Badalte Parivesh Ke Ekanki
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इस एकांकी संग्रह में नाटकों की परम्परागत शैली से हटकर नाट्य प्रस्तुत किये गए हैं। न इनमें लोक-नाटक शामिल हैं, न एतिहासिक नाटक, न पौराणिक नाटक, न गीति नाटक। हालांकि इनको सामाजिक नाटकों की श्रेणी में ज़रूर सम्मिलित किया जा सकता है। इनमें राष्ट्रीयता की भावना जागृत करते हुए भारतभूमि के उद्धारक पात्र नहीं हैं। मातृत्व के या नारीत्व के प्रतिनिधि पात्र भी नहीं हैं। फिर भी यह एकांकी संग्रह वर्तमान काल से समकालिक है। इन एकांकियों में एकांकी का मुख्य पात्र अक्सर अपने को एक ऐसे मोड़ पर खड़ा हुआ पाता है, जहाँ उसको उसका अतीत खींचकर ले आया है (सिवाय एक एकांकी 'कंप्यूटर गेम' के), लेकिन अब आगे का मार्ग अप्रशस्त है। अक्सर नाटकों में प्रेम का चित्रण होता है, लेकिन इस संग्रह में किसी भी एकांकी में रोमांटिक कोण नहीं है। इनमें वीर और श्रृंगार रस की कमी है, लेकिन पात्र की वेदना, रुदन और करुणा का चित्रण है। इस युग में जो अनैतिकता छाई हुई है और उसको लेकर जो लोगों में निराशा भर गई है, उसका एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण यहाँ ज़रूर किया गया है। ये एकांकियाँ आपस में इतनी भिन्न हैं कि इनमें नाटककार का अपना व्यक्तित्व प्रतिबिंबित होने की कोई संभावना नहीं है। आधुनिक जीवन-दर्शन को दर्शाती ये एकांकियाँ अपने आप में भले ही कोई क्रांति न ला पाएँ, देशभक्ति या मानव-सेवा को अपने जीवन का चरम ध्येय बनाने की प्रेरणा न दे पाएँ, परन्तु मानसिक परेशानियों से गुज़रते पात्रों की मानसिक स्थिति से पाठकों को ज़रूर संस्पंदित करेंगी।
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वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं हिन्दी लेखक डॉ. भारत खुशालानी (Ph.D) का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, अमेरिका (California University, America) से वर्ष 2004 में डॉक्टरेट (Ph.D) कि डिग्री प्राप्त की है। फ़िलहाल डॉ. भारत सहालकार (कंसल्टेंट) के तौर पर कार्य करते हैं। इनकी प्रकाशित महत्वपूर्ण कृतियों में 52 शोधकार्य और रिपोर्ट शामिल हैं जो अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में अनेकों लेख, कविताएँ एवं कहानियाँ हो चुकी हैं। इनके द्वारा लिखी प्रकाशित 8 किताबें: भारत में प्रकाशित : 1). कोरोनावायरस 2). कोरोनावायरस को जो हिन्दुस्तान लेकर आया 3). परीक्षण ; अमेरिका में प्रकाशित : 4). समतल बवंडर 5). उपग्रह 6). भवरों के चित्र 7). लॉस एंजेलेस जलवायु ; कैनेडा में प्रकाशित : 8). सौर्य मंडल के पत्थर हैं।
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Book preview
Badalte Parivesh Ke Ekanki - Dr. Bharat Khushalani
ISBN : 978-9388202893
Published by :
Rajmangal Publishers
Rajmangal Prakashan Building,
1st Street, Sangwan, Quarsi, Ramghat Road
Aligarh-202001, (UP) INDIA
Cont. No. +91- 7017993445
www.rajmangalpublishers.com
rajmangalpublishers@gmail.com
sampadak@rajmangalpublishers.in
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प्रथम संस्करण : मई 2020
प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन
राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट,
सांगवान, क्वार्सी, रामघाट रोड,
अलीगढ़, उप्र. – 202001, भारत
फ़ोन : +91 - 7017993445
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First Published : May. 2020
eBook by : Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division)
Cover Design : Rajmangal Arts
Copyright © डॉ. भारत खुशालानी
This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, and incidents are either the products of the author’s imagination or used in a fictitious manner. Any resemblance to actual persons, living or dead, or actual events is purely coincidental. This book is sold subject to the condition that it shall not, by way of trade or otherwise, be lent, resold, hired out, or otherwise circulated without the publisher’s prior consent in any form of binding or cover other than that in which it is published and without a similar condition including this condition being imposed on the subsequent purchaser. Under no circumstances may any part of this book be photocopied for resale. The printer/publishers, distributer of this book are not in any way responsible for the view expressed by author in this book. All disputes are subject to arbitration, legal action if any are subject to the jurisdiction of courts of Aligarh, Uttar Pradesh, India
अनुक्रमणिका
शीर्षक
असलियत
कंप्यूटर गेम
कब से यहाँ पर
क़ैदी - सही या गलत
बदलते परिवेश
~~
असलियत
एयर फोर्स की वर्दी में एक आदमी सोफे पर सिर झुकाए बैठा हुआ है। सोफा एक बड़े से कमरे में है। सोफे पर एक पत्रिका पड़ी है। दीवार पर दो अनजाने चित्र लगे हुए हैं। कमरे के एक ओर कुछ किताबें और सजावट की वस्तुएँ पड़ी हैं।
अचानक पूरे सफ़ेद वस्त्रों में एक व्यक्ति प्रवेश करता है। दोनों किरदारों की उम्र तकरीबन ४० वर्ष है।
सफ़ेद वस्त्रों वाला व्यक्ति: राजेश?
सोफे पर बैठा आदमी हडबडाकर सिर उठाकर देखता है। दर्शकों को उसके सोचने की आवाज़ सुनाई देती है।
मंच के पीछे से आदमी के सोचने की आवाज़: राजेश?? यह आदमी मुझसे बात कर रहा है? शायद मुझसे ही बात कर रहा है, यहाँ कोई और है ही नहीं।
सफ़ेद वस्त्रों वाला व्यक्ति: मेरा नाम डॉ. खत्री है।
मंच के पीछे से आदमी के सोचने की आवाज़: डॉ...? यह डॉ. का दवाखाना तो लगता नहीं है। डॉ. के पास मैं कैसे पहुँच गया?
खत्री: ये चित्र कैसे लगे तुमको?
राजेश उठकर चित्रों की तरफ जाता है और कुछ पलों तक चित्रों को देखता है। अमूर्त कला से बने चित्र उसे अजीबोगरीब नज़र आते हैं।
राजेश: अपनी ओर ध्यान खींचते हैं।
खत्री भी चित्रों की तरफ मुस्कुराकर देखता है।
कमरे में एक मेज़ है। मेज़ के दोनों ओर एक-एक कुर्सी है। खत्री मेज़ के दूसरी तरफ की कुर्सी की ओर इशारा करता है।
खत्री: आओ राजेश, इस कुर्सी पर आराम से बैठ जाओ।
राजेश, खत्री की ओर देखते हुए कुर्सी की तरफ बढ़ता है, और कुर्सी के पास जाकर खड़ा हो जाता है।
खत्री अपनी मेज़ पर रखी हुई फाइलों में से राजेश की फाइल ढूँढ़ता है।
खत्री: (फाइल ढूँढ़ते हुए) राजेश, राजेश, राजेश की फ़ाइल... यहीं पर है... ये रही।
खत्री फाइल निकालकर ऊपर देखता है और राजेश को कुर्सी के पास खड़ा हुआ पाता है।
खत्री: बैठो बैठो। आराम से बैठो।
राजेश कुर्सी पर बैठता है।
खत्री: कैसा महसूस कर रहे हो? तुम ठीक हो?
राजेश: बिलकुल ठीक हूँ।
मंच के पीछे से राजेश के सोचने की आवाज़: राजेश की फाइल??
खत्री, राजेश की फ़ाइल खोलकर अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, और राजेश की तरफ हल्की मुस्कराहट से देखता है।
मंच के पीछे से राजेश के सोचने की आवाज़: घबराना मत। कुछ ही मिनटों में सब समझ में आ जाएगा।
खत्री: (उसी हल्की मुस्कराहट से) तो अब बताओ राजेश, तुम क्या बात करना चाहते हो।
राजेश खत्री की तरफ आश्चर्य से देखता है।
राजेश: मुझे तो मालूम भी नहीं है कि मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ।
फिर थोडा सँभलकर,
राजेश: मेरा मतलब है... मुझे पता है... कि मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ... लेकिन... उह...
खत्री: आराम से, आराम से।
राजेश कुर्सी पर पीठ टिकाकर आराम से बैठ जाता है।
खत्री: चलो यहाँ से शुरू करते हैं। आज सुबह नाश्ते में क्या खाया तुमने?
खत्री अपनी पेन लेकर राजेश की फाइल में लिखने के लिए तैयार हो जाता है।
राजेश: आज सुबह? आज