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रोजनामचा - (भाग १)
रोजनामचा - (भाग १)
रोजनामचा - (भाग १)
Ebook63 pages28 minutes

रोजनामचा - (भाग १)

By Atul

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About this ebook

पेशे से एक कंप्यूटर प्रोग्रामर , कानपुर की गलियों मे एलएमएल-वेस्पा चलाते चलाते एक दिन खुद को अमेरिका में तेज ट्रैफिक में पाया। अभी तक तेजरफ्ता रही इस जिंदगी में, जो अभी तक गुजरा है, उसमें से जो कुछ खट्टा - मीठा या गुदगुदाता सा है उन रोचक संस्मरणों , समाज के मुद्दों को एक ब्लॉग पर वर्ष २००४ में लिखना शुरू कर दिया। उस समय ब्लॉग का नाम भी महज चुहलबाज़ दिमाग की उपज से पैदा हुआ था "रोजनामचा" । वर्ष २००८ आते आते जिदंगी की जद्दोजहद या फिर Writer block के चलते लेखन स्थगित हो गया। तमाम मित्रों के कोंचने , और भाई अनूप शुक्ल के लगातार उकसाने (प्रोत्साहन ) के बावजूद लेखकीय खुजली दुबारा न जागी। अब कालेज में पड़ने वाली बिटिया के उकसावे पर अपने लेखों को झाड़ पोंछ के दो भागो में विभाजित कर पुस्तक रूप में पेश कर रहा हूँ ।पुस्तक पसंद आएगी ऐसी आशा है। आपके विचारो सुझावों का इंतजार रहेगा।

Languageहिन्दी
PublisherAtul
Release dateAug 6, 2016
ISBN9781370716753
रोजनामचा - (भाग १)
Author

Atul

Born and brought up in Manchester of the east that is my birth place Kanpur,India. Now settled in a quaint suburb of vibrant Philadelphia with two kids and wife. A Web/Mobile lead programmer by profession and a blogger/photo blogger in my spare time.

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    रोजनामचा - (भाग १) - Atul

     शराफत अली को शराफत ने मारा

    हमारे एक मित्र हैं मियाँ शराफत अली। बहुत दिन से अकुला रहे थे कि हिंदुस्तान में उनकी हुनरमंदी की बेकदरी हो रही है और इसी के चलते वहाँ कोई तरक्की नही हो रही । शराफत अली की हमने भी मदद की बहुत कोशिश की कि उन्हें भी अमेरिका में कुछ काम मिल जाये। अभी पिछले हफ्ते एक मित्र की मदद से शराफत अली का इंटरव्यू कराया गया। अब नौकरी के लिये जो प्रश्न पूछे जाते हैं उन सबके स्टैंडर्ड,रेडिमेड जवाब दुनिया भर के जालस्थलों मे मिल जाते हैं। पर जनाब शराफत अली की सोच अलहदा ही है, जो जवाब उन्होंने दिये, दिल की गहराई  से सच्चाई से दिये। अब आप, शराफत अली के टेलिफोनिक इंटरव्यू का मुलाहिजा फरमायें।

    प्रश्नकर्ताः आपने इस नौकरी के लिये आवेदन क्यों किया?

    शराफत अलीः वैसे तो हमने बहुतेरी नौकरियों के लिये अप्लाई किया था, खुशकिस्मती हमारी कि कॉल आपने ही किया।

    प्रश्नकर्ताः आप इस कंपनी में काम क्यों करना चाहते हैं?

    शराफत अलीः अब किसी न किसी कंपनी में काम तो करना ही है, जो भी काम दे दे। कोई खास कंपनी का नाम दिमाग में रखकरके ठलुआ तो बैठै नही रहेंगे?

    प्रश्नकर्ताः बताईये, आपको ही क्यों चुना जाये इस नौकरी के लिये? 

    शराफत अलीः आपको किसी न किसी को चुनना ही है, हमको भी आजमा के देख लीजिये।

    प्रश्नकर्ताः अगर आपको नौकरी मिल जाये तो क्या करेंगे?

    शराफत अलीः अब यह मूड और समय के हिसाब से तय होगा कि हम क्या करेंगे।

    प्रश्नकर्ताः आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या है?

    शराफत अलीः साहब, किसी ऐसी कंपनी को ज्वाईन करना ही हमारी सबसे बड़ी हिम्मत का सबूत है जिस कंपनी की तकदीर का हमें ओर छोर न दिखता हो।

    प्रश्नकर्ताः और आपकी सबसे बड़ी कमजोरी?

    शराफत अलीः जी, लड़कियाँ।

    प्रश्नकर्ताः आपकी सबसे गँभीर गलती क्या रही है और आपने उससे क्या सीखा?

    शराफत अलीः पिछली कंपनी को ज्वाईन करना। उससे मैने यह सीखा कि ज्यादा तनख्वाह के लिये नौकरी बदलते रहना चाहिये, तभी तो मैं आपसे मुखातिब हूँ।

    प्रश्नकर्ताः आपकी पिछली नौकरी में आपकी सबसे बड़ी कौन सी उपलब्धि थी जिस पर आप गर्व कर सकते हैं?

    शराफत अलीः जनाब, पिछली नौकरी में मैने कोई तीर मारा ही होता तो उनसे तरक्की की माँग के वहीं न टिक गया होता, काहे को खामखाँ आपके सवालो का जवाब देकर अपना और आपका वक्त जाया कर रहा होता?

    प्रश्नकर्ताः एक चुनौतीपूर्ण स्थिति का उदाहरण देकर बताईये उससे कैसे निपटेंगे?

    शराफत अलीः सबसे ज्यादा मुश्किल है इस

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