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Paristhiti Aur Manasthiti
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Ebook225 pages1 hour

Paristhiti Aur Manasthiti

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About this ebook

कविता के बिना जीवन संभव नहीं है। इंसान की अंत:प्रकृति को उजागर करती कविता, ह्रदय-विस्तार करती कविता, प्रकृति और समाज से जोडती कविता, इंसानियत प्रदान करती कविता, कवि के लिए स्वयं का आत्म-विश्लेषण कराती कविता, मानव व्यक्तित्व की सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लगाती कविता, जीवन की अनुभूतियों को तुकबंदी शब्दों से व्यक्त कराती कविता, कविता का मकसद पढने वाले को भावनाओं के ऐसे शिखर पर ले जाना है जहाँ उसको स्वर्ग का आभास हो और भावनाएँ तरंग-रुपी अभिताप में गोते लगाएँ। इस कविता संग्रह में किसी एक विशिष्ट कविता शैली की कविताएँ नहीं हैं, न ही ये कविताएँ किसी एक भाव या रस से प्रेरित हैं। इन कविताओं को बांधती कोई समान विषयवस्तु भी नहीं है। मन की व्यथा के समक्ष जब मनुष्य अभिभूत हो जाता है तो यही वैषम्य उसकी अंत:प्रेरणा बनकर उसे कविता लिखने के लिए मज़बूर कर देता है। शत कविताओं का यह संकलन, विरूप परिज्ञानों से संकलित इसी पीड़ा की अभिव्यक्ति है।

-

वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं हिन्दी लेखक डॉ. भारत खुशालानी (Ph.D) का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, अमेरिका (California University, America) से वर्ष 2004 में डॉक्टरेट (Ph.D) कि डिग्री प्राप्त की है।  फ़िलहाल डॉ. भारत सहालकार (कंसल्टेंट) के तौर पर कार्य करते हैं। इनकी प्रकाशित महत्वपूर्ण कृतियों में  52 शोधकार्य और रिपोर्ट शामिल हैं जो अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में अनेकों लेख, कविताएँ एवं कहानियाँ हो चुकी हैं। इनके द्वारा लिखी प्रकाशित 8 किताबें: भारत में प्रकाशित : 1). कोरोनावायरस 2). कोरोनावायरस को जो हिन्दुस्तान लेकर आया 3). परीक्षण ; अमेरिका में प्रकाशित : 4). समतल बवंडर 5). उपग्रह 6). भवरों के चित्र 7). लॉस एंजेलेस जलवायु ; कैनेडा में प्रकाशित : 8). सौर्य मंडल के पत्थर हैं।

LanguageEnglish
Release dateMay 31, 2020
ISBN9781393895992
Paristhiti Aur Manasthiti

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    Book preview

    Paristhiti Aur Manasthiti - Dr. Bharat Khushalani

    ISBN : 978-9388202893

    Published by :

    Rajmangal Publishers

    Rajmangal Prakashan Building,

    1st Street, Sangwan, Quarsi, Ramghat Road

    Aligarh-202001, (UP) INDIA

    Cont. No. +91- 7017993445

    www.rajmangalpublishers.com

    rajmangalpublishers@gmail.com

    sampadak@rajmangalpublishers.in

    ——————————————————————-

    प्रथम संस्करण : मई 2020

    प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन

    राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट,

    सांगवान, क्वार्सी, रामघाट रोड,

    अलीगढ़, उप्र. – 202001, भारत

    फ़ोन : +91 - 7017993445

    ——————————————————————-

    First Published : May. 2020

    eBook by : Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division)

    Cover Design : Rajmangal Arts

    Copyright © डॉ. भारत खुशालानी

    This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, and incidents are either the products of the author’s imagination or used in a fictitious manner. Any resemblance to actual persons, living or dead, or actual events is purely coincidental. This book is sold subject to the condition that it shall not, by way of trade or otherwise, be lent, resold, hired out, or otherwise circulated without the publisher’s prior consent in any form of binding or cover other than that in which it is published and without a similar condition including this condition being imposed on the subsequent purchaser. Under no circumstances may any part of this book be photocopied for resale. The printer/publishers, distributer of this book are not in any way responsible for the view expressed by author in this book. All disputes are subject to arbitration, legal action if any are subject to the jurisdiction of courts of Aligarh, Uttar Pradesh, India

    अनुक्रमणिका

    शीर्षक

    दो शब्द

    अजीब दुविधा है

    अनुकूल समय

    अपने शत्रु को

    अर्थ

    आजकल के जन्मदिन

    आते नहीं हैं

    आत्मा

    आप आप हैं

    आपके लम्बे हाथ

    ईश्वर से चालाकी

    उज्जवल प्रतिमा

    उनका झुकना

    उसकी लालसा

    उसको कौन करेगा रुद्ध

    एक तो पहले से

    ऐसा क्यों

    कवि

    काल करे सो आज कर

    कुछ कर

    क़ैदखाने में बंद

    क्या हो गया है इस शहर को

    खून के घूँट

    खोटी नीयत

    गड्ढे

    आठ ग्रह

    चश्मा

    चारों तरफ दीवार

    चूहा और कुत्ता

    जबरदस्ती

    जिसके पास है

    जो आदेश देते हैं

    ज़्यादा और कम

    झटके

    तनावपूर्ण स्थिति

    थूक

    थोडा-सा इंसाफ़

    दूसरी ओर

    देश का अस्तित्व

    देश की कैसी हालत है

    देश भटक गया है

    देसी और विदेशी बिल्ली

    दो कौड़ी का अभागा

    द्वितर्फा द्वन्द

    धन संचन

    धर्म और राष्ट्रीय एकता

    नई शुरुआत

    नज़रों से दूर कर दो

    नन्ही चींटी

    नहीं निभ पाता है अब

    नेता और गिरगिट

    परीक्षा की घडी

    प्राध्यापक

    फिर वही दिन आया है

    फूल और काँटे

    बंधन

    बडे पत्थर से विध्वंस

    बन्दर क्या जाने

    बर्बादी इस शहर की

    बलिदान की रात

    बूँद बूँद से सागर भरता

    बेजुबान पत्थर

    भटकते रास्ते

    भड़कती हुई ज्वाला

    भाग्यविधाता

    भारत में क्या चल रहा है

    मन पुल्कित है

    मानचित्र

    मुक्त पंछी

    मुटल्ला

    मेरी कविता

    मेरी किस्मत

    मेरे दाता

    वहाँ और यहाँ

    रात की योजना

    रात्री के भूत

    रात्रि में विचार

    राष्ट्रीय एकता

    राह

    लोग जा रहे हैं

    लोग बदल जाते हैं

    वह

    विचार

    विचारों की अभिव्यक्ति

    वो स्वाभिमानी

    वो हिंसा का प्रतीक

    शरीर का हल्का हो जाना

    शहर का भविष्य

    श्रोडिंजर की बिल्ली

    संपत्ति का सच

    सत्य मार्ग

    समय का तीर

    समय का फेर है

    समाज सेवा

    सिर्फ मैं

    सीमेंट और रेती के शहर में

    सूरज की किरण

    हथियारों का प्रदर्शन

    हाईसेनबर्ग

    हार जीत

    हिन्दी खो गई है

    ~~

    दो शब्द

    मेरी ये सौ

    कविताएँ प्रस्तुत हैं

    आपके समक्ष

    मुझे माफ़ कर देना

    मेरी लेखनी है

    थोड़ी अदक्ष

    इनमें कुछ के

    तो भाव हैं

    पूर्णत: अप्रत्यक्ष

    जानना चाहूँगा

    उन पर आपकी

    राय निष्पक्ष

    मेरी कविताओं

    की भाषा

    सरल हिन्दी है

    इसी से पाई

    मैंने अभिव्यक्ति की

    बुलंदी है

    जनमानस तक

    पहुँचने का

    यही तरीक़ा है

    और सरल हिन्दी

    में लिखना

    ही अकलमंदी है

    कविताएँ मिश्रित हैं

    विषयों का मिश्रण है

    पूरी किताब

    मिश्रित विषयों का

    सम्मिश्रण है

    अगर आपको

    इनमें से कोई

    कविता भा जाती है

    अगर कोई इनमें से

    आपके मन को

    छू जा जाती है

    या आप ही से

    आपका

    परिचय कराती है

    या बस

    मनोरंजन की

    दृष्टि से सुहाती है

    तो यह मेरे लिए

    सौभाग्य की

    बात होगी

    मेरे लिए

    एक आनंदमयी

    सौगात होगी

    और ख़ुशी

    की बात

    अंतर्जात होगी

    ~~

    अजीब दुविधा है

    बाहर कुछ नहीं है

    अन्दर कुहराम है

    न दिन में चैन

    न रात में आराम है

    लाखों कारीगरियाँ

    पर मन नहीं लगता है

    अपने ही मन से कोई

    कैसे लड़ सकता है

    अजीब कशमकश है

    अजीब दुविधा है

    कौन से आकार की

    कैसी ये विधा है

    पाश का यह बंधन

    बंधन एक व्यथा है

    मुक्ति की यह चाह

    चाह सर्वथा है

    ~~

    अनुकूल समय

    कल में और आज में

    कितना बड़ा फ़र्क़ है

    कल तक सब ठीक था

    आज बेडा गर्क है

    समय के पहले ही

    गर पता चल जाता

    तो ऐसा काम भला

    वो क्यों कर जाता

    यहीं तो समय का

    दिखता बल है

    आज के निर्णय में

    बनता कल है

    अगर कल पहले से

    बना बनाया आता

    तो आदमी बिस्तर पर

    बैठा पाया जाता

    समय, परिश्रम और

    निर्णय का मेल है

    इसीसे बनता

    ज़िन्दगी का खेल है

    अनुकूल समय हो

    मगर प्रतिकूल निर्णय

    तो हरगिज़ ही टूटेगा

    दोनों का परिणय

    अगर निर्णय सही हो

    मगर समय प्रतिकूल,

    तो भी बन जायेगी

    स्थिति चिंताकूल

    और अगर

    समय आता है

    लेकिन परिश्रम को

    नहीं पाता है

    आदमी बिना परिश्रम के

    निर्णय नहीं ले पाता है

    तो वो समय आकर

    यूँ ही गुज़र जाता है

    ~~

    अपने शत्रु को

    पढ़ा लिखा जनमानस

    अपने शत्रु को

    हथियारों से लैस कर रहा है

    उसे और मज़बूत बना रहा है

    बुद्धिजीवी खो गया है

    निर्जीव को बुद्धि मिलने से

    वह सजीव हो गया है

    आपने कभी किसी को

    अपने शत्रु को

    बुद्धि देते हुए देखा है ?

    पढ़े लिखे को

    इस प्रकार से

    बुद्धि खोते हुए देखा है ?

    यह शत्रु आगे चलकर

    घातक हो जाएगा

    मनुष्य का सबसे बड़ा

    पातक हो जाएगा

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