Ebook263 pages2 hours
Jivan Ek Anbujh Paheli (जीवन एक अनबूझ पहेली)
By Neeraj Gupta
Rating: 0 out of 5 stars
()
About this ebook
इस कहानी में आध्यात्मिक, दार्शनिक, नैतिक तथा मानवीय बिन्दुओं पर भी लेखक ने अपनी सोच प्रवुद्ध पाठकों के सम्मुख रखने का प्रयास किया है, जैसे कर्मफल और भाग्य का सिद्धांत, धन की प्राप्ति के लिए किये गए कर्मों का उसे उपभोग करने वाले व्यक्ति पर प्रभाव, सृष्टि की सम्पूर्ण गतिविधियों को संचालित करता काल-चक्र, जीवन-यात्रा को सफल बनाने, मृत्यु के भय से छुटकारा पाने तथा मोह के प्रतिकार हेतु कुछ सुझाव, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' के रूप में भारतीय जीवन-दर्शन में समाहित सबके कल्याण की कामना, आधुनिक विज्ञान तथा प्राचीन भारतीय दर्शन का पारस्परिक सम्बन्ध, आदि।
इस सम्बन्ध में लेखक द्वारा जो भी विचार व्यक्त किये गए हैं, वे प्राचीन भारतीय दर्शन-ग्रंथों में प्रतिपादित सिद्धांतों, समय-समय पर मूर्धन्य मनीषियों द्वारा की गयी विवेचना तथा स्व-चिंतन-मनन के माध्यम से, जितना उसके द्वारा इस विषय को समझा जा सका. पर आधारित है। परन्तु चूँकि उक्त विषय अत्यंत गूढ़ हैं, जिनके बारे में बड़े-बड़े विद्वान भो एकमत नहीं हो पाते, अत हो सकता है कि कुछ सुधी पाठकगण पुस्तक में प्रस्तुत किन्हीं विचारों से सहमत न हों। इसलिए लेखक का विनम्र निवेदन है कि इस सम्बन्ध में यदि उनके कोई पृथक विचार हों, तो कृपया लेखक को उनसे अवगत कराएं. क्योंकि परस्पर विचार-विनिमय से बहुत सी भ्रांतियां मिट जाती हैं। फिर सत्य से साक्षात्कार कोई सरल कार्य नहीं है. जिस तक पहुँचने के अनेक मार्ग एवं ढंग बताये गए हैं।
इस सम्बन्ध में लेखक द्वारा जो भी विचार व्यक्त किये गए हैं, वे प्राचीन भारतीय दर्शन-ग्रंथों में प्रतिपादित सिद्धांतों, समय-समय पर मूर्धन्य मनीषियों द्वारा की गयी विवेचना तथा स्व-चिंतन-मनन के माध्यम से, जितना उसके द्वारा इस विषय को समझा जा सका. पर आधारित है। परन्तु चूँकि उक्त विषय अत्यंत गूढ़ हैं, जिनके बारे में बड़े-बड़े विद्वान भो एकमत नहीं हो पाते, अत हो सकता है कि कुछ सुधी पाठकगण पुस्तक में प्रस्तुत किन्हीं विचारों से सहमत न हों। इसलिए लेखक का विनम्र निवेदन है कि इस सम्बन्ध में यदि उनके कोई पृथक विचार हों, तो कृपया लेखक को उनसे अवगत कराएं. क्योंकि परस्पर विचार-विनिमय से बहुत सी भ्रांतियां मिट जाती हैं। फिर सत्य से साक्षात्कार कोई सरल कार्य नहीं है. जिस तक पहुँचने के अनेक मार्ग एवं ढंग बताये गए हैं।
Related to Jivan Ek Anbujh Paheli (जीवन एक अनबूझ पहेली)
Related ebooks
Vishnu Puran Rating: 5 out of 5 stars5/5PRACTICAL HYPNOTISM (Hindi) Rating: 4 out of 5 stars4/5Ganesh Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShiv Puran in Hindi Rating: 3 out of 5 stars3/5Jivan Ki Uljhane'n : Evam Srimad Bhagwad Gita Dwara Unke Samadhaan Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभीम-गाथा (महाकाव्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMeri Dharmik Yatra (मेरी धार्मिक यात्रा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSrimad Bhagwad Gita (श्रीमद्भगवद्गीता : सरल व्याख्या-गुरु प्रसाद) Rating: 5 out of 5 stars5/5Hindutva Ki chetana ke Swar (हिंदुत्व की चेतना के स्वर) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदादा भगवान ? (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsहिंदू अंत्येष्टि एवं संस्कार विधि और मोक्ष युवा पुरोहित द्वारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमैं कौन हूँ? Rating: 5 out of 5 stars5/5Devi Bhagwat Puran (देवी भागवत पुराण) Rating: 5 out of 5 stars5/5एक दार्शनिक की पुस्तिका: दर्शन 1, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsYogi Kathaamrt : Ek Yogi Ki Atmakatha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुरु-शिष्य Rating: 4 out of 5 stars4/5Kathopnishad Bhag-1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचमत्कार Rating: 3 out of 5 stars3/5अन्तर्निनाद: पातञ्जल योगदर्शन पर कुछ विवेचन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHindu Manyataon Ka Vaigyanik Aadhar (हिन्दू मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAshtavakra Gita Rating: 5 out of 5 stars5/5मृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमानव धर्म (In Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBhavishya Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSukh Kahan? Dhoond Liya Thikana (सुख कहाँ? ढूंढ लिया ठिकाना) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsक्लेश रहित जीवन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsUttara Kanda Prasanga Evam Samnyasadhikar Vimarsha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShrimad Bhagwat Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभारत एक विश्वगुरु: 1, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभुगते उसी की भूल! Rating: 5 out of 5 stars5/5
Reviews for Jivan Ek Anbujh Paheli (जीवन एक अनबूझ पहेली)
Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings
0 ratings0 reviews
Book preview
Jivan Ek Anbujh Paheli (जीवन एक अनबूझ पहेली) - Neeraj Gupta
+c book_preview_excerpt.html \j#ٕ,z23YXB3WX B
I`:jM=.B-B M $"OuKvB-ֹso՟ozg_}_~Hڗl_$b?[;q?ޗ>x_n_q,Ov9L|xR@/t|w8-Xps;yDI;\Фm[|`.pEx
a`/ѓyC.T20)R,1CS$/RWf*SH%gmA4=SSb˔$+IDy~!~WijB,4nsZgB=s뺹:uP$4rG H=ąIByd3XtS&IdE]4
yɽ,|}=x샸lֆPD5;6Y
uݙ\P ŔΦK;KLv=o5Z%HU:+GP@#g*QPH/3s8W>V/qR~?.Q,Z=C/\ϩ]LӢy<15}D%e
bd
z)ܝ,H#_N7T{hkq+98c쯨CK<`Q{yY#~ڶplTG ]yB*9Q'T/g,G}^֦I=Ժ@|ܹJs鉉
ӁSj9-+I5XBsD&R`,XAj}q#q2J⒘)bu(܁;5TgA4M-[KX. b=#W<;3a
sm+Yjta`iO1 Q(]T=DdD\]~`чCͲK~)K~2denEvqտ^ꀆ0~]>O.N,mNy+Ϙ
'0P:|{k>|ub.ުCҏ:)-h BI*YƵMu'aR4~j