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कम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने।
कम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने।
कम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने।
Ebook101 pages25 minutes

कम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने।

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About this ebook

कम्बख्त यादें' यह यादें मेरी और आपकी जिंदगी का वो हिस्सा है। जो मुझे अक्सर घर में पड़े चूल्हे के कोयले की तरह लगती है। जो सबकी जिंदगियों में सिर्फ एक बार ही जलता है। (जिया जाता) और यादों की हवा चलने पर हमारे अंदर ही धीरे - धीरे सुलगता है। सुलगते सुलगते जब कोयला रुपी यादें थक जाती हैं तो राख बन जाती है। और हमारे दिल के किसी हिस्से में दफन हो जाती है। इसी राख से जन्म लेती हैं यह कम्बख्त यादें। मेरे बारे में पंजाब के छोटे से शहर बटाला का रहने वाला हूँ। वहीं के सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षा पूरी की। स्वामी स्वतंत्रता आनंद मेमोरियल कॉलेज गुरदासपुर से फैशन डिजाइनिंग की उपाधि प्राप्त की।

Languageहिन्दी
PublisherPencil
Release dateApr 28, 2021
ISBN9789354389726
कम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने।

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    कम्बख्त यादें - साहिल गोस्वामी

    कम्बख्त यादें

    तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने।

    BY

    साहिल गोस्वामी


    pencil-logo

    ISBN 9789354389726

    © साहिल गोस्वामी 2021

    Published in India 2021 by Pencil

    A brand of

    One Point Six Technologies Pvt. Ltd.

    123, Building J2, Shram Seva Premises,

    Wadala Truck Terminal, Wadala (E)

    Mumbai 400037, Maharashtra, INDIA

    E connect@thepencilapp.com

    W www.thepencilapp.com

    All rights reserved worldwide

    No part of this publication may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval system, or transmitted, in any form, or by any means (electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise), without the prior written permission of the Publisher. Any person who commits an unauthorized act in relation to this publication can be liable to criminal prosecution and civil claims for damages.

    DISCLAIMER: The opinions expressed in this book are those of the authors and do not purport to reflect the views of the Publisher.

    Author biography

    कम्बख्त यादें' यह यादें मेरी और आपकी जिंदगी का वो हिस्सा है। जो मुझे अक्सर घर में पड़े चूल्हे के कोयले की तरह लगती है। जो सबकी जिंदगियों में सिर्फ एक बार ही जलता है। (जिया जाता) और यादों की हवा चलने पर हमारे अंदर ही धीरे - धीरे सुलगता है। सुलगते सुलगते जब कोयला रुपी यादें थक जाती हैं तो राख बन जाती है। और हमारे दिल के किसी हिस्से में दफन हो जाती है। इसी राख से जन्म लेती हैं यह कम्बख्तयादें।

    जहन में 'यादों के अक्स' उबरते हैं। एक बात याद आती है। शायद कहीं सुना था कि 'जीने के लिए तो साथ की जरूरत होती है। सहारे तो अर्थियों को दिए जाते है।' पर मेरे साथ स्तिथि कुछ विपरीत है। बिना यादों के सहारे जीना मुश्किल लगता है। 'ढलती शाम के सूरज' की तरह मुझे इनसे मुहब्बत हो गई है।

    कभी सोचा नहीं था कि अहसासों को शब्दों का रुप दूंगा। और दूंगा भी तो राख के अहसासों को। राख एक ऐसा शब्द है जहां सब खत्म हो जाता है और

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