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Devta Ka Baan
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Devta Ka Baan

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About this ebook


Arrow of God reverts to the tribal world. Ezeulu, the head priest of Ube,faces an erosion of values both from within his tribe and from without. On the one hand are the men of his tribe who align with and abet the European missionaries and on the other are the colonial invaders who are impinging on the old African way of life.
Languageहिन्दी
PublisherHarperHindi
Release dateNov 3, 2015
ISBN9789351367222
Devta Ka Baan
Author

Chinua Achebe

Chinua Achebe was born in 1930 in Nigeria. His work has been translated into more than forty languages. In June 2007, Achebe was awarded the Man Booker International Prize.

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    Devta Ka Baan - Chinua Achebe

    दूसरे संस्करण की भूमकिा

    जब भी लोगों ने मुझ से पूछा है कि मेरे उपन्यासों में से कौन-सा उपन्यास मुझे प्रिय है, मैं हमेशा सीधा उत्तर देने से कतरा गया हूँ, दृढ़ता से यह मानते हुए कि विशुद्ध डाह में इस सवाल की तुलना किसी आदमी से यह माँग करने से की जा सकती है कि वह अपने बच्चों को उस क्रम से बनाये जिस क्रम से वह उनसे प्यार करता है। कोई भी सच्चा पिता, अगर ज़रूरी हो ही जाय तो, अपने हर बच्चे के विशेष आकर्षण के बारे में ही बात करेगा।

    देवता का बाण के सिलसिले में यह विशेष गुण इस बात में निहित हो सकता है कि मुझे इसी उपन्यास को दोबारा पढ़ते पकड़ा जा सकता है। इस वजह से इसके शिल्प और गठन की कुछ कमज़ोरियाँ भी मेरी नज़र में आयीं जिन्हें मैं इस नये संस्करण के प्रकाशन के अवसर का फ़ायदा उठा कर दूर करने की कोशिश कर रहा हूँ।

    देवता का बाण के उत्साही प्रशंसक भी हैं और उतने ही गर्मा-गरम निन्दक भी। निन्दकों से और कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं। अलबत्ता प्रशंसकों के सामने मैं यही आशा व्यक्त कर सकता हूँ कि जो तब्दीलियाँ मैंने की हैं उनका वे अनुमोदन करेंगे। लेकिन चीज़ों की प्रकृति ऐसी है कि उनमें से कुछ अपने मूल प्रेम पर इतनी दृढ़ता से टकिे रहेंगे कि वे इन परिवर्तनों को अकारण किये गये या ग़ैर-ज़रूरी क़रार देंगे। परिवर्तन शायद कभी ज़रूरी या कारणवश किये गये नहीं माने जा सकते, लेकिन हम उन्हें करते रहते हैं। हमें कम-से-कम उन्हें सलाम करने के लिए तैयार रहना चाहिए जो दृढ़ता से अडिग रहते हैं, उस शानदार आदमी एज़ेउलू के आध्यात्मकि वंशज, इस आशा में कि वे हमें माफ़ कर देंगे। क्योंकि अगर वह बच गया होता तो वह अपनी क़िस्मत को पूरी तरह एक अभागे नायक की अपनी भव्य ऐतिहासकि नियति के समरूप पाता, अपने लोगों के पाला बदलने के पाप का प्रक्षालन अपनी वेदना से करता हुआ—इस तरह उस पाला बदलने को एक कर्मकाण्ड की प्रतिष्ठा देता हुआ। और उसमें उन्हें उसने उन्हें ख़ुशी से माफ़ कर दिया होता।

    चिनुआ अचीबी

    नये चाँद की प्रतीक्षा करते हुए आज उसकी यह तीसरी शाम थी। वह जानता था आज नया चाँद दिखेगा, लेकिन हर बार वह वह तीन दिन पहले से ही प्रतीक्षा शुरू कर देता, क्योंकि वह कोई जोखिम नहीं उठा सकता था। साल के इस मौसम में उसका काम इतना मुश्किल नहीं था। उसे आकाश को उतना निहारना नहीं पड़ता था, जितना बारिश के दिनों में। उन दिनों नया चाँद कई बार ख़ुद को बादलों के पीछे छिपा देता; जब वह बाहर आता तो वह आधा बढ़ चुका होता। जब चाँद यह खेल खेल रहा होता तब मुख्य पुजारी को पूरी शाम प्रतीक्षा करनी पड़ती।

    उसकी ओबी दूसरों की झोंपड़ियों से अलग ढंग से बनी थी। वहाँ सामने की तरफ़ दूसरों जैसी एक लम्बी देहरी तो थी ही, मगर दायीं तरफ़ प्रवेश द्वार पर एक छोटी देहरी भी थी। इस छोटी देहरी की छत को काट कर थोड़ा छोटा किया गया था, ताकि एज़ेउलू आकाश के उस हिस्से को निहार सके जहाँ चाँद नकिलता है। अँधेरा बढ़ने लगा था। आकाश को लगातार निहारने की वजह से उसकी आँखों में पानी भर आया था, जिसे वह मिचमिचा कर लगातार साफ़ कर रहा था।

    एज़ेउलू को यह सोचना क़तई पसन्द नहीं था कि उसकी नज़र अच्छी नहीं है; कि एक दिन उसे अपने दादा की तरह दूसरों की आँखों पर निर्भर होना पड़ेगा। पर यह भी सच है कि वे उस उम्र तक जिये थे, जिस उम्र में उनका अन्धापन आभूषण के समान हो गया था। अगर एज़ेउलू भी इतने बरस जीवित रह गया तो वह इस क्षति को स्वीकार कर लेगा। लेकिन फ़िलहाल वह इतना ठीक था जितना कोई जवान होता है, बल्कि उससे भी अधकि, क्योंकि जवान लोग वैसे नहीं रहे, जैसे वे हुआ करते थे। एज़ेउलू उन लोगों के साथ एक खेल खेलते हुए कभी नहीं थकता था। जब भी वे उससे हाथ मिलाते, वह अपनी बाँहों को सख़्त करके पूरी ताक़त अपने पंजे में भर देता और चूँकि वे इसके लिए तैयार न होते, वे दर्द से चिहुँक कर पीछे को हो जाते थे।

    जो चाँद उसने उस दिन देखा, वह इस क़दर दुबला-पतला था जैसे वह अनाथ जिसे दाई ने बड़ा एहसान जताते हुए दूध पिलाया हो। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं बादल के टुकड़े उसे धोखा तो नहीं दे रहे हैं, उसने उन्हें ग़ौर से देखा। और उसी वक़्त हड़बड़ाते हुए उसने अपने ओजीन की तरफ़ हाथ बढ़ाया। हर नये चाँद पर ऐसा ही होता था। वह अब बूढ़ा हो गया था, पर नये चाँद का वही ख़ौफ़ आज भी उसके ज़ेहन में मौजूद था, जो वह अपने बचपन में महसूस किया करता था। यह ठीक था कि जब वह उलू का मुख्य पुजारी बन गया तो वह डर ऊँचे पद की ख़ुशी में दब-सा गया था; लेकिन वह पूरी तरह से नष्ट नहीं हुआ। ख़ुशी की गिरफ़्त के नीचे वह ज़मीन में दबा पड़ा रहा।

    उसने अपना ओजीन बजाया — गोम गोम गोम गोम...और जल्द ही बच्चों की आवाज़ ने यह ख़बर हर तरफ़ फैला दी। ओन्वा अटुओ! ओन्वा अटुओ!.... ओन्वा अटुओ!....उसने डण्डी वापस लोहे के घड़ियाल में रख दी और उसे दीवार पर टाँग दिया।

    उसके अहाते में छोटे बच्चे औरों के साथ मिल कर चन्द्रमा का स्वागत करने लगे। ओबियागेली की पतली-सी आवाज़ ढोल और बाँसुरी के बीच छोटे ओजीन-सी लग रही थी। वह उन सबके बीच अपने छोटे बेटे न्वाफ़ो की आवाज़ भी पहचान सकता था। औरतें खुले में बातें कर रही थीं।

    ‘‘चन्द्रमा,’’ बड़ी पत्नी मतेफ़ी ने कहा, ‘‘तुम्हारा दर्शन मेरे लिए ख़ुशक़िस्मती लाये।’’

    ‘‘कहाँ है वह?’’ छोटी पत्नी उगोये ने पूछा, ‘‘मैं उसे देख नहीं पा रही हूँ। क्या मैं अन्धी हूँ?’’

    ‘‘क्या तुम उक्वा के पेड़ की फूनगी के पीछे नहीं देख रही? वहाँ नहीं! मेरी उँगलियों की सीध में देखो।’’

    ‘‘ओहो! मैंने देख लिया : चन्द्रमा, तुम्हारा दर्शन मेरे लिए ख़ुशक़िस्मती लाये। लेकिन वह वहाँ कैसे बैठा है? मुझे उसका उस तरह बैठना ठीक नहीं लग रहा है।’’

    ‘‘क्यों?’’ मतेफ़ी ने पूछा।’’

    ‘‘मैं सोचती हूँ वह भद्दे ढंग से बैठा है—दुष्ट चन्द्रमा की तरह।’’

    ‘‘नहीं,’’ मतेफ़़ी ने कहा। ‘‘ख़राब चन्द्रमा किसी को सन्देह में नहीं छोड़ता।

    उस तरह का जिसमें ओकुआटा की मृत्यु हुई थी। उसके पैर ऊपर हवा की तरफ़ थे।’’

    ‘‘क्या चन्द्रमा लोगों को मार डालता है?’’ ओबियागेली ने माँ के कपड़ों को खींचते हुए पूछा।

    ‘‘क्या किया है मैंने इस बच्ची के साथ? क्या तुम मेरे कपड़े खींच का मुझे नंगा कर देना चाहती हो?’’

    ‘‘मैंने पूछा, क्या चन्द्रमा लोगों को मार डालता है?’’

    ‘‘वह छोटी लड़कियों को मार डालता है,’’ उसके भाई न्वाफ़ो ने कहा!

    ‘‘मैंने तुमसे नहीं पूछा चींटियों की बाँबी जैसी नाक वाले।’’

    ‘‘तुम जल्दी ही रोओगी, लमढींग गर्दन।’’

    चन्द्रमा छोटे लड़कों को मार डालता है

    चन्द्रमा चींटियों की बाँबी जैसी नाक वाले को मार डालता है

    चन्द्रमा छोटे लड़कों को मार डालता है....

    ओबियागेली ने सब कुछ को गीत में बदल डाला।

    एज़ेउलू अपने बखार में गया और बाँस के मचान से, जो ख़ास तौर पर बारह पवित्र यैम के लिये बनाया गया था, एक यैम उठा लाया। अब आठ बचे थे। वह जानता था आठ ही होंगे; फिर भी उसने उन्हें सावधानी से गिना। उसने पहले ही तीन खा लिए थे और चौथा उसके हाथ में था। उसने एक बार फिर शेष की जाँच की और बखार के दरवाज़े को ध्यान से बन्द करने के बाद वापस अपनी ओबी में आ गया।

    ओबी में लकड़ी के कुन्दे की आग सुलग रही थी। वह कोने में जलावन के लिए रखी कुछ लकड़ियों के पास गया और उन्हें ठीक से जोड़ते हुए आग पर रखने के बाद उसने यैम को इस अन्दाज़ में ऊपर रखा जैसे वह कोई बलि हो।

    उसके भुनने की प्रतीक्षा करते हुए वह आने वाली घटनाओं की तैयारी करने लगा। आज ओये है। कल आफ़ो होगा और परसों न्कवो, बड़े बाज़ार वाला दिन। कद्दू के पत्तों का त्योहार परसों के तीसरे न्कवो को होने वाला था। कल वह अपने सहायकों को बुलवा भेजेगा और उन्हें उमुआरो के छै गाँवों में इस बात की घोषणा करने के लिए कहेगा।

    एज़ेउलू जब भी वर्षों, फ़सलों और इसलिए लोगों के ऊपर अपनी शक्तियों की श्रेष्ठता का जायज़ा लेता तो उसे आश्चर्य होता कि क्या वे सच्ची थीं। यह सही था कि उसने ही कद्दू के पत्तों के त्योहार और नये यैम के पर्व के दिन तय किये थे; लेकिन उसने यह नहीं चुना था। वह तो महज़ एक पहरेदार था। उसकी शक्तियाँ उस बच्चे की शक्तियों से अधकि नहीं थीं जिसे कहा जाता था कि वे बकरियाँ तुम्हारी हैं। जब तक वह बकरी हलाल नहीं की जाती थी, उसकी थी। वह उसके लिए भोजन जुटाता उसकी देख-भाल करता। लेकिन जिस दिन उसे हलाल किया जाता उसे बहुत जल्दी समझ में आ जाता कि असली मालकि कौन है। नहीं! उलू का मुख्य पुजारी इससे कहीं अधकि है, उसे इससे अधकि होना ही चाहिए। अगर वह दिन तय करने से इनकार कर दे तो त्योहार नहीं होंगे—बुआई नहीं होगी, कटाई नहीं होगी। लेकिन क्या वह मना कर सकता है? नहीं, मुख्य पुजारी ने आज तक कभी इनकार नहीं किया। इसलिए ऐसा नहीं किया जा सकता। वह जुर्रत नहीं कर पायेगा।

    एज़ेउलू इस बात से यूँ क्रोधित हुआ जैसे कि उसके दुश्मन ने कही हो।

    ‘‘हटा दो इस शब्द जुर्रत को,’’ उसने अपने दुश्मन को जवाब दिया। ‘‘हाँ, मैं कहता हूँ हटा दो इसे। पूरे उमुआरो में कोई आदमी खड़ा हो कर यह नहीं कह सकता कि मैं जुर्रत नहीं कर सकता। जो शख़्स यह कह सके उसे जन्म देने वाली अभी तक पैदा नहीं हुई।’’

    लेकिन यह झिड़की दे कर उसे क्षणकि सन्तुष्टि ही मिली। इस तरह की उथली बातों से कभी सन्तुष्ट न होने वाला उसका मन फिर से ज्ञान के किनारों पर रेंगने लगा। यह किस तरह की शक्ति थी, जिसका कभी इस्तेमाल नहीं हो सकता था? बेहतर तो यही है कि कहा जाय वह है ही नहीं, कि वह उस घमण्डी कुत्ते की गुदा से ज़्यादा शक्तिशाली नहीं थी, जिसके हल्के-से पाद से वह भट्ठी बुझाना चाहता हो....उसने छड़ी से यैम को पलटा।

    उसका छोटा बेटा न्वाफ़ो अब ओबी में आया, उसने एज़ेउलू का अभिवादन किया और दूर किनारे छोटी देहरी के पास मिट्टी के चबूतरे पर अपनी पसन्दीदा जगह पर बैठ गया। हालाँकि अभी वह महज़ बच्चा ही था, लेकिन ऐसा लगता था जैसे देवता ने पहले ही से मुख्य पुजारी के तौर पर उसका भविष्य तय कर रखा था। उसने अभी कुछ शब्द ही बोलने सीखे थे कि वह देवता के कर्मकाण्ड की तरफ़ गहरा आकर्षण महसूस करने लगा था। कुल मिला कर यह कहा जा सकता था कि वह उसके बारे में अपने से बड़ों की बनिस्बत ज़्यादा जानता था। तो भी कोई इतना हठी नहीं हो सकता था कि खुल कर कहे कि उलू यह करेगा या वह करेगा। जब ऐसा समय आयेगा कि एज़ेउलू अपनी जगह पर नहीं होगा तब उलू उसके बेटों में से जिसके चुने जाने की सबसे कम सम्भावना है, उसे चुन लेगा। ऐसा पहले भी हो चुका था।

    यैम को बार-बार डण्डे से घुमाते हुए एज़ेउलू ने उसे अच्छी तरह नज़दीक से देखा। उसका बड़ा बेटा एडोगो अपनी झोंपड़ी से भीतर आया।

    ‘‘एज़ेउलू!’’ उसने अभिवादन किया।

    ‘‘ई-ई-आई!’’

    एडोगो झोंपड़ी से होता हुआ अन्दर के अहाते में अपनी बहन अकुएके के अस्थाई घर की ओर चला गया।

    ‘‘जाओ, और एडोगो को बुला लाओ,’’ एज़ेउलू ने न्वाफ़ो से कहा।

    दोनों वापस आये और मिट्टी के चबूतरे पर बैठ गये। बोलने से पहले एज़ेउलू ने यैम को एक बार फिर पलटा।

    ‘‘क्या मैंने तुम्हें कभी देवता की प्रतिमा बनाने के बारे में बताया था?’’

    एडोगो ने जवाब नहीं दिया। एज़ेउलू ने उसकी ओर देखा, लेकिन वह उसे साफ़ देख नहीं पाया, क्योंकि झोंपड़ी का वह हिस्सा अँधेरे में था। अपनी ओर से एडोगो ने देखा कि उसके पिता का चेहरा उस आग में रोशन हो उठा था जिसमें वह पवित्र यैम को भून रहा था।

    ‘‘क्या एडोगो वहाँ नहीं है?’’

    ‘‘मैं यहाँ हूँ।’’

    ‘‘मैंने कहा मैंने तुमसे ईश्वर की प्रतिमा बनाने के बारे में क्या कहा था? शायद तुमने मेरा पहला सवाल नहीं सुना; शायद जब मैं बोला तब मेरे मुँह में पानी था।’’

    ‘‘आपने मुझे इससे बचने को कहा था।’’

    ‘‘मैंने तुमसे यह कहा था, कहा था मैंने? फिर यह सब क्या सुन रहा हूँ मैं—कि तुम उमुआगो के एक आदमी के लिए अलूसी तराश रहे हो?’’

    ‘‘आपसे किसने कहा?’’

    ‘‘किसने कहा मुझे? मैं बस इतना जानना चाहता हूँ कि यह सही है कि नहीं, यह नहीं कि किसने कहा मुझसे।’’

    ‘‘किसने कहा, यह मैं इसलिए जानना चाहता हूँ, क्योंकि मैं नहीं समझता कि वह देवता के चेहरे और मुखौटे के बीच के फ़़र्क को बता पायेगा।’’

    ‘‘ठीक है! तुम जा सकते हो, मेरे बेटे। और अगर तुम्हारा मन करे तो उमुआरो के समस्त देवताओं की प्रतिमाएँ बना सकते हो। अगर तुम मुझे इस बारे में दोबारा पूछते सुनो तो मेरे नाम पर कुत्ता पाल लेना।’’

    ‘‘जो प्रतिमा मैं उमुआगो के आदमी के लिए बना रहा हूँ वह....’’

    ‘‘यह तुम मुझसे बात नहीं कर रहे हो! मैंने तुमसे बात पूरी कर ली है।’’

    न्वाफ़ो ने व्यर्थ में ही इन शब्दों का मतलब बूझने का प्रयत्न किया। जब उसके पिता का ग़ुस्सा शान्त हो जायेगा तब वह पूछेगा। फिर उसकी बहन ओबियागेली अन्दर के अहाते से आयी। उसने एज़ेउलू का अभिवादन किया और चबूतरे पर बैठने को हुई।

    ‘‘क्या तुमने कड़ू पत्तों को पका लिया है?’’ न्वाफ़ो ने पूछा।

    ‘‘क्या तुम्हें कड़ू पत्तों को पकाना नहीं आता? या तुम्हारी उँगलियाँ टूटी हुई हैं?’’

    ‘‘तुम दोनों ख़ामोश रहो,’’ एज़ेउलू ने यैम को आग से नकिालते हुए अँगूठे और पहली उँगली से उसे टटोला और तसल्ली की। खूँटी से एक दुधारी चाकू ला कर वह भुने हुए यैम का काला छिलका छीलने लगा। ऐसा करते हुए उसके हाथ कालिख से सन गये। फिर उसने हाथों को एक-दूसरे से थपक कर उन्हें साफ़ किया। उसके हाथ के पास उसकी लकड़ी की कटोरी थी, उसने यैम को उसमें काट कर ठण्डा होने के लिए छोड़ दिया।

    जब उसने खाना शुरू किया तो ओबियागेली ने चुपचाप ख़ुद से ही गाना शुरू कर दिया। उसे अब तक यह पता चल जाना चाहिए था कि उसके पिता, जो हर नये चाँद के मौक़े पर बिना ताड़ के तेल के जिस भुने हुए यैम को खाते थे, उसका एक छोटा-सा टुकड़ा भी उसे नहीं देंगे। लेकिन उसने उम्मीद नहीं छोड़ी थी।

    एज़ेउलू ख़ामोशी से खाता रहा। वह आग से दूर हट आया था और अब दीवार से पीठ लगा कर बैठा हुआ बाहर की तरफ़ देख रहा था। जैसा कि आम तौर पर होता था उसका मन ऐसे मौक़ों पर दूर के किन्हीं ख़यालों पर जा टकिता। बीच-बीच में वह तूँबे से ठण्डा पानी पी लेता जो न्वाफ़ो उसके लिए ले कर आया था। जैसे ही उसने आखिरी टुकड़ा खाया, ओबियागेली अपनी माँ की झोंपड़ी की तरफ़ लौट गयी। न्वाफ़ो ने लकड़ी की कटोरी और तूँबे को उठा लिया और चाकू को फिर से दोनों कड़ियों के बीच टाँग दिया।

    एज़ेउलू बकरे की खाल के आसन से उठ कर घर के देवल की तरफ़ चला गया जो प्रवेश द्वार के पास बनी बीच की छोटी दीवार के पीछे तख़्ते पर बना था। उसका इकेंगा लगभग इतना लम्बा था जितना आदमी की बाँह होती है, उसके जानवरों वाले सींग इतने बड़े थे जितना उसका शेष मानव शरीर और वह पूर्वजों के चेहराविहीन ओक्पोसी से बीच ठँसा हुआ था जो बलि के रक्त से काला पड़ गया था और जो ओफ़ो का अपना छोटा निजी डण्डा लिये था। न्वाफ़ो की आँखों ने वह ख़ास ओक्पोसी पहचान लिया जो उसी के लिए बनाया गया था, क्योंकि रात को उसे मिर्गी के दौरे आते थे। उन्होंने कहा था वह उसे हमनाम से बुलाये और उसने ऐसा ही किया था। धीरे-धीरे उसे दौरे आना बन्द हो गये थे।

    एज़ेउलू ने दूसरों से ओफ़ो के डण्डे को लिया और वेदी के सामने आदमियों की तरह टाँगें दोनों तरफ़ करके नहीं, बल्कि औरतों की तरह टाँग अपने सामने फैला कर वेदी की एक तरफ़ बैठ गया। उस छोटे-से डण्डे के एक सिरे को अपने दायें हाथ में लेते हुए और दूसरे सिरे को ज़मीन पर ठोंकते हुए वह प्रार्थना करने लगा।

    ‘‘उलू, मैं तुम्हारा शुक्रगुज़ार हूँ कि तुमने मुझे एक बार फिर नया चाँद देखने का मौक़ा दिया। मैं इसे बार-बार देखूँ। यह घर स्वस्थ और सम्पन्न बने। चूँकि यह खेती का चन्द्रमा है इसलिए छै-के-छै गाँवों को खेती में लाभ मिले। हम खेती में ख़तरों से बच सकें। साँप के काटने या झाड़ियों के महाबली बिच्छू के डंक से। हम अपने पैर हँसिए से या फावड़े से न काट बैठें और ऐसा हो कि हमारी पत्नियाँ बेटे पैदा करें। गाँवों की अगली गिनती में हमारी संख्या बढ़े ताकि हम तुम्हें गाय की बलि अर्पित करें, न कि म़ुर्गे की जैसा कि हमने पिछले नये यैम के पर्व पर किया था। पिताओं को अपने बच्चे न दफ़्न करने पड़ें, बच्चे पिताओं को दफ़्न करें। सभी स्त्रियों और पुरुषों के चेहरों का सामना अच्छाई से हो। ऐसा ही नदी तट के लोगों के और जंगल के लोगों के लिए हो।’’

    उसने ओफ़ो को वापस इकेंगा और ओक्पोसी के बीच रख दिया। मुँह पर हाथ फेरा और वापस अपनी जगह पर आ गया। हर बार जब वह उमुआरो के लिए प्रार्थना करता, एक कड़वापन उसके मुँह में आ जाता, उस बँटवारे को ले कर एक सुलगता हुआ क्रोध जो छै गाँवों में हुआ था और जिसका दोष उसके दुश्मन उसके सिर मढ़ते थे। और किस कारण से? इसलिए कि उसने गोरे आदमी के सामने सच बोला था। लेकिन वह आदमी जो उलू के पवित्र दण्ड को थामता हो, किस तरह ऐसी बात कहता जो वह जानता हो कि झूठी थी? वह उस कहानी को कैसे छिपा जाता जो उसने अपने पिता से सुनी थी? यहाँ तक कि गोरा आदमी विन्टाबोटा भी समझता था, हालाँकि वह ऐसी जगह से आया था, जिसे कोई नहीं जानता था। उसने एज़ेउलू को सच का एक मात्र साक्षी कहा था। यही वह बात थी जिसने उसके दुश्मनों को नाराज़ कर दिया—कि गोरा आदमी, जिसके माँ-बाप को कोई नहीं जानता, आये और उन्हें वह सच्चाई बताये जिसे वे जानते तो थे, पर सुनना पसन्द नहीं करते थे। यह दुनिया के तबाह होने का संकेत था।

    नदी से लौटती औरतों की आवाज़ें उसके ख़यालों में दाख़िल हो गयीं। वह उन्हें बाहर के अन्धकार की वजह से देख नहीं सकता था। नया चाँद अपनी झलक दिखला कर वापस छिप गया। लेकिन उसके आने के निशान रात पर मौजूद थे। जितना घना अन्धकार देर रात हुआ करता है, उतना नहीं था, बल्कि वह उस खुले और हवादार जंगल की तरह था जिसके नीचे की घनी झाड़ियों को भीतर से काट दिया गया हो। जैसे ही औरतों ने एक-एक कर ‘‘एज़ेउलू’’ पुकारते हुए उसका अभिवादन किया, उसने उनकी धुँधली आकृतियाँ देखीं और पलट कर उनका अभिवादन किया। ओबी को अपनी दायीं तरफ़ छोड़ती हुई वे अन्दर अहाते में लाल मिट्टी से बनी दीवारों से बने एकमात्र नक़्क़ाशीदार दरवाज़े से प्रवेश कर गयीं।

    ‘‘क्या ये वही लोग नहीं थे जिन्हें मैंने सूर्यास्त से पहले नदी की तरफ़ जाते देखा था?’’

    ‘‘हाँ,’’ न्वाफ़ो ने कहा। ‘‘वे न्वांगेने गयी थीं।’’

    ‘‘अच्छा।’’ एज़ेउलू थोड़ी देर के लिए यह भूल गया था कि नज़दीक की नदी ओटा को त्याग दिया गया था, क्योंकि देववाणी ने कल यह घोषणा की थी कि उद्गम स्थल पर जो बड़ी चट्टान है—दो दूसरे पत्थरों पर टकिी हुई, वह गिरने वाली है और वह अपने सिर के लिए नर्म सिरहाना लेने वाली थी। जब तक वह अलूसी जो इस नदी का मालकि था और जिसके नाम पर वह नदी थी, शान्त न किया जाता तब तक कोई भी नदी के क़रीब नहीं जा सकता था।

    तो भी, एज़ेउलू ने सोचा, आज रात जो कोई भी ब्यालू ले कर आयेगा, उससे वह अपने मन की बात कहेगा। अगर उन्हें मालूम था कि उन्हें न्वांगेने जाना है तो उन्हें पहले ही चले जाना चाहिए था। वह इस बात से थक गया था कि उसे रात का खाना तब भेजा जाये जब दूसरे लोग खा-पी कर भूल चुके हों।

    जैसे-जैसे ओबीका घर के नज़दीक पहुँच रहा था, उसकी भारी मरदाना आवाज़ रात के वातावरण में तेज़-से-तेज़ होती जा रही था। यहाँ तक कि उसकी सीटी की आवाज़ कुछ लोगों की आवाज़ के मुक़ाबले दूर तक पहुँच रही थी। वह बारी-बारी से गा और सीटी बजा रहा था।

    ‘‘ओबीका लौट रहा है,’’ न्वाफ़ो ने कहा।

    ‘‘रात का परिन्दा आज जल्दी घर आ रहा है,’’ उसी वक़्त एज़ेउलू ने कहा।

    ‘‘एक दिन जल्द ही वह एरू को फिर देखेगा,’’ न्वाफ़ो ने उस प्रेत का हवाला देते हुए कहा जिसे ओबीका ने एक रात देखा था। यह कहानी इतनी बार सुनायी गयी थी कि न्वाफ़ो ने उसके वहाँ होने की कल्पना भी कर डाली।

    ‘‘इस बार इडेमिली या ओगवूग्वू होगा,’’ एज़ेउलू ने मुस्कराते हुए कहा और न्वाफ़ो ख़ुशी से भर उठा था।

    लगभग तीन साल पहले एक रात ओबीका तेज़ी से ओबी में घुसा था और डर के मारे काँपते हुए पिता के सामने जा गिरा था। अँधेरी रात थी और बारिश होने ही वाली थी। बादल गहरी और तरल आवाज़ में गड़गड़ा रहे थे, और बिजली लगातार चमक रही थी।

    ‘‘क्या हुआ, मेरे बेटे?’’ एज़ेउलू के बार-बार पूछने के बावजूद ओबीका काँपता रहा और कुछ भी नहीं कह सका।

    ‘‘क्या हुआ है, ओबीका?’’ उसकी माँ मतेफ़ी ने पूछा जो दौड़ते हुए ओबी में आयी थी और अब बेटे से भी ज़्यादा काँप रही थी।

    ‘‘ख़ामोश रहो,’’ एज़ेउलू ने कहा। ‘‘तुमने क्या देखा ओबीका?’’

    ओबीका जब थोड़ा शान्त हुआ तो वह पिता को बताने लगा कि उसने उनके गाँव उमुआचाला और उमुन्नियोरा के बीच उगीली के पेड़ के क़रीब चमकती हुई बिजली में क्या देखा था। जैसे ही उसने उस पेड़ का नाम लिया, एज़ेउलू समझ गया कि वह क्या था।

    ‘‘जब तुमने देखा तब क्या हुआ?’’

    ‘‘मैं जानता था कि वह प्रेतात्मा है, मेरा सिर भारी हो उठा।’’

    ‘‘क्या वह नन्हें पाखियों को नष्ट करने वाली झाड़ी में बदल गया था? बायीं तरफ़?’’

    पिता के विश्वास ने उसे उबार लिया। उसने सिर हिलाया और एज़ेउलू ने भी दो दफ़ा सिर हिलाया। अब तक दरवाज़े पर दूसरी औरतें भी पहुँच गयी थीं।

    ‘‘वह दिखने में कैसा था?’’

    ‘‘मेरी जानकारी में किसी भी आदमी से अधकि लम्बा,’’ उसने घूँट निगला।

    ‘‘उसकी चमड़ी बहुत हल्की थी....जैसे....जैसे....’’

    ‘‘उसने ग़रीबों जैसे कपड़े पहन रखे थे या बहुत अमीर आदमी जैसे?’’

    ‘‘उसने अमीरों जैसे कपड़े पहने हुए थे। उसकी लाल टोपी पर गरुड़ का पंख लगा था।’’

    उसके दाँत फिर किटकिटाने लगे।

    ‘‘ख़ुद को सँभालो। तुम औरत नहीं हो। क्या उसके पास एक हाथी दाँत था?’’

    ‘‘हाँ, उसने कन्धों पर हाथी दाँत उठा रखा था।’’

    बारिश शुरू हो चुकी थी, पहली-पहली मोटी बूँदें छत पर कंकड़ों के गिरने का-सा शोर पैदा करने लगीं।

    ‘‘डरने की कोई बात नहीं है, मेरे बेटे। तुमने महिमावान एरू को देखा था, जो उन लोगों को, जिन पर वह ख़ुश होता है, धन-दौलत बख़्शता है। लोग कई बार ऐसे मौसम में उसे उस जगह देखते हैं। शायद वह इडेमिली या दूसरे देवताओं से मिल कर अपने घर लौट रहा होगा। एरू सिर्फ उनको नुक़सान पहुँचाता है जो उसके देवल के सामने खड़े हो कर झूठी क़समें खाते हैं।’’ एज़ेउलू धन के इस देवता की तारीफ़ करता थक नहीं रहा था। जिस तरह उसने बात की थी, कोई सोच सकता था कि एज़ेउलू एरू का गर्वीला पुजारी है, न कि उलू का जो एरू और अन्य सभी देवताओं के ऊपर था। ‘‘जब वह किसी आदमी को पसन्द करता है तो दौलत उसके घर में नदी की तरह बहती है; उसके यैम आदमियों जितने बड़े हो जाते हैं, उसकी बकरियाँ एक साथ तीन बच्चे जनती है, और र्मुिग़याँ नौ अण्डे देती हैं।’’

    मतेफ़ी की बेटी ओजिउगो, एक कटोरा फ़ू-फ़ू और एक कटोरा सूप ले कर आयी, पिता को सलाम किया और उनके सामने रख दिया। इसके बाद वह न्वाफ़ो की तरफ़ मुड़ी और कहने लगी : ‘‘अपनी माँ की झोंपड़ी में जाओ, उसने खाना पका लिया है।’’

    ‘‘लड़के को अकेला छोड़ दो,’’ एज़ेउलू ने कहा, वह जानता था कि मतेफ़ी और उसकी बेटी इस बात से नाराज़ रहते थे कि वह अपनी दूसरी पत्नी के बच्चे का पक्ष लेता था। ‘‘जाओ, और अपनी माँ को मेरे पास बुला लाओ।’’ उसने खाना शुरू करने का कोई संकेत नहीं दिया और ओजिउगो समझ गयी कि बखेड़ा होने वाला था। वह वापस अपनी माँ के झोंपड़े में गयी और उसे बुला लायी।

    ‘‘मैं नहीं जानता कि इस घर में मैंने कितनी बार यह कहा है कि मैं अपना ब्यालू उस वक़्त नहीं खा सकता जब उमुआरो का हर आदमी सोने भी चला गया हो।’’ जैसे ही मतेफ़ी भीतर आयी, उसने कहा, ‘‘लेकिन तुम सुनतीं नहीं। जो कुछ मैं इस घर में कहता हूँ तुम्हारे लिए कुत्ते के उस पाद से ज़्यादा अहमियत नहीं रखता जिससे वह आग बुझाने के लिए करता है....’’

    ‘‘मैं उतनी दूर न्वांगेने तक पानी लाने गयी थी और....’’

    ‘‘तुम चाहो तो अन्कीसा चली जाओ। मैं जो कह रहा हूँ कि अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारा पागलपन ठीक कर दिया जाये, तो किसी और दिन मेरा ब्यालू इस वक़्त लाना....’’

    जब ओजिउगो कटोरियाँ लेने आयी तो उसने देखा कि न्वाफ़ो सूप पर हाथ साफ़ कर रहा है। वह ग़ुस्से में भर कर, उसके ख़त्म करने की प्रतीक्षा करने लगी। फिर उसने कटोरियों को इकट्ठा किया और इस बारे में माँ को बताने चली गयी। यह पहली, दूसरी या तीसरी बार नहीं हुआ था। हर रोज़ यही होता था।

    ‘‘क्या तुम किसी गिद्ध को लाश के चारों तरफ़ मँडराने के लिए दोष दोगी?’’ मतेफ़ी ने कहा। ‘‘तुम उस लड़के से क्या उम्मीद करती हो जिसकी माँ मछली की बजाय फलियों के बीज से सूप पकाती हो? वह अपना पैसा हाथी दाँत के कंगन ख़रीदने के लिए बचाती है। लेकिन एज़ेउलू को उसके किये में कोई ग़लती नहीं दिखती है। मेरे मामले में वह जानता है कि क्या कहना है।’’

    ओजिउगो दूसरी औरत के झोंपड़े की ओर देख रही थी जो अहाते की दूसरी तरफ़ बना हुआ था। उसे बस नीची ओलती और देहरी के बीच ताड़ के तेल के लैम्प की पीली रोशनी नज़र आ रही थी। वहाँ एक तीसरी झोंपड़ी भी थी जो बाक़ी दोनों झोंपड़ियों के साथ आधा चन्द्रमा बनाती थी। यह एज़ेउलू की पहली पत्नी ओकुआटा की झोंपड़ी थी, जो कई वर्ष पहले गुज़र गयी थी। ओजिउगो बमुश्किल उसे जानती थी; उसे बस यह याद था कि जब भी वह सूप पकाती, वह हर बच्चे को, जो उसकी झोंपड़ी में जाता, मछली के टुकड़े और फलियों के बीज दिया करती थी। वह अडेजे, एडोगो और अकुएके की माँ थी। उसकी मौत के बाद उसके बच्चे तब तक उस झोंपड़ी में रहे जब तक लड़कियों की शादी नहीं हो गयी। फिर एडोगो वहाँ अकेला रहता रहा जब तक कि दो वर्ष पहले उसकी शादी नहीं हो गयी और उसने अपने पिता के अहाते के साथ ही अपने लिए एक छोटा अहाता नहीं बना लिया। फ़िलहाल अकुएके वहाँ अकेली रहती थी जब से उसने अपने पति का घर छोड़ रखा था। वे कहते थे कि वह आदमी उसके साथ बुरा बर्ताव करता था। लेकिन ओजिउगो की माँ का कहना था कि यह झूठ है और अकुएके सिर-चढ़ी और घमण्डी थी, ऐसी औरत जो अपने पिता के अहाते को अपने पति के घर में ले जाती थी।

    ठीक उसी समय जब ओजिउगो और उसकी माँ खाना शुरू करने वाले थे, ओबीका गाते-गुनगुनाते घर लौटा।

    ‘‘उसका कटोरा मुझे दो,’’ मतेफ़ी ने कहा, ‘‘आज वह जल्दी आ गया है।’’

    ओबीका छप्पर की नीची ओलती के आगे झुका और हाथ बढ़ाये हुए अन्दर आया। उसने अपनी माँ को सलाम किया और उसने बिना किसी आत्मीयता के ‘‘न्नो’’ कहा। वह मिट्टी के चबूतरे पर धम से बैठ गया। ओजिउगो पकायी गयी मिट्टी के कटोरे में उसके लिए सूप ले आयी थी और अब वह बाँस के छींके से उसका फ़ू-फ़ू उतारने लगी। सूप के कटोरे से धूल और राख साफ़ करने के लिए मतेफ़ी ने फूँका और फिर उसमें सूप डालने लगी। ओजिउगो ने उसे भाई के सामने रख दिया और तूँबे में पानी लाने बाहर चली गयी।

    पहला घूँट निगलने के बाद ओबीका ने सूप की कटोरी को रोशनी की तरफ़ मोड़ा और उसे ध्यान से देखने लगा।

    ‘‘तुम इसे क्या कहोगी, सूप या कोकोयैम का दलिया।’’

    औरतों ने उसको अनसुना करते हुए बिना किसी रुकावट के अपना खाना जारी रखा। यह साफ़ था कि उसने फिर बहुत ज़्यादा ताड़ी पी ली थी।

    ओबीका उमुआरो और आस-पास के ज़िलों के सबसे ख़ूबसूरत नौजवानों में से था। उसके चेहरे पर एक महीन तराश थी, उसकी नाक टन्न खड़ी थी, जैसे घण्टे की टंकार । उसकी त्वचा अपने पिता ही की तरह भट्टी में पकी मिट्टी के रंग की थी। लोग उसके बारे में कहते थे (जैसा कि अक्सर वे बेहद आकर्षक लोगों को देखने पर कहा करते) कि वह जंगल के इग्बो लोगों के बीच इस इलाक़े में रहने के लिए नहीं पैदा हुआ, कि अपने पिछले जन्म में वह नदी तट के लोगों के बीच पैदा हुआ होगा जिन्हें इग्बो लोग ओलू कहा करते थे।

    लेकिन दो चीज़ों ने ओबीका को ख़राब कर दिया था। एक तो वह बहुत ताड़ी पीता था और दूसरे उसे अचानक तेज़ ग़ुस्सा आ जाता। और चूँकि वह चट्टानों की तरह मज़बूत था, वह हमेशा दूसरों को चोट पहुँचाता रहता। उसके पिता, जो उसे उसके शान्त और सौतेले भाई एडोगो की बनिस्बत ज़्यादा पसन्द करते थे, अक्सर कहा करते : ‘‘बहादुर और निडर होना बहुत अच्छी चीज़ है, मेरे बेटे, लेकिन कभी-कभी कायर होना भी बेहतर होता है। हम अक्सर किसी कायर के अहाते में खड़े हो कर उन खँडहरों की ओर इशारा करते हैं जहाँ कोई बहादुर आदमी रहा करता था। वह आदमी जो किसी के आगे नहीं झुकता, उसे जल्द ही झुक कर क़बर में जाना होता है।’’

    लेकिन इस सबके बावजूद एज़ेउलू एक धीमे और सावधान घोंघे की बजाय तेज़ और चुस्त लड़का चाहता था भले ही जो हड़बड़ी में बर्तनों को तोड़ देता हो।

    ज़्यादा पहले की बात नहीं है जब ओबीका क़त्ल करने पर उतर आया था। उसकी सौतेली बहन अकुएके घर आ कर अक्सर यह कहा करती थी कि उसके पति ने उसे मारा है। एक सुबह वह फिर अपने सूजे हुए चेहरे के साथ घर आयी। बिना उसकी पूरी कहानी सुने, ओबीका अपने बहनोई के गाँव उमुओग्वूग्वू के लिए नकिल पड़ा। रास्ते में वह अपने दोस्त ओफ़ोइडू को बुलाने के लिए रुका जो लड़ाई के मौक़ों से कभी अनुपस्थित नहीं रहता था। जैसे ही वे उमुओग्वूग्वू पहुँचने को हुए, ओबीका ने ओफ़ोइडू को समझाया कि वह अकुएके के पति को पीटने में उसका साथ न दे।

    ‘‘फिर तुमने मुझे बुलाया ही क्यों है?’’ उसने ग़ुस्से में पूछा। ‘‘अपना झोला उठवाने के लिए?’’

    ‘‘तुम्हारे लिए यहाँ काम हो सकता है। अगर उमुओग्वूग्वू के लोग वैसे ही हैं जैसा कि मैं उन्हें समझता हूँ तो वे अपने भाई को बचाने के लिए दल-बल के साथ आयेंगे। तब तुम्हारे लिए यहाँ काम होगा।’’

    दोपहर से थोड़ा पहले जब तक वह ओफ़ोइडू के साथ लौट नहीं आया, तब तक एज़ेउलू के कुनबे में कोई नहीं जान पाया था कि वह कहाँ गया था। उन्होंने खाट से बँधे अकुएके के पति को सिर पर उठाया हुआ था, वह लगभग मरने-मरने को था। उन्होंने उसे उक्वा के

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