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एनएल चर्चा 63: कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र, मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट, पीएम नरेंद्र मोदी फ़िल्म और अन्य
FromNL Hafta
एनएल चर्चा 63: कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र, मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट, पीएम नरेंद्र मोदी फ़िल्म और अन्य
FromNL Hafta
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Length:
55 minutes
Released:
Apr 6, 2019
Format:
Podcast episode
Description
बीता हफ़्ता बहुत सारी घटनाओं का साक्षी रहा है. इस हफ़्ते की चर्चा तब आयोजित हुई, जबकि चुनावी सरगर्मियां चरम पर थीं और पहले चरण के चुनाव में हफ़्ते भर से भी कम वक़्त रह गया था. इस हफ़्ते की चर्चा में ‘टाइम मैगज़ीन’ द्वारा पेशे का जोख़िम उठा रहे पत्रकारों की सूची में इस बार हिंदुस्तान की स्वतंत्र पत्रकार राना अयूब का नाम दर्ज़ करने व पेशे में पत्रकारों के लिए लगातार बने हुए खतरों, देशभर में महिलाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं पर विस्तार से बात करती ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट, राहुल गांधी द्वारा पहली दफ़ा दो जगहों से लोकसभा चुनाव लड़ने, कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र व आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाओं पर चर्चा के क्रम में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक, जिसमें अभिनेता विवेक ओबेरॉय उनका किरदार निभा रहे, पर चर्चा की गयी.चर्चा में इस बार वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी ने शिरकत की. साथ ही लेखक-पत्रकार अनिल यादव व न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने कहा कि कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में शिक्षा व कृषि के क्षेत्र के लिए किए गये वायदों, अलग से कृषि बजट जारी करने व ‘न्याय’ योजना जिसमें देश में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे पांच करोड़ परिवारों को 6000 रुपये की मासिक आर्थिक मदद की बात कही गयी है. अतुल ने इसी में अपनी बात जोड़ते हुए कहा कि इन सबको ध्यान में रखते हुए अगर चुनावी घोषणापत्र पर गौर करें तो इसमें समाजवादी रुझान की झलक मिलती है, साथ ही इसमें उस लीक से थोड़ा हटकर चलने का प्रयास भी देखने को मिलता है, जिसका निर्माण ऐसे समय में हुआ जब बाज़ारवाद ने अर्थव्यवस्था को अपनी पकड़ में ले लिया है, इस संबंध में आपकी क्या राय है?जवाब देते हुए हृदयेश जोशी ने कहा- “आपने सोशलिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया. यहां मूल बात समझने की ये है कि शुरुआत से ही पार्टियों का और ख़ास तौर पर कांग्रेस पार्टी का ये अनुभव रहा है कि जब-जब वो अपनी इस सोशलिस्ट लाइन से हटी है, उसका जनाधार बुरी तरह खिसका है. अगर आप कुछ वक़्त पहले अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ के इंडियन एक्सप्रेस में छपे लेख ‘रैश यू टर्न, हाफ-बेक्ड प्लान्स’ पर गौर करें तो उनका कहना है कि ये जो कैज़ुअल एप्रोच है, चाहे वो प्रधानमंत्री मोदी का ही रहा हो जबकि वो दक्षिणपंथी पार्टी के नेता हैं और खुलेआम पूंजीवादी रुझान में बातें करते हैं, उनका भी किसानों को 6000 रुपये देना सोशलिस्ट स्कीम ही कही जायेगी. लेकिन यह एक तरह का एड-हॉक एप्रोच है कि जब आपको लगे कि लोगों को ख़ुश करने की ज़रूरत है और कुछ ऐसा कर दिया जाये. साल 2004 में कांग्रेस की जब सरकारी बनी, तो मनरेगा जैसी योजनाएं चलाने के बाद अगले चुनाव में उनका जनाधार बढ़ा था, मुझे लगता है कांग्रेस उसी लाइन पर लौटने का प्रयास कर रही है.”जाति-धर्म, संप्रदाय या देश व देशभक्ति के नाम पर किए जा रहे ध्रुवीकरण व हर सवाल के ऊपर आख़िरी ट्रंप-कार्ड की तरह राष्ट्र को रख देने के दौर में कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र कहता है कि सत्ता में आने पर पार्टी आफ्सपा को डाइलूट करेगी, उसके प्रावधानों में कमी लायेगी, साथ ही राजद्रोह के कानून को ख़त्म करेगी. इन्हीं बातों का ज़िक्र करते हुए अतुल ने सवाल किया कि ऐसे वक़्त में कांग्रेस के इस कदम को किस तरह देखना चाहिए? क्या यह साहसी कदम है? या कांग्रेस ने एक तरह से रिस्क लिया है?जवाब देते हुए अनिल ने कहा- “मुझे जो पहली चीज़ लगी, वो ये कि कांग्रेस ने यह कदम हताशा में उठाया है. मुझे ऐसा लगता है कि पिछले पांच सालों के दौरान सेडीशन के मामले हुए हैं, आफ्सपा के भी हुए हैं तो इन सारे मुद्दों पर कांग्रेस की अगर कोई स्पष्ट नीति होती तो वो इन पर बात करती हुई दिखाई देती. मुझे लगता है राहुल गांधी को लग रहा है कि यह डू ऑर डाई का मामला है.”इसी सवाल पर अपना नज़रिया रखते हुए आनंद कहते हैं- “मुझे लगता है चुनावी घोषणापत्र अकादमिक रुचि व उपभोग की ही चीज़ें होती हैं, चुनाव प्रचार और रैलियों में क्या बोला जा रहा है, वह अधिक महत्वपूर्ण है.”इसके साथ-साथ बाकी विषयों पर भी चर्चा के दौरान विस्तार से बहस हुई. बाकी विषयों पर पैनल की राय जानने-सुनने के लिए पूरी चर्चा सुनें. See acast.com/privacy for privacy and opt-out information.
Released:
Apr 6, 2019
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
Bill Maher on the terrible tipping habits of Christians in Missouri. by NL Hafta