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सीखने के उपकरण
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Ebook70 pages32 minutes

सीखने के उपकरण

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About this ebook

अनूदित पुस्तक 'सीखने के उपकरण' हिंदी पाठकों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। मेरी राय में यह पुस्तक हर उस व्यक्ति को पढनी चाहिए जो शिक्षा के क्षेत्र से जुङा है चाह वह अभिभावक हो या शिक्षक या फिर नीति निर्माता। इस पुस्तक की अनुवाद की भाषा को यथासंभव सरल रखा गया है ताकि सभी लोग समझ सकें।
Languageहिन्दी
Release dateDec 17, 2019
ISBN9781071516317
सीखने के उपकरण
Author

Dorothy L. Sayers

Simon Winchester is the acclaimed author of many books, including The Professor and the Madman, The Men Who United the States, The Map That Changed the World, The Man Who Loved China, A Crack in the Edge of the World, and Krakatoa, all of which were New York Times bestsellers and appeared on numerous best and notable lists. In 2006, Winchester was made an officer of the Order of the British Empire (OBE) by Her Majesty the Queen. He resides in western Massachusetts.

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    सीखने के उपकरण - Dorothy L. Sayers

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    विषय सूची

    शिक्षा पर संगोष्ठी..................... 2

    बेचैन करने वाले सवाल............. 5

    सीखने की कला.......................  15

    मध्ययुगीन पाठ्यक्रम...............  17

    सूई पर देवदूत.........................  23

    निहत्था .................................  26

    तीन अवस्थाएँ............... ......... . 31

    स्मरण शक्ति का उपयोग............ 37

    सर्वेसर्वा विज्ञान......................  42

    तर्कशास्त्र से संबंध................  46

    हमारे आसपास की दूनिया.....  49

    "पर्ट अवस्था" – आलोचना.....  51

    कल्पना...............................  54

    वाक्पटुता का अध्ययन..........  56

    सोलह में विश्वविद्यालय.......  60

    शैक्षिक पूँजी समाप्त हो गयी..... 63

    भूली बिसरी जङें........ ..........  65

    शिक्षा पर संगोष्ठी

    मेरा शिक्षण का अनुभव बेहद कम है, फिर भी मैं शिक्षा पर चर्चा करने के मामले को अपरिहार्य मानती हूँ। यह एक तरह का व्यवहार है जिसके लिए राय देने का वर्तमान परिवेश पूरी तरह अनुकूल है। बङे पादरी अर्थशास्त्र के बारे में अपनी राय देते हैं; जीवविज्ञानी, आध्यात्मविज्ञान के बारे में राय देते हैं; अकार्बनिक रसायनज्ञ, धर्मशास्त्र के बारे में राय देते हैं; सबसे अधिक अप्रासंगिक लोगों को अत्यधिक तकनीकी मंत्रालयों में नियुक्त किया जाता है; और सीधे सादे, व्यक्ति अखबारों को यह लिखते हैं कि एपस्टीन और पिकासो को यह पता नहीं है कि चित्र कैसे बनाए जाएँ। अगर यह आलोचना उचित विनम्रता के साथ और एक हद तक की जाए, तो यह सराहनीय हैं। बहुत अधिक विशेषज्ञता अच्छी बात नहीं है। इसका सबसे अच्छा कारण भी है कि कई अकुशल लोगों को लग सकता है कि वे शिक्षा पर राय दे सकते हैं। हालांकि हम सभी पेशेवर शिक्षक नहीं हैं, फिर भी हम सभी को  कभी न कभी पढने का मौका अवश्य मिला है। भले ही हमने विशेष रूप में कुछ भी नहीं सीखा, लेकिन चर्चा में हमारे योगदान का संभावित मूल्य हो सकता है।

    मैं शिक्षण, जिसे मैं ठीक से कहूँ तो तथाकथित शिक्षण के विषय से संबंधित कुछ प्रस्ताव रखना चाहती हूँ। इस बात की बहुत ही कम संभवाना है कि मेरे प्रस्तावित सुधारों को कभी लागू किया जाएगा। न तो माता-पिता, न ही प्रशिक्षण कॉलेज, न ही परीक्षा बोर्ड, न ही शासक मंडल, न ही शिक्षा के मंत्री उन्हें एक पल का समय देंगे। इस विषय में: अगर हम शिक्षित लोगों का समाज बनाना चाहते हैं, जो हमारे आधुनिक समाज के जटिल दबावों के बीच अपनी बौद्धिक स्वतंत्रता को संरक्षित करने के लिए फिट हों, तो हमें चार सौ - पांच सौ साल की प्रगति के पहिये को पीछे धकेल कर उस स्थान पर ले जाना होगा जिस पर से शिक्षा ने अपना असली मकसद खोना शुरू कर दिया था, अर्थात मध्ययुग का अंतिम भाग।  

    इससे पहले कि आप मुझे प्रतिक्रियावादी, रोमांटिक, मध्ययुगीन, भूतकाल की प्रशंसक या जो भी टैग हाथ में आए उससे नवाज कर खारिज कर दें, मैं आपको एक या दो विविध प्रश्नों पर विचार करने के लिए कहूंगी जो शायद हम सभी के दिमाग में अक्सर आकर हमें चिंता में डाल देते हैं।  

    2. बेचैन करने वाले सवाल

    जब हम प्रारंभिक काल, हम इसे कह सकते हैं ट्यूडर टाइम्स और उसके बाद

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