Hasana Jaruri Hai
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About this ebook
Anand Rao is a person who quarrels with everybody, Baburam is a middle-aged, middle class person who is fan of an actress and the poem captures his funny quest to meet her. In this collection of poetry, there is a poem for everyone, and many jokes in each poem. Be prepared to laugh out loud.
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Book preview
Hasana Jaruri Hai - Sanjay Kulkarni
टोपी
आनंदराव क्यो लढते है
आनंदराव रोज रोज क्यो लढते
उन्हे लगता क्यो लोग उन्हे नही समझते
सुबह सुभह अगर चायमे चिनी कम पडती
सुभही पत्नीसे लढाई शुरू हो जाती
वह जब बाथरूम मे नहाने जाते
नहाते नहाते नलका पानी बंद हुआ पाते
बाथरूमसेही उनका चिल्लाना शुरू होता
यह सुनकर सोसायटीका अध्यक्ष डर जाता
उनको रास्तेपरकी गई ग़ंदगीका घुस्सा आता
तो लोड शेडिंग का भी उन्हे घुस्सा आता
ऑफिसमे भी वह बात बात पर लढते
लोग कहते यह खुदको क्या समझते
बसमे सिट देनेके लिये लढते
तो उतरने केलिये रास्ता ना देनेपर लढते
कंडक्टरके पास चिल्लर ना होनेपर लढते
क़ंडक्टर चिल्लर जल्द ना देनेसेभी लढते
मित्र कहते नेता सामाजिक प्रश्न ले लढते
किसान मालका उचीत भाव ना मिलनेपर लढते
कर्मचारी अपनी मॉंगोको लेके लढते
पर आनंदराव बिन कारणही है लढते
अग्निशामक बंबका उदघाटन
अग्निशामक बंब हो अपने शहरमे सोचा था नगरके अध्यकने
फाईल अग्निशामक बंब मिलाने हेतु, घुमाई फाईल विभागमे उन्होने
बडे नेताओंका आशिर्वाद और संमत्ती ली थी उन्होने
उदघाटन अपने करकमलोंसे हो चाहा था उन्होने
उनके प्रयत्नोंसे अग्निशामकका स्टाफ पहिले आया
बादमे कुछ महिनेसे अग्निबंबभी आया
अब था इंतजार शहरमे आग लगनेका उन्हे
पर आग क्यो नही लग रही चिंता सता रहीथी उन्हे
नगर अध्यक्ष गये थे दुसरी शहर मंत्रिजीकी सेवामे
तबही आग लगी थी , जब उनकी उपस्थिती ना थी शहरमे
आग लगनेके स्थान अग्निबंब आया, पुजारी भी आया
पर उसका उदघाटन ना होनेसे घर जल गया
बाबूराम चले हिरोईन देखने
बाबूरामने हिरोईन आनेका विज्ञापन देखा जैसेही
मिलने जानेकी तयारी शूरु होगई वैसेही ।
क्या करना होगा इसकी लिस्ट बनाई
महिनेके किराना सामानसे वह लंबी हुई ॥
तुरंत कपडेके दूकान पोहोचना सोचने लगे
मुझपर कैसे कपडे होने चहिये सोचने लगे ।
कपडेके दुकानपर पोहोंचकर कहने लगे सारे कपडे ब्रॅंडेड दो
हिरोईंसे मिलने जाना मुझे ऐसे कपडे दो ॥
वह दगडू न्हाईके पास जाने लगे
अच्छे दिखनेके सब तरिके आजमाने लगे ।
हेयरस्टाईल, फेशियल आदी करने दगडूसे कहॉ
पैसेकी फिकर मतकरो मिल जायेंगे अगली माहॉ ॥
कहने लगे डरावने सपने आनेसे लोग जाग जाते
मै तो जग जाता हूं हिरोईंनके खॉंब मे आते ।
रात रात जगनेसे सर, बदनमे हो रही थी पिडा
किसको और केसे बताते, क्यों होरही यह पिडा ॥
हर रातकी तरहा वह खॉबमे आयी
बाबूलालने दौडकर उसे गले लगायी ।
पत्नीसे मिठी मारने कारण उसकी लाथ खायी
कहने लगी उम्रका खयाल करो मॉं पडोसमे सोयी ॥
जैसे जैसे हिरोईन आनेके दिन नजदीक आने लगे
उसके हर सिनेमाके सिन खॉबमे आने लगे ।