Van Gogh's Inner Struggle: Life, Work and Mental Illness
()
About this ebook
Hundreds of handwritten letters reveal an artist's insightful thoughts. Explore the complex mind behind one of the most famous painters in history.
Struggling artist Vincent van Gogh shunned commercial success to follow his heart. Formerly a clerk at an art dealer's
Liesbeth Heenk
मैं एक डच कला इतिहासकार हूँजिसे वैन गोह में विशेषज्ञता हासिल है। लाईडन विश्वविद्यालय से कला इतिहास में अपना बीए और एमए करने के बाद, मैंने १९९० में ओटेर्लो (नीदरलैंड) में क्रॉलर-मुलर संग्रहालय में आयोजित वैन गोह के चित्रों की शताब्दी प्रदर्शनी में एक सहायक क्यूरेटर के रूप में काम किया।इसके बाद मैंने लंदन जा कर डॉ. जॉन हाउस की देखरेख में 'कोर्टौल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट' में अपना शोध-प्रबंध प्रारम्भ किया। मेरे शोध-प्रबंध का विषय "वैन गोह के चित्र: उनके कार्य एवं उपयोग का विश्लेषण" था।मैंने कई वर्षों तक वैन गोह के चित्रों का अध्ययन किया, विशेष रूप से चित्रों व कला के बीच संबंधो का। मैंने वैन गोह के सभी पत्रों को बारीकी से पढ़ा, लेकिन वैन गोह की टिप्पणियों जो उनके जीवन, बीमारी और एक कलाकार के रूप में महसूस करने के विषयों पर थी, को मैंने व्यक्तिगत मानते हुए उन्हें संज्ञानित नहीं किया। मैं स्वीकार करती हूँ कि उन पत्रों को पढ़ने के बाद मैंने तब अपनी राय बदली थी।मैं विन्सेंट वैन गोह को एक ऐसे मनुष्य के रूप में देखती हूँजो अपने कठिन जीवन के उद्देश्य से संघर्ष कर रहे थे, मैं उनके जीवन को उतना ही दिलचस्प मानती हूँ जितने उनके कार्य को। कलाकार को अपने लिए बोलने की अनुमति देकर मैं कलाकार के अन्तरद्वंद में कुछ अंतर्दृष्टि देने की आशा करती हूँ।
Related to Van Gogh's Inner Struggle
Related ebooks
वैन गोह का अन्तरद्वंद: जीवन, कार्य और मानसिक रोग Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSahitya Manishiyon ki Adbhut Dastanen (साहित्य मनीषियों की अद्भुत दास्तानें) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsज़िंदगी के गलियारों से Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsउलझे दोराहे का सफर: Biography & Autobiography, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुछ इधर की कुछ उधर की (Kuch Idhar Ki Kuch Udhar Ki) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJad Se Ukhade Hue: Naari Sanvednaon ki kahaniyan (जड़ से उखड़े हुए ... कहानियां) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसाहित्य के फलक पर दमकते सितारे Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsॐ शांति : विश्व शांति मेरा भारत महान मेरी नज़र में Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहान लेखक श्रंखला 10: जेन ऑस्टिन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsटेम्स की सरगम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShresth Sahityakaro Ki Prasiddh Kahaniya: Shortened versions of popular stories by leading authors, in Hindi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPagdandi Ki Pakhi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsविरोधी ताकतें Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअन्तोन चेख़व की महान कथायें Rating: 3 out of 5 stars3/5इतना भर प्रेम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsI.A.S. TODAY (आई. ए. एस. टुडे) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsविरोधी ताकतें Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहान लेखक श्रंखला 7: एफ स्कॉट फिट्ज़जेरल्ड Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshth Yuvaman ki Kahaniyan : Haryana (21 श्रेष्ठ युवामन की कहानियां : हरियाणा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsडाॅ मार्ग रेट दिल्ली में (आज़ादी श्रृंखला की पुस्तक २) द्वारा वहीद रब्बानी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBenjamin Franklin Ki Aatmkatha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHindi Ki 21 Sarvashreshtha Kahaniyan (हिन्दी की 21 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21st Sadi ki 21 Shreshtha Dalit Kahaniyan (21वीं सदी की 21 श्रेष्ठ दलित कहानियां) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदोराह (राह ए वफ़ा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकिताबें,मुफ्तमें सेलिब्रिटीज के हस्ताक्षर आदि का संग्रह कर पैसे कमाएं। Rating: 0 out of 5 stars0 ratings51 Shreshtha Vyangya Rachnayen : Chuppi Ki Chaturai (51 श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ : चुप्पी की चतुराई) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsखूबसूरती के कदम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहान लेखक श्रंखला 1: अगाथा क्रिस्टी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रलोभकों के मोहक का प्रलोभन - एक और तुच्छ उपनिषद: एक अनन्त जीवन के लिए एक स्मृति चिन्ह Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रलोभकों के मोहक का प्रलोभन - एक और तुच्छ उपनिषद:एक अनन्त जीवन के लिए एक स्मृति चिन्ह: एक शाश्वत जीवन के लिए एक स्मृति चिन्ह Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for Van Gogh's Inner Struggle
0 ratings0 reviews
Book preview
Van Gogh's Inner Struggle - Liesbeth Heenk
प्रस्तावना
विन्सेंट वैन गोह एक प्रतिष्ठित कलाकार ही नहीं थे, बल्कि, एक बहुत ही कुशल पत्र-लेखक थे। उनके पत्र विश्व साहित्य में उत्तम उदाहरण की श्रेणी में आते हैं, जिन में सुंदर गद्य तथा अवलोकन की तीक्ष्णता प्रदर्शित होती है।उनके पत्र हमें उनकी आकांक्षाओं और प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। वर्तमान में उनके द्वारा लिखे गए लगभग ८०० पत्रों का संग्रह उपलब्ध है, साथ ही उनके परिवार एवं मित्रों से प्राप्त ८३ पत्र भी उपलब्ध है।
इनके बहूत से पत्र वैन गोह के छोटे समूह के विद्वानो और कला इतिहासकारों के लिए ही नहीं है बल्कि व्यापक महत्व रखते हैं।भले ही कोई कला विद्वान हो या ना हो, उनके पत्र एक आकर्षक पठन सामग्री के रूप में मनुष्य जीवन के उतार चढ़ाव को प्रदर्शित करते हैं। जो उनके जुनून, डर एवं खेद के अधीन अस्तित्व रखते हैं। अपनी बुद्धिमत्ता के द्वारा उन्होंने अर्थपूर्ण ढंग से अपने विचारों को अभिव्यक्त किया है। उनके पत्र एक ऐसे व्यक्तित्व को प्रदर्शित करते हैं जिन्होंने कोई कार्य आधे अधूरे मन से नहीं किया। वैन गोह का व्यक्तित्व एक भावुक, बुद्धिमान और असीम ऊर्जा का धनी था।
बच्चे के रूप में खुद को वापस लेने की प्रवृत्ति की जिससे वोह उसे घर से विमुख करके सुनसान खेतों की ओर ले आते थे और वे मछली पकड़ने और कीड़े मारने लगते थे। वह अंतर्मुखी, अवसादग्रस्त, हटी और शकी थे। उनका चरित्र और पालन-पोषण से उनका जीवन सामान्य नहीं था। जिससे उनकी कलाकार बन्ने की इच्छा और जटिल हो गयी थी।
उनके पत्रों से यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने संघर्ष तथा पीड़ा को महत्व दिया। बाद में उन्हें ये आभासित हुआ कि एक कलाकार का जीवन संघर्ष से भरा है और उन्हें विश्वास था कि किसी को भी संघर्ष से व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप से सफलता प्राप्त होगी।
"भले ही मेरी एक क्षणिक अभिलाषा है कि जीवन चिंता मुक्त रहे, लेकिन बार बार मैं यही सोचता हूँ कि सघर्षपूरक कठिन जीवन ही अच्छा है, जिससे मुझे और सीखने का मौक़ा मिलता है। मेरा इतना ख़राब व्यक्तित्तव नहीं है कि वह बर्बादी का रास्ता बनाए।" - (पत्र २२६, द हेग, १२ या १३ मई १८८२)
मेरा और शायद आपका जीवन, एक समय के बाद उतना प्रसन्नचित्त नहीं रहता जो पहले था।इसके बावजूद मैं वापस नहीं जाना चाहूँगा, क्योंकि कुछ कठिनाइया एवं विपरीत परिस्थितियो से कुछ ना कुछ अच्छा ही प्राप्त होगा, अर्थात उन भावनाओं की अभिव्यक्ति।
- (पत्र २३५, द हेग, ३ जून १८८२)
इस प्रकाशन में तीन महत्वपूर्ण विषयों को चुना गया है जो वैन गोह के अन्तरद्वंद को दर्शाते हैं।पहला के उन्होंने अपने को कलाकार के रूप में कैसे स्थापित किया और कैसे अपने भाई, थीओ, पर आश्रित होते हुए भी अपना आत्म सम्मान को बनाए रखा।जबकि उनकी कोई भी कलाकृति नहीं बिकी, यह उनके लिए सबसे बड़ी दुविधा थी।
दूसरी बात, विषय-वस्तु और चरित्र की दृष्टि से उनका कार्य कैसा होना चाहिए? उन्हें किस तरह का काम करना चाहिए? क्या उसे सार्वजनिक अभिरुचि के अनुरूप होना चाहिए या नहीं? क्यूँकि उन्होंने कला व्यवसाय में लगभग सात साल कार्य किया था, और विन्सेंट को अच्छी समझ थी कि कौनसी कलाकृति बिक सकती है और कौनसी नहीं।इसके बावजूद, उन्होंने निराशा में संघर्ष करते हुए अपनी गुणवत्ता की भावना का अनुगमन किया।
और अंत में उसकी मानसिक अस्थिरता। ऐसा प्रतीत होता है कि वह कई वर्षों से 'घबराहट' से पीड़ित थे और यह किसी को ज्ञात नहीं हुआ जब तक वो आर्लस में थे। यह उनके लिए बड़ी चिंता का विषय था कि तनाव और चिंता के माध्यम से उनकी बीमारी समय के साथ फिर ना बिगड़ने लगे।
निम्नलिखित अवलोकन दिलचस्प है- लेकिन थोड़ा विचलित करने वाला भी है - हम सभी के लिए जो कलाकार के संघर्षों के बारे में जानना चाहते हैं।मूल रूप से विन्सेंट नहीं चाहते कि हम उनके निजी जीवन के बारे में जाने। वह एक कलाकार के जीवन की तुलना खून के धब्बों से करते है जो एक जन्म देने वाली महिला के कपड़े पर लगे होते हैं ।
"..मुझे हमेशा ऐसा लगा है कि जब कोई कलाकार लोगों को अपना काम दिखाता है तो उसे अपने निजी जीवन के आंतरिक संघर्ष को अपने पास रखने का अधिकार होता है… - जब तक वो अपने इस बोझ को अपने किसी घनिष्ठ मित्र के सामने नहीं रखता।[...] एक कलाकार का काम और उसका निजी जीवन एक माँ तथा नवजात बच्चे की तरह होता है।आप उसके बच्चे को देख सकते हैं, लेकिन आप माँ के कपड़ों पर लगे खून के धब्बे