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एनएल चर्चा 42: #MeToo, हिन्दी मीडिया में महिलाएं, यौन उत्पीड़न और अन्य
FromNL Hafta
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Length:
61 minutes
Released:
Oct 13, 2018
Format:
Podcast episode
Description
इस बार की एनएल चर्चा बाकी एपीसोड से अलग रही. पूरी चर्चा सिर्फ कामकाजी महिलाओं का दफ्तरों, या कार्यस्थलों में होने वाला शोषण पर केंद्रित रही. #MeToo आंदोलन में उठी आवाजें, भारतीय मीडिया में इस अभियान से मची उथल-पुथल, एमजे अकबर, आलोक नाथ जैसे बड़े नामों का नाम आना इस हफ्ते की प्रमुख चर्चा रही. लिहाजा इसके अलग-अलग पहलुओं तथा महिलाओं से जुड़े विषयों पर आधारित रही इस बार की न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा.इस बार की चर्चा में मीडिया में काम करने वाली कुछ महिलाओं ने हिस्सा लिया. लेखिका एवं वरिष्ठ पत्रकार गीताश्री, बीबीसी हिन्दी की पत्रकार सर्वप्रिया सांगवान तथा न्यूज़लॉन्ड्री की सबएडिटर चेरी अग्रवाल उपस्थित रही. इस चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सहायक संपादक राहुल कोटियाल ने किया.चर्चा की शुरुआत करते हुए राहुल ने #MeToo आंदोलन के इतिहास पर रोशनी डाली और बताया कि इसे भारत का #MeToo आंदोलन कहा जा रहा है. राहुल ने कहा, “हालांकि यह अभियान अभी यह बहुत सीमित तबके के बीच है और उन्हीं की आवाज़ें हम तक पहुंच रही हैं.”इसके जवाब में गीताश्री ने कहा कि स्त्रियों के लिए दुनिया तो सिर्फ 20 साल पहले ही खुली है कि वह अपना करियर बना सकी, एजुकेशन में आ सकी. उन्होंने आगे जोड़ा, “हम (महिलाएं) अपनी दुनिया को उस समय एक्सप्लोर नहीं कर पाये थे, अभी जिस वक़्त में हम लोग जी रहे हैं, हमने अपनी दुनिया को एक्सप्लोर कर लिया है और अब चुप रहना मुश्किल है.”सर्वप्रिया सांगवान ने इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए मीडिया के दफ्तरों में महिलाओं की मौजूदगी पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, “टीवी मीडिया के अंदर बहुत सारी लड़कियां काम कर रही हैं, एंकर्स भी हैं. लेकिन रिपोर्टर्स तो बहुत ही कम हैं. जहां पर एक्चुअल में पत्रकारिता का काम करना है, वहां नहीं हैं. वह काम पुरुषों के लिए ही ज्यादा मुफीद माना जाता है. लेकिन एंकर के तौर पर बहुत सारी लड़कियां हैं क्योंकि वहां पर आपको सुंदर चेहरे चाहिए होते है. दिखाना होता है ताकि लोग एक बार रुक जाएं. आखिर कौन लोग हैं जो चेहरा देखकर रुक जाते हैं.”चेरी अग्रवाल ने इसे लड़कियों की सामाजिक पृष्ठभूमि और व्यावहारिकता से जोड़ा. उन्होंने कहा, “अगर मैं या मेरे जैसी बहुत सारी लड़कियां अपने घर पर बताएं कि उनका सेक्सुअल हरासमेंट हुआ है तो पहली बात वो बोलेंगे की बेटा आप वापस आ जाओ. और यह एक बड़ी भूमिका निभाता है.” #MeToo मामले में मीडिया की स्थिति पर बात करते हुए चेरी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि आवाज केवल एक सीमित तबके की ही आ रही है, बल्कि ये मीडिया है जो अपनी भूमिका एक सीमित दायरे तक सीमित रखे हुए है.राहुल कोटियाल ने वर्कप्लेस पर सेक्सुअल हरासमेंट को कम करने के ऊपर कहा कि अगर हम ये कोशिश करें कि सेक्सुअल हरासमेंट को लेकर जो अप्रोच है, सोच है, उसका कोई एक उपाय हो सकता है तो यह संभव नहीं है. जिस तरह से हम नए कर्मचारी को बता सकते हैं कि क्या-क्या करें उसी तरह की एक ट्रेनिंग पुरुषों के लिए हो सकती है, इसको अनलर्न करने के लिए. और यही छोटे-छोटे फैक्टर हैं, जो लॉन्ग टर्म में चीजों को एक दिशा में ले जाते हैं. जैसे यह अभियान चल रहा है तो ये भी कहीं न कहीं उस अनलर्निंग की दिशा में अपनी भूमिका अदा कर रहा है.पैनल की विस्तृत राय जानने के लिए सुनें पूरी चर्चा. See acast.com/privacy for privacy and opt-out information.
Released:
Oct 13, 2018
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
Bill Maher on Republicans being the Christian party and Jesus being like Rihanna. by NL Hafta