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Dinesh Dohavali (दिनेश दोहावली)
Dinesh Dohavali (दिनेश दोहावली)
Dinesh Dohavali (दिनेश दोहावली)
Ebook115 pages36 minutes

Dinesh Dohavali (दिनेश दोहावली)

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About this ebook

दोहा अर्धसम मात्रिक छंद है और साहित्य - क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय है । दोहे की रचना आसान है परन्तु इतने छोटे से और स्वतंत्र छंद में भावों- विचारों को पिरोना थोड़ा कठिन कार्य है। मुझे दोहा छंद अत्यंत प्रिय है और मैं काफी समय से दोहे लिख रहा हूँ। मुझे यह महसूस होता रहा कि मैं अभी इससे अच्छा लिख सकता हूँ, यही एहसास मुझे दिनेश- दोहावली तक खींच लाया जो आपके हाथों में है । पुस्तक में ख़ाली स्थानों पर कुंडलिया छंद एवं एक गीतिका भी दी गई है।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateDec 21, 2023
ISBN9789356846500
Dinesh Dohavali (दिनेश दोहावली)

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    Dinesh Dohavali (दिनेश दोहावली) - Dr Dinesh Chandra Awasthi

    परिवार

    मेरी माँ थीं पढ़ी पर, गिनती में थीं दीन।

    रोटी देतीं पाँच पर, गिनती थीं वे तीन।

    माँ जब लिखिए तो लगे, एक चन्द्र, इक विन्दु।

    लेटा बच्चा विन्दु है, माँ की गोदी इन्दु।

    मन्दिर माँ के अंग सब, गोदी चारों धाम।

    मातु-चरण हैं स्वर्ग सम, माँ को कोटि प्रणाम।

    हम सब डूबे कर्ज में, पाये जो न उतार।

    यह ऋण माँ का प्यार है, रहता सदा उधार।

    गइया-मइया एक सी, दोनों दूध पिलायँ।

    रोटी को तरसें यही, जब बूढ़ी हो जायँ।

    वे बोलीं कैसी लगूँ, मैंने कहा हसीन।

    तेरी जैसी मन करे, ले आऊँ दो-तीन।

    पत्नी होती हैं सभी, घर के बेसिक फ़ोन।

    मोबाइल सी प्रेमिका, कितनी अच्छी टोन।

    पति है टायर की तरह, पत्नी होती ट्यूब।

    जब दोनों ही ठीक हों, चले साइकिल ख़ूब।

    मेरे खाने में कभी, निकला करता बाल।

    क़ायम रखतीं इस तरह, वे अपना इक़बाल।

    पत्नी है अर्द्धांगिनी, बिन पत्नी सब सून।

    पत्नी बिना न मन लगे, घर या देहरादून।

    पत्नी दुर्गा बनेगी, अगर बनोगे शेर।

    नारायण बनकर रहो, वे दाबेंगी पैर।

    पत्नी ने मुझसे कहा, लेकर मेरा हाथ।

    भले एक से दो सदा, भले गधा हो साथ।

    सिटी वेटिकन मानिए, अपने घर को आप।

    पत्नी घर की पोप है, ये मानो चुपचाप।

    पर पत्नी अच्छी लगे, क्योंकि पड़े ना संग।

    सज कर आती सामने, करती कभी न तंग।

    रहना है जब साथ में, करें परस्पर प्यार।

    बात-बात में लड़े तो, जीवन होगा भार।

    पत्नी-हेल्मेट की प्रकृति, होती एक

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