HOME BEAUTY CLINIC (Hindi)
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About this ebook
Women today have become extremely conscious of their looks, appearance and presentation as these attributes impart them a definite edge in bettering their career opportunities, success in higher educational admissions and in raising social status. While those lucky to be born beautiful can enhance their appeal, others can equip themselves with the vast treasure of knowledge this book succinctly provides. This book covers all aspects of beauty tips, from head to toe, a woman of any class or colour yearns for ways that are good for facial, hair & skin care, adolescent problems, massaging techniques, preparing beauty aids at home, non-repetitive diet, shapely limbs through physical exercises etc. Ideas contained in the book are equally useful for men as well!
Parvesh Handa
The author of this book has the honour to write the first book on herbal beauty care published in India in 1982. Parvesh Handa is a famous cosmetologist. She is an internationally known figure in the field of indigenous cosmetics made with herbs and roots. She is a regular contributor to 'beauty columns' in many reputed magazines and national newspapers. She is author of about 10 books on the various women subjects including three Encyclopaedias on beauty culture and health. She was Editor of a lifestyle magazine published from New Delhi for several years and was associated with national English dailies as News/Feature Correspondent for years. She worked with reputed cosmetics manufacturing companies as their Product Development Manager and Senior Consultant for several years and is presently running her own cosmetics manufacturing unit in the country. She has to her credit the first books on herbal beauty and modelling published in India.
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HOME BEAUTY CLINIC (Hindi) - Parvesh Handa
सौन्दर्य-प्रसाधन
नारी और श्रृंगार एक सिक्के के दो पहलू है । सृष्टि के आरम्भ में जब से नारी का जन्म हुआ, तभी से उसे सौन्दर्य-चेतना का भाव विरासत में मिलर है और वह अपने दैहिक-सौन्दर्य के प्रति जागरूक देखी गयी है । कवि कलिदास ने लिखा है- स्त्रीणां प्रियालोक फलो हि वेश
अर्थात स्त्रियों का सुन्दर वेश वही है, जो प्रिय के मन को भाये । श्रृंगार का स्थायी भाव ‘ रति' है। ‘ रति ' प्रेम, प्रीति तथा मिलन की उत्सुकता का नाम है । पुरुष के प्रेम को जीतने के लिए नारी ने विभिन्न युगों में विविध श्रृंगारों द्वारा अपने दैहिक -सौन्दर्य को बढ़ाया है । प्राचीन समय में सोलह श्रृंगार का प्रचलन था, जिनमें मुख्य थे-माँग भरना, सिन्दूर धारण करना,काजल लगाना, हलदी लगाना स्नान या जल-वीहार करना, सुगन्धित तेल व द्रव्य को वस्त्रों अथवा शरीर पर लगाना, पैरों में महावर व हाथों पर मेहँदी लगाना, ठोढ़ी पर तिल बनाना, नीलकमल धारण करना, केश-श्रृंगार करना, होठों को रंगने के लिए अलक्तक व सिक्यके का प्रयोग, लाक्षारस से नखों को रंगना, देह पर चन्दन का उबटन मलना, चन्दन, केसर, हिंगुर, कृष्णगुरू, गोरोचन की बुन्दकी से शरीर सजाना और षुष्प- श्रृंगार करना ।
प्राचीन युग में हमारे देश में सौन्दर्य-प्रसाधनों का उत्पादन नहीं होता था तथा स्त्रियों अपनी शारीरिक सुन्दरता बढ़ाने के लिए घर में स्वयं ही विभिन्न प्रकार के श्रृंगार-प्रसाधन तैयार करती थीं । समय के सरकते पहिये के साथ-साथ फैशन व सौन्दर्य के प्रति हमरि देश की महिलाओ का आकर्षण बढ़ता गया । अकसर देखा गया है कि हर स्त्री की आकांक्षा होती है कि वह अधिक से अधिक सुन्दर दिखे । सौन्दर्यमयी होने के बावजूद नारी की और सुन्दर बनने की लालसा पूरो नहीं होती और वह सुन्दर बनने की होड़ में सौन्दर्य-संस्थानों में पानी की तरह पैसा बहाने लगती है । बढ़ती हुई महँगाई और श्रृंगार-प्रसाधनों के मूल्यों में अपार वृद्धि के बावजूद पिछले दस बर्षों में हमरि देश में सौन्दर्य-प्रसाधनों की बिक्री दस गुना बढ़ी है । इसके बावजूद घरेलू प्रसाधनों में भी स्त्रियों की दिलचस्पी बढ़ी है । हर सौन्दर्य-प्रिय महिला को सौन्दर्य-सम्बन्धी किसी न किसी समस्या का शिकार होते देखा गया है । किसी के सामने कद लम्बा करने की समस्या है, तो कोई अपना कद लम्बा होने के काराण चिन्तित है । बाल "स्थायी रूप से घुँघराले होना किसी की परेशानी है, तो कोई अपने बाल स्थायी रूप से धुँघराले करवाने के लिए सौन्दर्य-संस्थानों के देरवाजे खटखटा रही है। अपना रंग गोरा करने की इच्छा तो लगभग सभी महिलाओं में देखी गयी है । हमरे देश में गोरे रंग को हमेशा प्राथमिकता दी जाती है । रंग गोरा हो, तो अच्छा वर मिलने में सुविधा रहती है ।
भारत में श्रृंगार-प्रसाधनों का उत्पादन
भारत में अब बड़े पैमाने पर श्रृंगार-प्रसाधनों का उत्पादन हो रहा है । प्रतिवर्ष अरबों रुपये मूल्य के श्रृंगार-प्रसाधन उत्पादित होते हैं । हमारे देश में तैयार होने बाले यह सौन्दर्य-प्रसाधन विदेशी माल को तुलना में किसी भी तरह कम नहीं हैं । वर्ष 1961 में भारत में बनने वाले प्रसाधनों पर सरकार द्वारा पहली बार उत्पादन-कर लगाया गया था । श्रृंगार-प्रसाधनों को बढ़ती हुई माँग को देखते हुए उत्पादन-कर में अत्यधिक बृद्धि की गयी। वर्ष 1972 में उत्पादन-कर 24 प्रतिशत था, जबकि वर्ष 1980 में यह 105 प्रतिशत लगाया जाने लगा। उत्पादन-कर से बचने के लिए हमारे देश में अब बड़े स्तर पर नकली श्रृंगार-प्रसाधन बनने लगे है। चोरी…छिपे तैयार किये जाने वाले इन प्रसाधनों में प्राय: घटिया रासायनिक पदार्थों की मिलावट की जाती है, जो सौन्दर्य में निखार लाने की बजाय रूप बिगाड़ देते हैं । पल भर के लिए यह प्रसाधन चाहे सौन्दर्य बढाते हैं, लेकिन इनका दुष्प्रभाव त्वचा को स्थायी रूप से दूषित करता है ।
उत्पादन-शुल्क विभाग द्वारा उपलब्ध आँकडों के अधार पर इस समय भारत में छोटे-बड़े कुल मिलाकर लगभग 1200 श्रृंगार-प्रसाधन बनाने वाले कारखाने हैं, लेकिन इनमें से केवल एक-तिहाई संस्थान ही सक्रिय रूप से उत्पादन कर रहे हैं । मुम्बईं महानगर में श्रृंगार-प्रसाधनों का उत्पादन करने वाली सर्वाधिक औघोगिक इकाइयाँ हैं । सनू 1909 में भारत में इब्राहीम पाटनबाला ने सर्वप्रथम सौन्दर्य-प्रसाधनों का व्यवसाय प्रारम्भ किया था । भारत में श्रृंगार-प्रसाधनों का उत्पादन होने से पूर्व केबल विदेशी कम्पनियों द्वारा ही विदेशों में तैयार प्रसाधनों की बिक्रो होती थी । सनू 1954 में भारत सरकार द्वारा प्रसाधनों के आयात पर प्रतिबन्ध लगाये जाने पर इन प्रमुख विदेशी वितरकों ने देश में उत्पादन प्रारम्भ किया । सुप्रसिद्ध विदेशी कम्पनी मेक्स-फैक्टर ने सनू 1954 में भारत में उत्पादन-कार्य शुरू कर दिया। इसके बाद गाला आँफ लन्दन सन् 1959 में विदेशी तकनीकी सहायता से उत्पादन में आयी । वर्ष 1966 में विदेशी कम्पनी चैसब्रा पौण्ड्स ने मद्रास में कारखाना लगाया । लक्में लिमिटेड ने सन् 1969 में उत्पादन प्रारम्भ किया । फिर धीरे- धीरे उत्पादन-संस्थानों का जाल-सा बिछ गया, जिनमें कुछ प्रमुख नाम हैं-जानसन एण्ड जानसन, जे. के. हैलन कर्टिस, हिन्दुस्तान लीवर, गोदरेज, कोलगेट मामोलिव, जैफ्रे मैनर्स आदि ।
क्या आपके चेहरे की त्वचा सुन्दर, स्वच्छ, आकर्षक, चिकनी और कान्तिमय है ? यदि हाँ, तो आप भाग्यबान हैं । आपकी त्वचा का यह सौन्दर्य सदा ऐसा ही बना रहेगा, इसकी कोई गारण्टी नहीं। इसे बनाये रखने के लिए आपको विशेष प्रयाप्त करते रहना पड़ेगा । प्राय: देखा गया है कि घर-गृहस्थी की चिन्ता, मानसिक तनाव और जलवायु के दुष्प्रभाव के करण अधिकांश औरतें कम आयु में ही अधेड़ लगने लगती हैं । युवा बने रहने के लिए वैसे तो अनेक उपाय हैं, लेकिन यदि त्वचा की उचित देखभाल की जाये, तो यौवन अधिक समय तक रह सकता है । चेहरे की त्वचा प्राय: तीन प्रकार की होती है-सामान्य त्वचा, शुष्क त्वचा और चिकनी त्वचा ।
सामान्य त्वचा : समान्य त्वचा कम स्त्रियों में पायी जाती है। इसमें चेहरे पर विशेष आकर्षण, ताजगी और लालिमा होती है । ऐसी त्वचा पर हल्का श्रृंगार करना चाहिए। श्रृंगार करने से पहले हल्के जल (साफ्ट वाटर) से त्वचा साफ करें । यदि आपके नल का पानी भारी है, तो इसमें बोरेक्स पाउडर की थोड़ी-सी मात्रा डाल कर हल्का किया जा साकता है । समान्य त्वचा का आकर्षण बनाये रखने के लिए जरूरी है कि रात को सोने से पाहले क्लीनजिंग क्रीम द्वारा चेहरे का मेकअप साफ किया जाये । सप्ताह में एक दिन श्रृंगार बिल्कुल न करें ताकि त्वचा स्वस्थ रूप से श्वास ले सके ।
शुष्क त्वचा : शुष्क त्वचा पर मौसम का प्रभाव तुरन्त होता है । ऐसी त्वचा को उचित देखभाल नहीं की जाये तो झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं । तेज हवा, धूप और जल से शुष्क त्वचा को बचाइए । शुष्क त्वचा को ठण्डे जल से कम से केम धोना चाहिए । साथ ही साबुन का कम प्रयोग करना चाहिए । शुष्क त्वचा पर एरिट्रजेण्ट लोशन बिल्कुल नहीं लगाना चाहिए । रात को सोने से पहले मेकअप हटाने के बाद त्वचा को ताजगी प्रदान करने वाले फ्रेशनर का प्रयोग करें । जहाँ तक हो सके, फ्रेशनर अलकोहल रहित होना चाहिए जिससे त्वचा पर और अधिक शुष्कता न आये । चेहरे की शुष्क त्वचा पर एक स्थान पर मोइश्चराइजिंग क्रीम लगा लें और फिर उसे रूई या "उँगलियों से हल्के-हल्के चेहरे के मध्य से बाहर की ओर फैलाते हुए लगायें । मोइश्चराइजिंग क्रीम गरदन तथा शरीर के उन भागों पर भी लगायें, जो दिन भर खुले रहते हैं । ऐसी महिलाओं को विटामिन ए, बी, सी और डी युक्त आहार अधिक मात्रा में लेना चाहिए ।
चिकनी त्वचा : चिकनी त्वचा पर मुँहासे और झाइयाँ तुरन्त होती हैं । ऐसी त्वचा को दिन में कम से कम तीन बार अवश्य धोना चाहिए । चेहरे पर सल्फर का साबुन लगाना चाहिए । रात को क्लीनजिंग क्रीम अथवा कच्चे दूध द्वारा चेहरा साफ करना न भूलें । अपने आहार में चिकने खाघ-पदार्थ कम से कम मात्रा में लें । दिन में कम से कम छ: गिलास मानी अवश्य पीना चाहिए । त्वचा चिकनी हो, तो सफाईं की अधिक जरूरत होती है अन्यथा कील-मुँहासे होने लगते हैं । ऐसी त्वचा पर श्रृंगार कम करना चाहिए । सप्ताह में एक बार चेहरे पर मालिश कर भाप लेने से त्वचा के रोम…कूपों में फँसे मैल के कण त्वचा पर उभर आते हैं । भाप लेने के बाद चेहरे पर 'फेस-पैक' लगाना चाहिए । इसे सारी क्रिया को फेशियल कहते हैं । फेसे- पैके बाजार से खरीदे जा सकते हैं अथवा इन्हें घर में स्वयं तैयार किया जा सकता है । आपको त्वचा पर कैसा फेसे-पैक विशेष लाभप्रद होगा, इसका निर्णय त्वचा की प्रकार के अनुसार किया जाता है ।
गरमियों में त्वचा को देखभाल
गरमियों के मौसेम में चेहरे की त्वचा की विशेष देखभाल करनी पड़ती है । पसीने के मारे त्वचा हर समय चिपचिपाने लगती है और इसे अच्छी तरह साफ रखना जरूरी होता है। तेज धूप और लू लगने से शरीर के खुले अंगों की त्वचा झुलस जाने से त्वचा का रंग गिर जाता है । पसीना आने से अकसर त्वचा के रोप-छिद्र बन्द हो जाते हैं और त्वचा स्वस्थ रूप से श्वास ले पाने में असमर्थ रहती है । त्वचा चिकनी होने पर सप्ताह में एक बार चेहरे पर भाप लीजिए जबकि त्वचा शुष्क हो, तो हर पन्द्रह दिनों बाद चेहरे पर भाप लेनी चाहिए । इसके लिए विशेष प्रकार के विघुत उपकरण उपलब्ध हैं । घर में भाप तैयार करने के लिए एक पतीले में पानी उबालिए । अब अपना चेहरा पतीले पर इस प्रकार झुका लें कि खौलते मानी से उठती हुई सारी भाप आपके चेहरे पर पड़े । भाप लेते समय अपने सिर पर तौलिया फैला दें तकि भाप व्यर्थ न जाये । चार-पाँच मिनट भाप लेना काफी होता है । भाप लेने के बाद मुँह पर बर्फ के ठण्डे पानी के छीटें लगऱइए ताकि त्वचा के खुले रोम-कूप पुन: बन्द हो जायें । नियमित भाप लेने से चेहरे की त्वचा निखरी रहती है । गरमियों के मौसम में त्वचा की रक्षा के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार है-
दिन भर में एक बार त्वचा पर साबुन अवश्य लगऱइए ।
रात को क्लीनजिंग मिल्क द्वारा चेहरे व गरदन की त्वचा साफ करनी चाहिए ।
तैलीय त्वचा पर एरिड्रजेण्ट लोशन लगाना चाहिए ।
चेहरा धोने के बाद बर्फ का टुकड़ा त्वचा पर मलना चाहिए ।
दिन में तीन बार शीतल जल से चेहरा धोइए ।
रात को सोने से पहले चेहरे की त्वचा पर क्रीम से हलकी मालिश करें, लेकिन क्रीम को मात्रा कम होनी चाहिए । अधिक मात्रा में क्रीम लगाना महज क्रीम की बर्बादी होगी ।
सरदियों में त्वचा की देखभाल
सरदी की तीखी हवाओं से त्वचा पटने की शिकायत हर सौन्दर्य-प्रिया को रहती है। शीत-लहर का सर्वाधिक दुष्प्रभाव शुष्क त्वचा पर होता है और जरा-सी असावधानी के करण त्वचा फटने लगती है । कई बार त्वचा फट जाने से रक्त भी निकल जाता है । चेहरे के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों-हाथ, पाँव, पीठ और गरदन की भी देखभाल करनी पड़ती है। शीत-लहर के दुष्प्रभाव के करण प्राय: त्वचा का रंग गिर जाता है, इसलिए शरीर की त्वचा को ढकने का हर सम्भव प्रयत्न करें । शुष्क त्वचा होने पर साबुन का प्रयोग कप से कम कीजिए । कोल्ड-क्रोम और आलिव आँयल द्वारा त्वचा की खुश्की काफी हद तक दूर की जा सकती है । लेकिन इससे पहले चेहरे की डीप-क्लीनजिंग अवश्य कीजिए । डीप-क्लीनजिंग करने के लिए साफ रूई को पानी में गीला कर, निचोड़ ले और उस पर क्लीनजिंग मिल्क लगा कर चेहरे व गरदन की त्वचा पर अच्छी तरह रगड़ कर पोंछिए । क्लीनजिंग-मिल्क के रूप में कच्चा दूध प्रयोग करने से प्राय: त्वचा पर अनावश्यक रोम उत्पन्न होने का डर रहता है । चेहरे की सफाई के लिए टमाटर और रसभरियों का रस श्रेष्ठ होता है । रात को सोने से पहले श्रृंगार साफ करने के बाद चेहरे पर पानी प्रयोग में नहीं लाना चाहिए बल्कि क्लीनजिंग के बाद चेहरे को गीले तौलिये से पोछ डालना चाहिए । तौलिया गरम पानी में भिगो कर अच्छी तरह निचोड़ कर गीला किया जा सकता। है। उसके बाद स्किन-टानिक में थोड़ा-सा बादाम रीगन मिलाकर त्वचा की मालिश करने से विशेष लाभ होता है । मालिश कम से कम दस मिनट कीजिए, जिससे क्रीम त्वचा में जज्ब को सके ।
स्किन टानिक बजार से तैयार खरीदा जा सकता है अथवा घर में भी तैयार किया जा सकता है । घरेलू विधि