स्वर्गविभा ऑनलाइन त्रैमासिक हिंदी पत्रिका दिसंबर २०२३: स्वर्गविभा त्रैमासिक हिंदी पत्रिका
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स्वर्गविभा टीम द्वारा, स्वर्गविभा त्रैमासिक पत्रिका, दिसंबर 2023 अंक का प्रकाशन बड़ी प्रसन्नता का विषय है| यह पत्रिका विगत 20 सालों से नियमित रूप से, हर चार महीने पर प्रकशित होती आ रही है| इसके प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य, देश-विदेश के हिंदी साहित्य प्रेमियों की प्रतिभा को, जन-जन तक पहुँचाना, और हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है| इसमें लब्ध प्रतिष्ठित रचनाकारों की रचनायें, कहानियाँ, गज़लें, कवितायें आदि तो प्रकाशित होती ही हैं, इसके साथ ही नवोदित रचनाकारों की रचनाएँ, जिनमें समीक्षा, आलोचनात्मक लेख, आदि भी प्रकाशित होती हैं| जिससे कि नवोदित और लब्ध रचनाकारों की न केवल प्रतिभा का आदान-प्रदान हो सके, बल्कि एक दूसरे को परस्पर जानें भी|
मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है, यह जानकार कि इन छोटे-छोटे प्रयासों से आज हिंदी, निरंतर आगे बढ़ रही है| बाहरी देशों में भी हिंदी अपनी जगह बना रही है| इसमें कोई संदेह नहीं कि आज हिंदी भाषा को लगभग पूरे विश्व में, समझने वाले लोग हैं| भले ही वे बातें न कर सकें, पर बखूबी समझते हैं|
पर दुःख की बात है, कि एक ओर तो देश में, कुछ लोग.हिंदी के प्रचार-प्रसार में दिन-रात कार्यरत हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक जुमलों और बाज़ार की चमक-दमक में, हिंदी हमारे दैनिक जीवन से ओझल होती जा रही महसूस होती है| ईश्वर न करे, कि एक दिन हिंदी, हमारी अभिव्यक्ति का माध्यम बनने से इनकार कर दे| बाजार, मीडिया, विज्ञान की चकाचौंध में, हमारे मूल्यों की रक्षा करने के दायित्व बोध से पीछे हट जाये, संस्कृति और सौहार्द्र को बाजार के हवाले न कर दे| हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को समय से पहले ही न ख़तम कर दे, क्योंकि भाषा जब बाजार के अधीन होती है, तब सबसे पहले, अभिव्यक्ति को खतरे की घंटी सुनाई पड़ती है| इसलिये हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मानवीय संस्कृति की उपलब्धि उसकी भाषा है| बदली हुई परिस्थिति में नए व्यावसायिक परिधान की आड़ में उसकी मूल आत्मा का परिधान धूमिल हो जा रहा है, और एक आहत आत्मा का गौरव, हम जितना भी जतन कर लें, दोबारा लौटाया नहीं जा सकता|
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स्वर्गविभा त्रैमासिक हिंदी पत्रिका नींद हमारी, ख़्वाब तुम्हारे Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
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स्वर्गविभा ऑनलाइन त्रैमासिक हिंदी पत्रिका दिसंबर २०२३ - डॉ. तारा सिंह
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स्वर्गविभा टीम द्वारा, स्वर्गविभा त्रैमासिक पत्रिका, दिसंबर 2023 अंक का प्रकाशन बड़ी प्रसन्नता का विषय है| यह पत्रिका विगत 20 सालों से नियमित रूप से, हर चार महीने पर प्रकशित होती आ रही है| इसके प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य, देश-विदेश के हिंदी साहित्य प्रेमियों की प्रतिभा को, जन-जन तक पहुँचाना, और हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है| इसमें लब्ध प्रतिष्ठित रचनाकारों की रचनायें, कहानियाँ, गज़लें, कवितायें आदि तो प्रकाशित होती ही हैं, इसके साथ ही नवोदित रचनाकारों की रचनाएँ, जिनमें समीक्षा, आलोचनात्मक लेख, आदि भी प्रकाशित होती हैं| जिससे कि नवोदित और लब्ध रचनाकारों की न केवल प्रतिभा का आदान-प्रदान हो सके, बल्कि एक दूसरे को परस्पर जानें भी|
मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है, यह जानकार कि इन छोटे-छोटे प्रयासों से आज हिंदी, निरंतर आगे बढ़ रही है| बाहरी देशों में भी हिंदी अपनी जगह बना रही है| इसमें कोई संदेह नहीं कि आज हिंदी भाषा को लगभग पूरे विश्व में, समझने वाले लोग हैं| भले ही वे बातें न कर सकें, पर बखूबी समझते हैं|
पर दुःख की बात है, कि एक ओर तो देश में, कुछ लोग.हिंदी के प्रचार-प्रसार में दिन-रात कार्यरत हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक जुमलों और बाज़ार की चमक-दमक में, हिंदी हमारे दैनिक जीवन से ओझल होती जा रही महसूस होती है| ईश्वर न करे, कि एक दिन हिंदी, हमारी अभिव्यक्ति का माध्यम बनने से इनकार कर दे| बाजार, मीडिया, विज्ञान की चकाचौंध में, हमारे मूल्यों की रक्षा करने के दायित्व बोध से पीछे हट जाये, संस्कृति और सौहार्द्र को बाजार के हवाले न कर दे| हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को समय से पहले ही न ख़तम कर दे, क्योंकि भाषा जब बाजार के अधीन होती है, तब सबसे पहले, अभिव्यक्ति को खतरे की घंटी सुनाई पड़ती है| इसलिये