गुरुपूजन की विधियाँ
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गुरु पादुका को साक्षात गुरू का प्रतीक माना जाता है और उसके पूजन से गुरु पूजन के समकक्ष फल प्राप्त होता है । गुरु पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ स्वरूप माना जाता है ।
गुरु पादुका पंचक स्तोत्र के पाठ से भी गुरु कृपा प्राप्त होती है ।
S Anil Shekhar
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गुरुपूजन की विधियाँ - S Anil Shekhar
गुरुपादुका पंचक स्तोत्र
गुरु पादुका को साक्षात गुरू का प्रतीक माना जाता है और उसके पूजन से गुरु पूजन के समकक्ष फल प्राप्त होता है । गुरु पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ स्वरूप माना जाता है ।
गुरु पादुका पंचक स्तोत्र के पाठ से भी गुरु कृपा प्राप्त होती है ।
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यां
नम: परेभ्य: परपादुकाभ्यां
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 1 ॥
ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त
श्रीं कार गूढार्थ महाविभूत्या
ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 2 ॥
होमाग्नि होत्राग्नि हविष्यहोतृ
होमादि सर्वाकृति भासमानं
यद ब्रह्म तद बोध वितारिणाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 3 ॥
अनंत संसार समुद्रतार
नौकायिताभ्यां स्थिर भक्तिदाभ्यां
जाड्याब्धि संशोषण बाडवाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 4 ॥
कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां
विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्यां
बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 5 ॥
गुरुपूजन : एक सरल विधि
गुरु पूजन की एक सरल विधि प्रस्तुत है जिसका उपयोग आप दैनिक पूजन में भी कर सकते हैं ।
सबसे पहले अपने सदगुरुदेव को हाथ जोडकर प्रणाम करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: । ।
गणेश भगवान का स्मरण करें तथा उन्हें प्रणाम करें
ॐ श्री गणेशाय नम: ।
सृष्टि की संचालनि शक्ति भगवती जगदंबा के दस दिव्य स्वरूपों को महाविद्या कहा जाता है । उन को हृदय से प्रणाम करें तथा पूजन की पूर्णता की हेतु अनुमति मांगें ।
ॐ ह्रीम दशमहाविद्याभ्यो नम: ।
गुरुदेव का ध्यान करे
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।
गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम: ॥
ध्यानमूलं गुरो मूर्ति : पूजामूलं गुरो: पदं ।
मंत्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा ॥
गुरुकृपाहि केवलम ।
गुरुकृपाहि केवलम ।
गुरुकृपाहि केवलम ।
श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामि ।
अब ऐसी भावना करें कि गुरुदेव आपके हृदय कमल के ऊपर विराजमान हो ।
श्री सदगुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराज मम ह्रदय कमल मध्ये आवाहयामि स्थापयामि नम: ।
अब सदगुरुदेव का मानसिक पंचोपचार पूजन करे ।
कई बार हमारे पास सामग्री उपलब्ध नहीं होती ऐसी स्थिति में मानसिक रूप से पूजन संपन्न किया जा सकता है । इसके लिए विभिन्न प्रकार की मुद्राएं उंगलियों के माध्यम से प्रस्तुत की जाती हैं जिसको उस सामग्री के अर्पण के समान ही माना जाता है ।
मानसिक पूजन करते समय पंचतत्वो की मुद्राये प्रदर्शित करे और सामग्री से पूजन करते समय उचित सामुग्री का उपयोग