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Expositional Preaching (Hindi): How We Speak God's Word Today
Expositional Preaching (Hindi): How We Speak God's Word Today
Expositional Preaching (Hindi): How We Speak God's Word Today
Ebook239 pages2 hours

Expositional Preaching (Hindi): How We Speak God's Word Today

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About this ebook

What makes for good preaching?

In this accessible volume―written for preachers and preachers in training―pastor David Helm outlines what must be believed and accomplished to become a faithful expositor of God’s Word.

In addition to offering practical, step-by-step guidance for preachers, this short book will eq

Languageहिन्दी
Publisher9Marks
Release dateFeb 27, 2019
ISBN9781940009780
Expositional Preaching (Hindi): How We Speak God's Word Today

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    Book preview

    Expositional Preaching (Hindi) - David R. Helm

    डेविड हेम ने व्याख्यात्मक प्रचार पर अत्यंत सहायक, संक्षिप्त, और उपयोगी पुस्तक का लेखन किया है जो मैंने कभी शायद ही पढ़ा हो।

    मैट शैन्डलर, प्रमुख पासबान, द विलेज चर्च, डैलस, टेक्सस; अध्यक्ष, अॅक्ट्स 29 चर्च प्लांटिंग नेटवर्क

    यदि मैं प्रचार कक्षा को सिखाता होता और विद्यार्थियों को केवल एक ही पुस्तक देता, तो शायद यही वह पुस्तक होती। इस प्रकार की पुस्तक दुर्लभ है जो नए विद्याथ्र्ाी को विषय का परिचय कराती और अनुभवी को शिक्षा देती है। डेविड की विनम्रता मुझे प्रचारक के रूप में कायल करती है, फटकारती है, निर्देश देती है और प्रोत्साहन देती है। मैं प्रार्थना करता हूं कि वह आपके लिए भी वही करेगी।

    मार्क डेवर, वरिष्ठ पासबान, कैपिटल हिल बैपटिस्ट चर्च, वॉशिंगटन, डी सी; अध्यक्ष, 9मार्क्स को विषय का परिचय कराती

    प्रचारक के रूप में डेविड हेम के गुण और प्रचारकों के शिक्षक के रूप में उनका विशाल अनुभव, जो कुछ भी वे इस विषय पर कहते हैं उसे बहुमूल्य साबित करता है। परंतु उनकी प्रतिबद्धताओं में से जो अत्यंत स्पष्ट है उसके लिए मैं उन्हें बड़ी सराहना के साथ पढ़ता हूं : ‘वाक्य में बने रहें, वचन जो कहता है उससे अधिक कहने के लिए कभी पवित्र शास्त्र के ऊपर न उठें और उसके आवेग या पूर्णता को कम करने के द्वारा उससे नीचे भी कभी नहीं गिरें।’ यहां पर मात्र कौशल और बुद्धि नहीं है, परंतु विश्वसनीयता भी है जहां से प्रचार का सबसे सत्य का खजाना आता है।

    ब्रायन चैपल, अवकाश प्राप्त अध्यक्ष, कवनन्ट थियोलॉजिकल सेमिनरी, वरिष्ठ पासबान, ग्रेस प्रेस्बिटेरियन चर्च, पेओरिया, इलिनॉइस

    हेम ने हमें अत्यंत उत्तम रीति से तैयार किया गया और अत्याधिक आकर्षक संक्षिप्त लेख प्रदान किया है जो हमें समझने और करने की ज़रूरत है ताकि विश्वासयोग्यता के साथ वचन का प्रचार कर सकें। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक है।

    आर केन्ट हîूग्ज़, वरिष्ठ सेवा अवकाश प्राप्त पासबान, कॉलेज चर्च, व्हिटन, इलिनॉइस

    इस ठोस पुस्तक में, डेविड हेम कुछ मुख्य सिद्धांतों और अंतदर्ृष्टियों को प्रस्तुत करते हैं जिन्होंने चाल्र्स साइमन प्रीचिंग वर्कशाप्स में कर्इयों को प्रोत्साहन दिया है। मैंने देखा है कि जब डेविड ने इस सामग्री की शिक्षा दी, तब लोगों ने खुद को फिर से प्रचार की तैयारी में बड़े परिश्रम के साथ लगा दिया। इस पुस्तक के द्वारा यही परिणाम बहुगुणित मात्रा में प्राप्त हो।

    पॉल रीस, वरिष्ठ पासबान, शार्लोट चैपल, एडिन बर्ग, स्कॉटलैंड

    जब लोग सिखते हैं कि व्याख्यात्मक प्रचार ‘स्वस्थ कलीसिया के नौ लक्षणों’ में से पहला लक्षण है, तब मैं उनकी विस्मित प्रतिक्रिया को देखना पसंद करता हूं। व्याख्यात्मक प्रचार में इस प्राथमिकता की पुष्टि और स्पष्टीकरण किया गया है। डेविड हेम संदेश को स्पष्ट और सही बनाने के लिए रोमांचक चुनौती प्रदान करते हैं। मेरी प्रार्थना है कि कलीसिया के स्वास्थ्य के लिए और परमेश्वर की महिमा के लिए प्रचार करने में आपकी सहायता करने हेतु परमेश्वर इस पुस्तक का उपयोग करने से प्रसन्न हो!"

    एच बी चाल्र्स जूनियर, पासबान, शिलोह मेट्रो पोलिटन बैपटिस्ट चर्च, जैकसन विले, फ्लोरिडा

    9Marks: Building Healthy Churches

    Edited by Mark Dever and Jonathan Leeman

    Expositional Preaching: How We Speak God’s Word Today,

    David Helm

    Sound Doctrine: How a Church Grows in the Love and Holiness of God,

    Bobby Jamieson

    The Gospel: How the Church Portrays the Beauty of Christ,

    Ray Ortlund

    Evangelism: How the Whole Church Speaks of Jesus,

    J. Mack Stiles

    Church Membership: How the World Knows Who Represents Jesus,

    Jonathan Leeman

    Church Discipline: How the Church Protects the Name of Jesus,

    Jonathan Leeman

    Church Elders: How to Shepherd God’s People Like Jesus,

    Jeramie Rinne

    Expositional Preaching: How We Speak God’s Word Today

    Copyright © 2014 by The Charles Simeon Trust

    Published by Crossway1300 Crescent StreetWheaton, Illinois 60187

    All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted in any form by any means, electronic, mechanical, photocopy, recording, or otherwise, without the prior permission of the publisher, except as provided for by USA copyright law.

    Cover design: Dual Identity, inc.

    Cover image: Wayne Brezinka for brezinkadesign.com

    First printing 2014

    Printed in the United States of America

    Scripture quotations are from the ESV Bible® (The Holy Bible, English Standard Version®), copyright © 2001 by Crossway. 2011 Text Edition. Used by permission. All rights reserved.

    All emphases in Scripture quotations have been added by the author.

    Hardcover ISBN: 978-1-4335-4313-5ePub ISBN: 978-1-4335-4316-6PDF ISBN: 978-1-4335-4314-2Mobipocket ISBN: 978-1-4335-4315-9

    Library of Congress Cataloging-in-Publication Data

    Helm, David R., 1961–

    Expositional preaching : how we speak God’s word today / David Helm.

    pages cm.—(9Marks: building healthy churches)

    Includes bibliographical references and index.

    ISBN 978-1-4335-4313-5 (hc)

    1. Expository preaching. I. Title.

    Copyright (© 2016) Translated and Published in Hindi by

    Alethia Publications Chandra Niwas Building, Bitco Point, Nashik Road 422101, Maharashtra and 9Marks

    alethiapublications@gmail.com

    Translated by Samir B Salve

    विषय-सूची

    प्रस्तावना : व्याख्यात्मक प्रचार के उद्देश्य और लाभ

    परिचय :पुरानी हड्डियां

    1 संदभ्र्ाीकरण/प्रासंगिकता

    अंधानुकरण वाली समस्या

    प्रभावकारी प्रचार

    प्रदूषित प्रचार

    ‘‘प्रेरित’’ प्रचार

    2 व्याख्या

    जो बातें प्रथम हैं उन्हें प्राथमिकता दें

    वह दिन जब मैंने समझना आरंभ किया

    बाइबल के संदर्भ को नियंत्रण लेने दें

    उस मधुरतम प्रणाली से सुनें

    ढांचे और बल दिये जाने को देखें

    3 धर्मसिद्धांत विषयक चिंतन

    यीशु की सहज प्रवृत्तियों से पढ़ना

    ऐतिहासिक-टीका प्रणाली की चुनौती

    बाइबल आधारित धर्मसिद्धांत की उपयुक्तता

    क्रमवार धर्मविज्ञान की भूमिका

    4 वर्तमान

    अपने श्रोता को तैयार करना

    आप की विषय सामग्री को व्यवस्थित करे

    आप के संदेश का विषय

    निष्कर्ष

    सूखी हड्डियां

    परिशिष्ठ

    प्रचारक जो प्रश्न पूछते हैं

    श्रृंखला आमुख

    क्या आप मानते हैं कि एक स्वस्थ कलीसिया बनाना आपकी जिम्मेदारी है? अगर आप एक मसीही हैं तो हम समझते हैं कि यह आप की जिम्मेदारी है।

    यीशु आप को शिष्य बनाने की आज्ञा देते हैं (मत्ती 28 :18-20)। यहूदा आप को विश्वास में बने रहने की आज्ञा देता है (यहूदा 20-21)। पतरस आप को आप के वरदानों द्वारा दूसरों की सेवा किये जाने के लिए कहता है (1 पतरस 4:10)। पौलुस आप को प्रेम में सत्य बोलने के लिये कहता है ताकि आप की कलीसिया का पूर्ण विकास हो सके (इफिसियों 4:13, 15)। क्या आप जानते हैं कि इन सब के बीच हमारा स्थान कहां है?

    चाहे आप कलीसिया के सदस्य या अगुवे हों, स्वस्थ कलीसियाओं का निर्माण करने वाली इन पुस्तकों की श्रृंखला का उद~देश्य बाइबल की इन आज्ञाओं को पूर्ण करने में आप की सहायता करना है ताकि आप ऐसे चर्च के निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकें। कहने का दूसरा तरीका यह हो सकता है कि हम आशा करते हैं कि जैसे यीशु आप की कलीसिया से प्रेम रखते हैं, ये पुस्तकें कलीसिया के प्रति वैसा ही प्रेम रखने में आप की सहायता करेंगी।

    9मार्कस् प्रकाशन की योजना है कि एक स्वस्थ कलीसिया के जो 9 चिन्ह होते हैं उनमें से प्रत्येक के उपर एक लघु व पठनीय पुस्तक और साथ ही ठोस सिद्वांतों के उपर भी एक पुस्तक तैयार करे। व्याख्यात्मक प्रचार वाली पुस्तकें, बाइबल के धर्मसिद्धांत, कलीसिया की सदस्यता, कलीसियार्इ अनुशासन, शिष्यता और उसमें बढ़ना व कलीसिया की अगुवार्इ इत्यादि विषयों की पुस्तकों की ओर देखते रहिये।

    स्थानीय कलीसिया इसलिये अस्तित्व में हैं कि वे देश-देश के लोगों को परमेश्वर की महिमा प्रगट करें। हम यीशु मसीह के सुसमाचार की ओर आंखे लगाने के द्वारा, उनसे उद्धार मिलने की आशा के द्वारा, परमेश्वर की पवित्रता, एकता और प्रेम में होकर एक दूसरे से प्रेम रखने के द्वारा उनकी महिमा प्रगट कर सकते हैं। हम प्रार्थना करते हैं जो पुस्तक आप के हाथ में हैं, वह आप की सहायता करेगी।

    इसी आशा के साथ,

    मार्क डिवर एवं जोनाथन लीमैन

    श्रृंखला संपादक

    प्रस्तावना

    व्याख्यात्मक प्रचार के उद्देश्य और लाभ

    पिछले दशकों में व्याख्यात्मक प्रचार के उपर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। व्याख्यात्मक प्रचार कुछ नया विचार, नया पद, या कोर्इ ऐसा सत्य नहीं है जिसकी अभी अभी खोज की गर्इ हो। मसीह ने लूका 24:17-47 में व्याख्यात्मक प्रचार किया और ऐसा ही पौलुस ने प्रेरितों के कार्य 17:22-31 में किया (मैंने इन दो गद्यांशों का वर्णन किया क्योंकि दाउद इनके उपर अध्याय 3 में धर्मविज्ञानी गहन चिंतन के अंतर्गत टिप्पणी करता है)। बीते समय के अनेक महान प्रचारकों ने भी व्याख्यात्मक प्रचार की ताकत को पहचाना है।

    अगर ऐसा है, तो इस विषय पर अभी अभी इतना जोर क्यों दिया जा रहा है? इसके कर्इ अलग अलग उत्तर दिये जा सकते हैं, परंतु, संक्षिप्त में कहा जा सकता है कि एक महत्वपूर्ण अंदाज में, चर्चेस की बीते कल और वर्तमान की अनेक बीमारियां का पता लगाया जा सकता है। यह उन प्रचारकों और शिक्षकों के लिये बहुत उपयोगी है जिन्होंने वचन को व्याख्यात्मक ढंग से नहीं पढ़ाया है।

    व्याख्यात्मक प्रचार का उद्देश्य

    व्याख्यात्मक प्रचार का उद्देश्य यह बताना है, जैसा हम इस पुस्तक से सीखेंगे, कि बाइबल का मूल लेखक बाइबल के उन पदों के द्वारा क्या कहना चाह रहा है, वर्तमान की पीढ़ी को क्या समझाना चाह रहा है ताकि वे समझ सकें, और उसे अपने जीवनों में लागू कर सकें जो मसीह की प्रतिच्छाया के समान ढलते जाने के लिये बहुत आवश्यक है। इसकी पद्धति साधारण है, पर एकपक्षीय नहीं है : आप पढ़ते हैं, आप समझाते हैं, आप पदों को अमल में लाते हैं। नहेमायाह के समय में एज्रा, ने इस स्वरूप का अनुसरण किया था और यह हमारे लिये एक अच्छा उदाहरण है : और उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ समझ लिया (नहेमा 8:8)। इन तीन महत्वपूर्ण पदों को ध्यान से देखिये: इनमें स्पष्ट रूप में लिखा है, ये अर्थपूर्ण हैं और लोगों ने इन्हें समझा था। जब प्रचारक पद को पढ़ता है, अगर वह एक विश्वसनीय प्रचारक है, वह उस पद पर अपना मत जिसको उसने प्रेरित नहीं किया है और न लिखा है, व्यक्त करना नहीं चाहेगा। यह तो लेखक, अर्थात परमेश्वर का कार्य है। केवल, वह ही ऐसे सर्वोच्च महत्व के पदों की विश्वसनीय व्याख्या और घोषणा कर सकता है। अगर हम मानते हैं कि परमेश्वर का वचन प्रेरणा से रचा गया और अचूक है और यह परमेश्वर के विचार, हृदय और इच्छा की अभिव्यक्ति है, तो हमें सावधान रहना होगा कि जो वचन हमें प्राप्त हुआ है उसमें न कुछ जोड़ें न घटायें। पुराने नियम से देखें तो परमेश्वर ने मूसा से एक जलती हुर्इ झाड़ी में से बातें की और कहा, ‘‘इधर पास मत आ, और अपने पांवों से जूतियों को उतार दे, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है’’ (निर्गमन 3:5)। हम मूसा नहीं हैं और परमेश्वर हमसे किसी जलती हुर्इ झाड़ी में से बातें नहीं कर रहा है, परंतु जो प्रचार करते हैं उनको उसके अचूक वचन को सुनाने की सेवा सौंपी गयी है। हर बार जब हम धर्मशास्त्र खोलते हैं, हम जैसे पवित्र भूमि पर कदम रख रहे होते हैं। प्रचारक को धर्मशास्त्र से प्रचार करते समय अति सम्मानीय दृष्टिकोण को अपनाना चाहिये। जैसा मनोभाव, प्रचारक पुल्पिट से परमेश्वर के वचन के प्रति दर्शाते हैं वह बहुत जल्दी फैल जाता

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