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Lal Kile ki Pracheer se Bharat ke Pradhanmantri : Bhag-3 (2001-2022) (लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रंधानमंत्री : भाग-3 (2001-2022)
Lal Kile ki Pracheer se Bharat ke Pradhanmantri : Bhag-3 (2001-2022) (लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रंधानमंत्री : भाग-3 (2001-2022)
Lal Kile ki Pracheer se Bharat ke Pradhanmantri : Bhag-3 (2001-2022) (लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रंधानमंत्री : भाग-3 (2001-2022)
Ebook795 pages7 hours

Lal Kile ki Pracheer se Bharat ke Pradhanmantri : Bhag-3 (2001-2022) (लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रंधानमंत्री : भाग-3 (2001-2022)

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About this ebook

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तक हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से दिए गए समस्त भाषण स्वाधीन भारत की अब तक की यात्रा की महान गाथा के अनेक सूत्रों को समेटे हुए है। तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के इन भाषणों में राष्ट्र की चिंताओं, चुनौतियों, उससे निबटने के लिए बनाई जाने वाली नीतियों, जनता की भागीदारी और उनसे सहयोग का आह्वान सब कुछ समाविष्ट है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कूटनीतिक आदि सभी मोर्चों पर भारत के पक्ष और उसके संकल्पों को लाल किले से अपने संबोधनों में सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने ढंग से अभिव्यक्त किया है। इसके माध्यम से उन्होंने सीधे-सीधे अपनी-अपनी सरकारों की नीतियों को, योजनाओं को, उसके कार्यान्वयन के विविध आयामों को देश के नागरिकों के समक्ष रखने का कार्य किया।
'लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री' शीर्षक से तीन भागों में प्रकाशित इस पुस्तक से आपको निःसंदेह तत्कालीन परिस्थितियों, सरकारों तथा प्रधानमंत्रियों के विजन से अवगत होने का अवसर प्राप्त होगा।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateDec 21, 2023
ISBN9789356848177
Lal Kile ki Pracheer se Bharat ke Pradhanmantri : Bhag-3 (2001-2022) (लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रंधानमंत्री : भाग-3 (2001-2022)

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    Lal Kile ki Pracheer se Bharat ke Pradhanmantri - Dr. Ramesh Pokhriyal ‘'Nishank’'

    अटल बिहारी वाजपेयी

    25 दिसम्बर, 1924 - 16 अगस्त 2018

    (कार्यकाल)

    16 मई, 1996 - 1 जून, 1996

    19 मार्च, 1998 - 22 मई, 2004

    15 अगस्त, 2001 को

    लाल किले की प्राचीर से

    प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

    मेरे प्यारे देशवासियों, अभी आपने हमारे देश के तीनों सेनाओं के मधुर बैंड को सुना। मैं आपको बधाई देता हूँ, हम स्वतन्त्रता की 54वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। स्वतंत्रता के सग्राम में जो शहीद हुए, आज हम उनको विनम्र श्रदांजलि अर्पित कर रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम के सभी महापुरूषों विशेष रूप से महात्मा गांधी और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का स्मरण करना चाहता हूँ। इनकी प्रेरणा इस नई शताब्दी में हमारा मार्गदर्शन करेगी। इस मौके पर विश्व के कोने-कोने में बसे भारतीय मूल के लोगों को भी मैं बधाई देना चाहता हूँ। सौ करोड़ लोगों का ये देश पाँच हजार साल पुरानी सभ्यता की विरासत लेकर आज एक गौरवपूर्ण अध्याय लिखने जा रहा है।

    मित्रों, याद कीजिए तीन साल पहले परमाणु परीक्षण के बाद हमें कितनी कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ा था। आज वे कठिनाइयां दूर हो रही है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमने इन कठिनाइयों को सफलतापूर्वक झेला। आज दुनिया के अनेक देशों के साथ हमारे संबंधों में घनिष्ठता आई है। उनके साथ नियमित रूप से स्ट्रेटिजिक डॉयलॉग हो रहा है। दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी है।

    भाइयों और बहनों, हम विश्व शान्ति के प्रबल समर्थक हैं, हम हजारों वर्षों से पृथ्वी, शान्ति से लेकर वनस्पतः शान्ति का पाठ करते आ रहे हैं। स्वाभाविक रूप से हम अपने पड़ोसियों के साथ भी शान्ति का रिश्ता चाहते हैं। सारी दुनिया जानती है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए भरसक प्रयास किए हैं। ये प्रयास नेहरू जी से लेकर अब तक चल रहे हैं। अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गये, लेकिन इनसे स्थाई शान्ति की स्थापना नहीं हुई। मैंने भी एक नई शुरूआत करने का प्रयास किया था। शान्ति के लिए लाहौर की यात्रा की थी। लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने के बावजूद पाकिस्तान ने कारगिल में घुसपैठ कर दी। हमारे सैनिकों ने उन्हें अपने शौर्य और पराक्रम से वापस खदेड़ दिया। उस लड़ाई में जो शहीद हुए मैं उन सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि देता हूँ और उनके परिवारों के साथ इस अवसर पर साहानुभूति संवेदना प्रकट करता हूँ। कारगिल और आतंकवाद के बावजूद पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। मैंने आगरा में अपने मेहमान को बताया, हम पचास साल से लड़ रहे हैं, अब कितने साल और लड़ने का इरादा है। इस लड़ाई से न तो भारत का भला हुआ है, न पाकिस्तान का भला हुआ है। दुश्मनी के कारण दोनों देश अपने सीमित संसाधनों को लड़ाई में और लड़ाई की तैयारी पर खर्च कर रहे हैं। होना ये चाहिए था कि हम इन दुर्लभ संसाधनों को दोनों देशों के विकास के लिए जनता का जीवन स्तर सुधारने के लिए खर्च करते। मैंने अपने मेहमान से ये भी कहा कि यदि हमें लड़ाई ही लड़नी हैं, तो क्यों न हम मिलकर गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी और पिछड़ेपन से लड़ें। हमें मालूम है पाकिस्तान के लोग भारत के साथ अमन चाहते हैं। हमने पारिवारिक लाभ के लिए व्यापारिक आर्थिक और अन्य सहयोगों को बढ़ावा देना माना है। हमें दोनों देशों के लोगों के बीच सम्पर्कों को प्रोत्साहित करना होगा। दुर्भाग्य से सभी क्षेत्रों में संबंध सुधारने में, राष्ट्रपति मुशर्रफ महोदय की रूचि नहीं थी। वे केवल एक सूत्री एजेण्डा के साथ यहाँ आये थे कि भारत कश्मीर पर पाकिस्तान की शर्त मान लें। मैं उनकी ये बात स्वीकार नहीं कर सकता था। वे चाहते थे कि हम शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र को भूल जायें और आगरा से एक नया सफर शुरू करें, उनकी ये बात भी स्वीकार नहीं की जा सकती थी। वो सीमापार से आने वाले आतंकवाद को जिहाद और आजादी की लड़ाई कहते रहे, इस तर्क को स्वीकार करने का तो, सवाल ही नहीं था। जैसी कि हमें आशंका थी, आगरा शिखर वार्ता के बाद आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं, अमरनाथ, किश्तवाड़, डोडा, जम्मू और कल गाजियाबाद के निकट निर्दोष लोगों की बड़े पैमाने पर हत्या की गयी है। ये कैसा जिहाद है, ये कैसी आजादी की लड़ाई है, ये किसकी आजादी के लिए है, पाकिस्तान समर्थित जिहादी संगठनों के काम नापाक हैं। इस्लाम और इंसानियत के विरोधी हैं। जिस कश्मीर को पाकिस्तान लड़कर प्राप्त न कर सका, उसे जिहाद या आतंक से हासिल कर लेगा, इस भ्रम में किसी को न रहना चाहिए।

    राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने और यहाँ के लोगों तक विकास के लाभ पहुँचाने का जो प्रयास चल रहा है, उसे हम और बढ़ायेंगे। हाल ही में वहाँ पंचायत के चुनाव हुए हैं। कुछ समय बाद राज्य की जनता नई विधानसभा का चुनाव करने जा रही है। हम वहाँ स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इस अवसर पर मुझे शायर कश्मीर महजूर का एक शेर याद आता है, जिसका भावार्थ मैं आपको सुनाता हूँ

    "तुम कश्मीरियों की जात और जमीन एक ही है, बेवजह आपस में दूरी पैदा मत करो। यदि मुसलमान मानो दूध हैं तो हिन्दू शक्कर, दूध को इस शक्कर से मिलने दो, कश्मीर की ये सूफी विचार धारा, भारत की आध्यात्मिक परम्परा का मिलन बिन्दु है। कश्मीरियत सर्वधर्म सम्भाव की एक शानदार मिसाल है। वह दुराष्ट्रवाद के सिद्धांत को पूरी तरह नकारती है। ऐसी कश्मीरियत पर हमें फक्र है।

    उत्तरपूर्व के राज्यों की स्थिति हमारी विशेष चिन्ता का विषय है। हिंसा से समस्याएं उलझती हैं, सुलझती नहीं हैं। इससे उत्तरपूर्व का विकास अवरूद्ध हुआ है। उन राज्यों के तमाम भाइयों और बहनों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हमारा व्यापक शान्ति अभियान कारगर साबित होगा। भारत एक विशाल देश है। इस विशाल देश में बहुभाषाएं हैं, बहुधर्म हैं, तरह- तरह की विविधताओं से यह देश भरा हुआ है। ये विविधताएं हमारी कमजोरी नहीं है, ये हमारी शक्ति हैं। ये सांस्कृतिक सम्पन्नता के लक्षण हैं। इन विविधताओं से ही एकता के शक्तिशाली सूत्र पकड़ में आते हैं।

    बहनों और भाइयों, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की दस सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से है। आकार की दृष्टि से भी विश्व की चार सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्थाओं में आज भारत की गिनती है। सूचना प्रौद्योगिकी और मिसाइल टैक्नोलॉजी सहित अनेक क्षेत्रों में भारत विश्व के अग्रणी राष्ट्रों की श्रेणी में आ गया है। जब मैं नई पीढ़ी के युवाओं को बहुत ऊँची-ऊँची जिम्मेदारियों को सम्भालते हुए देखता हूँ, तो मेरा भविष्य में विश्वास और मजबूत हो जाता है। ये वे लोग हैं, जो आज के भारत को पहले से बेहतर बना रहे हैं। कल के श्रेष्ठ और समर्थ भारत का निर्माण कर रहे हैं। अब भारतीय होने का गौरव हम वाजिव तौर पर कर सकते हैं। विश्वभर में भारतीय सर उठा कर चल सकते हैं। पिछले पाँच दशकों में जनसंख्या में तीन गुना वृद्धि हो जाने के बावजूद हम गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या में कमी लाने में सफल हुए हैं। 90 के दशक में ये प्रतिशत 36 से घटकर 26 रह गया। मैं यह दावा नहीं करता कि हम जितनी तेजी से गरीबी दूर कर सकते थे, उसमें हम सफल हुए हैं, किन्तु हमें विश्वास है कि भारत में घोर गरीबी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। पिछले दशक में साक्षरता में भी भारत ने छलांग लगाई है। मुझे उम्मीद है कि चालू दशक में भारत करीब करीब साक्षर देश हो जाएगा।

    ये सच है कि भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि की गति हाल ही मैं थोड़ी धीमी हुई है, किन्तु ये अस्थाई है। केवल भारत में ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया में मंदी का दौर चल रहा है। इससे से ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था का आधारभूत ढांचा बहुत मजबूत है। कीमतें स्थिर हैं। मुद्रास्फीति नियंत्रण में है। विदेशी मुद्रा का भण्डार नये रिकार्ड पर है। अनाज के गोदाम भरे हैं। अच्छे मानसून के कारण आने वाली फसलों से आर्थिक मोर्चे पर आशाजनक सम्भावनाएं हैं। कल की बरसात देखकर ये आशंका होती थी कि आज का सवेरा काले बादलों से घिरा होगा और धरती बादलों के पानी से तर-बतर होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बादल छट गये, सूरज निकल आया है और हम भविष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। अच्छे मानसून के कारण आने वाली फसलों से आर्थिक मोर्चे पर आशाजनक सम्भावनाएं हैं। सभी आधारभूत क्षेत्रों, उद्योगों तथा कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए उपाय किए गये हैं। इस दिशा में हम शीघ्र ही और कदम उठायेंगे। इससे आर्थिक मंदी को समाप्त करने में मदद मिलेगी।

    विगत कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं ने मानो भारत की परीक्षा लेने की ठान ली हो। उड़ीसा में महाचक्रवाद आया। गुजरात में विनाशकारी भूकंप, देश के कुछ भाग भीषण बाढ़ की चपेट में आये, बाढ़ के साथ कहीं-कहीं सूखा भी है। लेकिन सारी प्राकृतिक आपदाओं का आपने हमने मिलकर सामना किया और लोगों को राहत पहुँचाई। अब उनके पुनर्वास का काम हो रहा है। सबके सहयोग से और हम विदेशों को भी धन्यवाद देते हैं, जिस गति से उन्होंने हमें आकर मदद दी, उनके लिए हम उनके आभारी हैं और ये उनकी मदद इस बात का प्रतीक है कि सारी मानवता एक है और मानवता का कोई भी भाग अगर पीड़ित हो तो सारे शरीर में पीड़ा होती है। सबको मिलकर उसकी सहायता के लिए दौड़ पड़ना चाहिए। हम प्रयास कर रहे हैं कि प्राकृतिक आपदाओं से कारगर ढंग से निपटने के लिए एक स्थाई और संस्थागत उपाय करें।

    मेरे प्यारे किसान भाइयों, आप देश के अन्नदाता हैं। आपने अपनी मेहनत से आज भारत को खाद्यान के मामले में न केवल आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि अतिरिक्त पैदावार भी की है। अनाज का अभाव अब अतीत का विषय बन गया है। पहले हम अनाज का आयात करते थे, आज हम निर्यात कर रहे हैं। आज सरकारी गोदामों में हमारे पास छह सौ लाख टन अनाज भरा है। हम भण्डारण क्षमता बढ़ा रहे हैं। मैं जानता हूँ कि हमारे किसान आज कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हें दूर करने की लगातार कोशिश भी हो रही है। हमारा प्रयास है कि किसानों को उसकी फसल का उचित और लाभप्रद मूल्य मिले। अब तक डेढ़ करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा चुके हैं।

    कुछ लोग ये आशंका जता रहे हैं कि विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्लू. टी.ओ. के प्रति वचनबद्धता के कारण भारतीय बाजार सस्ते कृषि आयातों से पट जायेगा। ये आशंका गलत साबित हुई है। हम अनुचित आयात को रोकने की आवश्यकता के अनुसार आयात शुल्क लगाने में और बढ़ाने में सक्षम हैं। हमने कई मामलों में ऐसा किया भी है।

    ये सही है कि विश्व के व्यापार की एक नई तस्वीर उभरी है। इसने भारतीय कृषि और शेयर तथा अर्थव्यवस्था के लिए अनेक चुनौतियां खड़ी की हैं। हम संगठित होकर इसका मुकाबला कर सकते हैं और करेंगे। मैं देश के सभी किसानों, मजदूरों, प्रबंधकों, उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं से अपील करता हूँ कि वे अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्दा के लिए और अधिक तेजी से तैयार करें। उसके लिए कृषि और उद्योगों में निरन्तर गुणवत्ता बढ़नी चाहिए। उत्पादन खर्च में कमी होनी चाहिए।

    मित्रों, कोई दस साल पहले भारत ने नई आर्थिक नीति अपनाई थी। इससे अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है। लेकिन इसके साथ कई नई समस्याएं भी सामने आई हैं। ये सच है कि हाल की कुछ घटनाओं ने वित्तीय और पूंजी बाजार में कुछ कमजोरियों को उजागर किया है। इससे लोग थोड़े चिंतित हुए हैं। हमने इन कमजोरियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाये हैं और आगे उठायेंगे। शेयर बाजार तथा वित्तीय संस्थाओं की कार्य प्रणाली में ऐसे सुधार लाये जायेंगे, जिससे छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा हो। किसी उद्योग की सफलता को येन-केन प्रकारेण कमाये हुए मुनाफे से ही आंकना उचित नहीं होगा। उद्योगों की सफलता के लिए जरूरी है कि कॉरपोरेट नैतिकता को विकसित किया जाये।

    भाइयों और बहनों, पिछले दिनों में भ्रष्टाचार और घोटाले के कुछ मामले सामने आये हैं। भ्रष्टाचार की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। न ही भ्रष्टाचार को पनपने देना चाहिए। भ्रष्टाचारी को उसके किए की सजा मिलनी ही चाहिए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भ्रष्ट लोग कानून के लम्बे हाथ से बच नहीं सकेंगे, चाहे वे कितने ही ऊँचे पदों पर क्यों न बैठे हों। कल ही लोक सभा में एक नया विधेयक पेश हुआ है, लोकपाल विधेयक। उसमें प्रधानमंत्री को भी यदि भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, तो जाँच के लिए शामिल किया गया है। हमारी सरकार इस संबंध में कोई भेदभाव नहीं करेगी और बड़े से बड़े व्यक्ति को अगर आवश्यकता हुई तो कठघरे में खड़ा करने में परहेज नहीं करेगी। हमने कई मामलों में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की है, लेकिन इस संबंध में एक बात कहना चाहूँगा, निराधार आरोपों को घोटाला की प्रवृति देने की प्रवृति से हम बचें। मैं जानता हूँ कि हमारे देश में अधिकांश जनता ईमानदारी से रोजी-रोटी कमाने में विश्वास करती है।

    प्यारे देशवासियों, ये वर्ष भारत की नई आर्थिक नीति के दशक का वर्ष है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि आर्थिक उदारीकरण से देश को लाभ हुआ है। लेकिन ये भी सच है, उदारीकरण के फलस्वरूप हम अभी तक पर्याप्त मात्रा में गरीब जनता तथा गांववासियों तक नहीं पहुँच पाये हैं, विषमता बढ़ी है। इसलिए मेरी सरकार ने गहन मंथन के बाद ये फैसला किया है कि हम आर्थिक नीति को और अधिक गरीब परस्त, ग्रामपरस्त और रोजगार मुखी बनायेंगे। हम क्षेत्रीय संतुलन तथा सामाजिक विषमता को मिटाने के लिए इस नीति में आवश्यक तब्दीलियां करेंगे। हमारा यह कृतसंकल्प है कि नई आर्थिक नीति सामाजिक न्याय की संवर्द्धक बनें। तथा उसका पूरा-पूरा लाभ हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और पिछड़ों में से पिछड़े वर्गों को पहुँचे, इस दिशा में गत तीन सालों में हमने कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। इसी क्रम में अब हम नये कदम उठाने जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में अधिक और सुनिश्चित रोजगार के अवसर उपलब्ध करने के लिए केन्द्र सरकार दस हजार करोड़ रुपये की एक नई महत्वाकांक्षी योजना शुरू कर रही है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित ये योजना सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना होगी। उसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों द्वारा संचालित स्थाई विकास के कार्यों में काम करने वालों को नकद और अनाज के रूप में मजदूरी मिलेगी। इसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये के मूल्य का पचास लाख टन अनाज राज्यों को हर साल आवंटित किया जाएगा। मौजूदा सभी रोजगार योजनाओं को इस बृहद योजना में सम्मिलित किया जाएगा। इस योजना से लगभग सौ करोड़ श्रम के रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

    हमारी अर्थव्यवस्था में एक खास विसंगति है। प्राय: समूची बचत बैंकों में जमा है। बैंक इसका पूरी तरह से विकास कार्यों में इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्रों को बैंकों की सहायता नहीं मिलती है। यह संगठित क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का दो तिहाई हिस्सा है। इस क्षेत्र की ऋण वापसी की साख बड़े उद्योगों की तुलना में अच्छी है। हम असंगठित क्षेत्रों को साधन मुहैया कराने के लिए एक संस्थागत प्रबंध का विचार कर रहे हैं। विकेन्द्रीयकरण के बिना न तो विकास में तेजी संभव है, न हीं इसमें जनता की भागीदारी इसलिए दस वर्ष पहले पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार सौपने के लिए हमारे संविधान में दो महत्वपूर्ण संशोधन किए गये। लेकिन अभी भी वित्तीय वर्ष और प्रशासनिक दृष्टि से हम पंचायतों को पर्याप्त रूप से अधिकार सम्पन्न नहीं बना पाये हैं। इस महत्वपूर्ण उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सरकार शीघ्र ही एक राष्ट्रीय बहस छेड़ेगी। इसमें पंचायती राज संस्थाओं के तीस लाख से अधिक सभी निर्वाचित प्राथमिकताओं का निर्धारण कार्यक्रमों में लगे गैर सरकार संगठनों को बैंको तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण उपलब्ध कराने के बारे में भी कदम उठाये जाएंगे। हम सभी जानते हैं कि लोकतन्त्र और भुखमरी साथ-साथ नहीं चल सकते। इसलिए हम एक राष्ट्रीय पोषाहार मिशन शुरू करेंगे, जिसके अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे बसर कर रहे परिवारों की गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं, और किशोरियों को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराया जाएगा। जो धार्मिक सामाजिक तथा शैक्षिक संस्थाएं गरीबों के लिए सामूहिक भोजन का कार्यक्रम चलाते हैं। उन्हें यदि वे चाहें तो सरकार सस्ते दाम पर अनाज उपलब्ध करायेगी।

    मित्रों, भारत में शहरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। गरीबों के लिए सस्ते मकानों की काफी कमी है। सरकार ने विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, जन-जातियों, पिछड़े वर्गों और अन्य कमजोर वर्गों के लिए अम्बेडकर वाल्मीकि मलिन बस्ती आवास योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। शहरी विकास मंत्रालय, इस योजना के लिए प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ रुपये का अनुदान देगा, जिसका क्रियान्वयन हुडको करेगा। ये इस योजना के लिए दो हजार करोड़ रुपये ऋण के रूप में भी उपलब्ध करायेगा।

    हमारी सेना के तीन लाख जवानों के परिवारों को आवास की सुविधा तक नहीं मिली है। आवास निर्माण की आज की मौजूदा गति से इस लक्ष्य पूर्ति के लिए तीस साल लगेंगे। हमने फैसला किया है, हम तीन लाख मकानों का निर्माण अगले तीन चार सालों में पूरा किया जाएगा। पिछले साल मैंने स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का उल्लेख किया था। प्रायः सभी राज्यों में इसका क्रियान्वयन हो रहा है। अब तक इस योजना के लिए केन्द्र ने पांच हजार करोड़ रुपये संगठित किये हैं, सन् दो हजार सात में दसवीं पंचवर्षीय योजना के अन्त तक पांच सौ से ज्यादा आबादी वाले सभी गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ दिया जाएगा। पचपन हजार करोड़ रुपये की राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना स्वतन्त्र भारत की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। इस पर काम को और तेज किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि इन दो प्रमुख सड़क परियोजनाओं से रोजगार के लाखों नये अवसर पैदा होंगे और पूरी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।। हमारा लक्ष्य है दूरी को दूर करना। इसलिए हम भारत के सभी गांवो को सिर्फ सड़कों से ही नहीं, बल्कि दूर संचार तथा इन्टरनेट के माध्यम से भी जोड़ना चाहते हैं। इस दिशा मे पिछले दो सालों में काफी प्रगति हुई है। इस काम को हम और तेजी से आगे बढ़ायेंगे। लघु और कुटीर उद्योग रोजगार के सबसे बड़े स्रोत हैं। अकेले खादी ग्रामोद्योग आयोग के अधीन विभिन्न इकाइयों में साठ लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। पिछले तीन वर्षों में छह लाख नये रोजगार पैदा हुए हैं। आयोग को और सशक्त बनाने के लिए हम कई नए कदम उठायेंगे। खादी तथा ग्रामोद्योग उत्पादों को विदेशी बाजारों में लोकप्रिय बनाने के लिए कारगर कदम उठाये जा रहे हैं। पर्यटन, रोजगार बढ़ाने तथा विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक बड़ा स्रोत है। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहे उद्योगों में पर्यटन का प्रथम स्थान है। इस वर्ष के अन्त तक हम एक प्रगतिशील राष्ट्रीय पर्यटन नीति अपनायेंगे।

    मित्रों, न्यायिक व्ववस्था में देरी और अन्य खामियों के कारण पूरा समाज और विशेष रूप से गरीब जनता तंग आ चुकी है। ढेरों लम्बित मामलों को हम कम करने के लिए सरकार ने सत्तर सौ फास्ट ट्रैक न्यायालयों की स्थापना की है। हम ऐसे कानून और नियमों को जो गरीबों के हितों के प्रतिकूल हैं, निरस्त करने या उनमें संशोधन करने के लिए जल्दी ही आवश्यक कदम उठायेंगे। हम उन सभी प्रक्रियाओं और कार्य पद्धतियों की भी समीक्षा करेंगे, जिसकी वजह से दुर्भाग्यवश सरकारी ऐजेंसियों द्वारा गरीबों को परेशान किया जाता है। सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य के लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति भी हम वचनबद्ध हैं। पोलियो टीकाकरण अभियान की अभूतपूर्व सफलता ने हमें सीखें दी हैं और हम शीघ्र ही कुष्ठ रोग क्षय रोग, मलेरिया, तथा एड्स जैसे कुछ अन्य रोगों के खिलाफ जन आन्दोलन चलाने की रूपरेखा बनाएंगे। हाल के वर्षों में आयुर्वेदिक और अन्य देशी चिकित्सा पद्धतियों में देश-विदेश सब जगह विश्वास बढ़ा है। आम बीमारियों के इलाज के लिए सदियों पुरानी प्रमाणिक जड़ी बूटियों और परम्परागत इकाइयों का किट सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने का हमारा विचार है। मैं किसान और औषधि कम्पनियों से आग्रह करता हूँ कि आयुर्वेदिक और देशी ईलाज की दुनिया में बढ़ती हुई लोकप्रियता से मौके का लाभ उठायें।

    इस वर्ष को हम महिला सशक्तिकरण वर्ष के रूप में मना रहे हैं, इसलिए हमारी माताओं बहनों और बालिकाओं के कल्याण के लिए चलाये जा रहे सभी कार्यक्रमों में तेजी लायेंगे। मैं विशेष रूप से महिलाओं द्वारा बनाये गये, ‘अपनी सहायता आप करो’ सैल्फ हैल्प समूहों को बधाई देना चाहता हूँ क्योंकि इसकी वजह से एक सामूहिक सामाजिक, आर्थिक क्रान्ति की शुरूआत हुई है। भारत में तथा दक्षिण ऐशिया क्षेत्र में सफलता के ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहाँ स्व: सहायता समूहों ने बैंकों से लघु ऋण का लाभ उठाते हुए गांवों और शहरों से गरीबी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए सरकार दो हजार चार के अन्त तक देश की चौदह लाख बस्तियों में से हरेक में कम से कम एक स्वाबलम्बी समूह स्थापित करने में मदद देगी। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए हमने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अगले तीन सालों के अन्दर सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपनी कुल ऋण राशि की पांच प्रतिशत रकम महिला उद्यमियों को कर्ज देंगे। इससे सत्तर हजार करोड़ रुपये के ऋण उन्हें मुहैया होंगे।

    इन नये कार्यक्रमों को शुरू करते हुए हम एक बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि योजनाएं अक्सर बनती हैं, मगर उन्हें प्रभावी और समय बद्ध तरीके से अमल में लाने की व्यवस्था ढीली पड़ जाती है, इसलिए सरकार ने अगले वर्ष को विशेष तौर पर कार्यान्वयन वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय किया है। इसके लिए विभिन्न गरीबी निवारण और रोजगार सृजन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक त्वरित कार्यदल ‘रैपिड एक्शन फोर्स’ का गठन किया जाएगा। बच्चे हमारे देश की सबसे बड़ी अनमोल सम्पत्ति हैं।

    दस साल पहले विश्व सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मैंने सब बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता पर जोर दिया था, लेकिन अकेले सरकारी ऐजेंसियों से ये सम्भव नहीं है। इसीलिए मैं सेवाभावी संस्थाओं तथा आम नागरिकों से आग्रह पूर्वक कहना चाहूँगा कि हम सब मिलकर ये सुनिश्चित करें कि हिन्दुस्तान का हरेक बच्चा अच्छी तरह से फले-फूले।

    अगले महीने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा का बच्चों पर एक विशेष सत्र होने जा रहा है। इसमें भारत अपनी प्रतिबद्धता को दुहरायेगा। मित्रों, देश में राजनैतिक स्थिरता है। जीवन्त, लोकतन्त्र है। इतने बड़े देश में छोटी-बड़ी समस्याएं आती रहती हैं। लोकतन्त्र में राजनैतिक विरोध स्वाभाविक है, लेकिन विरोध केवल विरोध के लिए नहीं होना चाहिए। हमारे देश में राजनीतिक दल बुद्धिजीवी वर्ग तथा मीडिया को अपने विचार व्यक्त करने की पूरी आजादी है। ये हमारे लिए गर्व की बात है। आजादी से ही लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत होती हैं, लेकिन आजादी के साथ जिम्मेदारियां भी जुड़ी होती हैं। हमारा लोकतन्त्र हम सभी से अपेक्षा रखता है कि हम अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करेंगे, मर्यादाओं का पालन करेंगे।

    भाइयों और बहनों, हम महान बनते भारत के नागरिक हैं। हमें भारत के भविष्य पर भरोसा रखना चाहिए, हमें स्वयं पर भरोसा रखना चाहिए, अपने बाजुओं और अपने हुनर पर भरोसा रखना चाहिए। भरोसा बड़ी पूंजी होती है। मेरी और मेरी सरकार की कोशिश है कि पारस्परिक भरोसा बढ़ता रहे, भरोसा कोई तोड़े नहीं, भरोसा बनाने के मार्ग में कोई बाधक न बने, परस्पर विश्वास सहयोग और सहजीवन के बल पर ही हम एक आशाजनक भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। आइये हम सब मिलकर ऐसे संगठित, शक्तिशाली, समृद्धिशाली और उदार भारत की रचना के लिए एक बार फिर अपने संकल्प को दोहरायें। मेरे साथ तीन बार बोलिए- जय हिन्द। जय हिन्द। जय हिन्द।।

    धन्यवाद।

    15 अगस्त, 2002 को

    लाल किले की प्राचीर से

    प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

    प्यारे देशवासियों,

    स्वाधीनता दिवस पर आप सबको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं। शुभकामनाएं तीनों सेनाओं के वीर जवानों को और उन सभी सुरक्षा कर्मियों को, शुभकामनाएं मेहनती किसानों को और मेहनतकश मजदूरों को। बधाई हमारे वैज्ञानिकों को, शिक्षकों को जागरूक नारी शक्ति को। प्यारे बच्चों, तुम तो देश का भविष्य हो, तुम्हें ढ़ेर सारा प्यार, आशीर्वाद। दूर-दूर के देशों में बसे भारतवासियों आपको मेरी शुभकामनाएं। आप भले ही भारत से दूर हों, लेकिन सदा हमारे हृदय के करीब हैं। हाल ही के कौमनवैल्थ गेमों में भारत का मस्तक ऊँचा करने वाले सभी खिलाड़ियों को विशेष बधाई देना चाहता हूँ। खासकर महिलाओं को जिन्होंने दिखा दिया है कि वे पुरूषों से किसी मामले में कम नहीं हैं। मुझे उम्मीद है ओलम्पिक खेलों में भी भारत के खिलाड़ी इसी तरह सफलता प्राप्त करेंगे।

    बहनों और भाइयों, पचपन साल बीत गये हमें आजाद हुए। आज के दिन हम स्वतन्त्रता संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस सहित सभी महान विभूतियों को शीश नवाते हैं। हमारा नमन् है, अपनी सेनाओं अर्द्ध सैनिक बलों और पुलिस के उन नौजवानों को जिन्होंने आतकंवाद को परास्त करने में अपना जीवन दाँव पर लगा दिया। नमन उन शहीदों को भी जिन्होंने तेरह दिसम्बर को संसद पर हुए आतंकवादी हमले को विफल कर दिया।

    आतंकवाद एक नासूर बन चुका है। वो मानवता का दुश्मन है। हमारा पड़ोसी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर तो आतंकवाद का विरोध करने का दावा करता है, लेकिन इस क्षेत्र में उसके दोहरे मापदण्ड हैं। युद्ध में सफलता नहीं मिली तो सीमा पार आतंकवाद के सहारे कश्मीर को लेना चाहता है। हम एक बार फिर कह देना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट अंग है और रहेगा। अमरनाथ यात्रियों की निर्मम हत्या, कालूचक्र और काशीनगर में निरीह औरतों और बच्चों के कत्ले आम को दुनियाँ किसी आजादी की लड़ाई का हिस्सा नहीं मानती। हमारे लिए कश्मीर एक जमीन का टुकड़ा नहीं है। वो सर्व-धर्म समभाव की कसौटी है। सैक्युलर राष्ट्र की कसौटी पर हम सदैव खरे उतरे हैं। जम्मू कश्मीर पार से चलाये जा रहे आतंकवाद को हम परास्त करेंगे, ये हमारा संकल्प है।

    पाकिस्तान के साथ हम हच्छे पड़ोसी की तरह रहना चाहते है। लाहौर यात्रा और आगरा वार्ता इसके सबक हैं। भारत सभी सवालों को शान्तिपूर्ण ढंग से बातचीत के द्वारा हल करना चाहता है। हम इस दिशा में कुछ और भी कदम उठाने को तैयार हैं, लेकिन उसके लिए उपयुक्त वातावरण जरूरी है। जम्मू कश्मीर में घुसपैठ आज भी जारी है। राज्य में होने वाले चुनाओं को धोखा कहने वाले हमें लोकतंत्र का पाठ न पढ़ायें। जरा अपने गिरेहवान में भी तो झांक कर देखें। जम्मू कश्मीर के लोगों को चुनाव का बहिष्कार करने के लिए खुलेआम भड़काने की कोशिशों से भला, किसी अर्थपूर्ण वातावरण, अर्थपूर्ण बातचीत का वातावरण कैसे बन सकता है? इससे तो समस्याएं सुलझने की बजाये और उलझेंगी।

    बहनों और भाइयों, जब मैं दक्षिण एशिया की तुलना विश्व के अन्य भागों से करता हूँ तो बहुत दुख होता है। दूसरे महायुद्ध में बरर्बाद हुआ जापान आज विश्व के अग्रिम देशों की पंक्ति में खड़ा हो गया है। समूचा यूरोप अपनी सारी चुनावी रंजिशों को भुलाकर एक हो चुका है। तो हम क्यों नहीं, अपने विवादों को समाप्त बातचीत के जरिए हल कर सकते हैं। क्यों नहीं हम एक जुट होकर लड़ सकते हैं, उस असली दुश्मन से जिसका नाम है, गरीबी। ये चुनौती है जिसे बाहर से आकर कोई हल नहीं करेगा। जम्मू-कश्मीर में शान्ति और लोकतंत्र की प्रक्रिया एक निर्णायक मोड़ पर आ गयी है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने जा रहे हैं। तारीखें घोषित हो चुकी हैं, मुझे विश्वास है कि ये चुनाव पूरी तरह स्वतंन्त्र और निष्पक्ष होंगे, किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों से, उनके प्रतिनिधियों से मैं अपील करता हूँ कि वो उत्साह के साथ बड़ी संख्या में चुनावों में भाग लें और सीमा पार से चलाये जा रहे दुष्प्रचार को बेनकाब करें।

    जम्मू-कश्मीर के चुनाव में किसी को भी गड़बड़ी नहीं करने दी जायेगी। भय का वातावरण बनाने के सभी मंसूबे विफल कर दिये जायेंगे। जम्मू और कश्मीर के लोग अमन से रहना चाहते हैं। बहुत वर्ष हो गये उन्हें खून खराबा देखते हुए, सहते हुए, सहमते हुए। वे अपने अपने बच्चों का भविष्य बनाना चाहते हैं। जम्मू - कश्मीर के मेरे भाइयों और बहनों, आज मौका है जब आप और हम मिलकर इन जख्मों को भर सकते हैं। एक खुशहाल जम्मू और कश्मीर के निर्माण में शरीक हो सकते हैं। मैं चाहता हूँ राज्य का कोई भी नागरिक अपने को अकेला न समझे, असहाय महसूस न करें, पूरा देश उसके साथ है। मुझे विश्वास है, चुनाव के बाद जो नई परिस्थिति बनेगी उसमें सभी विस्थापित जिनमें कश्मीरी पंडित शामिल हैं। इज्जत के साथ अपने घरों को वापस जा सकेंगे।

    मैं जम्मू कश्मीर के लोगों को यकीन दिलाना चाहता हूँ, कुछ गलतियां हुई हैं तो उन्हें हम ठीक करेंगे। उसके लिए चुने हुए प्रतिनिधियों तथा संगठनों के साथ बातचीत करेंगे, प्रदेश को ज्यादा अधिकार देने की मांग पर भी चर्चा होगी। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी असम की चाह बढ़ रही है। तेजी से आगे आर्थिक विकास की मांग जोर पकड़ रही है। लोग इस बात को समझ रहे हैं कि हथियारों से जिंदगी छीनी जा सकती है। मगर बेहतर नहीं बनाई जा सकती।

    नागालैण्ड में भी स्थाई शांन्ति के हमारे प्रयास सफलता की ओर बढ़ रहे हैं। उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों में भी हिंसा का रास्ता अपनाने वालों को हम शान्ति वार्ता का निमन्त्रण देते हैं।

    भाइयों और बहनों बाहरी संकट के साथ-साथ हमें प्रकृति से भी जूझना पड रहा है। देश का बड़ा भू-भाग आज भयावह सूखे की चपेट में हैं। कहीं-कहीं बाढ़ ने अपना प्रकोप दिखाया है। खड़ी फसल सूख रही है, बोए बीज बर्बाद हो गये हैं, किसान चिंतित हैं, हम उनकी चिन्ता में शामिल हैं। सरकार ने सूखे की स्थिति का मुकाबला करने के लिए सभी संभव कदम उठाये हैं। हमारे गोदाम अन्न से भरे हैं। सूखे से भूखे मरने नहीं दिया जाएगा। अन्तयोदय अन्न योजना का दायरा बढ़ा कर जनता के कमजोर वर्ग को तुरन्त राहत पहुँचाई जा रही हैं।

    दस हजार करोड़ रुपये की सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत सूखा राहत कार्यों में तेजी लाई गयी है। काम के बदले अनाज योजना के अन्तर्गत राज्य सरकारों को पांच हजार करोड़ रुपये दिये हैं। आवश्यक वस्तुओं के दाम नियंत्रण में हैं। परन्तु ये तो हैं, केवल तात्कालिक कदम। इसके अलावा सूखा और बाढ़ के अभिशाप से बचने के लिए मेरी सरकार एक दीर्घकालीन प्रभावी रणनीति भी बना रही हैं।

    हम बूँद-बूँद जल को बचाने का प्रयास करेंगे। वाटर शेड और बरसात के पानी का जमाव जैसे सभी तरीको को अपनाना होगा। जल्दी ही एक नया कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है, जिसका नाम है प्रधानमंत्री ग्रामीण जल संवर्धन योजना। हम त्तकाल तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का श्रीगणेश करने वाले हैं। पहला अभावग्रस्त इलाकों में एक लाख हैण्ड पम्प लगाये जाएंगे। दूसरा एक लाख ग्रामीण प्राइमरी स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था की जाएगी और तीसरा एक लाख पारंपरिक पेय जल श्रोतों का जीर्णोधार किया जाएगा।

    प्यारे देशवासियों, आपके विश्वास, स्नेह और समर्थन के बल पर मैं आज लगातार पांचवी बार लाल किले की प्राचीर से आपके सामने हूँ। देश में आज स्थिरता है। लोग मिली-जुली सरकार के प्रयोग की सफलता चाहते हैं। लोकतन्त्र और मजबूत हुआ है, उसकी जड़ें गांव-गांव तक पहुँची हैं। स्वतन्त्रता के बाद से तेरह बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं। सरकारें बनी हैं और बदली हैं। मगर बिना खून-खराबे के। मेरी सरकार चुनाव प्रक्रिया में सुधार करने के लिए कटिबद्ध है। अपराधी त्तवों को सत्ता से दूर रखने का हमारा दृढ़ निश्चय है।

    प्रिय देशवासियों, आज भारत विश्व मंच पर गौरव से खड़ा है, ऊँचा, आत्मनिर्भर और स्वाभिमान से भरा हुआ भारत। दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा तेजी से बढ़ रही है। ये जरूरी है कि हम अपनी उपलब्धियों को नजर अंदाज न करें। बेशक कई क्षेत्रों में हमारी गति धीमी हो, इस पर हम ईमानदारी से निगाह डालेंगे। हमने जो अब तक किया है। उससे बेहतर करने की हमारी क्षमता है। कभी-कभी हम अपनी कमियों को जरूरत से ज्यादा मापने लगते हैं। इससे जन्म लेती हैं निराशा, देश की ऊर्जा बिखरती है, इसके विपरीत राष्ट्र के गौरव की भावना हमें बेहतर उपलब्धियों की तरफ प्रेरित करती है।

    हमें गर्व होना चाहिए अपने किसानों पर। कुछ साल पहले हमें अनाज विदेशों से मंगाना पड़ता था। पिछले वर्ष हमने चौसठ सौ करोड़ रुपये का अनाज विदेशों को भेजा है। हमें गर्व होना चाहिए अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों पर जिन्होंने केवल भारतीय नहीं, बल्कि दूसरे देशों के उपग्रहों का भी अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। हमें गर्व होना चाहिए कम्प्यूटर उद्योग में लगे उद्यमियों पर, क्या कोई कल्पना भी कर सकता था कि एक दिन कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात से भारत की चालीस हजार करोड़ रुपये की आमदनी होगी। लेकिन ये हुआ है। इन उपलब्धियों के पीछे हम भारतीयों की प्रतिभा है, मेहनत और संकल्प है। विशेष रूप से इसका श्रेय जाता है देश के नौजवानों को। आइए आज हम अपनी युवा पीढ़ी का अभिनन्दन करें।

    भाइयों और बहनों, हमारे यहाँ बहुदलीय व्यवस्था है। सत्ता की होड़ होना स्वाभाविक है, किन्तु इस होड़ को राष्ट्र को सर्वोपरि के सिद्धांत की मर्यादा में रखना चाहिए। राजनीति आचरण में हमें लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी, जिसे अस्थाई लाभ के लिए कभी लांघा न जाए। आज राष्ट्रीय सुरक्षा के सवालों पर राजनीतिक दलों में आम राय है। तो क्यों न हम आर्थिक एवं सामाजिक विकास के कुछ ज्वलंत प्रश्नों पर भी आम सहमति बनायें, बना सकते हैं, बनानी चाहिए। उदाहरण के लिए बिजली की समस्या को लें। बिजली की कमी अनेक प्रदेशों में संकट बन चुकी है। मेरी सभी राजनीतिक दलों से अपील है कि बिजली के क्षेत्र में सुधारों के न्यूनतम एजेंडे पर आम राय कायम करें। सिर्फ राजनीतिक दलों की मानसिकता में परिवर्तन ही काफी नहीं है। लोगों के सोच में भी बदलाव जरूरी है।

    विचार कीजिए, थोड़ी देर के लिए विचार कीजिए देश में कितनी बिजली की चोरी हो रही है। उससे हर साल पच्चीस हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसे कैसे सहन किया जा सकता है। आज बहुत से किसान चाहते हैं अच्छी बिजली उन्हें मिले, लेकिन सप्लाई लगातार हो, निरतंर हो, उसके लिए वो कुछ ज्यादा दाम देने के लिए तैयार हैं, लेकिन बिजली कटनी नहीं चाहिए। रास्ते में अपने गंतव्य पर न पहुँचे कमी की अर्थव्यवस्था अब अधि कता की अर्थव्यवस्था में बदल रही है। आज राशन की दुकानों पर भीड़ नहीं है, गैस और टेलीफोन कनेक्शनों पर कोई लाइन नहीं है।

    मिट्टी के तेल की लम्बी कतारें कम हुई हैं। बरसात के कारण सब्जियों के दाम कुछ जरूर बढ़े हैं। लेकिन हमने कोशिश की है कि प्याज की कीमत न बढ़ने पाये।

    टेलीकॉम और इन्टरनेट सेवायें आज अधिक से अधिक लोगों को उपलब्ध है। इनकी दरें भी लगातार घटती जा रही हैं। आर्थिक सुधारों को हमारा मुख्य उद्देश्य गरीबी को तेजी से मिटाना है। इस दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आम आदमी का जीवन स्तर ऊँचा हो रहा है। आज गरीब बस्तियों में बिजली का पंखा, टीबी, फ्रिज या स्कूटर देखा जा सकता है।

    मेरा सपना है, प्रत्येक परिवार का एक अपना घर हो। पिछले चार सालों के दौरान लगभग साठ लाख नये मकान बनाने का प्रबंध किया गया है। इनमें से पैतीस लाख केवल ग्रामीण इलाकों में हैं और अस्सी प्रतिशत गरीब परिवारों के लिए हैं। मैं ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ, जिसमें सरकार और समाज दोनों संवेदनशील हों। हमारी नीतियां और कार्यक्रम इस लक्ष्य को पाने के लिए बनाये गये हैं।

    भाइयों और बहनों समय की मांग है कि देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का विकास तेजी से हो। जिसे पूरा करने के लिए हम कृतसंकल्प हैं। देश में विश्व स्तर की सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। राष्ट्रीय राज मार्ग विकास योजना तेजी से प्रगति कर रही है। इस पर पचपन हजार करोड़ की लागत आयेगी। शेरशाह सूरी द्वारा बनाये गये ग्रान्ड ट्रंक रोड के बाद भारत में इतनी बृहद और महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना पहली बार कार्यान्वित की जा रही है। इसी तरह लगभग साठ हजार करोड़ की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना उसके अन्तर्गत पहले पांच सालों में सभी गांवों को पक्की सड़कें से जोड़ा जाएगा। इन दोनों सड़क योजनाओं से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है।

    प्यारे देशवासियों, हमारा लक्ष्य है कि भारत को पूरी तरह गरीबी और बेरोजगारी के अभिशाप से मुक्त करना। उसे सन् 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना। सौ करोड़ का ये देश जब एक समान संकल्प के साथ काम करेगा तो कोई भी लक्ष्य असम्भव नहीं है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में सकल घरेलू उत्पाद में आठ प्रतिशत की स्थाई वृद्धि दर का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में कुछ और महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं, जिनकी अलग से घोषणा की जा रही है।

    बहनों और भाइयों मैं आपसे अपील करता हूँ कि आइए हम विकास को एक सशक्त जन आन्दोलन बनाएं। इस सब के लिए जरूरी है जातिवाद और साम्प्रदायिकता से ऊपर उठना और हर उस चीज को छोड़ना जो हमें आपस में बांटती है। गुजरात में हाल की भयानक साम्प्रदायिक हिंसा का विस्फोट ऐसा ही है एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण, एक सभ्य समाज में इसके लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। गम्भीर से गम्भीर उत्तेजक परिस्थितियों में भी हमें शान्ति, साम्प्रदायिक सदभाव, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को हर कीमत पर बनाये रखना होगा। अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और बराबरी के अवसर प्राप्त कराना ये सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।

    देशवासियों आइए एक राष्ट्र रूप में हम आगे देखें, भविष्य की ओर देखें। किसी ने ठीक ही कहा है, बीती ताहे बिसार देय - अब आगे की सुधि ले। अतीत के मुद्दों और झगड़ों में न फंस कर नया भविष्य बनायें। हमारी सभी योजनाएं और प्रगति के हमारे सारे सपने तभी कामयाब होंगे जब हम सार्वजनिक जीवन में आचरण की शुचिता और नैतिकता का कड़ा पालन करेंगे। किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया जायेगा। जो जितनी ऊँची जगह पर है, उसे याद रखना चाहिए कि लोग उससे उतने ही ऊँचे आचरण की उम्मीद रखते हैं।

    जहाँ एक ओर राजनीति और प्रशासन में लगे लोगों को अपना रवैया बदलने की जरूरत है, वहीं नागरिकों को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। केवल अधिकारों की बात न करें। स्वयं के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को भी याद रखें। हर काम के लिए सरकार पर निर्भर रहने की मानसिकता को बदलना होगा। मेरा आहवान है कि सामाजिक कार्यों में सभी नागरिकों और स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आना चाहिए।

    समाज के दलित, शोषित और पिछड़े वर्गों को सामाजिक न्याय और बराबरी का अहसास कराना हम सबकी जिम्मेदारी है। ऐसा करके हम कोई एहसास नहीं कर रहे हैं। मेरी सरकार ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण अवधि आगामी दस वर्षों के लिए और बढ़ाई है। उनके लिए सरकारी सेवाओं में पदोन्नति के अवसरों की व्यवस्था को भी सुचारू एवं पुख्ता रूप दिया है। ये आरक्षण कोई दया नहीं है।

    सामाजिक बराबरी लाने का एक औजार है। मेरे प्यारे देशवासियों आजादी की ये 55वीं सालगिरह हमें एक और संकल्प का संकेत देती है कि हम सब मिलकर विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए जी तोड़ परिश्रम

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