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21 Shreshth Naariman ki Kahaniyan : Chandigarh (21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां : चंडीगढ़)
21 Shreshth Naariman ki Kahaniyan : Chandigarh (21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां : चंडीगढ़)
21 Shreshth Naariman ki Kahaniyan : Chandigarh (21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां : चंडीगढ़)
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21 Shreshth Naariman ki Kahaniyan : Chandigarh (21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां : चंडीगढ़)

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About this ebook

भारत एक विशाल देश है, जिसमें अनेकों सभ्यताओं, परंपराओं का समावेश है। विभिन्न राज्यों के पर्व-त्योहार, रहन-सहन का ढंग, शैक्षिक अवस्था, वर्तमान और भविष्य का चिंतन, भोजन की विधियां, सांस्कृतिक विकास, मुहावरे, पोशाक और उत्सव इत्यादि की जानकारी कथा-कहानी के माध्यम से भी मिलती है। भारत के सभी प्रदेशों के निवासी साहित्य के माध्यम से एक-दूसरे को जानें, समझें और प्रभावित हो सके, ऐसा साहित्य उपलब्ध करवाना हमारा प्रमुख उद्देश्य है। भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव ) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा 'भारत कथा माला' का अद्भुत प्रकाशन।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateJun 3, 2022
ISBN9789391821142
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    21 Shreshth Naariman ki Kahaniyan - Sangeeta Rai

    निर्मल जसवाल

    पता : 1582, 33-D, चंडीगढ़-160032

    मो. : 9855481289, +14168393874 (Canada)

    ईमेल: nirmaljsrqna@gmail.com

    पिता का नाम : स्व. श्री मुनि लाल जसवाल

    पति का नाम : स्व. कैप्टन जयन्त सिंह राणा

    जन्म तिथि : प्रथम मार्च

    शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी (हिन्दी फिलासफी-आनर्स

    व्यवसाय : रिटायर्ड प्रोफेसर (हिन्दी)

    प्रकाशित रचनाओं की संख्या-

    कई प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं जैसे :

    हिन्दी-मन्तव्य, हंस, वांग्मय, पुष्पगंधा (हिन्दी), तथा पँजाबी- लकीर, प्रवचन, हुण, अक्खर, मुहांदरा, अक्स, प्रतिमान, आदि (पंजाबी) में अनगिणत-कहानियाँ, निबन्ध, संस्मरण, इन्टरव्यूज, कविताएँ, आर्टिकलस, अनुवादित इंग्लिश से हिंदी, पंजाबी, हिन्दी से पंजाबी आदि

    क. 5 पंजाबी (कहानी संग्रह)

    ख. 1 हिन्दी (कहानी संग्रह)

    ग. 2 आलोचनात्मक पुस्तकें (एक प्रकाशनाधीन)

    घ. 1 कविता पुस्तक अनुवाद

    ड. 2 बाल कहानी संग्रह (हिन्दी-पंजाबी)

    च. 1 आर्टिकल पुस्तक

    छ. 1 हिन्दी कविता संग्रह

    ज. 1 उपन्यास-प्रकाशाधीन

    अपरिचित गंध

    वह सुन्न निष्क्रिय खड़ी रही। नीला लिफाफा हाथों में पकड़ होने पर भी हवा में फड़फड़ा रहा था। उसे लगा होस्टल की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते वह भी पत्ते की मानिन्द फड़फड़ा रही है। एक अर्से के बाद यह उसे क्या सूझी? गेट से लेकर अपने कमरे तक पहुंचते-पहुंचते वह एक ही तरह के वाक्य का कोटि बार उच्चारण कर चुकी थी- ‘रसना प्रिय, मैं आ रहा हूँ तुम्हारे पास......’ शेष वाक्य वह पढ़ते हुए भी दोहरा नहीं सकी थी। ‘शिवांग’ के साथ पिछले वर्ष से उसका रोमांस चल रहा था। रोमांस कह लो या प्रेम कि वे एक-दूसरे से टूटने की कल्पना पर ही रोमांचित हो जाया करते थे। दबी-दबी जुबां से हज़ारों बार वे एक दूसरे को कह चुके थे। ‘तुम्हारे बिना अब जीवन कैसा?’ जागते हुए मनुष्य हजारों बन्धनों और नियमों में कसता रहता है सत्य से

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