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Pitthu Garam
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Ebook97 pages28 minutes

Pitthu Garam

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About this ebook

काव्य संग्रह का शीर्षक पिट्ठू गरम है पढ़कर मन में यह जरूर लगेगा कि आखिर इसका अर्थ क्या है किन्तु जब शब्दों की यही सादगी अपने काव्य के लालित्य से आनंद की महक बिखेरती है तो यह चर्चित काव्य संग्रह को पढ़ने मन मचल उठता है। कवि अंकुर सिंह को इस सार्थक और प्रशंसनीय लेखन के लिए हार्दिक बधाई और बहुत सारी शुभकामनाएं।

Languageहिन्दी
PublisherBook rivers
Release dateAug 23, 2020
ISBN9789389914511
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    Book preview

    Pitthu Garam - Ankur Singh

    अंकुर सिंह

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    वेबसाइट :- www.bookrivers.com

    प्रकाशक ईमेल :- publish@bookrivers.com

    मोबाइल :- +91-9695375469   

    प्रकाशन वर्ष :- 2020

    कॉपीराइट :- अंकुर सिंह

    मूल्य :- 150/- रूपये    

    ISBN :- 978-93-89914-51-1          

    यह पुस्तक इस शर्त पर विक्रय की जा रही है कि लेखक की पूर्वानुमति के बिना इसे व्यावसायिक अथवा अन्य किसी भी रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता। इसे पुनः प्रकाशित कर बेचा या किराए पर नहीं दिया जा सकता तथा जिल्दबंद या खुले किसी अन्य रूप में पाठकों के मध्य इसका वितरण नहीं किया जा सकता। ये सभी शर्तें पुस्तक के खरीदार पर भी लागू होती हैं। इस सम्बन्ध में सभी प्रकाशनाधिकार सुरक्षित हैं। इस पुस्तक का आंशिक रूप से पुनः प्रकाशन या पुनः प्रकाशनार्थ अपने रिकॉर्ड में सुरक्षित रखने, इसे पुनः प्रस्तुत करने के लिए अपनाने, अनुदित रूप तैयार करने अथवा इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल, फोटोकॉपी तथा रिकॉर्डिंग आदि किसी भी पद्धति से इसका उपयोग करने हेतु पुस्तक के लेखक की पूर्वानुमति लेना अनिवार्य है।

    इस पुस्तक में व्यक्त किये गए सभी विचार, तथ्य और दृष्टिकोण लेखक के अपने हैं और प्रकाशक किसी भी तौर पर इनके लिए ज़िम्मेदार नहीं है।

    इस किताब को किताब बनाने  में  कुछ लोगों और कुछ चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ है...

    हवा, पानी, पेड़, पौधे, ज़मीन और आसमान...

    इन सबके इलावा जाफ़र, सोहम, रजत, अभिमन्यु, सहज, अभिनन्दन, आद्या, अपूर्वा, हर्षित, वरुण, हिमांशु और मयूर विहार वाला Freaking Beans Café.

    मेरी family और मेरी 6 महीनें की भतीजी (ज़ीवा) को ख़ास तौर पर शुक्रिया।

    कभी तोड़ो, कभी जोड़ो, कभी फिर बनाओ,

    ज़िन्दगी नहीं, पिट्ठू गरम है ये...

    शुभकामनाएं

    साहित्य में भी अनेक कलाएं होती है यह इस काव्य संग्रह को पढ़कर अनुमान लगाया जा सकता है, कवि अंकुर सिंह ने अपने 62 कविताओं के माध्यम से साहित्य में भी 64 कलाएं दिखाने का अद्भुत प्रयास किया है जो तारीफे काबिल है, पाठकों के अंतर्मन को छू लेने वाली इन कविताओं में वह रवानगी और भाषा में वह लालित्य है कि शायद ही कोई इसे पढ़े बिना रह सके।

    काव्य संग्रह का शीर्षक पिट्ठू गरम है पढ़कर मन में यह जरूर लगेगा कि आखिर इसका अर्थ क्या है? किन्तु जब शब्दों की यही सादगी अपने काव्य के लालित्य से आनंद की महक बिखेरती है तो यह चर्चित काव्य संग्रह को पढ़ने मन मचल उठता है। कवि अंकुर सिंह को इस सार्थक और प्रशंसनीय लेखन के लिए हार्दिक बधाई और बहुत सारी शुभकामनाएं।

    -विशाल शुक्ल

    विषय-सूची

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