ज़िंदगी एक अहसास
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इस किताब में आपको संदीप सक्सेना यानी जी के द्वारा लिखी गई ढेर सारी शायरी, कविताओं का एक संग्रह मिलेगा जिसे पढ़कर आपको जिंदगी के हर पढ़ाव की दुविधाओं और कठिनाइयों से अवगत होने में मदद मिलेगी। जिन्दगी अपने आप मे एक तजुर्बा है। जब आप होश संभालते है तो आप पाते है कि जैसे आप स्वप्न से यथार्थ मे आ गये । रेशमी सतह से उबड़ खाबड़ धरातल पर आ जाते हैं । हर तरह के अनुभव फिर वो अच्छे हो या बुरे पूरे तन्मयता से लेते है । ज़िन्दगी हर लिहाज़ से ही आपकी गुरु होती है जिससे हम ताजिंदगी ही सबक लेते रहते हैं। कहते है ज़िंदगी ज़हर का प्याला होती है लेकिन जीतता वो ही है जो इसे अपने हलक मे उतार ले। संदीप जी इस किताब को अपनी भावनाओं का अक्स मानते है । आशा है आपको उनकी ये किताब पसंद आयेगी ।
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Book preview
ज़िंदगी एक अहसास - Sandeep Saxena
प्राक्कथन
किताब हर लेखक का सपना होता है किताब छपने का और इस सपने को साकार करने के लिए बहुत मेहनत और एव्क अच्छे पब्लिशर की जरुरत होती है हमने बहुत सी कठिनाइयों के बाद अपनी पहली पुस्तक छपवा पाई थी तबव ही हमने सोच लिया था की जो दिक्कत मुझे आई है वो मै किसी और को न होने दूंगी मेरा नाम सृष्टि शिवहरे है मैं SRSD PUBLICATION की संचालक हूँ हमने अपने लेखक संदीप सक्सेना जी का किताब प्रकाशित होने का सपना पूरा किया हैं ।
इस किताब में आपको संदीप सक्सेना यानी जी के द्वारा लिखी गई ढेर सारी शायरी, कविताओं का एक संग्रह मिलेगा जिसे पढ़कर आपको जिंदगी के हर पढ़ाव की दुविधाओं और कठिनाइयों से अवगत होने में मदद मिलेगी। जिन्दगी अपने आप मे एक तजुर्बा है। जब आप होश संभालते है तो आप पाते है कि जैसे आप स्वप्न से यथार्थ मे आ गये । रेशमी सतह से उबड़ खाबड़ धरातल पर आ जाते हैं । हर तरह के अनुभव फिर वो अच्छे हो या बुरे पूरे तन्मयता से लेते है । ज़िन्दगी हर लिहाज़ से ही आपकी गुरु होती है जिससे हम ताजिंदगी ही सबक लेते रहते हैं। कहते है ज़िंदगी ज़हर का प्याला होती है लेकिन जीतता वो ही है जो इसे अपने हलक मे उतार ले। संदीप जी इस किताब को अपनी भावनाओं का अक्स मानते है । आशा है आपको उनकी ये किताब पसंद आयेगी ।
लेखक की कलम से
सबसे पहले मैं अपने माता-पिता को धन्यवाद देता हूँ जिनके आशीर्वाद और मेरी माँ के प्रोत्साहन की वजह से मैं एक काव्य संग्रह ‘ज़िन्दगी एक अहसास’ की प्रथम सीरीज को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ । मैं ये तो नही कहता हूं कि मैंने बहुत संघर्ष किया किन्तु ये जरूर कहूंगा कि ज़िन्दगी के हर सोपान को तबियत से ज़िया भी हूँ ओर महसूस भी किया ।
उन्ही भावों को शब्दों मे समेटकर जीवन रूपी माला में मोती सदृश्य पिरोने का प्रयास जरूर कर रहा हूँ। मैं इसके लिये ऋतु अग्रवाल मैडम का हृदय से आभारी रहूंगा जिन्होने मुझे मेरे लेखन के जरिये प्रोत्साहित किया ।
इसमे मेरे अनुज राहुल मेरी अर्धागिनी प्राची मेरे जीजाजी मेरी दीदी अनुज वधु प्रीती और मेरे प्यारे दोनों भतीजों को नमन भाविश का समर्पण अविस्मरणीय है। अन्त में मैं अपने पूरे परिवार को धन्यवाद दूंगा और आप सभी पाठकों के सहयोग का अभिलाषी रहूँगा । धन्यवाद ।
संदीप सक्सेना ज़ख़्मी
जबलपुर मध्यप्रदेश
दिल की आवाज़
नमस्कार दोस्तों मैं संदीप सक्सेना हूं । मेरा जन्म 4 अप्रैल 1974 को रीवा में हुआ था । मेरा हमेशा से सपना रहा है लेखक बनने का लेकिन जिंदगी की भागदौड़ में कभी खुद को इतना वक्त नहीं दे पाया । लेकिन जब से मेरी पत्नी ने मेरी डायरी पढ़ी ओर फिर मेरी माँ ओर भाई के साथ पूरे परिवार का समर्थन मिला तो मुझे लिखने की प्रेरणा मिली । उन्होंने मुझे लेखक बनने को प्रोत्साहित किया है और तभी से मैं फिर लिखने लगा और ये मेरी पहली किताब है ।
मैने कई सारी पत्रिका में , और संकलन में अपनी रचना प्रकाशित करवाई है जिनमे से नया सबेरा हिंदी पत्रिका की संपादक और SRSD Publication की संस्थापक सृष्टि शिवहरे