The Pit and the Pendulum [in Hindi]
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The Pit and the Pendulum (गर्त और लोलक) घड़ी की सूइयों पर टंगी एक कथा है, जिसमें धर्म के नाम पर नारकीय यंत्रणा देकर की जाने वाली इंसानी नृशंसता और उससे बच निकलने की रोमांचक घटना को बयाँ किया गया है। यह दास्तान SAW जैसी कई सनसनीखेज फिल्मों की प्रेरणा का स्रोत रही है।
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The Pit and the Pendulum [in Hindi] - Alok Srivastava
Edgar Allan Poe's
THE PIT AND THE PENDULUM
गर्त और लोलक
हिंदी लेखन
आदित्य श्रीवास्तव
आलोक श्रीवास्तव
आशा श्रीवास्तव
© Aditya Srivastava, 2018
© Alok Srivastava, 2018
© Asha Srivastava, 2018
प्रथम संस्करण: 2018
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गर्त और लोलक
गर्त और लोलक
Impia tortorum longas hic turba furores
Sanguinis innocui, non satiata, aluit.
Sospite nunc patria, fracto nunc funeris antro,
Mors ubi dira fuit vita salusque patent.1
[यह चौपाई, पेरिस के 'जैकोबियन क्लब हाउस' स्थल पर एक बाजार के फाटकों पर लगाने के लिए लिखी गयी थी]
मैं तंग आ चुका था—उस लम्बे कष्ट से मौत की हद तक तंग आ चुका था। और काफी समय बाद जब उन्होंने मुझे बंधनमुक्त किया, और मुझे बैठने की इजाजत दी गई, तो मुझे लगा कि मेरी इन्द्रियाँ मेरा साथ छोड़ रही थीं। वह सजा—मौत की खौफनाक सजा—आखिरी स्पष्ट स्वर थी जो मेरे कानों तक पहुँची। इसके बाद, पूछताछ करने वाली आवाजों का स्वर एक स्वप्नवत अस्पष्ट भिनभिनाहट में घुल गया। इस स्वर ने मेरी रूह पर चक्कर का प्रभाव ला दिया—शायद ऐसा चक्की के पहिये की घर्र-घर्र की आवाज के उसकी कल्पना में घुल जाने से था। यह केवल थोड़े समय के लिए था; क्योंकि जल्द ही मुझे कुछ भी और सुनाई नहीं दिया। फिर भी कुछ समय तक, मैं देखता रहा; लेकिन मेरा नजरिया कितना ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर था! मैं काले लबादे वाले न्यायाधीशों के होंठों को देखता रहा। वे होंठ मुझे सफ़ेद दिखते थे—उस पन्ने से भी ज्यादा सफ़ेद दिखते थे, जिसपर मैं इन शब्दों को अंकित कर रहा हूँ—और विकृतता की हद तक पतले दिखते थे। वे होंठ, अपनी दृढ़ता के भाव की हद तक—अपने अटल संकल्प की हद तक—इंसानों पर की जाने वाली यातना की सख्त घृणा की हद तक—पतले दिखते थे2। मैंने देखा कि उन चीजों के अदालती हुक्म, जो मेरे लिए बर्बादी जैसे थे, अभी भी उन होंठों