Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

Apna Mulaank Janen: Mulank Dwara Bhavishya Gyat Karane Ki Vidhi Janen
Apna Mulaank Janen: Mulank Dwara Bhavishya Gyat Karane Ki Vidhi Janen
Apna Mulaank Janen: Mulank Dwara Bhavishya Gyat Karane Ki Vidhi Janen
Ebook244 pages8 hours

Apna Mulaank Janen: Mulank Dwara Bhavishya Gyat Karane Ki Vidhi Janen

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

Pratyek manushy ke man mein apana bhavishy jaanane kee ichchha hotee hai. in dinon bhavishy jaanane kee kaee vidhen prachalit hai. inamen janmakanudalee, hastarekha shaastra, prashnakundalee aadi vidhen pracheen kaal se hee hamaare beech kaapaphee lokapriy raheen hain.
is pustak mane bataayee gaee vidh ise koee bhee vyakti apane janmatithi ke dvaara apana moolaank gyaat kar aasaanee se jaan sakata hai ki usake aagaamee jeevan mein kab-kab mahattvapoorn ghatana ghatane vaalee hai.
ank jyotish shaastra par aadharit yah pustak aamajanon ke lie itanee sahaj evan saral hai, koee bhee vyakti is pustak ko padhakar bhavishy mein hone vaalee gambheer ghatanaon se sachet hokar uchit samay par nivaaran kar sakate hai. yah pustak pratyek ghar ke lie upayogee evan sangrahaneey hai. paathak is pustak ko padhakar apane vyaktigat jeevan mein isase poorn roop se laabhaanvit sakate hain ho.(By nature, people display curiosity to know their future. There are many ways to predict your future - like birth spiral, question spiral, horoscope, etc. The book also contains the methods by which people may know their future, such as by their birth date. Future can also be predicted by numerology. Through this method, person can become aware about the period when life would be happy, tough, high, low etc. ) #v&spublishers
Languageहिन्दी
Release dateJan 14, 2016
ISBN9789350576250
Apna Mulaank Janen: Mulank Dwara Bhavishya Gyat Karane Ki Vidhi Janen

Read more from Arun Sagar‘Anand’

Related to Apna Mulaank Janen

Related ebooks

Related articles

Reviews for Apna Mulaank Janen

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    Apna Mulaank Janen - Arun Sagar‘Anand’

    9789350576250_cover.jpg

    प्रकाशक

    F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002

    Ph. No. 23240026, 23240027• फैक्स: 011-23240028

    E-mail: info@vspublishers.com Website: https://vspublishers.com

    Online Brandstore: https://amazon.in/vspublishers

    शाखाः हैदराबाद

    5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)

    बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद-500 095

    Ph. No 040-24737290

    E-mail: vspublishershyd@gmail.com

    शाखा: मुम्बई

    जयवंत इंडस्ट्रिअल इस्टेट, 1st फ्लोर-108, तारदेव रोड

    अपोजिट सोबो सेन्ट्रल, मुम्बई - 400 034

    Phone No.:- 022-23510736

    E-mail: vspublishersmum@gmail.com

    फ़ॅालो करें

    https://www.facebook.com/vspublishers

    http://linkedin.com/company/1819054/admin/

    https://twitter.com/vspublishers

    https://www.youtube.com/user/vspublishes/videos

    https://instagram.com/vandspublishers/

    © कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स

    ISBN 978-93-505762-5-0

    DISCLAIMER

    इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।

    पुस्तक में प्रदान की गयी सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उद्धरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोत के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक या प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धृत बेवसाइट हटा दी गयी हो।

    इस पुस्तक में उल्लिखित विशेषज्ञ के राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।

    पुस्तक में दिये गये विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जायेगा।

    उचित मार्गदर्शन के लिए पुस्तक को माता-पिता एवं अभिभावक की निगरानी में पढ़ने की सलाह दी जाती है। इस पुस्तक के खरीददार स्वयं इसमें दिये गये सामग्रियों और जानकारी के उपयोग के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।

    इस पुस्तक की सम्पूर्ण सामग्री का कॉपीराइट लेखक/प्रकाशक के पास रहेगा। कवर डिजाइन, टेक्स्ट या चित्रों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन किसी इकाई द्वारा किसी भी रूप में कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा और इसके परिणामों के लिए जिम्मेदार समझा जायेगा।

    प्रकाशकीय

    'अपना मूलांक जानें' प्रकाशित करते हुए हमें अति प्रसन्नता हो रही है। सरल, सहज भाषा में लिखी यह पुस्तक आम आदमी के लिए एकदम उपयुक्त है, कहा भी गया है-

    "लीक-लीक गाड़ी चले, लीकहि चले कपूत।

    लीक छाड़ि तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत।।’’

    जी हाँ! इस पुस्तक में लेखक के 25 वर्षों के पठन-पाठन का अनुभव समाहित है तथा विषय की गूढता को स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। में अंक ज्योतिष जैसे दुरूह विषय को जनसाधारण की भाषा में लिखने के लिए लेखक ने अथक प्रयास किया है। तथापि इसमें भाषा शैली की वह रवानगी है कि पाठक इसे बिना शब्दकोश के पढ़ने में कामयाब हो सकेंगे। सबकी यह दिली-इच्छा होती है अपना भविष्य जानने की। आज भविष्य जानने की कई विधाएँ प्रचलित हैं जिनमें जन्म-कुण्डली, प्रश्न-कुण्डली, रमलशास्त्र, लाल किताब, भृगु संहिता, हस्तरेखा शास्त्र तथा सामुद्रिक शास्त्र प्रमुख हैं। अंक ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जिसका प्रयोग अन्य सभी विधाओं में प्रायः किसी न किसी रूप में अवश्य होता है। अंक ज्योतिष भविष्य कथन की एक प्रभावी विद्या बन चुकी है। पाठक अपने दैनिक जीवन में बल्कि व्यक्तिगत जीवन में इससे पूर्णरूप से लाभान्वित हो सकते हैं। आशा है कि हमारे सहृदय पाठक इसे खुशी से स्वीकार करेंगे तथा पुस्तक में पायी जाने वाली त्रुटियों के तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करेंगे, जिसे अगले संस्करण में दूर किया जा सके।

    आपसे एक निवेदन और। आप अपना रचनात्मक सुझाव एवं परामर्श हमें अवश्य लिखें, आपके सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।

    पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह किसी भी प्रकार का रत्न सुयोग्य ज्योतिषी के दिशा-निर्देश पर ही धारण करें।

    -प्रकाशक

    विषय सूची

    कवर

    मुखपष्ठ

    मूलांक निकालने का तरीका

    मूलांक 1

    मूलांक 2

    मूलांक 3

    मूलांक 4

    मूलांक 5

    मूलांक 6

    मूलांक 7

    मूलांक 8

    मूलांक 9

    जानिये अपने LUCKY NUMBER भाग्यांक के बारे में

    अंक 13 अशुभ नहीं है

    मूलांक निकालने का तरीका

    मूलांक का सम्बन्ध व्यक्ति की जन्म तारीख से होता है। 1 से 9 अंक को मूलांक कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी तारीख, महीने, वर्ष, तथा शहर में एक निश्चित समय पर होता है, जिसे किसी तरीके से बदला नहीं जा सकता, लेकिन व्यक्ति के नाम, घर, स्कूल, ऑफिस, व्यवसाय आदि को कभी भी बदला जा सकता है ज्योतिष में जन्म-दिन, जन्म-समय व जन्म-स्थान महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे जातक का लग्न निर्धारित करके जन्म-कुण्डली बनायी जाती है, जिससे जातक का रंग-रूप, स्वभाव, विचार, शिक्षा, व्यवसाय, रोग तथा भाग्य सम्बन्धी भविष्यवाणी की जाती है।

    देखा गया है कि ज्यादातर व्यक्तियों को अपने जन्म के बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं होती, इस वजह से उनकी जन्म-कुण्डली नहीं बनायी जा सकती, लेकिन हाँ, अगर जन्म-तारीख निश्चित तौर पर मालूम हो, तो जातक का मूलांक निकाला जा सकता है, जिससे जातक के गुण-दोष, रुचि, चरित्र, व्यवहार, खान-पान, प्रसिद्धि, स्वभाव, शक्ति, आर्थिक स्थिति, प्रेम, विवाह, साझेदार तथा अन्य शुभ-अशुभ घटनाओं का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि सभी मूलांक किसी न किसी ग्रह से प्रभावित होते हैं।

    वास्तव में किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रह स्वामी का अधिक प्रभाव होता है। इन नौ अंकों से ही प्रत्येक व्यक्ति का जीवन निर्धारित होता है। मूलांक बनाने के लिए 9 से बड़ी संख्या को जोड़कर जो एक अंक आये, उसे मूलांक (Ruling Number) या फिर रुलिंग नम्बर भी कहा जाता है।

    उदाहरण:

    10=1+0=1

    11=1+1=2

    2=1+2=3

    3=1+3=4

    14=1+4=5

    15=1+5=6

    16=1+6=7

    17=1+7=8

    18=1+8=9

    19=1+9=10=1+0=1

    20=2+0=2

    21=2+1=3

    22=2+2=4

    23=2+3=5

    24=2+4=6

    25=2+5=7

    26=2+6=8

    27=2+7=9

    28=2+8=10=1+0=1

    29=2+9=11=1+1=2

    30=3+0=30=3+0=3

    31=3+1=4

    जन्म-तारीखें अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन मूल अंक 1 से 9 अंकों के बीच ही होगा। 1 से 31 तारीखों के मूल अंक इस प्रकार होंगे।

    प्रत्येक मूलांक का एक स्वामी ग्रह है, जिससे जातक का स्वभाव, चरित्र एवं व्यवहार का पता चलता है। जैसे मूलांक '1' हो, तो व्यक्ति के जीवन में स्वामी ग्रह सूर्य का प्रभाव होता रहता है। यदि किसी जातक का मूलांक '5' हो, तो उसके जीवन में स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव रहता है और यदि किसी जातक का मूलांक 9' हो, तो उसके जीवन में स्वामी ग्रह मंगल का बहुत प्रभाव रहता है।

    इसके अलावा ग्रह से सम्बन्धित विशेषताएँ व्यक्ति में पायी जायेंगी। जैसे मूलांक '1' से '9' मूलांकों का सम्बन्ध सप्ताह के वारों से भी होता है। जैसे:-

    सप्ताह के सातों वारों में से रविवार व सोमवार दो-दो अंकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे मूलांक '1' व '4' तथा मूलांक '2' व '7' वाले व्यक्तियों में स्वाभाविक मेल रहता है व उनमें मित्रता होती है। मूल अंकों के साथ स्वामी ग्रह का प्रभाव जातक के पूरे जीवन पर रहता है।

    

    मूलांक 1

    जिन व्यक्तियों का जन्म 1, 10, 19, 28 तारीख को होता है, उनका मूलांक '1' होता है।

    मूलांक '1' का स्वामी ग्रह 'सूर्य' है, जिसे ग्रहों के मन्त्रिमण्डल में राजा की पदवी प्राप्त है। मूलांक '1' के बारे में अच्छी तरह से जानने से पहले हमें 'सूर्य' ग्रह के बारे में थोड़ा-बहुत ज़रूर जान लेना चाहिए।

    सूर्य (Sun)

    सूर्य ग्रहों का राजा है। यह सिंह राशि का स्वामी है। 'सूर्य' मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि में नीच का होता है। 'सूर्य' पिता, सत्ता, राजनीति, आत्मा, प्रकाश, दृढ़ इच्छाशक्ति, आकर्षक व्यक्तित्व, अहंवादी, राजसी, दार्शनिक, उच्च पदासीन, औषधियाँ, गेहूँ, सोना, डाक्टर, नेत्र, विज्ञान, सिर, पेट, हड्डी, व दिल का कारक है।

    सूर्य के मित्र चन्द्र, मंगल व बृहस्पति हैं तथा शत्रु शनि, शुक्र व राहु हैं। बुध को सूर्य सम मानता है, लेकिन बुध सूर्य को मित्र मानता है। बुध सूर्य से 27 डिग्री से अधिक दूर नहीं जाता तथा किसी भी जातक की जन्म-कुण्डली में सूर्य से केवल एक भाव आगे या पीछे ही रहता है।

    अंक '1' की प्रकृति

    अंक '1' जीवन की ज़रूरी आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि जो जातक अंक '1' से प्रभावित होते हैं, वे अन्त तक संघर्ष करते हैं। अंक '1' स्थायित्व का पक्षधर है, इसी वजह से इससे प्रभावित जातक अपनी नौकरी/व्यवसाय तब तक नहीं बदलते, जब तक कि उसकी जगह उन्हें नयी नौकरी न मिल जाये या व्यवसाय शुरू न हो जाये।

    अगर आपका 'मूलांक' '1' है, तो आपमें निश्चित रूप से

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1