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गुरुपूजन की विधियाँ
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गुरुपूजन की विधियाँ
Ebook100 pages29 minutes

गुरुपूजन की विधियाँ

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गुरु पादुका को साक्षात गुरू का प्रतीक माना जाता है और उसके पूजन से गुरु पूजन के समकक्ष फल प्राप्त होता है । गुरु पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ स्वरूप माना जाता है ।
गुरु पादुका पंचक स्तोत्र के पाठ से भी गुरु कृपा प्राप्त होती है ।

Languageहिन्दी
Release dateAug 8, 2020
गुरुपूजन की विधियाँ
Author

S Anil Shekhar

Just a common man....

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    गुरुपूजन की विधियाँ - S Anil Shekhar

    गुरुपादुका पंचक स्तोत्र

    गुरु पादुका को साक्षात गुरू का प्रतीक माना जाता है और उसके पूजन से गुरु पूजन के समकक्ष फल प्राप्त होता है । गुरु पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ स्वरूप माना जाता है । 

    गुरु पादुका पंचक स्तोत्र के पाठ से भी गुरु कृपा प्राप्त होती है ।

    ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यां

    नम: परेभ्य: परपादुकाभ्यां

    आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यां

    नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 1 ॥

    ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त

    श्रीं कार गूढार्थ महाविभूत्या

    ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां

    नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 2 ॥

    होमाग्नि होत्राग्नि हविष्यहोतृ

    होमादि सर्वाकृति भासमानं

    यद ब्रह्म तद बोध वितारिणाभ्यां

    नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 3 ॥

    अनंत संसार समुद्रतार

    नौकायिताभ्यां स्थिर भक्तिदाभ्यां

    जाड्याब्धि संशोषण बाडवाभ्यां

    नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 4 ॥

    कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां

    विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्यां

    बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां

    नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां ॥ 5 ॥

    गुरुपूजन : एक सरल विधि

    गुरु पूजन की एक सरल विधि प्रस्तुत है जिसका उपयोग आप दैनिक पूजन में भी कर सकते हैं ।

    सबसे पहले अपने सदगुरुदेव को हाथ जोडकर प्रणाम करे

    ॐ गुं गुरुभ्यो नम: । ।

    गणेश भगवान का स्मरण करें तथा उन्हें प्रणाम करें

    ॐ श्री गणेशाय नम: ।

    सृष्टि की संचालनि शक्ति भगवती जगदंबा के दस दिव्य स्वरूपों को महाविद्या कहा जाता है । उन को हृदय से प्रणाम करें तथा पूजन की पूर्णता की हेतु अनुमति मांगें ।

    ॐ ह्रीम दशमहाविद्याभ्यो नम: ।

    गुरुदेव का ध्यान करे

    गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।

    गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम: ॥

    ध्यानमूलं गुरो मूर्ति : पूजामूलं गुरो: पदं ।

    मंत्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा ॥

    गुरुकृपाहि केवलम ।

    गुरुकृपाहि केवलम ।

    गुरुकृपाहि केवलम ।

    श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामि ।

    अब ऐसी भावना करें कि गुरुदेव आपके हृदय कमल के ऊपर विराजमान हो ।

    श्री सदगुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराज मम ह्रदय कमल मध्ये आवाहयामि स्थापयामि नम: ।

    अब सदगुरुदेव का मानसिक पंचोपचार पूजन करे ।

    कई बार हमारे पास सामग्री उपलब्ध नहीं होती ऐसी स्थिति में मानसिक रूप से पूजन संपन्न किया जा सकता है । इसके लिए विभिन्न प्रकार की मुद्राएं उंगलियों के माध्यम से प्रस्तुत की जाती हैं जिसको उस सामग्री के अर्पण के समान ही माना जाता है ।

    मानसिक पूजन करते समय पंचतत्वो की मुद्राये प्रदर्शित करे और सामग्री से पूजन करते समय उचित सामुग्री का उपयोग

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