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Kshamapana (Kshamavani) Sutra with meaning in Hindi and English क्षमापना (क्षमावाणी) सूत्र
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
Kshamapana (Kshamavani) Sutra with meaning in Hindi and English क्षमापना (क्षमावाणी) सूत्र
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
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Length:
5 minutes
Released:
Sep 9, 2022
Format:
Podcast episode
Description
Kshamapana (Kshamavani) Sutra with meaning in Hindi and English क्षमापना (क्षमावाणी) सूत्र ■ भगवान महावीर ने कहा है ★ खमेमी सखे जीवा (I grant forgiveness to all)
सखे जीवा खमन्तु में (may all living beings grant me forgiveness)
मेटी में सखे भूएस my (friendship is with all living beings)
वेराम माझं न केनाइ (my enemy is totally nonexistent) ★ - अर्थात सभी प्राणियों के साथ मेरी मैत्री है, किसी के साथ मेरा बैर नहीं है। यह वाक्य परंपरागत जरूर है, मगर विशेष आशय रखता है। इसके अनुसार क्षमा मांगने से ज्यादा जरूरी क्षमा करना है। क्षमा देने से आप अन्य समस्त जीवों को अभयदान देते हैं और उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। तब आप संयम और विवेक का अनुसरण करेंगे, आत्मिक शांति अनुभव करेंगे और सभी जीवों और पदार्थों के प्रति मैत्रीभाव रखेंगे। आत्मा तभी शुद्ध रह सकती है, जब वह अपने से बाहर हस्तक्षेप न करे और बाहरी तत्व से विचलित न हो। क्षमा भाव ही इसका मूल मंत्र है।
सखे जीवा खमन्तु में (may all living beings grant me forgiveness)
मेटी में सखे भूएस my (friendship is with all living beings)
वेराम माझं न केनाइ (my enemy is totally nonexistent) ★ - अर्थात सभी प्राणियों के साथ मेरी मैत्री है, किसी के साथ मेरा बैर नहीं है। यह वाक्य परंपरागत जरूर है, मगर विशेष आशय रखता है। इसके अनुसार क्षमा मांगने से ज्यादा जरूरी क्षमा करना है। क्षमा देने से आप अन्य समस्त जीवों को अभयदान देते हैं और उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। तब आप संयम और विवेक का अनुसरण करेंगे, आत्मिक शांति अनुभव करेंगे और सभी जीवों और पदार्थों के प्रति मैत्रीभाव रखेंगे। आत्मा तभी शुद्ध रह सकती है, जब वह अपने से बाहर हस्तक्षेप न करे और बाहरी तत्व से विचलित न हो। क्षमा भाव ही इसका मूल मंत्र है।
Released:
Sep 9, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
"Yaadein Toh Yaadein Hoti Hain" A poem by Satyavati Jain by Rajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers