4 min listen
हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर
FromKathaDarshan
हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर
FromKathaDarshan
ratings:
Length:
5 minutes
Released:
Jan 27, 2021
Format:
Podcast episode
Description
हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई का हिंदी अर्थ |
हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर
कंचन बरन बिराज सुवेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ॥4॥
तुलसीदासजी जैसे संत जब भगवान का ध्यान करते है, समाधी लगाते है | तब वे समाधी मे तल्लीन हो जाते है तथा उनको भगवान का शरीर, आभूषण, कुण्डल, केस इत्यादि सब सुन्दर लगते है। हमारे जैसे सामान्य इन्सान भी जब प्रेम करते है, उस वक़्त हमें भी उसकी आँख, नाक, कान, सुन्दर लगते हैं। यहाँ तुलसीदासजी वर्णन करते है कि हनुमान जी का शरीर सोने की तरह चमक रहा है |कानों मे कुण्डल शेभायमान है, तथा बल घुंघराले हैं। जिसका जीवन सरल और सुन्दर होता है | हो कुछ भी धारण करे वह सुन्दर ही लगता है।
हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर
कंचन बरन बिराज सुवेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ॥4॥
तुलसीदासजी जैसे संत जब भगवान का ध्यान करते है, समाधी लगाते है | तब वे समाधी मे तल्लीन हो जाते है तथा उनको भगवान का शरीर, आभूषण, कुण्डल, केस इत्यादि सब सुन्दर लगते है। हमारे जैसे सामान्य इन्सान भी जब प्रेम करते है, उस वक़्त हमें भी उसकी आँख, नाक, कान, सुन्दर लगते हैं। यहाँ तुलसीदासजी वर्णन करते है कि हनुमान जी का शरीर सोने की तरह चमक रहा है |कानों मे कुण्डल शेभायमान है, तथा बल घुंघराले हैं। जिसका जीवन सरल और सुन्दर होता है | हो कुछ भी धारण करे वह सुन्दर ही लगता है।
Released:
Jan 27, 2021
Format:
Podcast episode
Titles in the series (69)
श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को क्यों चुना | Shri krishna Aur Mahabharat | by KathaDarshan