21 Shreshth Lok Kathayein : Uttar Pradesh (21 श्रेष्ठ लोक कथाएं : उत्तर प्रदेश)
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21 Shreshth Lok Kathayein - Priyanka Verma
1
दादी की कहानी
गाँव में रहने वाली एक बुढ़िया का 5 बरस का पोता था। नटखट और चंचल। बिना कहानी सुने सोता ही न था। उसे सुलाने के लिए बुढ़िया रोज नई-नई कहानियाँ सुनाती थी, जिसे सुनते-सुनते पोता सो जाया करता था।
एक रात वह फिर कहानी सुनने की जिद्द करने लगा। उस रात बुढ़िया कुछ परेशान थी। बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। गाँव के सारे खेत-खलिहानों में बारिश का पानी भर गया था। बुढ़िया की छोटी-सी झोपड़ी में भी कई जगह से पानी टपकने लगा था। टिप-टिप की आवाजें आ रही थी। मगर पोते को इन सबसे कोई मतलब ना था, उसे तो कहानी सुननी थी। वह लगातार जिद्द कर रहा था।
बुढ़िया खीझने लगी। वह बोली, बचवा, अब का कहानी सुनाये? ई टिपटिपवा से जान बचे, तब ना!
टिपटिपवा सुनकर पोता आश्चर्य में पड़ गया और बुढ़िया से पूछने लगा, दादी, ये टिपटिपवा क्या होता है? क्या शेर-बाघ से भी बड़ा जानवर होता है?
बुढ़िया ने एक बार छत से गिरते पानी को देखा और बोली, हाँ बचवा! न शेरवा, न बघवा के डर, डर त टिपटिपवा के डर।
उस समय संयोग ऐसा हुआ कि बारिश से बचने के लिए एक बाघ बुढ़िया की झोपड़ी के पीछे बैठा हुआ था। जब उसने बुढ़िया की बात सुनी, तो वह डर गया। वह सोचने लगा कि टिपटिपवा जरूर कोई बहुत विशाल और बलशाली जानवर होगा। शेर और बाघ से भी विशाल और बलशाली। इसलिए तो बुढ़िया को शेर और बाघ से ज्यादा टिपटिपवा का डर सता रहा है। अगर मैं यहाँ रुका, तो जरूर वह टिपटिपवा मुझ पर हमला कर मुझे मार डालेगा। अब मैं यहाँ नहीं ठहर सकता। मुझे भाग जाना चाहिए।
उसके बाद बाघ वहाँ नहीं रुका, तेजी से भागने लगा। भागते-भागते वह गाँव के एक धोबी के घर पहुँचा। उस धोबी के पास एक ही गधा था, जिस पर कपड़े लादकर वह नदी पर ले जाता था। उसने उसे सारा दिन ढूंढा, मगर वह नहीं मिला था। एक तो उसका गधा भाग गया, उस पर मूसलाधार बारिश। इसलिए वह बहत चिंतित था।
उसकी चिंता देख उसकी पत्नी ने सुझाव दिया, पंडितजी से जाकर क्यों नहीं पूछ लेते। वे बड़े ही ज्ञानी हैं। उन्हें सब-कुछ पता होता है।
धोबी को यह बात जम गई। वह एक लट्ठ लेकर पंडितजी के घर जा पहुँचा। वहाँ उसने देखा कि पंडित जी के घर पानी भरा हुआ है और वो पानी बाल्टी में भर-भर कर बाहर फेंक रहे हैं।
धोबी उन्हें प्रणाम कर बोला, पंडित जी! मेरा गधा पता नहीं कहाँ भाग गया है। सुबह से ढूंढ रहा हूँ। किंतु मिल नहीं रहा। अपनी पोथी देखकर बता दीजिये कि वह कहाँ मिलेगा?
पंडित जी बारिश का पानी घर में भर जाने से परेशान थे। पानी घर से बाहर फेंक-फेंक कर थक चुके थे। धोबी की बात सुनकर वे बड़े क्रोधित हुए और बोले, अरे मेरी पोथी में क्या लिखा होगा? तेरा गधा पड़ा होगा, कहीं नदी-पोखर के किनारे। जाकर वहाँ ढूंढ।
यह कहकर वह फिर अपने काम में लग गये। धोबी पंडित के कहे अनुसार गाँव के तालाब की ओर चल पड़ा। तालाब किनारे लंबी-लंबी घास उगी थी। उसी घास में धोबी अपने गधे को ढूंढने लगा।
बुढ़िया के घर से भागा बाघ वहीं घास के पीछे छुपा बैठा था। धोबी ने सोचा कि वो उसका भागा हुआ गधा है। दिन भर का गुस्सा निकालते हुए वह उसे बेदम पीटने लगा। बाघ घबरा गया।
उसने सोचा कि लगता है यही टिपटिपवा है। इसने मुझे ढूंढ ही लिया। अब इसकी बात न मानी, तो ये मुझे जान से मार डालेगा। अब मुझे वही करना चाहिए, जो ये कहता है।
उधर धोबी ने