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हुई हिक सिन्धी बोली
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Ebook98 pages21 minutes

हुई हिक सिन्धी बोली

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About this ebook

प्रिय बंधुओ, हम पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए और हमारा सिंध प्रांत उसीके अधकार क्षेत्र में चला गया अतः सिन्धी के अस्तित्व को बचाए रखना हमारी पहली ज़िम्मेदारी है. अतः मेरी कामना यही है कि सिन्धी के जो अवशेष शेष हैं उन्हें मिटटी में मिलने से बचाएं और उचित खाद पानी देकर पोषित करें. मैंने अपने ८ वर्षों के सृजन काल में हिंदी भाषा में काफी साहित्य सृजन किया है, मगर सिन्धी में ग़ज़ल विधा में सृजन मेरा प्रथम प्रयास है. इसका विचार सिन्धी माध्यम से प्राथमिक शिक्षा के आधार पर हिंदी के छंद विधान के अध्ययन के बाद मन में आया. सिन्धी का साहित्यिक ज्ञान अथवा उपाधि न होने से लेखन में गलतियाँ होना स्वाभाविक है अतः कृपया उनपर ध्यान न देकर ग़ज़लों का आनंद लें और अपनी प्रतिक्रिया द्वारा अनुग्रहीत करें.

Languageहिन्दी
Release dateSep 15, 2019
ISBN9780463628218
हुई हिक सिन्धी बोली
Author

कल्पना रामानी

६ जून १९५१ को उज्जैन में जन्म। कंप्यूटर से जुड़ने के बाद रचनात्मक सक्रियता। कहानियाँ, लघुकथाओं के अलावा गीत, गजल आदि छंद विधाओं में रुचि.लेखन की शुरुवात -सितम्बर २०११ सेरचनाएँ अनेक स्तरीय मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं के साथ ही अंतर्जाल पर लगातार प्रकाशित होती रहती हैं।*प्रकाशित कृतियाँ-१)नवगीत संग्रह- “हौसलों के पंख”(२०१३-अंजुमन प्रकाशन)३)गीत-नवगीत- संग्रह-“खेतों ने ख़त लिखा”(२०१६-अयन प्रकाशन)४)ग़ज़ल संग्रह- संग्रह मैं ‘ग़ज़ल कहती रहूँगी’(२०१६ अयन प्रकाशन)*पुरस्कार व सम्मान-पूर्णिमा वर्मन(संपादक वेब पत्रिका-“अभिव्यक्ति-अनुभूति”)द्वारा मेरे प्रथम नवगीत संग्रह पर नवांकुर पुरस्कार से सम्मानित-कहानी प्रधान पत्रिका कथाबिम्ब में प्रकाशित कहानी 'कसाईखाना' कमलेश्वर स्मृति पुरस्कार से सम्मानित- कहानी 'अपने-अपने हिस्से की धूप" प्रतिलिपि कहानी प्रतियोगिता में प्रथम व लघुकथा "दासता के दाग" के लिए लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित*सम्प्रतिवर्तमान में वेब पर प्रकाशित होने वाली पत्रिका- अभिव्यक्ति-अनुभूति(संपादक/पूर्णिमा वर्मन) के सह-संपादक पद पर कार्यरत।

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    हुई हिक सिन्धी बोली - कल्पना रामानी

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