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Namokar Mahamantra Explained णमोकार महामंत्र की व्याख्या

Namokar Mahamantra Explained णमोकार महामंत्र की व्याख्या

FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers


Namokar Mahamantra Explained णमोकार महामंत्र की व्याख्या

FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers

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Length:
6 minutes
Released:
Jul 30, 2022
Format:
Podcast episode

Description

Namokar Mahamantra Explained णमोकार महामंत्र की व्याख्या • Navkar Mantra (नवकार मंत्र) जैन धर्म का मूल मंत्र है. इसे Namokar Mantra (णमोकार मंत्र) या नमस्कार मंत्र भी कहा जाता है. जैन धर्म में इस मंत्र को सबसे शाक्तिशाली मंत्र माना जाता है.

Namokar Mantra (With Meaning) णमोकार मंत्र (अर्थ सहित)
• नमो अरिहंताणम
नमो सिद्धाणं
नमो आयरियाणं
नमो उवज्जायाणम
नमो लोए सव्व साहूणम
एसो पंच नमुक्कारो
सव्व पावप्पणासणों
मंगलाणम च सव्वेसिं
पढमं हवई मंगलं • अर्थ
शत्रु का नाश करने वाले को नमस्कार.
सिद्ध लोगों को नमस्कार
आचार्यों को नमस्कार.
उपाध्यायों को नमस्कार.
सभी साधुओं को नमस्कार.
इन पांचों की वंदना.
मेरे सभी पापों का नाश हो.
सभी मंगलों में यह प्रथम मंगल है.
Navkar Mantra Explanation) : नवकार मंत्र (पूर्ण व्याख्या)
नमो अरिहंताणम
अर्थात्: शत्रु का नाश करने वाले को नमस्कार. यहां शत्रु का अर्थ किसी मनुष्य से नहीं है बल्कि अपने मन में छिपे शत्रुओं से है. हमारे मन के अंदर पांच शत्रु होते है- काम, क्रोध, लोभ, मद, और मस्तर. ये पांच शत्रु ही हमारे दुखों और पतन का कारण होते है.

इन शत्रुओं का नाश करने वाले को अरिहंत कहा जाता है. हमारे इन पांच शत्रुओं का नाश करने वाले अरिहंत को प्रणाम करने की बात की गई है.

नमो सिद्धाणं
अर्थात्: सिद्ध लोगों को नमस्कार. Navkar Mantra (नवकार मंत्र) के इस भाग में सिद्ध लोगों से तात्पर्य उन लोगों से है जिन्होंने मुक्त अवस्था प्राप्त कर ली है. ऐसे लोग लाखों में एक होते है. मुक्त अवस्था का मतलब यह नहीं कि उन्होंने संसार में रहना ही छोड़ दिया है. मुक्त अवस्था का मतलब आत्मज्ञान से है. वैसे लोग जिन्होंने अपनी खुद की सच्चाई को जान लिया है, उन्हें सिद्ध पुरुष कहा गया है. ऐसे सिद्ध लोगों को नमस्कार (प्रणाम) करने की बात कही जा रही है.

नमो आयरियाणं
अर्थात्: आचार्यों को नमस्कार. अरिहंत परमात्मा की अनुपस्थिति में उनके शासन को संचालन करने वाले व्यक्ति को आचार्य कहते है. 36 गुणों से भरपूर व्यक्ति को आचार्य की उपाधि दी जाती है. उन आचार्यों को नमस्कार करने की बात कही गई है.

नमो उवज्जायाणम
अर्थात्: उपाध्यायों को नमस्कार. जो साधु और आचार्य के बीच सूत्रधार का काम करते है उन्हे उपाध्याय कहा जाता है. उपाध्याय विनय, करुणा, जैसे 25 गुणों से संपन्न होते है. उनको नमस्कार (प्रणाम) करने की बात कही गई है.

नमो लोए सव्व साहूणम
अर्थात्: सभी साधुओं को नमस्कार. Navkar Mantra (नवकार मंत्र) के इस भाग में साधु का तात्पर्य ऐसे लोगों से है जो ब्रह्मचर्य, त्याग, करुणा, इत्यादि जैसे 27 गुणों से संपन्न होते है. ऐसे साधु और साध्वियों को नमस्कार (प्रणाम) करने की बात कही गई है. एसो पंच नमुक्कारो
अर्थात्: इन पांचों की वंदना. यहां पांच लोगों का तात्पर्य ऊपर बताए गए पांच प्रकार के लोगों से है. इन पांच प्रकार के लोगों के कुल मिलाकर 108 गुण होते है. ऐसे गुणी और श्रेष्ठ लोगों का वंदन करने की बात कही गई है.

सव्व पावप्पणासणों
अर्थात्: मेरे सभी पापों का नाश हो. ऊपर बताए गए पांच प्रकार के लोगों को नमस्कार और वंदना करने से समस्त पापों का नाश होता है. हमारे पापों का नाश करने की बात कही गई है.

मंगलाणम च सव्वेसिं
पढमं हवई मंगलं
अर्थात्: सभी मंगलों में यह प्रथम मंगल है. कहने का तात्पर्य यह है कि दुनियां में जितने भी मंगल और पुण्य के काम है, उनमें इन पांचों को नमस्कार और इनका वंदन करने से सबका मंगल होता है.
Released:
Jul 30, 2022
Format:
Podcast episode

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