The Prayers of Many
By Mike Betts
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About this ebook
बहुतों की प्रार्थनाएँ एक ऐसी किताब हैं जो कलीसिया को सामूहिक प्रार्थना के लिए चुनौती देती हैं। प्रत्येक पृष्ठ में इस तरह की प्रार्थना के संचालक और महत्व को दर्शाने के लिए चित्र और शास्त्र के वचन दिए गए हैं। यह एक किताब हैं जो उस यात्रा के बारे में बताती हैं, जिसे माइक और उनके समूह ने कलीसिया पारिवारिक जीवन की आराधना करते हुए आनंद सहित सभी के लिए
Mike Betts
Mike Betts leads the Relational Mission family of churches. He is an inspirational speaker with a desire to raise up many spiritual sons and daughters to be all they can be in God. Mike is married to Sue and they have a married grown up son. Mike and Sue were born and brought up in Lowestoft, UK, where Mike is part of the eldership team at Lowestoft Community Church and Sue manages a charity shop supporting the Pathways Care Farm initiative. In his spare time Mike is a keen fly fisherman, jazz fan and Norwich City supporter. Sue enjoys making crafts and browsing antiques and collectors fairs.
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The Prayers of Many - Mike Betts
१
क्रांति
सामूहिक प्रार्थना में
क्रांति का आह्वान
हम तात्कालिक युग में रहते हैं। हम लगातार जुड़े रहते हैं और तुरंत अपडेट हो जाते हैं। अगर मेरे फोन का ऍप कुछ ही सेकंड में शुरू नहीं होता हैं तो मुझे आश्चर्य होगा कि क्या तकलीफ हैं। हम इंतजार करना पसंद नहीं करते क्योंकि हम लोग आखिरकार व्यस्त हैं। परिवर्तन (विशेष रूप से अन्य लोगों में) जल्दी तुरंत होना चाहिए। पश्चिमी दुनिया बहुत धैर्यवान जगह नहीं हैं। इसलिए जब मैं क्रांति शब्द का उपयोग करता हूं, तो यह भी बहुत आसानी से ऐसा दिखाई पड़ता हैं कि बहुत जल्दी हो रहा हैं। फिर भी संक्षेप (आखिरकार हम सब के पास इतना समय तो होगा) इतिहास की किताबों पर गौर करें तो पता चलता हैं कि क्रांति वर्षों में होती हैं न कि दिन, और निश्चित रूप से घंटे, मिनट या सेकंड में नहीं। १८वीं शताब्दी की फ्रेंच की क्रांति में बारह साल लगे। अमेरिकी क्रांति अठारह वर्ष तक चली। औद्योगिक क्रांति अस्सी साल तक लंबी चली थी! एक स्थायी और महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाली क्रांति में कई वर्षों के निवेश और बलिदान लग सकते हैं।
यह सारी बातें प्रार्थना को लेकर किताब के बारे में काफी नाटकीय शुरुआत दिखाई पड़ सकती हैं। लेकिन मुझे पूरा विश्वास हैं कि जहाँ तक सामूहिक प्रार्थना की बात हैं - कलीसिया का कार्य एक साथ प्रार्थना करना - जिसकी हमें आवश्यकता हैं वह एक क्रांति से कम नहीं हैं।
विश्वास के कई महान नायकों द्वारा प्रार्थना पर कई अच्छी किताबें हैं। हालाँकि, उनमें से ज्यादातर में उनका ध्यान व्यक्ति केन्द्रित और अक्सर व्यक्तिगत प्रार्थना पर ज़ोर दिया गया हैं। सामूहिक प्रार्थना के बारे में अधिक नहीं लिखा गया हैं (हालाँकि मुझे लगता हैं कि इसमें बदलाव हो रहा हैं), और फिर भी जब प्रार्थना का सवाल हैं तो बाइबिल में साथ मिलकर प्रार्थना करने पर बहुत कुछ कहा गया हैं।
२०१३ में मैं पीट ग्रेग को सुन रहा था जो उन अगुवों के समूह से बात कर रहे थे जिन्हें मैंने इकट्ठा किया था। पीट उन लोगों में से एक हैं जिनका मैंने अभी उल्लेख किया हैं - विश्वास के नायक जिन्होंने प्रार्थना पर कई अद्भुत किताबें लिखी हैं। लेकिन पीट सामूहिक प्रार्थना के बारे में एक या दो बातें जानते हैं। आखिरकार उन्होंने २४/७ नामक एक वास्तविक प्रार्थना संचार शुरू किया जो अब बीस वर्षों से चल रहा हैं। जैसे पीट बात कर रहे थे, उन्होंने कहा:
पिछले ३० वर्षों में अधिक ऊर्जा और रचनात्मकता के साथ कलीसिया में सामूहिक रूप से आराधना करने में कई गुना अधिक बदलाव आया हैं। कल्पना कीजिए कि कलीसिया में सामूहिक प्रार्थना अब कैसी नज़र आती यदि उस पर भी उतना अधिक ध्यान दिया गया होता।¹
इस कथन से मैं बहुत प्रभावित हुआ। मैं इसके बारे में सोचना रोक नहीं पाया। अभी भी नहीं। इतना तो मैंने तय कर लिया कि जहां तक मुझ पर निर्भर हैं, मैं सुलझाव करने का हिस्सा बनने की कोशिश करूंगा, और ना कि समस्या का हिस्सा। मैं अपने शुरुआती दिनों में आराधना का अगुवा था, एक अगुवे के रूप में सामूहिक आराधना की नाटकीय और रोमांचक बातों को याद कर सकता हूं। इसने मेरी कल्पनाशक्ति को जगाया कि सामूहिक प्रार्थना के लिए भी इस तरह की यात्रा संभव हो सकती हैं।
न केवल हम बेसब्र भरे युग में रहते हैं, हम एक व्यक्तिगत युग में रहते हैं। व्यक्तिवाद एक सांस्कृतिक पसंद हैं जहाँ सामूहिक आवश्यकताओं पर किसी व्यक्तिगत इच्छाओं का पक्ष लिया जाता है। यह लोगों को आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता की ओर धकेलता हैं। यह लोगों की आत्मिक बढ़ौतरी को प्रभावित करता हैं और इसलिए हम आत्म-सहाय, आत्म-सुधार और व्यक्तिगत विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। यह कलीसिया के अंदर उतना ही सच हैं जितना कि इसके बाहर। यह कितना भी अच्छा दिखाई पड़ता हो, इसमें रही कमजोरियाँ, दोष और खतरे को नकार नहीं सकते।
नए नियम की शिक्षाओं को ध्यान से देखने पर जहाँ प्रार्थना के विषय में बात की गई हैं हम देखते हैं कि उसका संदर्भ सामूहिक हैं। यदि आप आसानी से यह सोचते हैं यह मेरे लिए कैसे लागू होता हैं?
और ना कि यह हमारे लिए कैसे लागू होता हैं?
तो आप व्यक्तिगत तौर पर सोच रहे हो सामूहिक नहीं। यदि ऐसा अक्सर होता है, तो हम पर प्रार्थना को लेकर शास्त्र के महत्वपूर्ण पहलुओं को खोने का खतरा हैं। हमें परमेश्वर का परिवार, लोग, मंदिर, राष्ट्र के रूप में कलीसिया की पहचान और स्वभाव के बारे में अपने विचारों को मजबूत करने की आवश्यकता हैं। बाइबल यह उम्मीद करती हैं कि हमारे मसीही जीवन में अनिवार्य रूप से सामूहिक संदर्भ में हम बढ़ौतरी पाए और तैयार हो। इसे ध्यान में रखते हुए, परिपक्व, सामूहिक प्रार्थना, विशेष रूप से परमेश्वर के लोगों के जीवन में, पुरस्कार और लक्ष्य बन जाता हैं।
जैसे मैं अपने मसीही जीवन पर सोचता हूं, कई सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं जिन्हें मैं याद कर सकता हूं, वे हैं जिसमें सामूहिक प्रार्थना शामिल हैं। एक मसीही के रूप में मेरे शुरुआती वर्षों में, मेरी स्थानीय कलीसिया की प्रार्थना सभा एक इंजन कक्ष के समान थी जो कुछ परमेश्वर करता था। कई सालों तक ब्रिटेन की कलीसियाएं जो न्यूफ्रंटियर्स के रूप में पहचानी जाती थी, साल में तीन बार इकट्ठा होती थी दो दिनों की प्रार्थना और उपवास सभा के लिए। मुझे विश्वास हैं कि पिछले कई दशकों में परमेश्वर द्वारा हुई सभी महत्वपूर्ण बातों के लिए यह इंजन कक्ष था। मुझे विश्वास हैं कि जब परमेश्वर के लोग प्रार्थना करते हैं तो यह पृथ्वी पर स्वर्ग के संसाधनों को मुक्त करता हैं, जो ओर किसी के द्वारा नहीं हो सकता।
तो कैसे हम कलीसियाएं बेसब्र से भरे और व्यक्तिवादी संसार में रहते हुए साथ मिलकर प्रार्थना की इस क्रांति में निवेश कर सकते हैं?
आगे की और बढ़ना
मुझे ओलंपिक और विश्व चैंपियन मो फराह को अपनी अंतिम मध्य दूरी की दौड़ में देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दौड़ के बाद वह अगली लम्बी दौड़ के लिए तैयारी कर रहे थे, जो हैं मैराथॉन की दौड़। इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने अपनी दिनचर्या, अपने प्रशिक्षण, अपने दृष्टिकोण और अपने लक्ष्यों को बदल दिया। यहां तक कि उनकी मध्य-दूरी की पहचान कुछ ऐसी थी जिसे वे भविष्य की सफर के लिए फिर से निर्धारित करने के लिए उत्सुक थे। इस बात को लेकर मैं सोचने लगा कि पश्चिम की कलीसियाओं को सामूहिक प्रार्थना को लेकर 'आगे की और बढ़ने' की आवश्यकता हैं। वैश्विक रूप से दक्षिण और पूर्व में हमारे भाई-बहन सामूहिक प्रार्थना में हमसे कहीं अधिक सक्षम और प्रशिक्षित हैं और हमें उनसे नम्रतापूर्वक सीखने की जरूरत हैं। हमें प्रार्थना के अपने दृष्टिकोण को उस तरह बदलने की ज़रूरत हैं जैसे परिश्रम और प्रयास करते हुए मो फराह ने अपनी दौड़ने की दूरी को बदलने के लिए अपने आप में लागू किया।
कई महत्वपूर्ण कदम उठाने हैं। सबसे पहले, हमें प्रार्थना को एक विभाग या विशिष्टता होने से बचाने की आवश्यकता हैं। बहुत बार प्रार्थना और मध्यस्थी को एक वरदान के रूप में देखा जाता हैं जो केवल कुछ लोगों के पास होता हैं। क्या आपको पता हैं, वे लोग जो प्रार्थना करने में माहिर हैं प्रार्थना सभाओं में उन्नति पाते हैं, वे लोग मध्यस्थी करनेवाले
या प्रार्थना योद्धा
के रूप में जाने जाते हैं।
बाइबल में मध्यस्थी करना कोई वरदान नहीं हैं। हालाँकि, मध्यस्थी का यह कार्य संपूर्ण कलीसिया के लिए हैं भागीदार बनने के लिए। प्रार्थना सभी विश्वासियों की विरासत का हिस्सा हैं - एक साथ प्रार्थना करना वह हैं कि हमें विश्वासियों के रूप में कैसे रहना हैं।
कलीसियाओं का परिवार जिसकी मैं अगुवाई करता हूं हमने पिछले कुछ वर्षों में एक साथ प्रार्थना करने की शुरुआत की, केवल एक कलीसिया के रूप में नहीं बल्कि कलीसियाओं के समूहों के रूप में। हम वर्ष में तीन बार जितना अधिक मात्रा में लोग शामिल हो सके एक ही रात में , एक ही बातों के लिए प्रार्थना करने के लिए इकठ्ठा होते।² जितना ज्यादा संभव हो उतने अधिक लोगों को शामिल करने के इरादे से हमने वह इंतजाम किए जिसमें हर कोई आ सकता हैं। जो कोई मसीह का अनुकरण करते हैं उन्हें आसानी से इसमें शामिल करने के लिए हमने मेहनत की हैं जिससे कि वे दूसरों के साथ मिलकर प्रार्थना करने में आनंद का अनुभव करे।
यह कोई नई बात नहीं हैं कि पश्चिम में कलीसिया संघर्ष कर रही हैं। धड़कन चल रही हैं, लेकिन कई जगहों पर यह बहुत कमजोर हैं। समस्या की वजह की जांच करने और स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए समाधानों के प्रस्ताव में बहुत कुछ कहा गया हैं और कहा जाएगा। मैंने, कई अन्य लोगों की तरह, प्रेरितों की पुस्तक को पढ़ा हैं यह देखने के लिए कि हम क्या सीख सकते हैं कि कैसे प्रेरितों और प्रारंभिक कलीसिया ने शुरुआत की।
प्रेरितों ने, तेजी से बढ़ौतरी को देखा, फिर भी उन्होंने ज़रूरी समजा कि उन्हें प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहना चाहिए।
³ प्रेरितों को इन प्रमुख बातों की प्रभावशीलता के बारे में जानकारी थी और आगे का महत्वपूर्ण कार्य उनके बिना किया गया। इसलिए मेरे पास दो कुंजियाँ, सरल प्रस्ताव हैं जो स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के लिए पश्चिम की कलीसिया के लिए आवश्यक हैं। पहला, सभी को शब्दों, कार्यों और चमत्कारों के माध्यम से मसीह के लिए एक गवाह बनने की ज़रूरत हैं। दूसरा, सभी को सामूहिक प्रार्थना के लिए खुद को सौंपने की जरूरत हैं। जब ये दोनों बातें एक संस्कृति बन जाती हैं, एक जीवन शैली, जैसे वे