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होलोग्राफिक यूनिवर्स: एक परिचय
होलोग्राफिक यूनिवर्स: एक परिचय
होलोग्राफिक यूनिवर्स: एक परिचय
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होलोग्राफिक यूनिवर्स: एक परिचय

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इस पुस्तक मे जो कुछ भी समझाया गया है उसकी गहराई को समझने के मकसद से इसे पढ़िये। इसे सिर्फ एक 'पाठन सामग्री' मत समझिए। इसे सिर्फ होलोग्राफिक यूनिवर्स के बारे में जानने के लिए मत पढ़िए बल्कि, लेखिका इसके बारे में क्या समझाना चाहती है जब तक आप उसको अनुभव नही करते और समझ नही लेते तब तक उस पर चिंतन करते रहिए। इस पुस्तक मे जो भी लिखा गया है उसकी कल्पना करते समय एक खुला और साफ मस्तिष्क रखने से आपको यह अनुभव करने में मदद मिलेगी कि लेखिका ने क्या अनुभव किया है और आपने उससे अलग क्या अनुभव किया है। परिणाम स्वरूप, आप ये समझ पाएंगे की लेखिका क्या समझाना चाहती है। जब तक आप इस पुस्तक को समझ नही लेते तब तक अगर आप इसे बार बार पढ़ेंगे, तो आपकी होलोग्राफिक यूनिवर्स को अनुभव करने की क्षमता बढ़ती जाएगी। पढ़ने के अनुभव का आनंद लीजिए !

Languageहिन्दी
PublisherBadPress
Release dateDec 2, 2020
ISBN9781071575802
होलोग्राफिक यूनिवर्स: एक परिचय

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    होलोग्राफिक यूनिवर्स - Brahma Kumari Pari

    विषय - सूची

    परिचय

    लेखक के बारे में

    अध्याय 1: होलोग्राफिक यूनिवर्स का परिचय

    अध्याय 2: प्रकृति का द्विआयामी विश्व नाटक और समय का चक्र

    अध्याय 3: विश्व नाटक और आत्मा की दुनिया

    अध्याय 4: सूक्ष्म विश्व नाटक

    अध्याय 5: होलोग्राफिक यूनिवर्स मे आकस्मिक ऊर्जाओं की भूमिका

    अध्याय 6: सूक्ष्म जीवन नाटक

    अध्याय 7: मनुस्मृति 1.5 – अंधकारमय क्वांटम विश्व मे गहरे रंग की क्वांटम ऊर्जाओं का वर्णन

    अध्याय 8: क्वांटम ऊर्जाओं का प्रकाश और फोटॉन

    अध्याय 9: वास्तविक दुनिया और होलोग्राफिक विश्व

    अध्याय 10: दुनिया को देखना

    अध्याय 11: होलोग्राम या त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक की होलोग्राफिक फिल्म

    अध्याय 12: मनुस्मृति 1.7 – होलोग्राफिक जीव का निर्माण

    अध्याय 13: आभा, चक्र और भंवर

    अध्याय 14: संसारों का घनत्व

    अध्याय 15: अंधकारमय वातावरण मे सूक्ष्म अनुभव और मृत्यु के निकट के अनुभव

    अध्याय 16: लौकिक चेतना और अन्य आयाम

    अध्याय 17: दूसरे आधे चक्र मे सूक्ष्म अनुभव

    अध्याय 18: संगम युग के सूक्ष्म क्षेत्र और सूक्ष्म शरीर

    आकृति 1

    आकृति 2

    ब्रह्मा कुमारी परी द्वारा अन्य पुस्तकें

    परिचय

    इस पुस्तक मे जो कुछ भी समझाया गया है उसकी गहराई को समझने के मकसद से इसे पढ़िये। इसे सिर्फ एक 'पाठन सामग्री' मत समझिए। इसे सिर्फ होलोग्राफिक यूनिवर्स के बारे में जानने के लिए मत पढ़िए बल्कि, लेखिका इसके बारे में क्या समझाना चाहती है जब तक आप उसको अनुभव नही करते और समझ नही लेते तब तक उस पर चिंतन करते रहिए। इस पुस्तक मे जो भी लिखा गया है उसकी कल्पना करते समय एक खुला और साफ मस्तिष्क रखने से आपको यह अनुभव करने में मदद मिलेगी कि लेखिका ने क्या अनुभव किया है और आपने उससे अलग क्या अनुभव किया है। परिणाम स्वरूप, आप ये समझ पाएंगे की लेखिका क्या समझाना चाहती है। जब तक आप इस पुस्तक को समझ नही लेते तब तक अगर आप इसे बार बार पढ़ेंगे, तो आपकी होलोग्राफिक यूनिवर्स को अनुभव करने की क्षमता बढ़ती जाएगी।

    पढ़ने के अनुभव का आनंद लीजिए !

    लेखिका के बारे में

    इस पुस्तक की लेखिका, लेख और पुस्तकें लिखने में शामिल है जिनकी सूची नीचे दी गयी है:

    होलोग्राफिक यूनिवर्स

    होलोग्राफिक यूनिवर्स के आयामों में उनका आध्यात्मिक अनुभव

    क्वांटम ऊर्जाएँ जो होलोग्राफिक यूनिवर्स का हिस्सा हैं

    विभिन्न धार्मिक ज्ञान जो होलोग्राफिक यूनिवर्स की मौजूदगी को दर्शाता है

    ब्रह्मकुमारी यों का राजयोग, ध्यान का अभ्यास, इतिहास आदि

    उस समय से जब वे छोटी बच्ची थी, तबसे वे हिंदू शास्त्रों, ध्यान और योग अभ्यास आदि के बारे मे बहुत पढ़ा करती थीं। सन् 1994 में, उनका ब्रहमाकुमारीयों से परिचय हुआ, तब से ही उन्होंने होलोग्राफिक यूनिवर्स के आयामों के बारे मे बहुत कुछ अनुभव किया। सन् 1996 में उन्होंने लेखों को लिखना शुरू किया। उनकी पहली पुस्तक का नाम होलोग्राफिक यूनिवर्स: एन इंट्रोडक्शन जो जनवरी 2015 मे अंग्रेजी मे प्रकाशित हुई थी। उनकी दूसरी पुस्तक ग्रो रिच, वाइल वाकिंग इन द गोल्डन एजेड वर्ल्ड (ध्यान की टिप्पणियाँ के साथ) अक्टूबर 2016 में प्रकाशित हुई थी। सन् 2017 की शुरुआत मे उन्होने एक्सपेंशन ऑफ द यूनिवर्स नाम की पुस्तक का लेखन शुरू किया। इन सभी पुस्तकों का प्रकाशन अंग्रेज़ी मे हुआ है।

    लेखिका की योजना कई और पुस्तकों को लिखने की है।

    अध्याय 1: होलोग्राफिक यूनिवर्स का परिचय

    हम दो प्रकार की दुनिया में रह रहे हैं: होलोग्राफिक यूनिवर्स और वास्तविक दुनिया। ये दोनो भौतिक विश्व का हिस्सा हैं। वास्तविक दुनिया में वह सब कुछ है जिससे हम भौतिक दुनिया मे भलीभांती परिचित हैं जैसे पृथ्वी, हमारा भौतिक शरीर आदि। होलोग्राफिक यूनिवर्स उन सभी से बना हुआ है जिसका रूप भौतिक नहीं है। होलोग्राफिक यूनिवर्स मे निम्न शामिल हैं:

    क्वांटम विश्व,

    प्रकाश की सूक्ष्म दुनिया, और

    सूक्ष्म विश्व नाटक

    क्वांटम विश्व, क्वांटम ऊर्जाओं से भरा हुआ है और इसमे कई क्वांटम आयाम हैं। प्रकाश की सूक्ष्म दुनिया मे निम्न शामिल हैं:

    सभी क्वांटम ऊर्जाओं की प्रकाश ऊर्जाएं जो उनके पास आत्मा के स्थान पर है। इस पुस्तक के अध्याय 8 मे मैंने इन प्रकाश ऊर्जाओं को क्वांटम ऊर्जाओं के प्रकाश के नाम से संदर्भित किया है।

    क्वांटम ऊर्जा प्रकाश  ऊर्जाएं, प्रकृति के उन प्रकाश ऊर्जा रूपों को उपलब्ध कराती है जो उनके पास आत्मा के स्थान पर है । ईश्वर के संदेशों और ब्रहमाकुमारीयों मे यह कहा गया है कि प्रकृति मे 'आत्मा' नहीं है उनके पास इसके स्थान पर 'प्रकाश' है। तो यह 'प्रकाश', जिसे मैंने 'क्वांटम ऊर्जा प्रकाश' कहा है, आत्मा नहीं है।

    सभी मानव आत्माएं जो भौतिक विश्व मे हैं

    सभी जानवरों की आत्माएं

    शुद्ध सूक्ष्म आयामों या विभिन्न वातावरण जिनका उपयोग मानव आत्माएँ सूक्ष्म विश्व प्रकाश में करती हैं।

    सूक्ष्म विश्व-नाटक, द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक, त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक और प्रकृति के द्विआयामी विश्व-नाटक से बना हुआ है।

    द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक में पृथ्वी पर हमारे जीवन मे होने वाली सभी घटनाओं का संक्षिप्त अभिलेख है। द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक मे निम्न का संक्षिप्त अभिलेख है:

    विश्व-नाटक जो सर्वोच्च आत्मा (ईश्वर) के भीतर मौजूद है, और

    विश्व-नाटक जो सभी मानव आत्मओं के भीतर मौजूद है।

    जो भी पृथ्वी पर होता है वह सब त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक मे भी होलोग्राफिक रूप मे होता है। वास्तविक दुनिया का निर्माण सूक्ष्म विश्व-नाटक के माध्यम से होता है।

    सूक्ष्म विश्व-नाटक में कई क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम आयाम हैं जो वास्तविक दुनिया को भौतिक बनाने मे शामिल हैं। त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक से क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाएं, वास्तविक दुनिया में भौतिक रूपों मे प्रकट होती हैं। क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाएं जो भौतिक विश्व के सबसे करीब हैं वह एक ऐसी दुनिया प्रदान करेगी जो बिल्कुल भौतिक विश्व की तरह दिखती है क्योंकि वे कण हैं। घनीभूत ऊर्जाएँ उस वास्तविक दुनिया को प्रदान करती हैं जिसमे हम वर्तमान में रह रहे हैं। वास्तविक दुनिया असली कणों से बना हुआ है। आगे वास्तविक दुनिया से दूर क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम आयाम हैं जो क्वांटम कणों से मिलकर बना है। क्वांटम कणों से एक कदम आगे त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक में क्वांटम आयाम हैं जो उन क्वांटम तरंगों से मिलकर बने हैं जो वास्तविक दुनिया को भौतिक बनाने में शामिल हैं। प्रत्येक आयाम अपनी स्वयं की एक दुनिया की तरह है। यद्यपि ऐसा लगेगा जैसे कम घने आयाम वास्तविक दुनिया से आगे दूर हैं, इन सभी आयामों का वास्तविक दुनिया की तरह समान स्थान पर कब्जा है।

    निर्माण प्रक्रिया में शामिल तरंगों की दुनिया से आगे द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक की स्पष्ट झलक क्वांटम ऊर्जा प्रकाश ऊर्जाओं पर मिलती है। इस द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के स्पष्ट झलक में जो मौजूद है, उसके आधार पर ही वास्तविक दुनिया को भौतिक रूप दिया जाता है। आगे द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक से दूर निम्न आयाम हैं:

    सूक्ष्म विश्व प्रकाश में क्वांटम ऊर्जा प्रकाश ऊजाएँ हैं जो निर्माण प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं।

    क्वांटम विश्व में क्वांटम ऊजाएँ उत्पन्न होती हैं जो निर्माण प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं।

    यह कहा जा सकता है की सभी विभिन्न प्रकार के क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाएँ विभिन्न क्वांटम आयामों में मौजूद है। सभी क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम आयाम स्थायी रूप से मौजूद हैं क्योंकि भौतिक विश्व स्थायी रूप से मौजूद है ।

    प्रत्येक मनुष्य के शरीर के भीतर एक आत्मा है। ब्रहमाकुमारीयों के ज्ञान के अनुसार, आत्मा एक सफेद जीवित प्रकाश का एक बिंदु है। चूंकि आत्मा में प्रकाश मौजूद है इसलिए वह सूक्ष्म विश्व प्रकाश का हिस्सा है। हम सब भौतिक शरीर नहीं आत्माएँ बल्कि हैं। जब मैं आत्माओं शब्द का उपयोग करती हूं तो मैं सामान्य रूप से मानव आत्माओं की चर्चा कर रही हूं।

    प्रत्येक जानवर के भीतर भी एक आत्मा होती है। जब मैं शब्द जानवरों की आत्माओं का उपयोग करती हूं तो मैं जानवरों के भीतर आत्माओं की चर्चा कर रही हूं।

    चूंकि सूक्ष्म विश्व प्रकाश में प्रकाश ऊर्जाएँ मौजूद हैं इसलिए सभी आत्माएँ सूक्ष्म विश्व प्रकाश के भीतर एक आध्यात्मिक आयाम में है। सूक्ष्म विश्व प्रकाश पर अधिक स्पष्टीकरण, इस पुस्तक के अंतिम कुछ अध्यायों में पाए जा सकते हैं। इस अध्याय में जिन बातों को संक्षेप में समझाया गया है, उन्हें आप आगे इस पुस्तक के अध्यायों में विस्तार से समझ सकते है।

    अध्याय 2: प्रकृति का द्विआयामी विश्व नाटक और समय का चक्र

    जबसे द्विआयामी विश्व-नाटक की स्पष्ट झलक क्वांटम ऊर्जा प्रकाश ऊर्जाओं मे दिखाई देती है तबसे प्रकृति का द्विआयामी विश्व-नाटक, होलोग्राफिक यूनिवर्स मे मौजूद है। ये स्पष्ट झलक क्वांटम ऊर्जा की प्रकाश ऊर्जाओं में निरंतर मौजूद है क्योंकि प्रकृति का अस्तित्व सदा से है।

    द्विआयामी विश्व-नाटक रैखिक समय प्रदान करता है क्योंकि प्रकृति का अस्तित्व सदा से है। दूसरी ओर, द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक चक्रीय समय प्रदान करता है। ब्रहमाकुमारीयों के ज्ञान के अनुसार ये चक्रीय समय, समय का चक्र है।

    समय का चक्र यह बताता है कि कैसे ’समय’ निम्नलिखित क्रम में 6 युगों से होकर चक्रीय तरीके से आगे बढ़ता है:

    स्वर्ण युग (सतयुग)

    रजत युग (त्रेतायुग)

    मध्य-संगम - यह रजत और ताम्र युग के बीच का संगम है । मध्य-संगम को मध्य-संगम युग भी कहा जाता है।

    ताम्र युग (द्वापरयुग)

    लौह युग (कलियुग)

    संगम युग - यह लौह और स्वर्ण युग ​​के बीच का संगम है।

    ब्रहमाकुमारीयों के ज्ञान के अनुसार, सर्वोच्च आत्मा (ईश्वर) सफेद जीवित प्रकाश का बिंदु है। ईश्वर की आध्यात्मिक शक्ति, समुद्र की तरह है जबकि मानव आत्माओं की आध्यात्मिक शक्ति इसकी तुलना में एक बूंद की तरह है। ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर विश्व नाटक का एक अभिलेख है। ईश्वर के भीतर के विश्व नाटक मे प्रत्येक मानव आत्मा के भीतर विश्व नाटक की तुलना में अधिक जानकारी होती है।

    जब ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर होने वाले विश्व-नाटक के चिह्नों को क्वांटम ऊर्जा प्रकाश ऊर्जाओं पर छोड़ दिया जाता है तब प्रत्येक द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के अंत मे एक नए द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक का निर्माण होता है। प्रत्येक समय के चक्र के अंत में वही विश्व नाटक, द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के रूप में अंकित होता है ताकि 'समय' चक्रीय तरीके से दोहराता रहे। मानव आत्माएँ जब भौतिक विश्व में होती हैं तब इस द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक से उलझ जाती हैं।

    ब्रहमाकुमारीयों का ज्ञान चक्रीय ‘समय’ पर जोर देता है क्योंकि वे विश्व परिवर्तन के लिए मानव आत्माओं को तैयार करने में शामिल हैं। जब विश्व परिवर्तन होता है तब समय का एक नया चक्र शुरू होता है। ब्रहमाकुमारीयों के ज्ञान के अनुसार, प्रकृति भौतिक विश्व मे हमेशा से मौजूद है। यह अनन्त मौजूदगी रैखिक समय के लिए प्रदान करता है।

    द्विआयामी विश्व-नाटक में प्रकृति मे मौजूद जानवरों, पौधों और बाकी सबकी जानकारीआँ और चिह्न मौजूद हैं। विभिन्न युगों के चक्र में प्रकृति कैसी होगी, इसकी जानकारी ईश्वर के भीतर विश्व-नाटक में है। यह जानकारी प्रत्येक चक्र के अंत में द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक में अंकित हो जाती हैं और अगले नए चक्र मे ये चिह्न प्रकृति की भूमिका प्रदान करते हैं। चूंकि क्वांटम ऊर्जाओं

    को द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक मे जो मौजूद है उसके आधार पर वास्तविक विश्व को भौतिक बनाना होता है जिसके लिए चक्रीय समय भी प्रदान किया जाता है।

    जानवरों और पौधों की आध्यात्मिक स्थिति पृथ्वी पर सभी मानव आत्माओं की आध्यात्मिक स्थिति पर निर्भर है। यहां तक ​​कि प्रकृति की भूमिका भी पृथ्वी पर मानव जाति की आध्यात्मिक स्थिति पर आधारित होगी। मानव आत्माओं की आध्यात्मिक शक्ति, चक्र से गुज़रते हुए घटती रहती है और फिर चक्र के अंत में, ईश्वर मानव जाति का उत्थान करते हैं। यह चक्रीय तरीके से दोहराता रहता है और प्रकृति को प्रभावित करता है।

    यह ऐसा है जैसे चक्रीय द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक, रैखिक द्विआयामी विश्व-नाटक के साथ आगे बढ़ता है। हालांकि, द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक प्रकृति के द्विआयामी विश्व-नाटक से उलझा हुआ है। यह कहा जा सकता है कि चक्रीय द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक प्रकृति के द्विआयामी विश्व-नाटक के साथ संयुक्त अवस्था मे है।

    प्रकृति और मनुष्य के विश्व नाटक के लिए, समय का रैखिक और चक्रीय स्वरूप, मायन लॉन्ग काउंट कैलेंडर, हिंदू चक्र, आदि के माध्यम से प्रतिबिंबित किया गया है। हालांकि प्रकृति का एक रैखिक समय है, लेकिन इसे चक्रीय भी कहा जा सकता है जब समय ब्रह्माण्ड संबंधी चक्र पर आधारित होता है। हिंदू चक्र एक ब्रह्माण्ड संबंधी चक्र है।

    प्राचीन हिंदू ग्रंथों में क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाओं को भी ब्रह्मा के रूप में चित्रित किया गया था क्योंकि ये चक्रीय तरीके से वास्तविक दुनिया के निर्माण में शामिल हैं। इसलिए ब्रह्मा जिनसे हिंदू ब्रह्माण्ड संबंधी चक्र जुड़ा था, वह क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाओं को भी दर्शाता है । प्राचीन हिंदू ग्रंथों में, शब्द 'ईश्वर' को (या इसके समकक्ष, ’ब्रह्मा') अक्सर एक अवधारणा के रूप में उपयोग किया जाता है जिसमें निम्न शामिल हैं:

    क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊजाएँ (क्योंकि निर्माण, जीविका और सर्वनाश प्रक्रियाओं में अपनी भूमिका के कारण जैसे कि ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के पहलु)।

    विश्व नाटक जिसमें शामिल हैं सूक्ष्म विश्व-नाटक, ' समय' (जिसे द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के साथ बहने वाले त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के माध्यम से प्रदान किया जाता है), प्रकृति और उसका द्विआयामी विश्व-नाटक, ‘ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर विश्व नाटक, और विश्व नाटक से संबंधित अन्य सभी चीजें शामिल हैं जिसका उल्लेख नहीं किया गया है।

    होलोग्राफिक यूनिवर्स और बाकी सब कुछ जिसका विशिष्ट रूप से होलोग्राफिक यूनिवर्स में उल्लेख नहीं किया गया है।

    ईश्वर (सर्वोच्च आत्मा)।

    मानव आत्माएं जो पिछले संगम युग से लेकर चक्र के अंत तक ईश्वर के उपकरणों के रूप में भूमिका निभा रही थीं।

    आमतौर पर सभी मानव आत्माएं

    एक से अधिक, या ऊपर दिए गए सभी।

    हिंदू मिथकों में, क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाओं की बनाने, बनाए रखने और नष्ट करने की क्षमता को ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के रूप में चित्रित किया गया है। तीनों भगवानों को आपस में जुड़े हुए और ‘एक’ के रूप में चित्रित किया गया है ताकि यह दर्शाया जा सके कि कैसे क्वांटम ऊजाएँ 'एक’ के रूप में द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के अनुसार कार्य करती है । इन तीनों भगवानों को मानव जगत के लिए अपनी भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं का वर्णन यह दर्शाता है कि कैसे क्वांटम ऊर्जा प्रकाश और क्वांटम ऊर्जाओं को इन तीनो कार्यों का उपयोग वास्तविक दुनिया में जो मौजूद है उसके लिए करना होता है। ये तीनों कार्य द्विआयामी विश्व-नाटक द्वारा प्रदान किए गए प्रकृति के नियमों पर आधारित हैं ताकि क्वांटम ऊर्जाओं को द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के अनुसार बनाने, बनाए रखने और नष्ट करने की अनुमति दी जा सके। वास्तविक दुनिया का अस्तित्व या अभिव्यक्ति, द्विआयामी विश्व-नाटक, द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक, ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर विश्व-नाटक पर आधारित है।

    अध्याय 3: विश्व नाटक और आत्मा की दुनिया

    जब मैं शब्द 'विश्व नाटक' का उपयोग करती हूं, तो मैं निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक का उल्लेख कर रही हूं:

    विश्व नाटक जो पृथ्वी पर हो रहा है।

    द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक

    होलोग्राफिक फिल्म या त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक जो होलोग्राफिक यूनिवर्स में होता है, जब पृथ्वी पर विश्व नाटक हो रहा होता है।

    प्रकृति का द्विआयामी विश्व-नाटक

    विश्व नाटक जो ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर मौजूद है।

    द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक और त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के माध्यम से ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर होने वाले विश्व नाटक, पृथ्वी पर होने वाला विश्व नाटक बन जाता है। पृथ्वी पर होने वाले विश्व-नाटक मे जो मानव आत्माएँ भाग ले रही हैं उनके लिए विश्व मंच का निर्माण करने मे द्विआयामी विश्व-नाटक सहायता करते हैं। विश्व मंच को द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक और त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक के माध्यम से अमल में लाया जाता है। चूंकि सभी विश्व-नाटक जैसे ईश्वर और सभी मानव आत्माओं के भीतर मौजूद विश्व नाटक, द्विआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक, त्रिआयामी सूक्ष्म विश्व-नाटक, प्रकृति के द्विआयामी विश्व-नाटक और पृथ्वी पर विश्व-नाटक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए इन सभी को सामूहिक रूप से 'विश्व नाटक' कहा जाता है।

    आत्मा की दुनिया और पृथ्वी पर होने वाले विश्व नाटक होलोग्राफिक यूनिवर्स का हिस्सा नहीं हैं। हालांकि, होलोग्राफिक यूनिवर्स पर मेरे स्पष्टीकरण को समझने के लिए इनको समझना ज़रूरी है।

    ब्रहमाकुमारीयों के ज्ञान के अनुसार, आत्मा की दुनिया एक आध्यात्मिक विश्व है जो ईश्वर और सभी मानव आत्माओं का घर है। मानव आत्माएं अपना घर आत्मा की दुनिया को छोड़ कर भौतिक विश्व में आती हैं और पृथ्वी पर विश्व नाटक में अपनी भूमिका निभाती हैं।

    आत्माएँ जब आत्मा की दुनिया मे होती हैं तो वे अपनी शुद्ध व पुण्य अवस्था मे होती हैं, हालाँकि आत्माएँ, आत्मा की दुनिया मे होते हुए भी अपनी शुद्ध अवस्था के आनंद का अनुभव नहीं कर पाती; मानव आत्माएँ केवल भौतिक शरीर का उपयोग करके ही भौतिक विश्व में खुशी का आनंद ले सकती हैं। आत्माएँ जब पृथ्वी पर विश्व-नाटक में भाग लेती हैं तो केवल शरीर का ही उपयोग करती हैं।

    भौतिक विश्व जिसमे पृथ्वी भी शामिल है वह हमारा विश्व मंच है जहाँ हम खुशी का आनंद लेते हैं। सभी मानव आत्माओं को पृथ्वी पर विश्व-नाटक में अपनी भूमिका निभाने के लिए भौतिक विश्व मे आना होगा। वे पृथ्वी पर अपना जीवन जीते हुए खुशियों का अनुभव करते हैं ।

    मानव आत्माएँ पृथ्वी पर विश्व नाटक में ‘जीवित’ है। यदि वे दूसरे आधे चक्र मे प्रेत के रूप में मौजूद हैं तो वे 'जीवित' नहीं हैं। आत्माएँ जब आत्मा की दुनिया में होती हैं तब भी वे 'जीवित' नहीं होती हैं। मानव आत्माएँ, आत्मा की दुनिया में सिर्फ विश्राम करती हैं। ‘जीवित’ रहने के लिए हर एक को वैसे ही कार्य करने चाहिए जैसा कि नाटक में किया जाता है। आत्मा की दुनिया में कोई क्रिया नहीं की जाती। क्रिया केवल भौतिक विश्व में की जा सकती हैं वो भी तब जब कोई पृथ्वी पर विश्व नाटक में भाग ले रहा हो। क्रिया करने के लिए भौतिक शरीर की आवश्यकता होती है। आत्मा की दुनिया में आत्माओं के पास भौतिक शरीर नहीं होता।

    पृथ्वी पर होने वाला विश्व-नाटक एक पूर्व निर्धारित फिल्म है जिसके हम सब पात्र हैं। जिस तरह हम किसी अभिनेता को फिल्म में अपनी भूमिका

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