महान लेखक श्रंखला 10: जेन ऑस्टिन
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जेन ऑस्टिन का जन्म १६ दिसंबर १७७५ को इंग्लेंड के हैंपशायर में स्टीवनटन नाम के स्थान पर हुआ था।
अंग्रेज़ी साहित्य में जेन ऑस्टिन का नाम कुछ गिनी चुनी महिला लेखिकाओं में सबसे उपर रखा जाता है।
उनके लिखे रोमांटिक उपन्यासों ने, जिनमे उच्च समाज का चित्रण होता है, उनको अंग्रेज़ी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली लेखिका के रूप में स्थापित कर दिया।
उनके उपन्यासों में यथार्थवाद, तीक्ष्ण व्यंग और विडंबना, के साथ साथ सामाजिक टिप्पणियाँ बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत होती हैं।
उनके स्मरणीय कथानको ने उनको विद्वानो और आलोचकों में उनको ऐतिहासिक महत्व दिला दिया है।
महान लेखक श्रंखला 10: जेन ऑस्टिन
Copyright
परिचय
निजी और लेखन जीवन
पारिवारिक पृष्ठभूमि
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
युवावस्था और उसके बाद
शुरू के उपन्यास
बाथ और साउथॅंप्टन
चॉट्न में रहने के दौरान
प्रकाशित लेखिका
बीमारी और मृत्यु
मरणोपरांत प्रकाशन
जेन ऑस्टेन के कार्यों की समीक्षा
१९वी शताब्दी
२०वी शताब्दी और उसके बाद
उनकी रचनायें
Students' Academy
Easy study guides for the students of English literature.
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महान लेखक श्रंखला 10 - Students' Academy
महान लेखक श्रंखला 10: जेन ऑस्टिन
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महान लेखक श्रंखला 10: जेन ऑस्टिन
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परिचय
जेन ऑस्टिन का जन्म १६ दिसंबर १७७५ को इंग्लेंड के हैंपशायर में स्टीवनटन नाम के स्थान पर हुआ था।
अंग्रेज़ी साहित्य में जेन ऑस्टिन का नाम कुछ गिनी चुनी महिला लेखिकाओं में सबसे उपर रखा जाता है।
उनके लिखे रोमांटिक उपन्यासों ने, जिनमे उच्च समाज का चित्रण होता है, उनको अंग्रेज़ी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली लेखिका के रूप में स्थापित कर दिया।
उनके उपन्यासों में यथार्थवाद, तीक्ष्ण व्यंग और विडंबना, के साथ साथ सामाजिक टिप्पणियाँ बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत होती हैं।
उनके स्मरणीय कथानको ने उनको विद्वानो और आलोचकों में उनको ऐतिहासिक महत्व दिला दिया है।
जेन ऑस्टिन ने अपना पूरा जीवन एक बहुत ही घनिष्ट परिवार में बिताया। उनका परिवार ना तो बहुत अधिक धनी था और ना ही गरीब। वो जमींदारों के वर्ग में थोड़ा सा नीचे थे।
उनकी प्राथमिक शिक्षा उनको अपने पिताजी और बड़े भाइयों से और खुद पढ़ी हुई किताबों से प्राप्त हुई थी।
एक व्यवसायिक लेखिका बनने में उनके परिवार की तरफ से मिले प्रभावशाली समर्थन ने एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अपनी तरुण अवस्था से अपनी उमर के तीसरे दशक तक विभिन्न साहित्यिक प्रारुपों से प्रयोग करती रही। उन्होने चिट्ठियों के रूप में भी उपन्यास लिखने का प्रयास किया पर बाद में इस प्रयास को त्याग दिया।
उनके ३ मुख्य उपन्यास उन्होने बहुत बार दोहराये और शांशोधित किये। ३