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Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala: स्वयं को और दूसरों को पहचानने की कला
Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala: स्वयं को और दूसरों को पहचानने की कला
Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala: स्वयं को और दूसरों को पहचानने की कला
Ebook544 pages4 hours

Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala: स्वयं को और दूसरों को पहचानने की कला

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About this ebook

Everything is connected on identity only. Whether it is a path or a person's identity, one's own identity or other's identity. Without identification, it is sure to lose way. Without identification we can only guess or imagine, but it is not enough to make guesses in life and to do fantasies. One should be practical and proactive. Realization and self-confidence are required. Therefore, identification of everything, right and wrong, self and other is important. And sometimes we all get there, just only, we do not find ourselves there, so to find and identify within ourselves is an art and is necessary. And the question of the other person, which we call another, is not necessary that he is only outside, he is inside us also. Therefore, recognizing the other is also an art. The truth is that recognizing it is also an art. How to identify yourself and others? Know all this from the book
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateJul 30, 2020
ISBN9789352789900
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    Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala - Shashikant Sadaiv

    आप?

    बहुत कुछ कहती हैं हमारी आदतें

    हर इंसान किसी न किसी आदत का शिकार होता है या यूं कहें हर इंसान में किसी न किसी तरह की आदत होती है, फिर वह नाखून चबाना हो या उंगली चटकाना, पैर हिलाना हो या मुंह में पैन-पेंसिल डालना आदि। यह सब वह आदतें होती हैं जिसका होश खुद करने वाले को नहीं होता। जाने-अनजाने में उससे यह हो जाती हैं और वह उसकी आदत में शामिल होती हुई, उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है। फिर आदत भले ही कोई सी हो सभी आदतें इंसान के मन-मस्तिष्क के स्तर एवं स्थिति को दर्शाती हैं, जिसमें चिंता, तनाव, असुरक्षा और बेचैनी के साथ-साथ बहुत कुछ छिपा होता है। छोटी-छोटी सी यह आदतें इंसान के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहती हैं।

    नाखून चबाना

    दांतों से नाखून काटना या चबाना अधिकतर लोगों में एक आम आदत होती है। यह आदत किसी इंसान को कब और कैसे लग जाती है? वह खुद नहीं जानता। हैरानी की बात तो यह है कि ऐसा जातक कई बार अपने आपसे वादा करता है कि नाखून नहीं खाएगा, परंतु वह फिर भूल जाता है और नाखून मुंह से चबा ही लेता है।

    जब भी कोई इंसान मुंह से नाखून चबाता है इसका मतलब वह उस वक्त किसी न किसी चिंता से घिरा होता है। गहन विचार या किसी समस्या के दौरान ऐसा हो जाता है कि हम अपने मुंह से अपने ही नाखून खाने लगते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि जो भी लोग गहरे चिंतक हैं या विचारक हैं वह सब नाखून चबाते हैं या नाखून चबाना गहरे चिंतक होने की निशानी है।

    सच तो यह है नाखून चबाना एक नकारात्मक आदत है ऐसे जातक भ्रमित बुद्धि के, आलसी प्रवृत्ति वाले होते हैं। यह सोचते ज्यादा हैं, काम कम करते हैं। इनमें जीवन के प्रति संजीदगी कम लापरवाही अधिक होती है। ऐसे जातकों में हीनता की भावना को भी देखा जाता है। इन्हें अक्सर लोगों से यह शिकायत होती है कि इन्हें कोई समझ नहीं सकता। ऐसे जातक अपने आप को जीवन में तन्हा पाते हैं। जीवन के प्रति इनका नजरिया नकारात्मक होता है। हर बात पर रोना या हर बात का रोना इनकी आदत होती है।

    बेशक ऐसे जातक कुछ न कुछ सोचते रहते हों लेकिन दिमाग इनका खाली होता है। यह कितना भी विचार कर लें, लेकिन किसी निर्णय पर कम ही पहुंच पाते हैं। ऐसे जातक एक ही समय पर एक भी काम नहीं कर सकते। यदि यह टी.वी. देखें, कोई किताब पढ़े या किसी से बात करें तो इनका आधा दिमाग अपनी ही दुनिया में होता है।

    ऐशो-आराम पसंदीदा यह जातक सदा ऊंचे-ऊंचे ख्वाब देखते हैं। यह श्रम कम, पकी-पकाई अधिक चाहते हैं। ऐसे जातक कितना व्यस्त रहते होंगे उनकी नाखून खाने की आदत से पता चल जाता है यानी जो इंसान नाखून खाएगा वह अपने हाथ और मुंह से कितना खाली होगा, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता। क्योंकि नाखून खाने के लिए सिर्फ वक्त ही नहीं, मुंह हाथ भी चाहिए होते हैं।

    नाखून चबाने वालों के लिए उनके नाखून किसी सुस्वादु भोजन से कम नहीं होते। वह भोजन छोड़ सकते हैं, लेकिन अपने नाखून नहीं। उन्हें न केवल नाखून खाने की, बल्कि नाखून के स्वाद की भी लत पड़ जाती है। यदि उन्हें नाखून खाने को नहीं मिलता तो वह उसके ऊपर की यानी उंगली के ऊपरी भाग की खाल खाने लगते हैं और यदि वो भी न मिले तो वह बेचैन हो जाते हैं।

    हर कोई एक जैसा नहीं होता। कुछ लोग अपनी चिंता, अपना तनाव अलग ढंग से दिखाते हैं। कुछ लोग सोचते वक्त या कोई निर्णय लेते वक्त सिर्फ नाखून ही मुंह में डालते हैं, तो कुछ लोग चिंता वश नाखून काटते हैं और फेंक देते हैं, लेकिन कुछ लोग उस कटे नाखून को चबाने भी लगते हैं तो कुछ उंगली पर लगे नाखून को तब तक खाते ही चले जाते हैं, जब तक नाखून कुतरने की संभावना खत्म नहीं हो जाती। हर इंसान अपनी परिस्थिति एवं आदत अनुसार नाखून काटता व चबाता है।

    कुछ लोग नाखून कभी-कभार यानी जब वह किसी चिंता या उलझन में होते हैं, तभी चबाते हैं, तो कुछ को इसकी लत पड़ जाती है वह बिना किसी कारण के भी अपने नाखून चबाते रहते हैं। यह स्थिति इस बात की भी सूचक है कि ऐसे जातक दिनभर कुछ न कुछ अकारण निरर्थक सोचते रहते हैं।

    कुछ लोग नाखून गुस्से में तो कुछ लोग किसी चिढ़ को कम करने की कोशिश में खाने लगते हैं। कितने लोग जब तन्हा होते हैं या किसी भय या असुरक्षा का शिकार होते हैं तो ऐसा करने लगते हैं। ऐसा करके उन्हें अपनी तन्हाई और भय का एहसास कम होता है तथा वह स्वयं को किसी काम में व्यस्त एवं बंटा हुआ पाते हैं।

    उंगलियां चटकाना

    थकान के चलते या फिर हाथों को राहत देने के लिए उंगलियों का चटकाना एक आम बात है, लेकिन कितने लोगों को इसकी आदत होती है। जिसे वह बे-बात, अकारण ही दुहराते रहते हैं। ऐसे जातक किसी न किसी विचार या चिंता में उलझे रहते हैं। यह दूसरों पर हुकूमत करने की इच्छा जरूर रखते हैं, लेकिन कभी उसमें सफल नहीं हो पाते। हाथ से मौका चूकने के बाद इन्हें अपना होश आता है तथा इन्हें सफलता कम पछतावा अधिक हाथ लगता है।

    उचित समय पर उचित काम, यह कम ही कर पाते हैं। बीती बातें इन्हें सदा वर्तमान में परेशान करती रहती हैं। यदि ऐसे जातकों में यह आदत हद से ज्यादा ही होती है तो वह निस्तेज एवं ऊर्जाहीन होने लगते हैं। आलस और मानसिक रोग उन्हें घेरने लगते हैं। यह सनकी जैसे हो जाते हैं। बातों के दौरान यह अपनी दुनिया में ही खोए रहते हैं। किसी की जरा सी हमदर्दी पर सरलता से भरोसा कर लेते हैं। अपने दिमाग से कम दूसरे के बताए अनुसार मार्ग पर ज्यादा चलते हैं, जिसके कारण इन्हें बार-बार नुकसान उठाना पड़ता है।

    हाथों-उंगलियों का अन्य प्रयोग

    कई लोग ऐसे होते हैं, जो जरा सी देर बिना किसी हरकत के चुपचाप नहीं बैठ सकते उनकी उंगलियां या तो अपने बालों में उलझी रहती हैं या फिर टेबल पर थिरकती रहती हैं। यानी ऐसे जातक या तो बालों में हाथ फेरते रहते हैं या फिर टेबल पर उंगलियां बजाते रहते हैं। इतना ही नहीं टेबल पर रखी किसी वस्तु या पेपर वेट से खेलते रहेंगे या फिर अपनी उंगलियों को मिला-मिलाकर कोई न कोई आकृति बनाते रहेंगे। यह सारे ही लक्षण बेचैनी को दर्शाते हैं।

    ऐसे जातकों में धैर्य की कमी होती है। यह अपने जीवन की परिस्थितियों एवं हालातों आदि से कभी भी सहमत नहीं होते। इन्हें कम समय में अधिक पाने की चाह होती है, जिसके चलते यह शॉर्ट कट अपनाते हैं। इनके मस्तिष्क में जितनी तीव्रता से विचार आते हैं, उतनी ही जल्दी चले भी जाते हैं। साथ ही किसी काम के प्रति जोश भी इनके अंदर जल्दी ही ठंडा हो जाता है। ऐसे जातक एक साथ मन में कई विचार एवं योजनाएं पैदा करते हैं, इसीलिए एक काम से जल्दी ही ऊब जाते हैं और नए में जुट जाते हैं, जिसकी वजह से किसी भी एक काम को ठीक ढंग से अंजाम नहीं दे पाते हैं।

    मुंह में पैन-पेंसिल डालना

    कई बार लिखते वक्त या विचारों के अंतराल में पेन या पेंसिल यकायक मुंह तक चले जाना एक सामान्य बात है या कभी-कभी गंभीर विचार या लेखन के दौरान ऐसा हो जाना स्वाभाविक होता है लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो लिखते कम हैं सोचते ज्यादा हैं और सोचते भी किसी एक विषय पर नहीं हैं। रही बात पेन-पेंसिल की, उसे न सिर्फ वह मुंह में डालते हैं, बल्कि अच्छी तरह चबा भी डालते हैं।

    पेन-पेंसिल चबाने वाले जातक गंभीर स्वभाव वाले, बात-बात पर बहस करने वाले तथा हर बात को दिल से लगाने वाले होते हैं। यह अपने मन की बात अपने मन में ही रखते हैं। इनका कुठिंत मन बदले की भावना से भरा रहता है, इसके बावजूद भी यह किसी दूसरे को नहीं खुद को ही तकलीफ देते हैं। पूर्व का बहुत कुछ इनके भीतर दबा रहता है जिसके कारण इनके अंदर गुस्सा व चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है।

    नाक-कान में उंगली डालना

    किसी तिनके या खुजली आदि तकलीफ के कारण नाक-कान में उंगली डालना अलग बात है, लेकिन बेवजह समय-असमय नाक-कान में उंगली डालना, उसे कुरेदना या मैल इत्यादि साफ करना एक अलग बात या आदत है। जो लोग ऐसा करते हैं, वह स्वभाव से घमंडी एवं तुनक मिजाज वाले होते हैं। सामने वाले को मूर्ख और खुद को समझदार समझते हैं। ऐसे जातकों को किसी की परवाह नहीं होती तथा वह खुद भी लापरवाह होते हैं।

    हर बात का उत्तर या तर्क देना इनकी आदत का हिस्सा होता है। ऐसे जातक स्वार्थी होते हैं तथा औपचारिकता निभाना, इन्हें कठिन लगता है। इसका अर्थ यह नहीं कि यह सहज या अनौपचारिक होते हैं। सच तो यह है कि यह अपनी ही दुनिया में रहते हैं तथा थोड़े से फूहड़ एवं असभ्य भी होते हैं। बाल की खाल निकालना, घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर बताना इनकी आदत होती है। ऐसे जातक अपने में कई बार इतने खो जाते हैं कि आसपास की दुनिया की इन्हें कोई खबर नहीं रहती।

    ऐसे जातकों में आलस के साथ-साथ नकारात्मक विचारों को भी देखा जा सकता हैं। इन्हें साफ एवं व्यवस्थित वातावरण बहुत आकर्षित करता है लेकिन अपने निजी, व्यक्तिगत जीवन में यह ठीक इसके विपरीत होते हैं यानी साफ-सफाई का जरा भी ध्यान नहीं रखते।

    दांतों में तीली या धागा डालना

    दांतों में फंसे भोजन को निकालना या सफाई की दृष्टि से दांतों में तीली, टुथपिक या धागा आदि प्रयोग करना एक आम बात है या आवश्यकता हो सकती है, लेकिन कई लोगों में यह एक आदत की तरह होती है। ऐसे जातक बेवजह भी अपने दांतों को कुदेरते रहते हैं। फिर कोई टुथपिक हो या ऑल पिन, उन्हें दांतों को कुरेदने की इतनी आदत होती है यदि इन्हें कोई नुकीली वस्तु नहीं मिलती तो यह कागज को ही मोड़-तोड़कर काम चला लेते हैं, लेकिन दांतों को कुरेदना नहीं भूलते।

    ऐसे जातक कुछ ज्यादा ही सफाई पसंद होते हैं। इन्हें अपने अलावा किसी और का काम कम ही पसंद आता है। इन्हें हमेशा ऐसा लगता है कि इनकी जिंदगी में सब कुछ रुका हुआ है जिसके कारण इन्हें हर किसी से कोई न कोई शिकायत रहती है। ऐसे जातक हर काम में परफेक्शन चाहते हैं। इन्हें अच्छा नहीं लगता कि कोई इनके काम में कमी निकाले। ऐसे जातक जितने साहसी होते हैं, उतने ही ढीठ भी होते हैं। इन्हें अपनी सोच पर गर्व होता है तथा जोखिम भरे, चुनौती पूर्ण कार्य करना, इन्हें अच्छा लगता है।

    पैर हिलाना

    बैठे-बैठे या खड़े-खड़े पैर या पंजा हिलाने कि आदत लोगों में आम देखी जा सकती है। जिन भी लोगों में यह आदत होती है वह बेसब्र और चंचल प्रवृत्ति के होते हैं। इन्हें एक जगह पर टिककर बैठना या काम करना अच्छा नहीं लगता। ऐसे जातकों में किसी विशेष प्रकार का भय भी छिपा होता है जो इन्हें ज्ञात नहीं होता। कहीं न कहीं इनके भीतर आत्मविश्वास की भी कमी होती है जिसके चलते यह अपना पैर या पंजा हिलाते रहते हैं।

    ऐसे जातक ऊर्जा के भंडार होते हैं। कोई-न-कोई नई योजना बनाते रहते हैं। खाली बैठना, इन्हें पसंद नहीं होता, इसलिए किसी न किसी कार्य में खुद को व्यस्त रखते हैं। एक काम खत्म होता नहीं कि दूसरे काम को शुरू कर देते हैं। कई बार तो यह एक साथ कई कार्य करते हैं। जरूरत से ज्यादा जल्दबाज होने के कारण यह कई बार अपना ही अहित कर लेते हैं। दिखावा या प्रदर्शन करना इन्हें खूब आता भी है और भाता भी है।

    पैर हिलाने की यह आदत जातक की घबराहट एवं शारीरिक कमजोरी की ओर भी इशारा करती है। ऐसे जातकों का शरीर दुर्बल व मन कमजोर होता है। यह घंटों-घंटों खुद से बात करने में भी कुशल होते हैं तथा समय एवं मौके पर खुलकर ही कभी बात कर पाते हैं। मन की भावनाएं खास तौर पर ‘गुस्सा’ मन में ही दबाए रहते हैं। ऐसे जातक हर क्षेत्र में अपना उत्तम से उत्तम देना चाहते हैं।

    होंठ चबाना व दबाना

    कई लोग होते हैं जो बैठे-बैठे कुछ नहीं तो अपने होंठ ही चबाते रहते हैं या फिर अपने दोनों होठों को आपस में दबाते रहते हैं उनको आगे-पीछे करते रहते हैं या उन पर अपनी जीभ फेरते रहते हैं। ऐसा अधिकतर वह किसी काम को करने के साथ-साथ भी करते हैं।

    और खाली बैठे-बैठे भी। अन्य लक्षणों की ही तरह यह लक्षण भी इंसान के चिंतित, बेचैन एवं असुरक्षित स्वभाव को दर्शाते हैं जिसके चलते वह होठों को दांतों से भींचते रहते हैं या उनकी आकृतियां बनाते रहते हैं।

    ऐसे जातक स्वभाव से कामुक एवं क्रोधी होते हैं। किस समय, क्या करना है यह भली भांति जानते हैं। मौके का फायदा उठाने वाले यह जातक चतुर व शातिर भी होते हैं। यदि यह किसी एक चीज के पीछे पड़ जाएं तो पूरा करके ही दम लेते हैं। इनके दिल में यदि कोई बात घर कर जाए तो उसे निकालना इनके लिए बहुत मुश्किल होता है। ऐसे जातक बहुत विचार-विमर्श के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं।

    किसी चीज, बात या रिश्ते की जरूरत से ज्यादा छानबीन करना अथवा शक करना इनके स्वभाव में होता है जिसके कारण कई बार इनके करीबी लोग भी इनसे दूर रहने लगते हैं। ऐसे जातकों में सनकीपन या पागलपन के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। यह भीड़ एवं शोर से दूर तन्हाई में अकेले रहना अधिक पसंद करते हैं। कई बार इनकी यह शिकायत भी जायज होती है कि इन्हें कोई नहीं समझता। कई परिस्थितियों में ऐसे जातक स्वयं को असहाय एवं लाचार पाते हैं जिसका रोष एवं अफसोस यह होंठ चबाकर या दबाकर आदि प्रकट करते हैं।

    बालों में हाथ फेरना

    कभी-कभार या जरूरत अनुसार बालों में हाथ फेरना अलग बात हैं लेकिन हमेशा, बेवजह बालों में उंगलियां डालना, हाथ फेरना एक आदत है। ऐसे जातक स्वयं को न केवल समझदार, बल्कि खुद को सुंदर भी समझते हैं। ऐसे जातक अपने उद्देश्य से भटके हुए, मनमौजी एवं मस्त स्वभाव के होते हैं। ऊंचे-ऊंचे ख्वाब देखने वाले, ऐश्वर्य प्रिय, कामुक प्रवृत्ति से सराबोर यह जातक चाहते हैं कि भीड़ में अलग से पहचाने जाएं, इसलिए अधिकतर स्वयं को अन्य लोगों से अलग रखते हैं। इनके विचार एवं तर्क भी आम लोगों से अलग होते हैं इनकी प्रस्तुतिकरण में एक तरह का बनावटीपन होता है। लोग जितनी जल्दी इनकी ओर खिंचते हैं उतनी ही जल्दी इनसे दूर भी होने की कोशिश करते हैं।

    ऐसे जातक स्वयं को हर क्षेत्र में अव्वल दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन होते नहीं हैं। इनको अपने ऊपर ‘ओवर कॉन्फिडेंस’ होता है जो कई बार इन्हें महंगा पड़ता है। सौंदर्य कला एवं प्रकृति से इन्हें खास लगाव होता है। ऐसे जातक संवेदनशील होते हुए भी जीवन को संजीदगी से नहीं लेते। यह साफ सफाई पसंदीदा लोग होते हैं तथा अपनी स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखते हैं। यह अपने स्तर एवं स्थिति से कभी संतुष्ट नहीं होते, सदा कुछ अलग करने का व ऊपर उठने का प्रयास करते रहते हैं।

    ऐसे जातकों के अनेक मित्र होते हैं तथा प्यार के मामले में यह दिलफेंक होते हैं। स्वभाव से यह स्वार्थी एवं भीतर घुन्ने होते हैं। इनके मन में क्या है? यह जानना मुश्किल है। यह होते कुछ हैं दिखाते कुछ हैं, साथ ही इनकी कथनी एवं करनी में भी बड़ा फर्क होता है। ऐसे जातक जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार में पले होते हैं जिसके कण थोड़े मनचले व लापरवाह भी होते हैं।

    खिलौने या तकियों की आदत

    बचपन में खिलौने या तकिये से खेलना एक आम एवं अलग बात है, लेकिन बड़े होकर सॉफ्ट टॉयस (ऊन एवं रुई के खिलौने) या तकिया आदि से खेलना या उन्हें अपने साथ रखना जातक के भीतर छिपी असुरक्षा को दर्शाता है। ऐसे शौक खास तौर पर लड़कियों में देखे जाते हैं, लेकिन कई पुरुष भी होते हैं जो बैठते या लेटते वक्त तकियों को अपने सीने से या टांगों के बीच लगाकर सोते हैं। यह सिर्फ शौक एवं सुकून ही नहीं जातक के भीतर छुपी कोमलता को भी दर्शाता है।

    ऐसे जातक मृदुभाषी एवं भावुक होते हैं। चीजों को सहेजना व संभालना इन्हें खूब आता है। कोई चीज गुम न जाए, कुछ टूट न जाए, कोई इन्हें छोड़ न दे, कोई रूठ न जाए आदि भय या असुरक्षा इन्हें घेरे ही रहते हैं। ऐसे लोगों को किसी से इच्छानुसार प्यार या दुलार कम ही मिल पाता है। यहां तक कि यह जितना दूसरों के लिए करते हैं उतना इन्हें कम ही मिलता है। ऐसे जातकों को यदि कोई प्यार करने वाला मिल जाए तो यह बहुत आगे तक जाते हैं वरना इनके भटकने एवं गुमराह होने की भी बहुत संभावनाएं होती हैं।

    यह चाहते हैं कोई सदा इनके साथ रहे, जो इनका ख्याल रखे। पुरानी चीजों, उपहारों या तस्वीरों आदि को पुन: देखना इन्हें अच्छा लगता है। इन्हें चीजों को फेंकने की बजाए उन्हें एकत्रित करने का शौक होता है। आशावादी होते हुए भी समय-असमय इन्हें निराशा घेरे रहती है। जिसके चलते कई बार यह स्वयं को नीरस, असहाय, तन्हा, मजबूर एवं बदकिस्मत समझने लगते हैं।

    दांत या दाड़ कटकटाना

    यदि आप गौर करें तो यह भी एक आदत होती है, जो गालों एवं होठों के आवरण के कारण दिखती नहीं है। ऐसे जातक बेवजह अपने दांतों को या अपनी दाड़ों को आपस में भींचते, घिसते रगड़ते या दबाते रहते हैं यदि आप उनके जबड़ों पर या कनपटी पर ध्यान से देखें तो वहां पर आपको उनकी हरकत नजर आएगी। ऐसे जातक बोलने के अलावा जो भी काम करते हैं या खाली बैठते हैं तो ऐसा करते रहते हैं।

    ऐसे जातक कम बुद्धि वाले हिंसात्मक प्रवृत्ति के होते हैं। यह दिल के कठोर, शरीर से बलिष्ठ होते हैं। दूसरों को मूर्ख बनाना, उन्हें धोखा देना, ठगना-लूटना आदि जैसे कार्यों में इनका मन लगता है। ऐसे जातक जरूरत से ज्यादा आलसी होते हैं। अपनी असफलता के खुद जिम्मेदार होते हुए भी अपनी किस्मत को कोसते हैं। इन्हें लगता है जो होना होगा अपने आप होगा, इसलिए यह कुछ पाने का प्रयास नहीं करते। घमंड और अकड़ इनमें कूट-कूट के भरी होती है। कौन सा षडयंत्र कैसे रचना है तथा किससे बदला कब लेना है? यह इन्हें खूब आता है।

    ऐसे जातक यदि अपनी बुद्धि को सकारात्मक कार्यों में लगाएं तो कई आविष्कार एवं सृजन कर सकते हैं। ऐसे जातक बिना किसी की सहायता व सहयोग के कोई भी काम पूरा नहीं कर सकते, यहां तक कि इन्हें अपने लिए भी निर्णय लेने में दिक्कत होती है। इधर की उधर करना तथा सामने वाले की चापलूसी करना, इन्हें खूब आता है बातों के दौरान ऐसे जातक स्वयं को ऐसा प्रदर्शित करते हैं जैसे इनसे बड़ा कोई, जानकार, ज्ञानी या अनुभवी है ही नहीं।

    किसी काम को बार-बार करना

    इस तरह की आदत कई लोगों में पाई जाती है जैसे बार-बार हाथ धोना, नल, ताला या स्विच आदि चेक करना कि बंद हुआ है या नहीं चीजों को बार-बार गिनना, रखी हुई चीज की दिशा या उनका कोण चेक करना और बार-बार व्यवस्थित करना आदि। इस तरह की आदत, स्थिति या बर्ताव को मनोवैज्ञानिक ओ.सी.डी. यानी ऑबसेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर कहकर बुलाते हैं।

    ऐसी हालत या आदत में इंसान एक ही काम को बार करता है, ऐसे जातकों में आत्मविश्वास की बहुत कमी होती है। न तो इन्हें खुद पर विश्वास होता है न ही किसी दूसरे पर। पुरानी एवं बेकार की चीजों को संभालकर रखना इनका शौक होता है। ऐसे जातक जरूरत से ज्यादा वहमी एवं अंधविश्वासी होते हैं। इन्हें हमेशा इस बात का खौफ रहता है कि इनसे कुछ गलत न हो जाए। यदि इन्हें कोई खराब चीज या कूड़ा भी फेंकना होता है तो फेंकने से पहले कई बार चेक करते हैं कि कूड़ा फेंके की नहीं। बिना किसी कारण के भी इन्हें ऐसा महसूस होता है कि इनसे कोई अपराध या गलती हुई है या हो सकती है।

    ऐसे जातकों को डिप्रेशन के होने की भी संभावना होती है। यह दूसरे लोगों के साथ या समूह में मुश्किल से ही घुल-मिल पाते हैं लेकिन जिस शख्स के यह करीब हो जाते हैं उसके आदि हो जाते हैं, उसके बिना जीना इन्हें मुश्किल लगता है। इनके स्वभाव में गुस्सा एवं चिड़चिड़ापन आम देखा जा सकता है लेकिन यह उसे अधिकतर दबाते ही रहते है जाहिर नहीं करते।

    काम की आदत

    काम करना जीने या जीवन यापन के लिए जरूरी है। बिना काम के आदमी आलसी और बेकार हो जाता है। लेकिन सिर्फ काम ही करना तथा बिना काम के जरा भी न रह पाना एक प्रकार की आदत है। ऐसे जातक जीने के लिए काम नहीं करते, काम करने के लिए जीते हैं। ऐसी स्थिति में जातक स्वयं को किसी न किसी काम से घिरा रखता है। काम नहीं मिलता तो काम ढूंढता है, पर एक पल को भी खाली नहीं बैठता। भले ही स्वास्थ्य एवं परिस्थितियां साथ दें न दें, लेकिन वह कोई न कोई कार्य अवश्य करता रहता है। बिना काम के न केवल उसे चैन आता है न ही नींद।

    काम के प्रति लगन या दीवानगी अच्छी बात है लेकिन काम के चलते स्वयं को उसी में कैद कर लेना और किसी अन्य कार्य या जिम्मेदारी में हिस्सा न लेना एक अलग बात है, काम के प्रति इतनी चाह या लत ही काम की आदत कहलाती है।

    ऐसे जातक भले ही पैसे वाले या किसी ऊंचे पद पर हों, लेकिन इनके अंदर हीनता की भावना होती है। यह समूह में नहीं बल्कि अकेले रहना पसंद करते हैं। इनका मन बेचैन व अशांत रहता है। ऐसे जातक व्यवहारिक तो होते हैं पर संवेदनशील नहीं होते। इन्हें अपने ऊपर बहुत अभिमान होता है। यह अपने जीवन में एक बार किसी ऐसी घटना या हालात से जरूर गुजरते हैं, जो इनका दिल दुखाती है या जीवन को रूपांतरित करती है।

    ऐसे जातकों को सदा यह शिकायत रहती है कि समय बहुत कम है और अभी बहुत कुछ करना है। यह कभी भी अपने आप से संतुष्ट नहीं होते। दूसरों के काम में कमी निकालना तथा अपनी ही बात को सदा ऊपर रखने की कोशिश करते हैं जिसके चलते यह शायद ही किसी के करीब हो पाते हैं। इन्हें भीतर ही भीतर अकेलापन भी खलता है लेकिन यह कभी जाहिर नहीं करते। अपनी कमियों को स्वीकारने की बजाए यह उनसे नजरें चुराते हैं। हकीकत का सामना न करना पड़े इसके लिए अपने बचे-खुचे समय को किसी न किसी कार्य में लगा देते हैं।

    सोचते भी हैं तो कार्य के लिए। लोगों से मिलते भी हैं तो अपने मुनाफे के लिए। आत्मचिंतन या आत्मनिरीक्षण से तो कोसों दूर रहते हैं। अपना जीवन अपने अनुसार जीते व ढालते हैं फिर भी शिकायतों से भरे रहते हैं। धैर्य इनमें जरा भी नहीं होता। यदि इन्हें किसी कारण वश खाली बैठना पड़े या अपने काम से दूर होना पड़े तो यह पागल से हो जाते हैं। अकारण गुस्सा करना, पैर हिलाना, हाथों को आपस में मलना या टेबल बजाना, सर पकड़ना, इधर उधर देखना, बार-बार घड़ी देखना, खड़े होकर चक्कर लगाना आदि जैसी हरकतें करते हैं। ऐसे जातक अपने काम एवं काम से संबंधित वस्तुओं एवं संबंधों के प्रति बड़े सजग एवं संजीदे होते हैं।

    बड़बड़ाना या खुद से बातें करना

    अक्सर इस तरह की आदत या हालत बुजुर्गों में देखने को मिलती है। ऐसे जातक या तो किसी एक बात को लेकर पीछे पड़ जाते हैं और धीमे स्वर में उस बात को दुहराते रहते हैं या फिर अकेले बैठे-बैठे खुद से बातें करते रहते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी बात बोलकर खुद ही उसी बात को आपने आप में दुहराते रहते हैं।

    ऐसे जातक स्वयं को कमजोर एवं असहाय समझते हैं। इन्हें लगता ही नहीं, बल्कि यकीन होता है कि कोई उनकी बात न तो सुनता है न ही उनको महत्त्व देता है। ऐसे जातकों की याददाश्त भी कमजोर होती है। इन्हें जिंदगी से कई तरह की शिकायते होती हैं। अधिकतर ऐसे जातक किसी मानसिक सदमें या हादसे के बाद ऐसे हो जाते हैं। इन्हें हर बात पर चिक-चिक करना, बातों की सफाई देना या मांगना इनकी आदत हो जाती है।

    इन्हें सदा किसी ऐसे साथी या दोस्त की तलाश होती है जो इन्हें सुने व समझे। जो कि इन्हें शायद ही कभी मिलता है। ऐसे जातक दिल के बड़े सच्चे और भावुक होते हैं। बड़बड़ाना या खुद से बात करना यह सब खुद जानबूझकर नहीं करते, इनसे अनजाने में होता है जिसकी इन्हें खुद खबर नहीं होती। ऐसे जातकों को अपने जीवन में सुकून नहीं मिल पाता जिसके कारण यह कोशिश करते है कि आसपास या साथ रहने वालों

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