Apna Mulaank Janen: Mulank Dwara Bhavishya Gyat Karane Ki Vidhi Janen
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is pustak mane bataayee gaee vidh ise koee bhee vyakti apane janmatithi ke dvaara apana moolaank gyaat kar aasaanee se jaan sakata hai ki usake aagaamee jeevan mein kab-kab mahattvapoorn ghatana ghatane vaalee hai.
ank jyotish shaastra par aadharit yah pustak aamajanon ke lie itanee sahaj evan saral hai, koee bhee vyakti is pustak ko padhakar bhavishy mein hone vaalee gambheer ghatanaon se sachet hokar uchit samay par nivaaran kar sakate hai. yah pustak pratyek ghar ke lie upayogee evan sangrahaneey hai. paathak is pustak ko padhakar apane vyaktigat jeevan mein isase poorn roop se laabhaanvit sakate hain ho.(By nature, people display curiosity to know their future. There are many ways to predict your future - like birth spiral, question spiral, horoscope, etc. The book also contains the methods by which people may know their future, such as by their birth date. Future can also be predicted by numerology. Through this method, person can become aware about the period when life would be happy, tough, high, low etc. ) #v&spublishers
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Apna Mulaank Janen - Arun Sagar‘Anand’
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ISBN 978-93-505762-5-0
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प्रकाशकीय
'अपना मूलांक जानें' प्रकाशित करते हुए हमें अति प्रसन्नता हो रही है। सरल, सहज भाषा में लिखी यह पुस्तक आम आदमी के लिए एकदम उपयुक्त है, कहा भी गया है-
"लीक-लीक गाड़ी चले, लीकहि चले कपूत।
लीक छाड़ि तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत।।’’
जी हाँ! इस पुस्तक में लेखक के 25 वर्षों के पठन-पाठन का अनुभव समाहित है तथा विषय की गूढता को स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। में अंक ज्योतिष जैसे दुरूह विषय को जनसाधारण की भाषा में लिखने के लिए लेखक ने अथक प्रयास किया है। तथापि इसमें भाषा शैली की वह रवानगी है कि पाठक इसे बिना शब्दकोश के पढ़ने में कामयाब हो सकेंगे। सबकी यह दिली-इच्छा होती है अपना भविष्य जानने की। आज भविष्य जानने की कई विधाएँ प्रचलित हैं जिनमें जन्म-कुण्डली, प्रश्न-कुण्डली, रमलशास्त्र, लाल किताब, भृगु संहिता, हस्तरेखा शास्त्र तथा सामुद्रिक शास्त्र प्रमुख हैं। अंक ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जिसका प्रयोग अन्य सभी विधाओं में प्रायः किसी न किसी रूप में अवश्य होता है। अंक ज्योतिष भविष्य कथन की एक प्रभावी विद्या बन चुकी है। पाठक अपने दैनिक जीवन में बल्कि व्यक्तिगत जीवन में इससे पूर्णरूप से लाभान्वित हो सकते हैं। आशा है कि हमारे सहृदय पाठक इसे खुशी से स्वीकार करेंगे तथा पुस्तक में पायी जाने वाली त्रुटियों के तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करेंगे, जिसे अगले संस्करण में दूर किया जा सके।
आपसे एक निवेदन और। आप अपना रचनात्मक सुझाव एवं परामर्श हमें अवश्य लिखें, आपके सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह किसी भी प्रकार का रत्न सुयोग्य ज्योतिषी के दिशा-निर्देश पर ही धारण करें।
-प्रकाशक
विषय सूची
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मुखपष्ठ
मूलांक निकालने का तरीका
मूलांक 1
मूलांक 2
मूलांक 3
मूलांक 4
मूलांक 5
मूलांक 6
मूलांक 7
मूलांक 8
मूलांक 9
जानिये अपने LUCKY NUMBER भाग्यांक के बारे में
अंक 13 अशुभ नहीं है
१
मूलांक निकालने का तरीका
मूलांक का सम्बन्ध व्यक्ति की जन्म तारीख से होता है। 1 से 9 अंक को मूलांक कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी तारीख, महीने, वर्ष, तथा शहर में एक निश्चित समय पर होता है, जिसे किसी तरीके से बदला नहीं जा सकता, लेकिन व्यक्ति के नाम, घर, स्कूल, ऑफिस, व्यवसाय आदि को कभी भी बदला जा सकता है ज्योतिष में जन्म-दिन, जन्म-समय व जन्म-स्थान महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे जातक का लग्न निर्धारित करके जन्म-कुण्डली बनायी जाती है, जिससे जातक का रंग-रूप, स्वभाव, विचार, शिक्षा, व्यवसाय, रोग तथा भाग्य सम्बन्धी भविष्यवाणी की जाती है।
देखा गया है कि ज्यादातर व्यक्तियों को अपने जन्म के बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं होती, इस वजह से उनकी जन्म-कुण्डली नहीं बनायी जा सकती, लेकिन हाँ, अगर जन्म-तारीख निश्चित तौर पर मालूम हो, तो जातक का मूलांक निकाला जा सकता है, जिससे जातक के गुण-दोष, रुचि, चरित्र, व्यवहार, खान-पान, प्रसिद्धि, स्वभाव, शक्ति, आर्थिक स्थिति, प्रेम, विवाह, साझेदार तथा अन्य शुभ-अशुभ घटनाओं का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि सभी मूलांक किसी न किसी ग्रह से प्रभावित होते हैं।
वास्तव में किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रह स्वामी का अधिक प्रभाव होता है। इन नौ अंकों से ही प्रत्येक व्यक्ति का जीवन निर्धारित होता है। मूलांक बनाने के लिए 9 से बड़ी संख्या को जोड़कर जो एक अंक आये, उसे मूलांक (Ruling Number) या फिर रुलिंग नम्बर भी कहा जाता है।
उदाहरण:
10=1+0=1
11=1+1=2
2=1+2=3
3=1+3=4
14=1+4=5
15=1+5=6
16=1+6=7
17=1+7=8
18=1+8=9
19=1+9=10=1+0=1
20=2+0=2
21=2+1=3
22=2+2=4
23=2+3=5
24=2+4=6
25=2+5=7
26=2+6=8
27=2+7=9
28=2+8=10=1+0=1
29=2+9=11=1+1=2
30=3+0=30=3+0=3
31=3+1=4
जन्म-तारीखें अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन मूल अंक 1 से 9 अंकों के बीच ही होगा। 1 से 31 तारीखों के मूल अंक इस प्रकार होंगे।
प्रत्येक मूलांक का एक स्वामी ग्रह है, जिससे जातक का स्वभाव, चरित्र एवं व्यवहार का पता चलता है। जैसे मूलांक '1' हो, तो व्यक्ति के जीवन में स्वामी ग्रह सूर्य का प्रभाव होता रहता है। यदि किसी जातक का मूलांक '5' हो, तो उसके जीवन में स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव रहता है और यदि किसी जातक का मूलांक 9' हो, तो उसके जीवन में स्वामी ग्रह मंगल का बहुत प्रभाव रहता है।
इसके अलावा ग्रह से सम्बन्धित विशेषताएँ व्यक्ति में पायी जायेंगी। जैसे मूलांक '1' से '9' मूलांकों का सम्बन्ध सप्ताह के वारों से भी होता है। जैसे:-
सप्ताह के सातों वारों में से रविवार व सोमवार दो-दो अंकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे मूलांक '1' व '4' तथा मूलांक '2' व '7' वाले व्यक्तियों में स्वाभाविक मेल रहता है व उनमें मित्रता होती है। मूल अंकों के साथ स्वामी ग्रह का प्रभाव जातक के पूरे जीवन पर रहता है।
२
मूलांक 1
जिन व्यक्तियों का जन्म 1, 10, 19, 28 तारीख को होता है, उनका मूलांक '1' होता है।
मूलांक '1' का स्वामी ग्रह 'सूर्य' है, जिसे ग्रहों के मन्त्रिमण्डल में राजा की पदवी प्राप्त है। मूलांक '1' के बारे में अच्छी तरह से जानने से पहले हमें 'सूर्य' ग्रह के बारे में थोड़ा-बहुत ज़रूर जान लेना चाहिए।
सूर्य (Sun)
सूर्य ग्रहों का राजा है। यह सिंह राशि का स्वामी है। 'सूर्य' मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि में नीच का होता है। 'सूर्य' पिता, सत्ता, राजनीति, आत्मा, प्रकाश, दृढ़ इच्छाशक्ति, आकर्षक व्यक्तित्व, अहंवादी, राजसी, दार्शनिक, उच्च पदासीन, औषधियाँ, गेहूँ, सोना, डाक्टर, नेत्र, विज्ञान, सिर, पेट, हड्डी, व दिल का कारक है।
सूर्य के मित्र चन्द्र, मंगल व बृहस्पति हैं तथा शत्रु शनि, शुक्र व राहु हैं। बुध को सूर्य सम मानता है, लेकिन बुध सूर्य को मित्र मानता है। बुध सूर्य से 27 डिग्री से अधिक दूर नहीं जाता तथा किसी भी जातक की जन्म-कुण्डली में सूर्य से केवल एक भाव आगे या पीछे ही रहता है।
अंक '1' की प्रकृति
अंक '1' जीवन की ज़रूरी आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि जो जातक अंक '1' से प्रभावित होते हैं, वे अन्त तक संघर्ष करते हैं। अंक '1' स्थायित्व का पक्षधर है, इसी वजह से इससे प्रभावित जातक अपनी नौकरी/व्यवसाय तब तक नहीं बदलते, जब तक कि उसकी जगह उन्हें नयी नौकरी न मिल जाये या व्यवसाय शुरू न हो जाये।
अगर आपका 'मूलांक' '1' है, तो आपमें निश्चित रूप से