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Santikaram Stotra संतिकरम् स्तोत्र
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
Santikaram Stotra संतिकरम् स्तोत्र
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
ratings:
Length:
5 minutes
Released:
Nov 11, 2021
Format:
Podcast episode
Description
Santikaram Stotra संतिकरम् स्तोत्र ★
संतिकरं संतिजिणं, जगसरणं जय-सिरीइ दायारं।
समरामि भत्तपालग-निव्वाणी-गरुड-कयसेवं....1.
ॐ सनमो विप्पोसहि-पत्ताणं संति-सामि-पायाणं।
झ्रौ स्वाहा-मंतेणं, सव्वासिव-दुरिअ-हरणाणं....2.
ॐ संति-नमुक्कारो, खेलोसहि-माइ-लद्धि-पत्ताणं।
सौँ ह्रीँ नमो सव्वो-सहि-पत्ताणं च देइ सिरिं....3.
वाणी तिहुअण-सामिणी, सिरिदेवी जक्खराय गणिपिडगा।
गह-दिसिपाल-सुरिंदा, सया वि रक्खंतु जिण-भत्ते....4.
रक्खंतु मम रोहिणी, पन्नत्ती वज्ज-सिंखला य सया।
वज्जंकुसी चक्केसरी,नरदत्ता काली महाकाली. .5.
गोरी तह गंधारी, महजाला-माणवी अ वइरुट्टा।
अच्छुत्ता माणसिआ, महा-माणसिआ उ देवीओ 6.
जक्खा गोमुह-महजक्ख, तिमुह-जक्खेस तुंबरू कुसुमो।
मायंग-विजय-अजिया, बंभो मणुओ सुरकुमारो 7.
छम्मुह पयाल किन्नर, गरुलो गंधव्व तह य जक्खिंदो।
कूबर वरुणो भिउडी, गोमेहो पास-मायंगा। 8.
देवीओ चक्केसरी, अजिआ दुरिआरि काली महाकाली।
अच्चुअ संता जाला, सुतारया-सोअ सिरिवच्छा 9.
चंडा विजयंकुसी पन्नइत्ति निव्वाणी अच्चुआ धरणी।
वइरुट्ट-च्छुत्त-गंधारी, अंब पउमावई सिद्धा 10.
इअ तित्थ-रक्खण-रया, अन्नेवि सुरासुरी य चउहा वि।
वंतर-जोइणी-पमुहा, कुणंतु रक्खं सया अम्हं..11.
एवं सुदिट्ठि-सुरगण-सहिओ संघस्स संति जिणचंदो।
मज्झ वि करेउ रक्खं, मुणिसुंदर-सूरि-थुअ-महिमा 12.
इअ संतिनाह-सम्म-दिट्ठि-रक्खं सरइ तिकालं जो।
सव्वोवद्दव-रहिओ, स लहइ सुह संपयं परमं 13.
तवगच्छ गयण-दिणयर-जुगवर-सिरि-सोमसुंदर-गुरूणं।
सुपसाय-लद्ध-गणहर-विज्जा-सिद्धी भणइ सीसो। 14.
★
श्री मुनिसुंदरसूरिश्र्वरजी म.सा.ने संतिकरं स्तोत्र की रचना देलवाड़ा में की थी।
स्तोत्र के स्मरण से मन को शांति मिलती है और उपद्रवों का नाश होता है।
संतिकरं संतिजिणं, जगसरणं जय-सिरीइ दायारं।
समरामि भत्तपालग-निव्वाणी-गरुड-कयसेवं....1.
ॐ सनमो विप्पोसहि-पत्ताणं संति-सामि-पायाणं।
झ्रौ स्वाहा-मंतेणं, सव्वासिव-दुरिअ-हरणाणं....2.
ॐ संति-नमुक्कारो, खेलोसहि-माइ-लद्धि-पत्ताणं।
सौँ ह्रीँ नमो सव्वो-सहि-पत्ताणं च देइ सिरिं....3.
वाणी तिहुअण-सामिणी, सिरिदेवी जक्खराय गणिपिडगा।
गह-दिसिपाल-सुरिंदा, सया वि रक्खंतु जिण-भत्ते....4.
रक्खंतु मम रोहिणी, पन्नत्ती वज्ज-सिंखला य सया।
वज्जंकुसी चक्केसरी,नरदत्ता काली महाकाली. .5.
गोरी तह गंधारी, महजाला-माणवी अ वइरुट्टा।
अच्छुत्ता माणसिआ, महा-माणसिआ उ देवीओ 6.
जक्खा गोमुह-महजक्ख, तिमुह-जक्खेस तुंबरू कुसुमो।
मायंग-विजय-अजिया, बंभो मणुओ सुरकुमारो 7.
छम्मुह पयाल किन्नर, गरुलो गंधव्व तह य जक्खिंदो।
कूबर वरुणो भिउडी, गोमेहो पास-मायंगा। 8.
देवीओ चक्केसरी, अजिआ दुरिआरि काली महाकाली।
अच्चुअ संता जाला, सुतारया-सोअ सिरिवच्छा 9.
चंडा विजयंकुसी पन्नइत्ति निव्वाणी अच्चुआ धरणी।
वइरुट्ट-च्छुत्त-गंधारी, अंब पउमावई सिद्धा 10.
इअ तित्थ-रक्खण-रया, अन्नेवि सुरासुरी य चउहा वि।
वंतर-जोइणी-पमुहा, कुणंतु रक्खं सया अम्हं..11.
एवं सुदिट्ठि-सुरगण-सहिओ संघस्स संति जिणचंदो।
मज्झ वि करेउ रक्खं, मुणिसुंदर-सूरि-थुअ-महिमा 12.
इअ संतिनाह-सम्म-दिट्ठि-रक्खं सरइ तिकालं जो।
सव्वोवद्दव-रहिओ, स लहइ सुह संपयं परमं 13.
तवगच्छ गयण-दिणयर-जुगवर-सिरि-सोमसुंदर-गुरूणं।
सुपसाय-लद्ध-गणहर-विज्जा-सिद्धी भणइ सीसो। 14.
★
श्री मुनिसुंदरसूरिश्र्वरजी म.सा.ने संतिकरं स्तोत्र की रचना देलवाड़ा में की थी।
स्तोत्र के स्मरण से मन को शांति मिलती है और उपद्रवों का नाश होता है।
Released:
Nov 11, 2021
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
"Yaadein Toh Yaadein Hoti Hain" A poem by Satyavati Jain by Rajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers