता व अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ की झारखंड में हुई गिरफ़्तारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिपब्लिक भारत चैनल को दिया गया इंटरव्यू आदि चर्चा में विषय के तौर पर लिया गया.चर्चा में इस बार लेखक-पत्रकार अनिल यादव व हिंदुस्तान अख़बार के विशेष संवाददाता स्कंद विवेकधर शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ज़ारी राष्ट्र के नाम संदेश में उपग्रह को मार-गिराने की क्षमता के ज़िक्र के साथ चर्चा की शुरुआत हुई. अतुल ने पॉलिटिकल पार्टियों का हवाला देते हुए सवाल किया कि क्या इसकी ज़रूरत थी कि प्रधानमंत्री इतना ज़्यादा सस्पेंस बनाते हुए इसकी घोषणा करें? इसमें दूसरी बात यह भी शामिल की गई कि इसको भारत सरकार की तरफ़ से इस तरह पेश किया गया कि इसमें 1974 या 1998 में हुए परमाणु परीक्षण जैसी कोई बात है. आप इन दोनों ही बातों को किस तरह देखते हैं?जवाब देते हुए अनिल ने कहा, “वास्तव में प्रधानमंत्री को राष्ट्र के नाम विशेष संबोधन के ज़रिए इसे बताने की आवश्यकता नहीं थी. अगर राष्ट्र के नाम संबोधन की आवश्यकता थी तो वह पुलवामा हमले के समय ज़्यादा थी. पूरा देश उस समय बहुत सदमे में था, लोगों में नाराज़गी थी. वो एक बड़ी घटना थी, पूरे देश को हिला देने वाली. लेकिन उस वक़्त प्रधानमंत्री को यह ज़रूरत नहीं महसूस हुई कि राष्ट्र के नाम विशेष संबोधन दें. लेकिन ये जो घटना हुई कि तीन मिनट के भीतर अपने ही कबाड़ हो चुके एक उपग्रह को एक मिसाइल द्वारा नष्ट कर दिया गया तो उन्होंने पूरे देश को बताया. तो इसके पीछे जो मकसद है वो प्रोपेगैंडा का है.”इस घटना पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर- ‘विपक्ष हर चीज़ पर सवाल खड़े कर रहा है’- जैसी बात भारतीय जनता पार्टी व प्रधानमंत्री द्वारा बार-बार कही जा रही है. इस बात का ज़िक्र करते हुए अतुल ने सवाल किया कि अब जबकि इस समय आदर्श आचार संहिता लागू है तब इसे राजनीति के चश्मे से देखा जाए या नहीं?जवाब देते हुए स्कंद ने कहा, “ये कहना कि इसमें राजनीति नहीं है, बिल्कुल ग़लत होगा. प्रधानमंत्री ने अगर राष्ट्र के नाम संबोधन किया तो उन्होंने यह भी राजनीतिक नज़रिए से ही किया है क्योंकि अभी चुनाव सिर पर हैं और सत्तारूढ़ दल भाजपा चाहता है कि पूरा का पूरा चुनाव इस बात पर हो कि राष्ट्र के लिए मजबूती से निर्णय लेने वाला दमदार प्रधानमंत्री कौन है. वो पूरा नैरेटिव इस पर ही शिफ्ट कर रहे हैं. यह हमारी बड़ी उपलब्धि हैं, हम इनकार नहीं कर सकते. ख़ास तौर से तब जबकि चीन जिससे आपके बहुत अच्छे रिश्ते नहीं हैं, उसके पास यह ताकत है. और आने वाले वक़्त में ऐसे मौके बने हुए हैं कि युद्ध के दौरान कोई देश आपके उपग्रहों को नष्ट कर दे तो आपके पास एक डेटरेंस होना चाहिए.”इसके साथ-साथ बाकी विषयों पर भी चर्चा के दौरान विस्तार से बहस हुई. बाकी विषयों पर पैनल की राय जानने-सुनने के लिए पूरी चर्चा सुनें. See acast.com/privacy for privacy and opt-out information.
Released:
Mar 30, 2019
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
Abhinandan Sekhri interviews Rahul Ram, Sanjay Rajoura and Varun Grover by NL Hafta