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एनएल चर्चा 69: साध्वी प्रज्ञा का विवादित बयान, मोदी की छवि व खान मार्किट गैंग और अन्य

एनएल चर्चा 69: साध्वी प्रज्ञा का विवादित बयान, मोदी की छवि व खान मार्किट गैंग और अन्य

FromNL Hafta


एनएल चर्चा 69: साध्वी प्रज्ञा का विवादित बयान, मोदी की छवि व खान मार्किट गैंग और अन्य

FromNL Hafta

ratings:
Length:
60 minutes
Released:
May 18, 2019
Format:
Podcast episode

Description

इस हफ़्ते की चर्चा ऐसे वक़्त में आयोजित हुई जब राजनीति के गलियारों से लेकर पान की दुकानों तक संभावित चुनावी परिणामों की ही चर्चा हो रही है. इस बीच साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया. ये मामला काफ़ी विवादों में आ गया और यहां तक कि पीएम मोदी को भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देनी पड़ी. पश्चिम बंगाल में इस पूरे हफ़्ते अमित शाह के रोड शो और उसमें हुई हिंसा के बाद बवाल खड़ा हुआ, जब ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा गिरा दी गयी. वहां की स्थितियों को देखते हुए चुनाव आयोग ने 1 दिन पहले ही चुनाव प्रचार को रोकने का आदेश दे दिया. इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता प्रिंयका शर्मा को कंडीशनल बेल दी, जिन्हें ममता बनर्जी की एक फोटोशॉप्ड इमेंज शेयर करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था. इसी बीच कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर ने मोदी के ऊपर की गयी ‘नीच’ की टिप्पणी को एक लेख के द्वारा जारी रखा, साथ ही सैम पित्रोदा ने 84 सिंख दंगों पर ‘जो हुआ सो हुआ’ बोल कर कांग्रेस की परेशानी भी बढ़ा दी, जिसके बाद राहुल गांधी को इसके लिए सफाई देनी पड़ी. दूसरी ओर नरेंद्र मोदी ने इंडियन एक्सप्रेस में दिये साक्षात्कार में कहा कि मेरी छवि को किसी खान मार्किट की गैंग ने नहीं बनाया, बल्कि 45 साल की तपस्या से मैं यहां पहुंचा हूं. इसलिए इसे कोई खान मार्किट गैंग ख़त्म नहीं कर सकता. इसके अलावा, ईरान-भारत संबंधों, आने वाले मानसून और संभावित सरकार को भी चर्चा के विषयों में शामिल किया गया.चर्चा में इस बार तेज़-तर्रार युवा पत्रकार राहुल कोटियाल और अमित भारद्वाज शामिल हुए. साथ में वरिष्ठ लेखक-पत्रकार अनिल यादव ने चर्चा में शिरकत की. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.अतुल ने बातचीत शुरू करते हुए सवाल उठाया, साध्वी प्रज्ञा की जो राजनीति है, और जिस तरह की विचारधारा से वह आती हैं, उसमें गांधी और आज़ादी की लड़ाई से जुड़े अन्य नेताओं के प्रति घृणा का भाव दिखता है. जब ऐसा कोई बयान आया हो तो उसमें कोई आश्चर्यचकित होने वाली बात दिखती है?जवाब में अनिल ने कहा- “देखिये, इसमें मुझे कोई आश्चर्यचकित होने वाली बात नहीं दिखती, लेकिन इस बयान के बाद उस बड़ी विडंबना की ओर इशारा मिलता है, जिससे आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी को अपने जन्मकाल से ही दो-चार होना पड़ता है. आप अगर देखेंगे तो पायेंगे कि आरएसएस ऐसे मौकों पर अपने आप को एक बड़ी विचित्र स्थिति में पाता है. उसके पास ऐसे बहुत से नायक हैं, जो उसने उधार के लिए हुए हैं और वह उनके बारे में बता भी नहीं सकता और उनको इग्नोर भी नहीं कर सकता. इस मसले के साथ-साथ बाक़ी विषयों पर भी चर्चा के दौरान विस्तार से बातचीत हुई. बाकी विषयों पर पैनल की राय जानने-सुनने के लिए पूरी चर्चा सुनें. See acast.com/privacy for privacy and opt-out information.
Released:
May 18, 2019
Format:
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