1 min listen
एन एल चर्चा 53: पोर्न और हिंसा का संबंध, उत्तर प्रदेश में गठबंधन और अन्य
FromNL Hafta
ratings:
Length:
60 minutes
Released:
Jan 19, 2019
Format:
Podcast episode
Description
इस हफ्ते की चर्चा बीबीसी की उस रिपोर्ट को केंद्रित रही जिसमें भारत में पोर्न वीडियो, पोर्न वेबसाइट से सामाज में पड़ने वाले हिंसक प्रभावों की पड़ताल की गई. इसके अलावा कारवां पत्रिका की एक बड़ी खोजी रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के बेटे विवेक डोवाल द्वारा कालेधन के लिए बदनाम केमन आइलैंड में कंपनी स्थापित करने का मामला, यकायक केंद्र सरकार के कई शीर्ष मंत्रियों, भाजपा नेताओं की बीमारी, उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के बीच हुआ गठबंधन आदि इस बार की चर्चा का मुख्य केंद्र रहे.चर्चा में इस बार दो नए मेहमान जुड़े, दिव्या आर्या जो की बीबीसी में वुमेन अफेयर, पत्रकार हैं साथ ही स्वतंत्र पत्रकार और लेखक अनिल यादव भी इस बार चर्चा का हिस्सा रहे. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकर आनंद वर्धन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा की शुरुआत बीबीसी की उस रिपोर्ट से हुई जिसमें पोर्न की समस्या और इसका महिलओं के प्रति होने वाली हिंसा से संबंध है. अतुल ने दिव्या से सवाल किया, “आपकी जो रिपोर्ट है, संक्षेप में आप हमारे श्रोताओं को बताए कि इसका विचार कहा से आया और इस रिपोर्ट का निष्कर्ष क्या रहा?”इसका जवाब देते हुए दिव्या ने कहा, “हमारी रिपोर्ट जो आपने बीबीसी हिंदी डॉट कॉम पर एक लेख के तौर पर पढ़ी वो एक घंटे की रेडियो डॉक्यूमेंट्री के तौर पर अंग्रेजी, हिंदी में बीबीसी रेडियो पर आई थी. इसकी शुरुआत एक ऐसे वीडियो से हुई जो मेरे पास मेरे एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में आया था, जिससे बहुत सारे एक्टिविस्ट और पत्रकार जुड़े हुए हैं. उस वीडियो में एक लड़की के कपड़े फाड़ने की कोशिश 10-15 लड़कों का समूह कर रहा था.”दिव्या के मुताबिक बिहार के एक गांव से यह वीडियो आया था और ये ऐसा इकलौता वीडियो नहीं था. ऐसे वीडियो लगातार आते रहे हैं जिसमे लड़कियों के साथ ज़बरदस्ती की जा रही है, और उनकी अनुमति के बिना ये वीडियो बनाके फैलाया जा रहा है. और बातचीत करने पर सामने आया कि इन वीडियों को प्रोफेशनली कैमरे से शूट किए गए हिंसक पोर्नोग्राफी की तरह ही बड़ी मात्रा में शेयर किया जा रहा है.चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अतुल कहते है, "इस मसले जुड़ा एक विषय है सेक्स एजुकेशन का. हिंदुस्तानी सामाज में सेक्स टैबू है. सेक्स एजुकेशन को लेकर न तो कोई माहौल है ना उसको खुले मन से कोई स्वीकार करता है. अनिल यादव की एक कहानी है जिसमें भारतीय सामाज में सेक्स की बेसिक ट्रेनिंग का जरिया सड़क पर चलते हुए कुत्तों के बीच होने वाला सेक्स है या फिर घरों की छतों पर गौरैय्या या कबूतरों के बीच होने वाले सेक्स को देखकर युवा सेक्स की समझ पाते हैं. इस तरह के माहौल में तो आप लड़कियों की सेक्स एजुकेशन की बात ही छोड़ दीजिए. हिंदुस्तान के संदर्भ में सेक्स एजुकेशन और सेक्सजनित हिंसा है उन दोनों में किस तरह से तालमेल हो सकता है?इसका जवाब देते हुए अनिल यादव ने कहा, “हम लोग एक सोसाइटी के तोर पर बड़ी अजीब स्थिति में है. हमारे यहां सेक्स एजुकेशन या सेक्स पर बातचीत को एक तरह से अस्वीकार किया जाता है जबकि दूसरी तरफ वो एक नेचुरल आर्गेनिक चीज़ है. सेक्स एजुकेशन के अभाव में उसके बारे में जानना, उसके बारे में सीखना पोर्न वीडियो के ज़रिए शुरू होता है.”वो आगे कहते हैं, "मतलब हमारी सोसाइटी में इन चीज़ों पर बात करने के, इन चीज़ो के बारे में एजुकेट करने के चैनल, कब के बंद कर दिए गए हैं. यह एक पाखंडी और दोहरे मापदंडो वाला सामाज है. ऐसे में जो नई पीढ़ी है उनको अगर जानना है तो वो पोर्न के ज़रिए ही सीख़ रहे हैं. लेकिन यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि पोर्न अनिवार्य तौर पर हिंसक और सैडिस्ट होता है. इसलिए नई पीढ़ी पोर्न के जरिए जो कुछ भी सीख रही है वो हिंसा सीख रही है और परपीड़ा सीख रही है, और ये बहुत ख़तरनाक बात है."आनंद वर्धन ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए कहा, “सूचना क्रांति ने विजुअल सेक्स का तथाकथित तौर पर लोकतांत्रीकरण किया है. इसकी पहुंच आम जन तक हुई है. इससे जो सेक्शुअली रिप्रेस्ड समाज है विशेषकर उत्तर भारतीय समाज उसको अपनी कुंठा को अभिव्यक्त करने का एक आसान जरिया मिला है. तब लोगों को पोर्न से ज्यादा चिंता ननहीं थी जब यह कुछ खास लोगों तक सीमित था. लेकिन इसके लोकतांत्रीकरण से यह बहस देखने को मिल रही है. पोर्न से एक समाज कैसे डील करता है यह भी बहुत कुछ उस समाज के बारे में बताता है.”अजीत डोवाल और सपा-बसपा गठबंधन पर भी पैनल के बीच दिलचस्प सवाल-जवाब हुए. दिव्या और अनिल ने इस चर्चा में हस्तक्षेप किया. आनंद वर्धन ने भी कुछ जरूरी, ज़मीनी जानकारियां साझा की. उनका पूरा जवाब और अन्य विषयों पर पैनल की विस्तृत राय जानने के लिए पूरी चर्चा सुने. See acast.com/privacy for privacy and opt-out informatio
Released:
Jan 19, 2019
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
Bill Maher on Republicans being the Christian party and Jesus being like Rihanna. by NL Hafta