ॐ शांति : विश्व शांति मेरा भारत महान मेरी नज़र में
By Roy Ashutosh
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लेखक अपने अनुभवों के माध्यम से मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक, हमारे ग्रह पर शांति और सद्भाव प्राप्त करने और असमानता की उत्पत्ति में पूंजीवाद और लालच की भूमिका जैसी मूल समस्याओं को जड़ से हल करने का एक नया तरीका प्रदान करते हैं। वे भारत देश पर एक बहुत ही बहुमुखी नज़र के माध्यम से हमें आत्मनिरीक्षण और चिंतन की यात्रा पर ले जाते हैं। वैश्विक दृष्टि और खुले दिल के साथ, लेखक हमें याद दिलाते हैं कि सच्चा धर्म मानवता है और एकमात्र मातृभूमि हमारे साथी मनुष्यों के प्रति प्रेम और करुणा है। इन पृष्ठों के माध्यम से, वे हमें विश्व शांति की दिशा में एक यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं जहां प्रत्येक कदम हमें हमारे प्यारे ग्रह पृथ्वी के सभी निवासियों के बीच सद्भाव के वांछित आदर्श के थोड़ा करीब लाता है।
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ॐ शांति - Roy Ashutosh
लेखक की ओर से टिप्पणी
यह पुस्तक भारत का एक स्वच्छ और साफ रेडियोग्राफ़
है।
––––––––
वे लोग जो वाकई भारत के गौरवशाली अतीत, धूमिल वर्तमान और उसके उज्वल भविष्य को जानने की रूचि रखते हैं, यह किताब उनके लिए एक आदर्श मार्गदर्शिका है।
––––––––
यह किताब 3 चरणों या कार्यकाल में लिखी गई है :
सबसे पहले, 1997-98 में यहीं स्पेन में जब यह पुस्तक लिखी गई थी (विशेष रूप से यह भारत और भारतीयों पर केंद्रित एवं स्पेन और स्पेनवासी तथा अन्य लोगों से संबंधित है)।
दूसरा, 2010-11 में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के पतन के दौरान।
और आख़िरकार, अब 2023 में जब मैंने YouTube कार्यक्रम INDIA THE MODI QUESTION
देखा (23 फरवरी, शुक्रवार, स्पैनिश समय 16:22 बजे)।
प्रस्तावना
मेरे माननीय और प्रिय पाठकगण :
मैं एक एनआरआई हूं और पिछले करीब 28 सालों से यहां स्पेन में रह रहा हूं और इस दौरान इन स्पैनिश और अन्य लोगों में एक बात नोटिस की है या देखा है कि वे भारत और उसके लोगों के बारे में सब कुछ जानने में अत्यधिक उत्साही हैं और बहोत रुचि रखते हैं।
वास्तव में, उनके इसी उत्साह और रुचि ने मुझे इस योग्य बनाया कि मै यह पुस्तक लिख पाया।
यह पुस्तक तीन भाषाओं मे अर्थात अंग्रेजी में जिसका शीर्षक है: ओम शान्ति - वोर्ल्ड पीस, लुक ऐट इंडिया थ्रू माई आइज़
, और स्पेनिश में अनुवादित: ओम शान्ति - पास मूंदिआल, मीरा ला इंदिया अतरावेस दे मिस ओखोस
और हिंदी में अनुवादित, जिसका शीर्षक है : ॐ शान्ति - विश्व शान्ति, मेरा भारत महान मेरी नज़र में
।
इस पुस्तक की आपके द्वारा की गई कड़ी और सच्ची आलोचनावों और गहन टिप्पणियों से मुझमे वाकई बहोत आत्म विश्वास जगेगा। मै बड़े गर्व से यह कहना चाहुंगा कि आप सभी मेरे भारतीय भाई-बहन (इंडियन डायस्पोरा) जो हमारे प्यारे ग्रह 'पृथ्वी' की सतह पर रह रहे हैं; उन्हें एक प्रामाणिक भारतीय राजदूत के रूप में प्रस्तुत होने से पहले स्वयं को भीतर से अच्छी तरह पहचानना होगा।
यह असाधारण रूप से अनोखा और पूर्णतः अपनी तरह की एक अलग किताब है। विषय पूर्णतः काल्पिक है।
यह कल्पना का एक ऐसा घोल है जो गैर-कल्पना, निजी अवधारणाएं, गहरी कल्पना-शक्ति, उचित भावनायें या सूझ-बूझ, बिलक्षण भाव कल्पितार्थ पद्धति, व्यक्तिगत मानसिक आत्मभूति या क्लासिक सोच और गहन विचारों का एक बड़े ऊँचे पैमाने मे मिला हुआ बहोत ही जटिल सम्मिश्रण है।
यह पुस्तक अपने आप मे एक बहु बिधा पुस्तक या मल्टी जेनेर बुक है।
जहां तक इस किताब का सवाल है, विषयों में सामग्री सिर्फ एक नही वल्कि अनेक हैं और सभी आपस मे एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं।
जब मैंने 1997-98 में लेखन शुरू करने के लिए खुद को केंद्रित किया, तो सही मायने में, शुरू करने के लिए बिंदु नहीं मिल रहा था। उस समय समस्त स्पैनिश टेलीविज़न चैनलों
ने मेरी आवेगों को बढ़ाने और इस पुस्तक को लिखने में मुझे बहुत मदद की। यह थोड़ा अजीब और अटपटा सा लगता है कि टेलीविजन चैनलों ने इस किताब को लिखने में मदद की। हाँ...!
यह सत्य है।
इस वक़्त, आप समझ नहीं सकते हैं, लेकिन जैसा कि आप इस पुस्तक को पढ़ते रहेंगे, आपके सामने हर बात स्पष्ट हो जाएगी और आपको समझ में आ जाएगा कि टेलिविज़न चैनलों
ने कैसे भाग लिया और इस पुस्तक को लिखने में मदद की। मैं उन सभी स्पैनिश टेलीविज़न चैनलों का तहे दिल से शुक्रगुजारी, हार्दिक कृतज्ञता और बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मैं वाकई उन सभी का बड़ा एहसानमंद हूँ।
अपने स्वभाव या चरित्र से मैं वैश्विक मीडिया जैसे: टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाएं और अत्यंत आधुनिक रूप से यूट्यूब और इंटरनेट का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और उस कड़ी या कनेक्शन के माध्यम से मैं अलग-अलग विषयों को विभिन्न निश्चित सामग्रियों (रेडियो और टेलेविज़न एवं इंटरनेट प्रसारण या मीडिया पर आधारित साक्ष्य) के साथ जोड़ने में सक्षम रहा हूँ। तथापि, मैं आपको (मेरे सम्माननीय पाठकों को) एक पूर्णरूपेण विशुद्ध काल्पनिक शैली की पुस्तक या विल्कुल साफ़ तौर पर यूँ कहलें ज़ेहनी उपज़ से गढ़ी बात वाली किताब पेश या प्रस्तुत करता हूँ। यदि मेरा कोई पाठक, अपनी राय में, किसी भी कारण से इस पुस्तक को अनुपयुक्त मानता है; इस मामले में, एकमात्र जिम्मेदार व्यक्ति मेरे अलावा कोई नहीं, ना ही लिखने या प्रकाशित करने वाला होगा। यदि यह आपको आपके स्वाद, रूचि और पसंद के अनुरूप लगता है, तो कृपया आनंदपूर्वक पढ़ते रहें और कृपया कोई विरोधाभास नहीं......;
और अगर यह आपके मनमुताबिक के परे या नापसंदीदा हो तो भी आपका इस्तकबाल करता हूँ।
विभिन्न चैनलों के समाचारों और अन्य कार्यक्रमों की मदद से मुझे बहुत सी कड़वी सच्चाइयों का पता चला, जिन्होंने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया, जिनके बारे में मैंने कभी, यहां तक कि सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी पुस्तक इतने सारे विबादों का कारण बन सकती है, जैसे - सीआईए के प्रमुख का इस्तीफा और डेमोक्रेट का इराक युद्ध पर बुश पर आरोप कि क्या ये कोई साजिश थी।
या :
ऑस्तूरियास (स्पेन) के राजकुमार दॉन फेलिपे ने मिस एवा सैनोन को अपनी पत्नी (स्पेन की भावी रानी) के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
या :
दुनिया के मंचों पर वेटिकन सिटी की शर्मनाक भूमिका और बदलते नजरिए, जैसे — इराक पर सहानुभूति या पोप जॉन पॉल द्वितीय की यहूदियों के पक्ष में घोषणा (कुछ ही अल्फ़ाज़ों या शब्दों में)।
या :
हमारी भूमि की सतह से डायनासोर के उन्मूलन पर काल्पनिक निष्कर्ष आदि आदि....;
प्रकाशन संबंधी बाधाएं दूर हुई
यह पुस्तक विशेष रूप से स्पैनिश के लिए लिखी गई है और अनन्यरूपेण मेरे सभी प्रिय भारतीयों और दुनिया भर के स्पैनिशलोगों को समर्पित है
।
यह पुस्तक उस समय के दौरान लिखी गई थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति - बिल क्लिंटन पर मोनिका लेविंस्की-सेक्स स्कैंडल
का आरोप लग रहा था और इसके विपरीत वह इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को इराक पर बमबारी करने की धमकी दे रहे थे।
इस पुस्तक (पांडुलिपियों) के पूरा होने के बाद, मैंने इसे प्रकाशित करने की इच्छा की और इसलिए मैंने अलग-अलग संपादकों या प्रकाशकों से संपर्क किया और उन्हें सौंप दिया, लेकिन कुछ महीनों के बाद उन्होंने बिना कुछ कहे मुझे मेरी पांडुलिपियाँ वापस कर दीं। मैंने पुस्तक (पांडुलिपियों) के बारे में उनकी राय जानने की पूरी कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी उनके (व्यक्तिगत या टेलीफोनिक) संपर्क में आने नहीं दिया। जब मैं उनकी टिप्पणियों से वंचित हो गया, तो मैंने, फिर से श्री फेर्नान्दो साँचेस द्रागो
एक टीवी कार्यक्रम के आयोजक (NEGRO SOBRE BLANCO और La-2, ‘नेग्रो सोब्रे ब्लांको’ और ‘ला दोस’ क्रमशः कार्यक्रम और चैनल का नाम) से संपर्क बनाया,अगर वे मुझे इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए कुछ मदद कर सकते हैं । यह कार्यक्रम विशेष रूप से लेखकों और साहित्य के बारे में है। लेकिन उन्होंने मुझे लिखित में जवाब दिया कि वह इस संबंध में मेरी मदद नहीं कर सकते हैं । जब यह यहाँ स्पेन में प्रकाशित नहीं हो सका तो मैंने भारतीय प्रकाशकों से संपर्क बनाने की कोशिश की। तब से इस पुस्तक (पांडुलिपियों) ने कई अलग-अलग हाथों (स्पैनिश और भारतीय) के माध्यम से यात्रा की है। इन हाथों के बदलने के दौरान, जो लोग इस पुस्तक के कुछ विचारों या अवधारणाओं को हड़पना चाहते थे, उन्होंने किया।
इसलिए, मैं अपने सभी माननीय पाठकों से अनुरोध करता हूं, यदि आपको कोई विचार या अवधारणा मिलती है, जैसे:
– 'ब्रह्मांड' की अवधारणा या हमारी 'पृथ्वी' की रचना
– ‘मानव जाति’ की उत्पत्ति
– हमारी भूमि की सतह से 'डायनासोर' का उन्मूलन
– 'मानवता' दुनिया का एकमात्र ‘धर्म’ है
– 'पोप' या ‘वेटिकन -सिटी' की शर्मनाक भूमिका दुनिया के मंच पर
– ‘इराक पर प्रतिबंध' और 'दवा की कमी और कुपोषण के कारण मासूम बच्चों की मौत'
–'धर्मों की उत्पत्ति'
– ‘हिंदू धर्म' सबसे प्राचीण और मातृ धर्म है - भारतीय (बौद्ध / जैन / ईसाई / सिख) और अन्य को हिंदू माना जाना चाहिए,
– या इसके अलावा किसी भी अन्य अवधारणाओं की बात इस पुस्तक से संबंधित हो, कृपया स्वीकार करें कि मेरा है। मैं आपका अत्यधिक आभारी होऊंगा।
इस किताब की भाषा प्रायः असाहित्यिक, तक़रीबन बोलचाल की एवं बहोत ही सरल है। उम्मीद है आपको पढ़ने में मज़ा आएगा।
आपका बहुत - बहुत धन्यवाद और शुक्रिया।
इस किताब को कैसे पढ़ें
भारत के संबंध में आपके विचार रखने के संदर्भ में, मैं आपके दिमाग में एक कल्पनाशील भारतीय क्षेत्रीय मानचित्र तैयार करना चाहूंगा। सबसे पहले, मैं अपने सभी माननीय पाठकों से मेरे किसी भी दोष या गलति के लिए क्षमा चाहूंगा। जो विषय मैं आपके लिए लिखने जा रहा हूं वह पूरी तरह से काल्पनिक है। कृपया उस पर उतना ध्यान न दें या कृपया कोई अंतर्विरोध नहीं कृपया कृपया कृपया!!!!!!!!!!!!!!!....... अगर यह आपको आपके पसंद के अनुसार लगता है तो कृपया इसे स्वीकार करें और आनंदपूर्वक आगे पढ़ें।
आपने भारत के बारे में कई सूचना विज्ञान स्रोतों, फिल्मों, वृत्तचित्रों के माध्यम से कुछ न कुछ सीखा या जाना होगा, या भारत की यात्रा करके, भारतीय लोगों से मिलकर, या आपके पर्यटन के गाइड जो आपको बिस्तार या संक्षिप्त में कुछ कहा, या स्थान जो आप देख रहे थे, के बारे में आपको वर्णित द्वारा बिस्तार से समझाया, या उन होटलों के पेशेवर कर्मी (professional staff) जहां आप अपने दौरे के दौरान रुके थे आपको कुछ बताया या आप स्वयं भारत और उसके लोगों के बारे में कुछ जानने की कोशिश की।
ठीक है, अतः कमोबेश / लगभग आप सभी भारत और उसकी वर्तमान भौतिक संरचना को जानते हैं। संभवतः आप नहीं जानते कि वह कैसी थी और वह कैसी होगी। यदि आप उसकी भावी शारीरिक संरचना के साथ उसे पूरी तरह से या अच्छी तरह से जानना चाहते हैं, तो आपको इस पुस्तक को पूरी तरह से धैर्य के साथ पढ़ना होगा। यहां, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि मैं आपको जैसे दिखाता या बताता हूं, इसका अनुसरण करें क्योंकि विषय में सामग्री केवल एक ही नहीं हैं, ये विभिन्न हैं और सभी एक-दूसरे से संयुक्त हैं।
मैं आपसे ऐसा क्यों कह रहा हूँ क्योंकि, अगर आप सिर्फ इस पुस्तक को अपने उपन्यास की तरह पढ़ते हैं, तो यह आपको दिलचस्प नहीं लग सकता है। एक उपन्यास के मामले में आपको अगले अध्याय के बीच एक इंटरलिंकेज मिलता है जिसे आप पढ़ना शुरू करते हैं और पिछले जो आपने अभी-अभी समाप्त किए हैं, लेकिन, इस पुस्तक के मामले में आपको यह थोड़ा अलग लगेगा।
तो, आपको धीमी लय और विशिष्ट ठहराव के साथ मार्च करना होगा। प्रत्येक ठहराव टर्मिनल पर आपको एक विस्तृत विवरण मिलेगा, जो आपकी लय की निरंतरता में कटौती कर सकता है और आपको पूरी तरह से भ्रमित कर सकता है या आपको मुख्य ट्रैक से बाहर निकाल सकता है जहां आप विषय को उबाऊ पाते हैं। कृपया ऐसा न करें। मेरे सभी माननीय पाठकों से यह मेरा आग्रह है। कृपया धैर्य रखें और कहानी को एक और मोड़ लेने पर, कृपया उन सभी पैराग्राफों को याद रखें, जो आपने अब तक पढ़े हैं और ठहराव टर्मिनल या विस्तृत स्पष्टीकरण के अंत में, अपनी निरंतरता को पुन: स्थापित करें और अपनी पिछली लय के साथ आगे बढ़ें। इस तरह आप निश्चित रूप से, इस पुस्तक को पढ़ने का आनंद लेंगे।
और इस प्रकार पढ़कर भारत को पहचान सकेंगे, भारतीय छवि और उसकी प्रामाणिक वास्तविकताओं से भी परिचित हो सकेंगे और उसके बारे में भली-भांति जान सकेंगे।
आपका बहुत - बहुत धन्यवाद।
भारतीय टेलीविजन: शर्म का सागर
मेरे आदरणीय सभी सम्माननीय पाठकों, यहां मैं आपको बताना चाहूंगा कि हालांकि स्पैनिश टीवी चैनलों ने मुझे आपके लिए यह पुस्तक लिखने के लिए इतना प्रोत्साहित किया, लेकिन ठीक इसके विपरीत भारतीय टीवी चैनलों ने मुझे इतना हतोत्साहित किया है कि मैं अपने अंदर एक बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं क्यूंकि आप के लिए मैं भारत को उसके उज्ज्वल भविष्य के साथ प्रस्तुत या वर्णित कर रहा हूं।
अपनी पुस्तक का आनंद लें बहुत बहुत शुक्रिया
मानवता ही एकमात्र धर्म है
मेरे प्यारे भारतवासी और प्रवासी भारतीयों को :
मेरे आदरणीय मित्रों, आप सभी के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आप मेरी इस पुस्तक को पढ़ें, सेक्युलर, हिंदुत्व आदि से आगे बढ़ें, मानवता को समझें और उसे अपना धर्म एवं आस्था बनाएं। हम न हिंदू हैं, न मुसलमान, न सिख, न ईसाई, न यहूदी, न पारसी, अगर कुछ हैं तो वो केवल एक इंसान हैं और मानवता ही हमारा धर्म, कर्म, निष्ठा और विवेक होना चाहिए। मुझे आशा है कि आप सभी इस पुस्तक से कुछ सीख सकेंगे और अपने आप को एक न्यायप्रिय एवं सच्चा इंसान बना पाएंगे।
भारतीय टेलीविजन एंकरों के लिए संदेश
सभी भारतीय टीवी ऐंकरों को :
मैं, एक टीवी ऐंकर के रूप में आपकी क्षमता की सराहना करता हूं, लेकिन कृपया, कृपया — आप सभी ऐंकर जो इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं, इसे बढ़ावा देना और बात करना बंद करें और दूसरों को बकवास न करने दें (यानी - समान नागरिक संहिता / हिंदू विवाह ऐक्ट / असदुद्दीन ओवेसी / पीएम मोदी / हिंदू / मुस्लिम / बीजेपी / भारत, और वो भी सरेआम सीधा प्रसारण मे, सभी लाइव टीवी शो पर), आह!!!!! आप लोग मुझे बीमार, नाउम्मीद कर देते हैं; वाकई आप लोगों को देखते हुए बड़ा अफसोस और दुःख होता है, यह एक कड़वी सच्चाई है, मेरा विश्वास करें, आपको यहां स्पेन में देखकर मुझे सचमुच बहुत शर्म आती है। आप सभी ऐंकरों को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए - "ॐ शांति - विश्व शांति, मेरा भारत महान मेरी नज़र मे" —
कृपया अपनी पुस्तक का आनंद लें —
आप सभी भारतीय टीवी ऐंकरों को बहुत-बहुत धन्यवाद।
यह किताब दुनिया भर में भेजी गई है
इस पुस्तक को दुनिया भर के उच्च गणमान्य व्यक्तियों जैसे - राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों, राजदूतों और उच्च आयोगों, राजा, राजकुमार और राजकुमारी, शेख और सुल्तान एवं विभिन्न देशों के प्रमुख व्यक्तित्व जैसे-मेरे आराध्य श्री नेल्सन मंडेला, आईओसी (इंटरनेशनल ओलम्पिक कमेटी) के पूर्व प्रमुख श्री जुआन एंटोनियो समरंच, मैंने उन्हें यह पुस्तक हीथ्रो प्रस्थान टर्मिनल में सौंपी, उन्होंने उसी एक ही फ्लाइट (LON-BCN) में उड़ान भरी थी।
अन्य लोग जैसे — भारत में सोनिया गांधी और गवर्नर, फिल्मी सितारे, प्रमुख TVs & MEDIAs माध्य जैसे - सीएनएन, बीबीसी हिंदी सर्विस जी बी, भारत के दूरदर्शन, वॉयस ऑफ अमेरिका, अरब टाइम्स ऑफ कुवैत, टाइम्स / हिंदुस्तान टाइम्स ऑफ इंडिया, स्पेन के सभी टीवी चैनल, प्रतिष्ठित संपादकीय में से एक जैसे - PLANETA (बार्सेलोना) और अन्य।
हालांकि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक किताब लिखी थी - भारत की खोज
(Discovery of India) लेकिन मैं अपने सम्मानीय पाठकों के लिए पेश करता हूं "A Discovery of India" - भारत की एक नई खोज
।
THESE IDs HAVE BEEN SENT TO (on 14th of March 2023 at 00:30 hrs. Spanish time) :
[ donate@obama.org, president@whitehouse.gov, postmaster@nobel.no, secy.president@rb.nic.in,residentofindia@rb.nic.in, cecom@casareal.es,
cartaservicios@presidencia.gov.es, asp@rb.nic.in,
info@obama.org, office@nipo.gov.ua,emb.washington@maec.es, president@gov.ru,obama.library@nara.com,
diplomaticvisasmadrid@state.gov,info@planeta.es ]
यहां से शुरुआत करें, २०२३
मेरे प्रिय और सबसे सम्मानित पाठकगण कृपया इस पृष्ठ (पुस्तक का अतिरिक्त भाग) से पढ़ना शुरू करें।
बहुत-बहुत धन्यवाद
जैसा कि अब फरवरी 2023 से यह पुस्तक ऑनलाइन स्व-प्रकाशन मंच के माध्यम से पुनर्प्रकाशित होने जा रही है (पहला संस्करण 2001भारत के कोलकाता से प्रारूप PUNASCHA द्वारा प्रकाशित किया गया था), मैं आप सभी माननीय पाठकों से अनुरोध करूंगा कि इसे अपने दिमाग में रखें कि इस पुस्तक की कई अबधारणाओं को मेरे अन्य माननीय एवं प्रिय लेखक सहयोगियों द्वारा अपनाया गया है, लेकिन कोई बात नहीं!!!!! इस पुस्तक को अंत तक अच्छी तरह से पढ़ते रहने से आपको सभी विवरणों का पता चल जाएगा।
आज 23 फरवरी 2023 गुरुवार (16:22 hrs. स्पैनिश समय) को मीडिया (टेली कम्युनिकेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग — विषेशतः इस मामले में YouTube) ने मुझे एक बार फिर से उकसाया है कि मैं अपनी पांडुलिपि के उस अतिरिक्त भाग को इस वर्तमान पुस्तक की मुख्य सामग्री से जोड़कर लिखें और अपलोड करें।
जब मुझे बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया द मोदी क्वेश्चन
के बारे में पता चलता है, तो एक बार फिर मेरी चेतना स्पंदित हो जाती है और मुझे अपनी विचारधारा और अपने भारत की अवधारणा को दुनिया भर के भारतीय डायस्पोरा, मेरे प्यारे स्पैनिश बन्धुगण और जाहिर तौर पर भारत की मेरे सबसे प्यारे बहनों और भाइयों के सामने पेश करने के लिए मजबूर करती है।
वैसे भी, मैंने आप जैसे मेरे सम्मानित पाठकों के लिए कुछ और पैराग्राफ जोड़े हैं ताकि वे पढ़ते रहें और आनंद लें।
इस बार मैंने विश्व शांति से संबंधित कुछ लिखा है —
अगर हम कभी भी अपने ग्रह पृथ्वी की भूमि की सतह पर शांति और सद्भाव बनाए रखने में सक्षम हो सकते हैं
।
दुनिया भर की सारी मेरी सबसे प्यारी महिलायें और मेरे प्यारे सज्जनों, आप जानते हैं कि हम विश्व शांति और सद्भाव के विषय पर सेमिनार और विश्व स्तर की बैठकें करते रहे हैं लेकिन हमें कभी सफलता नहीं मिलती है।
इस पूर्ण विफलता के पीछे मुख्य कारण है : —
मल्लोर्का/मायोरका (स्पेन) में आयकर कार्यालय के एक विभाग की एक महान महिला प्रभारी का महान विचार जिसे मैंने चित्रित किया है, कृपया उसके विचार को पढ़ें, उसका पालन करें और उसे लागू करें।
हमारे एकमात्र ग्रह पृथ्वी
की मानव जाति के बीच एक वास्तविक शांति और सद्भाव कैसे स्थापित और बनाए रखा जा सकता है?
यदि मेरे किसी भी माननीय पाठक के पास साझा करने के लिए कोई सुराग या विचार है, तो कृपया आगे आएं और खुद को एकता की जंजीर में बांधकर हमारे वास्तविक जीवन में लागू करें और एक अभूतपूर्व महान सफलता प्राप्त करें।
यह सच है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और लोगों के बीच सहयोग को मजबूत करके मानव जाति के बीच वास्तविक शांति फैलाना ही काफी नहीं है जैसा कि श्री बराक ओबामा (यूएसए के पूर्व राष्ट्रपति) ने किया और नोबेल शांति पुरस्कार
प्राप्त किया।
यदि मैं अपने माननीय पाठकों के माध्यम से उनसे पूछता हूं : –
क्या आपको लगता है श्रीमान ओबामा कि मानव जाति के कल्याण के लिए आपके द्वारा किए गए सबसे बड़े प्रयास को वास्तव में यह नोबल शांति पुरस्कार मिला है या यह सिर्फ एक दिखावा है या लोगों के बीच अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सहयोग को मजबूत करने के आपके असाधारण प्रयास थे पर्याप्त?
लेकिन किसी को तो अपने अभिनय / उपदेश / शिक्षण / सपने दिखाने / विचार व्यक्त करने के माध्यम से और जाहिर तौर पर लिखकर पहल करनी होगी : —
- जैसा कि श्रीमान बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान किया था!!!!!
- जैसा कि गांधी ने अतीत में किया था!!!!!
- जैसा कि राजकुमार गौतम (सिद्धार्थ) ने लगभग 500 वर्ष ईसा पूर्व में किया था!!!!!
- जैसा कलकत्ता की मदर टेरेसा ने किया!!!!!
- जैसा कि जॉन लेनन ने सपने देखने वाले के रूप में अपने सपने की अभिव्यक्ति गाकर किया था!!!!!
- जैसा कि चैतन्य महा प्रभु ने उस अराजक लोगों को शांत करके किया था जो उस समय के शासन प्रशासन के दर्द से पीड़ित थे!!!!!
- जैसा कि मेरे प्यारे के रूप में सबसे प्यारे और सबसे सम्मानित दिवंगत मंडेला नेल्सन ने अपने लोगों को शिक्षित करने की पूरी कोशिश की!!!!!
- और भी बहुत से लोग जिन्होंने मानव जाति को समर्पित इस सबसे स्वैच्छिक परोपकारी सेवा की छाया में खुद को दफन कर लिया।
25 साल पहले (1997-98) जब मैंने इस किताब को लिखने के लिए खुद को एकाग्र किया था; सही मायने में मैंने - आपके (मेरे माननीय पाठकों) और मेरे लेखन के माध्यम से बड़े प्यार के साथ मगर बहुत ही सम्मानजनक तरीके से स्पेन के वर्तमान राजा (तत्कालीन राजकुमार) फेलिप VI को आगे आने और खुद को मानव जाति के लिए एकमात्र और सबसे भव्य सेवा (मानवीय सेवा) के लिए समर्पित करने का प्रस्ताव दिया था, जैसा कि राजकुमार गौतम ने किया और अपने शाही आलीशान जीवन के प्रत्येक सुख का त्याग करके सबसे पवित्र गौतम बुद्ध और एक शाश्वत बन गए।
और अब, मैं अपने सम्मानित पाठकों के माध्यम से —
मेरे सबसे प्यारे और सबसे सम्मानित बराक, आपको प्रस्ताव देता हूं; कृपया आगे आएं और मानव जाति के लिए अपनी अत्यधिक समर्पित मानव सेवा प्रदान करें।
आप और राजा जैसे लोगों में जबरदस्त हिम्मत और जबरदस्त शक्ति है; कृपया मानव जाति के कल्याण के पक्ष में इन हिम्मत और शक्तियों का उपयोग करें और मानव से दर्द और संकट के उन्मूलन की शपथ लें।
आप दोनों फ्रंट लाइन लीडर बनें; दुनिया भर के सभी यूरोपीय संघ और अमेरिकी प्रशासकों, राजाओं, शेखों, सुल्तानों, राजकुमारों और राजकुमारियों, अन्य प्रभावशाली व्यक्तित्वों और निःस्वार्थ स्वयंसेवकों को इकट्ठा करें, उन्हें प्रेरित करें और आग्रह करें एवं उनकी या दुनिया की एक टीम (एकमात्र और अनूठी टीम
) बनाएं जो दुनिया से ये सभी बुराइयाँ उन्मूलन कर सके और दुनिया को इस तरह ऊपर से निचे तक उलट कर रख दें जहां मानव जाति के बीच कोई वैमनस्य, कलह और मतभेद न हो और सभी एक वास्तविक शांति और सद्भाव की भव्य मर्यादा के तहत रह सकें।
और फिर हम सब गा सकते हैं –
जॉन लेनन का वह स्वप्निल गीत – सपने को हकीकत में बदलकर।
You may say I am a dreamer
But I am not the only one
I hope someday you will join us
And the world will live as one
और इस प्रकार हम एक वास्तविक शांतिप्रिय प्रशांत विश्व बनाने में सक्ष्छ्म हो सकते हैं।
यहां से आगे बढ़ते हुए, २०११
जैसा कि इन दिनों (2011) टीवी की सबसे गर्म खबर मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक का पतन और अपने अपने देशों के तानाशाहों और भ्रष्ट सरकारों के खिलाफ लड़ने के लिए एक नए मुस्लिम गठबंधन का अंकुरण हुआ है, उससे संबंधित कुछ नए विचार मेरे मन में आए हैं जिन्हें मैं जोड़ रहा हूं —
कृपया पढ़ें।
चूंकि मैं स्पैनिश टीवी चैनलों की मदद से इस पुस्तक को (अतिरिक्त भाग के अलावा जो शामिल किया जा रहा है) लिखने में सक्षम हो सका, इस बार फिर से टीवी चैनलों ने मुझे पुस्तक की मौजूदा हिस्से में जोड़ने के लिए कुछ और लिखने को उकसाया है। यह पुस्तक पहली बार 2001 में भारत में कलकत्ता (कोलकाता) के पुनश्च प्रकाशन के माध्यम से और बाद में Lulu.com के माध्यम से एक ई-पुस्तक प्रारूप में प्रकाशित हुई थी।
आज जब मैंने यह स्पेनिश अखबार EL PAÍS
(बार्सिलोना संस्करण) पढ़ा, तो मुख्य सुर्खियां –
KEMAL DERVIS (Vicepresidente y director de Economía Global de la Brookings Institución): "Aumentar beneficios un 20% en una economía que crece al 3% es una locura"
केमल डेर्विस (इकोनोमिया ग्लोबाल दे ला ब्रूकिंग्स इंस्तीतूसिओन के उपाध्यक्ष और निदेशक): 3% की दर से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में 20% लाभ बढ़ाना पागलपन है
मैं वास्तव में यह नहीं समझ पा रहा हूं कि हम ग्रहवासी (पृथ्वीग्रह), हमारी भूमि की सतह पर शांति और वास्तविक सद्भाव कैसे ला सकते हैं। पूँजीवाद और अधिक से अधिक लाभ का लोभ लालच दुनिया में गरीबी और असमानता (स्पैनिश में desigualdad / देसिगुआलदाद) के कारण की मुख्य धुरी है जो दुनिया को शांति से रहने नहीं देता है।
जैसा कि यह स्पैनिश शब्द देसिगुआलदाद (असमानता) है, यह मुझे कुछ बातचीत या चैट की याद दिलाता है जो मैंने हाल ही में की थी।
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कहानी एक और मोड़ लेता है :
मैं कोलकाता से मैड्रिड (स्पेन) वापस जा रहा था। मैं नेताजी सुभाष अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बोर्डिंग क्षेत्र में अन्य यात्रियों के साथ एक सोफे में बैठा था। वहाँ मेरे बगल वाले दूसरे सोफे पर एक अधेड़ उम्रावती सज्जन महिला अपने सामने दूसरे सोफे पर बैठी एक अन्य युवती से बातचीत कर रही थी। वे दोनों स्पैनिश थीं। इसलिए मैं सभी विषयों पर हो रही बातचीत को समझ पा रहा था। वे दोनों कोलकाता में विभिन्न धर्मार्थ ट्रस्टों या एन. जी. ओ. के लिए काम कर रहीं थीं। उनका काम विशेष रूप से गली के बच्चों को गरीबी और अपर्याप्त परिवेश से छुटकारा दिलाना था। उनकी लंबी बातचीत हुई। मैंने सभी को ध्यान से सुना और अंत में अपना परिचय दिया और उन्हें बताया कि मैं स्पेन के बालिआरिक द्वीप मायोरका में रह रहा था। उनमें से एक ने मुझसे पूछी कि कब से मैं वहां स्पेन में रह रहा था —
तो मैंने जवाब दिया, 1995 से —
तब युवती ने कही —
मैं अनुमान लगा रही थी कि आप स्पैनिश जानते हैं और हमारी बात सुन रहे हैं
।
मैंने देखा कि अधेड़ उम्रावती महिला कुछ घबराई हुई लग रही थी; मैंने उस युवा महिला को धन्यवाद दिया और कहा —
मैं, एक भारतीय और भारतीय धरती पर, एक स्पैनिश महिला की ज़ुबां से इन सभी बुरी आलोचनाओं को सुन रहा हूं, एक तरह से यह बहुत खुशी की बात है और दूसरी तरफ मेरे लिए बड़ी शर्म की बात है। लेकिन यह सच है, मैं आपके विचारों की सराहना करता हूं, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि यह सरकार नहीं है न ही भ्रष्टाचार है; यह कुछ और है
, और, मैंने उसके सभी विषयों की पुष्टि की जिनपर उसने बातें की थी।
फिर बोर्डिंग कॉल की घोषणा हो गई और हम अलग अलग हो गए और आखिरकार दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंच गए। वहां हवाई अड्डे पर मैं फिर से उस अधेड़ उम्रावती महिला से मिला, जो मेरे साथ अमीरात के कैफेटेरिया लाउंज में गई, जहां हमने थोढ़ा सा स्नैक्स लिए। उसे थोड़ी शर्म आ रही थी क्योंकि बातचीत में उन्होंने भारत सरकार और राजनीतिक/संस्थागत भ्रष्टाचार, भारतीय लोग आदि, आदि की बहुत आलोचना की थी; मैंने कुछ विषयों पर चर्चा शुरू की और धीरे-धीरे वह सामान्य हो गई और हमने अपना परिचय दिया। वह एक चिकित्सिका (Doctor) थी।
फिर वह उन्हीं विषयों पर बात करने लगी, जो उसने कोलकाता एयरपोर्ट पर युवती से बातचीत की थी।
उसने कही —
मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों होता है, इतनी गरीबी क्यों है, और इतनी समृद्धि भी क्यों है, इतनी असमानता!!!!
दूसरी ओर भारत एक उभरता हुआ देश है, वास्तव में, मैं आपको वास्तव में बताती हूँ, मुझे नहीं समझ आती। भारत एक उभरता हुआ देश होने के नाते इन सभी को मिटा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं करता, सच बोलूं, मुझे समझ नहीं आता कि क्यों?
मैंने कहा — समस्या यह है कि भारत को हिटलर और गांधी जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है
।
वह समझ नहीं पाई और अपना चेहरा बना लिया कि उसने कुछ बिल्कुल अस्वीकार्य शब्द सुना है। एक प्रश्नवाचक आवाज और बड़ी आंखों के साथ उसने कही —
हिटलल...ल...ल...आर; आप क्या कहते हैं — हिटलर
?
नहीं! नहीं!!!!!!
हिटलर नहीं, हिटलर नहीं, कृपया हिटलर नहीं।
उसने अपनी नफरत और असहमति दिखाई और नफरत भरी आवाज में कही –
ऐसा अमा.......नवीय...!!!!!!!
मैंने कहा —
नहीं, आप मुझे समझ नहीं रही हो, मेरा मतलब एक दोहरी शख्सियत है जो गांधी और हिटलर के चरित्र को भी धारण करती है क्योंकि भारतीय समाज का नेतृत्व करने के लिए हिटलर जैसे मजबूत व्यक्तित्व की जरूरत है।
और अंत में उसने सुझाव दिया —
यदि हम सभी सहयोग करें और प्रति माह अपनी आय का एक यूरो का थोड़ा सा योगदान दें तो इन सड़क पर रहने वाले बच्चों का जीवन बेहतर होगा।
उसने अपनी दया दिखाई और बहुत ही भावुक तरीके से कही —
आपका एक छोटा सा सहयोग उनके भाग्य को फूल की तरह खिला सकता है और उनके जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है।
और, फिर उसने मुझसे पूछी —
आप क्या कहते हो? आपकी क्या राय है?
मैंने कहा —
देखिए, सिर्फ यह आप और स्पेन के लोगों का प्रयास और केवल थोड़ा सा योगदान नहीं है, यह पहली दुनिया और तीसरी दुनिया के बीच की आड़ है, जब तक ये शब्द प्रबल रहेंगे, तब तक दुनिया में एक समान संतुलन और समानता नहीं होगी ।
इस तरह के कलकत्ता के स्ट्रीट चिल्ड्रन या लैटिन अमेरिका के गार्बेज बॉय (स्पैनिश टीवी स्क्रीन जैसा कि दिखता है) को समाप्त नहीं किया जा सकता है, मैं आपको कुछ बताता हूं, उम्मीद है, आप समझेंगी —
पिछले साल मायोरका में मैं आयकर कार्यालय गया था (स्पेन के बालिआरिक द्वीप की राजधानी) अपनी वार्षिक आयकर घोषणा (I T Declaration) प्रस्तुत करने के लिए, जैसा कि सालाना हम सभी किया करते हैं; वहाँ, किसी कारण से मुझे उस विशेष खंड के प्रमुख से मिलने जाना पड़ा, वहाँ मैं एक अधेड़ उम्ररावती महिला से मिला, जो इंचार्ज थी। आप मानें या न मानें, मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि कोई स्पैनिश अपने ही स्पैनिश की इतनी आलोचना कर सकता है; मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था।
ठीक है, सुनिए, मेरी बात सुनिए —
जब उसे पता चला कि मैं एक भारतीय था, तब उसने कही, —
ओह! भारत कितना खूबसूरत देश है; मेरी एक ही इच्छा है कि मैं कब्र पर जाने से पहले भारत जा आऊं
।
मैंने, क्षमा मांगते हुए, उसे टोका और कहा —
दुनिया में हर देश की अपनी सुंदरता और बदसूरत चेहरा होती है।
और फिर वह (आयकर इंचार्ज) वोसब बातें करती रही जो आप (चिकित्सिका) कहते आ रही हैं, और उस महिला इंचार्ज ने मुझे और भी बताया, तो उन्होंने आगे कहा —
देखिये, मुझे इन सब बातों पर शर्म आती है, ये सब बातें कर रही हूँ, पता है यह सब पाखंड है l हम सब तीसरी दुनिया के देशों की इतनी गरीबी की बात करते हैं जैसे आपके भारत या चलो लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के बारे में बात करते हैं, आप जानते हैं, यहां स्पेन में सभी कहते हैं कि इसे मिटाना है और वंहा के सरकार को दोष देते हैं। लेकिन ये लोग भूल जाते हैं कि इन देशों में गरीबी उन्हीं की पैदाइश का नतीजा है
।
देखो, हम कहते हैं वो गरीब बच्चे! गरीब औरतें! गरीब देश! वगैरह...!!!!!!!!!
लेकिन हम उन्हें इन स्थितियों से छुटकारा दिलाने के लिए या उन्हें बेहतर जीवन देने में मदद करने के लिए करते क्या हैं?????
हम कुछ नहीं करते। कोई कहता है कि मैं उस संस्था को प्रति माह एक यूरो देता हूं या अपना इस्तेमाल किया हुआ सामान इन गरीबों को दान कर देता हूं, आदि, आदि...।
अरे यार, बकवास मत करो!
आपको पता है, एक तरफ वे ऐसा कहते हैं या करते हैं और दूसरी तरफ वे चाहते हैं कि उनका वेतन यूरो में अधिक से अधिक हो, यूरो को और अधिक मजबूत होना चाहिए, वे सभी चाहते हैं डबल फ्लैट, डबल कार, एलसीडी स्क्रीन टीवी, नए मोबाइल, आरामदायक सोफा और फर्नीचर, आदि, आदि....।
अच्छा; कोई यह नहीं कहता, हम उनकी तरह कमाएंगे या उनकी तरह जिएंगे।
नहीं! नहीं!!!!!!!!
वे ऐसा नहीं कह सकते, क्योंकि वे पहली दुनिया के लोग हैं।
ये सब पाखंडी हैं।
मैं उनकी दिखाई गई दया और दर्द को समझ सकती थी जो वे आमतौर पर दिखाते हैं यदि वे उनकी तरह जी सकते हैं या जीवित रहने के लिए उन गरीबों की तरह कमा सकते हैं।
आप देखिए; ये सभी बकवास {बुलशिट (मी ी ी ी ी ीए ए र दा)} हैं, मेरी ज़ुबान के लिए मुझे क्षमा करें, लेकिन मैं वर्दास्त नहीं कर सकती। ये चीजें मुझे पागल और उग्र बनाती हैं, मेरा विश्वास कीजिए, वाकई ये हम हैं जो तीसरी दुनिया के लिए ये सभी दर्द और संकट पैदा करते हैं, हम अपनी विलासिता और आराम को कम नहीं कर सकते हैं और न ही त्याग कर सकते हैं, तो हम ये सब बकवास क्यों करते हैं?
जब तक हम उन तीसरी दुनिया के देशों के लोगों की तुलना में अमीर होने की लत का त्याग नहीं कर सकते, इस मामले के बारे में सोचना निराधार है।
आपको पता है, यह एक सबसे बड़े पाखंड के अलावा और कुछ नहीं है, सॉरी, सॉरी/माफ कीजिए, माफ कीजिए मुझे लगता है कि मैंने बहुत ज्यादा बातें की है, मुझे नहीं करनी थी, मुझे माफ कीजिए, माफ कीजिए।
और उस महिला के चहरे पर बहोत गुस्सा और अत्यधिक घबराहट सा दिखा।
जब मैंने इस स्थिति पर ध्यान दिया तो मैंने विषय को बदलना पसंद किया और अंत में बातचीत को समाप्त कर दिया और मुझे दी गई आयकर सम्बंधित उसकी सभी मदद के लिए धन्यवाद दिया और उसे अलविदा कहते हुए उसके कार्यालय से चल पड़ा।
और फिर मैंने उनसे (चिकित्सिका से) पूछा —
क्या अब आप समझ रहीं हैं कि मैं क्या कहना चाहता था —
यह भारत सरकार नहीं है या केवल संस्थागत व राजनीतिक भ्रष्टाचार।
और मैं आपको (मेरे माननीय पाठकों) बताता हूं कि मैंने उनकी सभी तर्कों को लगभग स्वीकार कर लिया था, लेकिन अंत में मैंने उन्हें सुझाव दिया कि न तो देश और न ही किसी सरकार को दोष देना था, अगर दोष देना था तो वह था समाज और उसकी कुव्यवस्था को। गरीब बच्चे भारतीय समाज की इस बीमार व्यवस्था के असली शिकार हैं।
फिर चिकित्सिका ने तर्क दी —
सरकार को क्यों दोष नहीं दिया जाना चाहिए या भ्रष्ट राजनेताओं को जो सरकारी तंत्र का हिस्सा हैं?
फिर मैंने कहा —
हां! आप सही कह रहीं हैं, लेकिन, अगर आप थोड़ा सा भी ध्यान से दुनिया की तरफ देंखे, तो आप पाएंगी कि सारे सरकारी तंत्र दुनिया भर में कमोबेश एक जैसे हैं, हो सकता है थोड़ा अधिक या बहुत कम, लेकिन भ्रष्टाचार मौजूद है, आप जिस भी देश को लें, आप देखेंगी कि भारत के राजनेता उतने ही भ्रष्ट हैं जितने और देशों में, कम हो सकते हैं लेकिन समान रूप से भ्रष्ट हैं।
यदि आप स्पैनिश समाचार पत्र पढ़ती हैं या रेडियो सुनती हैं या टीवी समाचार देखती हैं तो आपको दुनिया भर में और विशेष रूप से स्पेन में इस राजनीतिक भ्रष्टाचार के बारे में पता चल जाएगा। और, फिर मैंने भारतीय भ्रष्टाचारों के बारे में थोड़ी और बात की और उनसे स्पेन की राजनीति और उसके भ्रष्टाचारों पर विचार करने को कहा।
मैंने स्पेन के राजनीतिक भ्रष्टाचार के मामले के कई उदाहरण रखे, और आगे मैंने उनसे पूछा कि क्या वह इनमें से किसी के बारे में जानती हैं, तो वह मान गईं क्योंकि वह दैनिक समाचार पत्रों, मीडिया, टेलीविजन, रेडियो और संचार / प्रसारण एबं अन्य स्रोतों के संपर्क में भी थीं। इसलिए मेरे लिए इन विषयों पर बातचीत करते रहना बहुत आसान हो गया। मैंने उनसे पूछा कि क्या वह इराक पर युद्ध के पक्ष में थीं या हैं —
जहां लाखों स्पैनिश मैड्रिड या स्पेन में कहीं और सड़कों और प्लाजा पर अपनी असहमति और वर्तमान सरकार पी.पी. (पार्तिदो पॉपुलार) को समर्थन नहीं दिखाने के लिए निकल आए। लेकिन उनकी अपील को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया और यू.एस.ए. के साथ स्पेन, पुर्तगाल और इंग्लैंड ने युद्ध शुरू किया जो बिल्कुल अनुचित और मानवता के खिलाफ था। अब यह स्पष्ट हो गया है कि इराक पर शुरू किया गया युद्ध एक बड़ी साजिश थी और कुछ व्यक्तियों (राजनेताओं) के पारस्परिक लाभ के लिए किया गया था जिन्हें आप भ्रष्ट राजनेता कह सकते हैं।
उदाहरण के लिए —
स्पेन के पूर्व राष्ट्रपति खोसे मारिया अजनार ने अमेरिका में एक अच्छी नौकरी पाई और स्पेन के बालिआरिक द्वीप के पूर्व राष्ट्रपति जुआन मातास को अपने साथ ले गए क्योंकि वे भी राजनीतिक भ्रष्टाचार के आरोप में थे; इंग्लैंड के ब्लेयर कहीं और जम गए (मध्य पूर्व के लिए विशेष दूत) यानी सभी जानते हैं; पुर्तगाल के दुराव बारोसो को यूरोपीय संघ के अध्यक्ष का पद दिया गया था; रोदृगो रातो आई.एम.एफ. में गए थे यह सब दुनिया बहुत अच्छी तरह से जानती है और जाहिर तौर पर बुश परिवार और उसका राजनितिक दल, आदि, आदि ..., इन उदाहरणों को हमारी बातचीत में नहीं रखा गया, यह, इन सभी उदाहरणों के लिए केवल मैं ही जिम्मेदार हूं, अगर किसी को कोई विसंगति है तो मुझे पूछे, किसी और को लिखने या प्रकाशित करने के लिए नहीं।
और, मेरे माननीय पाठकों यह आपकी जानकारी के लिए है — यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि विश्व आर्थिक संकट आया, यदि नहीं, तो अजनार अमेरिकी मूल्य के हिसाब से एक बहु-अरबपति बन गया होता,